भारत की तरह दक्षिण पूर्व एशिया के सभी देशों में आपको शैंपू, कॉफी या डिटर्जेंट के छोटे-छोटे पैकेट दिख जाएंगे. कई गरीब लोग बड़ी बोतलें और पैकेट खरीद नहीं पाते, इसलिए छोटे पैकेज जल्दी बिक जाते हैं.अपने एक बार इस्तेमाल वाले डिजाइन की वजह से इनसे बहुत कूड़ा होता है और यह पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा है.