डूबते जकार्ता को छोड़ नई राजधानी बनाएगा इंडोनेशिया
१९ जनवरी २०२२
इंडोनेशिया ने नई राजधानी बनाने को मंजूरी दे दी है. नई राजधानी जकार्ता से 2,000 किलोमीटर दूर बोर्नियो द्वीप पर कालीमंतान के जंगलों में बनाई जाएगी.
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इंडोनेशिया की संसद ने मंगलवार को उस बिल को पास कर दिया है जिसके तहत नई राजधानी बनाने की प्रक्रिया को मंजूरी मिल गई है. देश डूबते और प्रदूषित हो चुके जकार्ता से राजधानी को दूर ले जाना चाहता है.
देश की मौजूदा राजधानी जकार्ता एक भीड़-भाड़ भरा, तंग और प्रदूषित शहर हो चुका है. यहां बार-बार बाढ़ आती है और शहर अक्सर डूब जाता है. इस कारण प्रशासन के कामकाज पर भी असर होता है. यहां करोड़ लोग रहते हैं.
मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी बिल पास हो गया. इसमें राष्ट्रीय राजधानी प्राधिकरण के गठन को मंजूरी दी गई है. बिल में बताया गया है कि नई राजधानी बनाने के लिए सुनिश्चित 32 अरब डॉलर किस तरह खर्च किए जाएंगे.
प्रधानमंत्री सुहार्सो मोनॉर्फा ने कहा कि नई राजधानी देश की पहचान होगी. उन्होंने कहा, "नई राजधानी का मुख्य मकसद होगा कि यह देश की पहचान बनेगी. साथ ही यह आर्थिक गुरुत्वाकर्षण का केंद्र भी बनेगी.”
कब शुरु हुआ नई राजधानी का काम
नई राजधानी का प्रस्ताव सबसे पहले राष्ट्रपति जोको विडोडो ने अप्रैल 2019 में दिया था. इसका निर्माण कार्य 2020 में शुरू होना था लेकिन कोरोना वायरस महामारी की वजह से ऐसा हो नहीं पाया. अब 2022 में निर्माण कार्य जोरों से होने की संभावना है. 2024 तक सड़क और बंदरगाहों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
कचरा दो, किताबें लो: इंडोनेशिया में अनोखी पहल
इंडोनेशिया के जावा द्वीप पर एक लाइब्रेरियन ने बच्चों को कचरे के बदल किताबें देने की एक अनोखी मुहिम की शुरुआत की है. इससे बच्चों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी आ रही है और किताबें भी पढ़ने को मिल रही हैं.
तस्वीर: Ajeng Dinar Ulfiana/REUTERS
छोटी पहल, बड़ा असर
राडेन रोरो हेंडारती रोज अपने ऑटो को किताबों से भर लेती हैं और मुनतांग नाम के गांव में जाती हैं. वहां वो बच्चों से कचरा लेकर इकट्ठा करती हैं और उसके बदले में उन्हें किताबें देती हैं. इस छोटी सी पहल का बड़ा असर हो रहा है. इंडोनेशिया में प्लास्टिक का कचरा एक बड़ी समस्या है, खास कर सुदूर ग्रामीण इलाकों में.
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अदला बदली
जैसे ही वो गांव पहुंचती हैं, उनके पास भीड़ इकट्ठी हो जाती है. कई बच्चे पहले से उनका इंतजार कर रहे होते हैं और उनसे किताब लेने के लिए लाइन में खड़े हो जाते हैं. इन्हें वो प्लाटिक के कप, बैग और दूसरे बेकार सामान के बदले देती हैं. फिर वो इस कचरे को अपने ऑटो में भरती हैं और अपने उनके सहयोगी उसे अलग अलग कर या तो रीसाइकिल करने या बेचने के लिए ले जाते हैं.
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कई किलो प्लास्टिक कचरा
राडेन हर हफ्ते इस तरह का करीब 100 किलो कचरा जमा कर लेती हैं. वो रोज इस कचरे का वजन तोल कर कुल कितना प्लास्टिक इकट्ठा हो रहा है इसका हिसाब रखती हैं. वो कहती हैं, "जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए और पृथ्वी को बचाने के लिए हमें अपने कचरे का भी कुछ करना पड़ेगा."
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साथ में पढ़ाई
बच्चों को यह छोटी सी मोबाइल लाइब्रेरी बहुत पसंद है. वो कहते हैं, "जब कचरा बहुत बढ़ जाता है तो हमारा पर्यावरण और गंदा होता चला जाता है और यह हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है. इसीलिए हम कचरा खोज कर लाते हैं, ताकि हम उसके बदल किताबें उधार ले सकें." स्कूल की छुट्टी हो चुकी है लेकिन बच्चे अब भी साथ बैठे हैं और पन्ने पलट रहे हैं.
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किताबों को हां, वीडियो गेम को ना
हेंडारती की पहल से बच्चों को पढ़ने की आदत तो लगी ही है, अब वो इंटरनेट पर वीडियो गेम खेलने में भी कम समय बिताते हैं. वो कहती हैं, "ऑनलाइन संस्कृति से जो नुकसान हुआ है उसे कम करने के लिए बच्चों को छोटी उम्र से ही पढ़ने की आदत लगाना जरूरी है."
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साक्षरता के मिशन पर
महामारी की वजह से इंडोनेशिया में कई स्कूल लंबे समय से बंद हैं, जिसके गंभीर परिणाम हुए हैं. विश्व बैंक ने कहा है कि देश के 80 प्रतिशत से ज्यादा युवाों को ओईसीडी देशों के न्यूनतम साक्षरता मानकों को हासिल करने में दिक्कत हो सकती है. अपने तीन पहियों की लाइब्रेरी में रोजाना करीब 6,000 किताबें ले जा कर, हेंडारती इस स्थिति को बदलने में अपना योगदान दे रही हैं. (यूली एच)
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इंडोनेशिया के वित्त मंत्रालय का कहना है कि कुछ परियोजनाओं को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत पूरा किए जाएगा. मंगलवार के मतदान से पहले राष्ट्रपति विडोडो ने कहा, "नई राजधानी एक ऐसी जगह होगी जहां लोग हर जगह के करीब होंगे. वे साइकिल पर या पैदल भी एक जगह से दूसरी जगह जा सकेंगे और कार्बन उत्सर्जन शून्य होगा.”
विडोडो ने कहा कि राजधानी में सिर्फ सरकारी दफ्तर नहीं होंगे. उन्होंने कहा, "हम ऐसे स्मार्ट मेट्रो शहर बनाना चाहते हैं जो अंतरराष्ट्रीय प्रतिभाओं को आकर्षित करेंगे और इनोवेशन के केंद्र होंगे.”
सरकार ने जो विजन डॉक्युमेंट जारी किया है उसमें भी कहा गया है कि नई राजधानी इंडोनेशिया को एक अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक मार्गों, निवेश और तकनीकी विकास के रणनीतिक केंद्र में लाएगी.