घरेलू कचरे से बनाया रोबोट कैसे कर रहा कोरोना मरीजों की मदद
११ अगस्त २०२१
इंडोनेशियाई ग्रामीणों और वैज्ञानिकों द्वारा मनोरंजन के लिए डिजाइन किए गए एक होममेड रोबोट का इस्तेमाल महामारी के दौरान हो रहा है. यह रोबोट ऐसे लोगों तक भोजन और उम्मीद की नई रोशनी लेकर पहुंच रहा है जो कोविड से पीड़ित हैं.
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घरेलू सामान जैसे बर्तन, कड़ाही और पुराना टेलीविजन मॉनिटर को मिलाकर एक रोबोट तैयार किया गया है. इस रोबोट को अब "डेल्टा रोबोट" नाम दिया गया है. इंडोनेशिया में कोरोना वायरस का डेल्टा वेरिएंट भारी तबाही मचा रहा है.
इस प्रोजेक्ट के प्रमुख 53 साल के असियांतो कहते हैं, "डेल्टा वेरिएंट के बढ़ते मामले और कोरोना के केसों की संख्या को देखते हुए इस रोबोट को सार्वजनिक सेवाओं के लिए इस्तेमाल करने का फैसला किया गया है. जो कीटाणुनाशक का छिड़काव करेगा, ऐसे लोगों तक भोजन पहुंचाएगा जो कोरोना के कारण अलग-थलग घर पर रह रहे हैं."
कचरे से बना रोबोट
रोबोट का सिर कुकर से बनाया गया है और यह है रिमोट से चलता है. इसकी बैटरी करीब 12 घंटे तक काम कर सकती है. यह टेम्बोक गेडे गांव में बने कई रोबोटों में से एक है, इस गांव ने प्रौद्योगिकी के अपने रचनात्मक उपयोग के लिए ख्याति प्राप्त की है.
रोबोट उन गलियों से गुजरता है जहां के लोग घर पर आइसोलेशन में रह रहे हैं. घर पर अलग-थलग रहने वालों के यहां पहुंच कर यह स्पीकर द्वारा सलाम करता है और भोजन पहुंचने का संदेश देता है. साथ ही वह जल्द ठीक होने की कामना भी करता है.
यह गांव इंडोनेशिया के दूसरे सबसे बड़े शहर सुराबाया में पड़ता है, जहां पिछले एक महीने में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी विनाशकारी लहर आई है.
मिलिए ग्रेस से, स्वास्थ्य देखभाल के लिए अनोखा रोबोट
रोबोट सोफिया तो याद ही होगी आपको. सोफिया जब बात करती तो उसके चेहरे पर बदलते भाव लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचते. लेकिन महामारी ने एक और रोबोट को पैदा कर दिया. इसका नाम ग्रेस है. वह स्वास्थ्यकर्मी के रूप में काम करेगी.
तस्वीर: Joyce Zhou/REUTERS
कोरोना काल में आ गई "ग्रेस"
सेलिब्रिटी ह्यूमनॉइड रोबोट सोफिया के पीछे हांग कांग की जो टीम थी, वह एक नया प्रोटोटाइप रोबोट लेकर आई है. इसका नाम ग्रेस है, जिसे स्वास्थ्य सेवा बाजार पर लक्षित किया गया है और इसे बुजुर्गों और कोविड-19 महामारी से अलग-थलग होने वालों लोगों के साथ बातचीत करने के लिए डिजाइन किया गया है.
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नर्स की तरह का काम
नीले रंग की नर्स की ड्रेस पहने हुए, ग्रेस में एशियाई विशेषताएं हैं. उसके काले बाल कंधे तक आते हैं. ग्रेस की छाती पर एक थर्मल कैमरा लगा है जो मरीज के शरीर का तापमान लेने और उसकी प्रतिक्रिया को मापने के लिए है. वह अंग्रेजी, मंदारिन और कैंटोनीज भाषा बोल सकती है.
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ग्रेस क्या करेगी?
कोरोना संकट की शुरुआत से ही स्वास्थ्यकर्मी अथक परिश्रम कर रहे हैं. हैनसन रोबोटिक्स ने उनकी मदद के लिए ही ग्रेस का प्रोटोटाइप तैयार किया है. वह कोरोना के संक्रमण से भी बच सकती है और बुजुर्गों और लंबे समय से घर में नजरबंद लोगों से बात कर सकती है.
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ग्रेस किस तरह से स्वास्थ्य सेवा देगी
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बदौलत ग्रेस कुछ चीजों के बारे में लोगों से सहजता से बात कर सकती है. अपनी बहन सोफिया के बगल में खड़ी ग्रेस कहती है, "मैं लोगों के घर जाकर उनके दिन को उज्ज्वल कर सकती हूं. उनसे बात कर सकती हूं. स्वास्थ्यकर्मियों की मदद कर सकती हूं."
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कीमत कितनी
हैनसन रोबोटिक्स के मुताबिक अगले साल के भीतर हांग कांग, चीन, जापान और कोरिया में ऐसे रोबोट का उत्पादन जोरों पर शुरू हो जाएगा. हैनसन रोबोटिक्स का मानना है कि भविष्य में अगर उसका उप्तादन ज्यादा होता है तो ग्रेस की कीमत में काफी गिरावट आएगी. फिलहाल एक रोबोट का दाम एक कीमती लग्जरी कार के बराबर है.
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सोफिया की खासियत
आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस से लैस ह्यूमनॉइड रोबोट सोफिया जब दुनिया में पहली बार पेश की गई तो उसने खूब सुर्खियां बटोरी. इसमें कोई शक नहीं है रोबोट हमारी जिंदगी को आसान बना रहे हैं. और इनका इस्तेमाल हर क्षेत्र में हो रहा है. सोफिया तो पहली ऐसी महिला रोबोट है जिसके पास एक देश की नागरिकता है.
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हर जगह रोबोट
जर्मनी की डाक सेवा डॉयचे पोस्ट ने काफी समय पहले रोबोट का इस्तेमाल शुरू कर दिया. पीले रंग के रोबोट डाक ले कर लोगों के घर तक जाते हैं. हालांकि क्योंकि अभी इन्हें सीढ़ियां चढ़ना नहीं आता है, इसलिए एक व्यक्ति मदद के लिए इनके साथ रहता है.
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इंडोनेशिया में गंभीर हालात
इंडोनेशिया एशिया का नया कोरोना वायरस केंद्र बन गया है. देश की कुल 27 करोड़ आबादी में से 36 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं और एक लाख आठ हजार लोगों की मौत हो चुकी है.
असियांतो कहते हैं, "यह डेल्टा रोबोट बहुत ही सरल है....जब हमने इसे बनाया था, तो हमने अपने इसके लिए इस्तेमाल की गई चीजों का उपयोग किया था."
जापान और अन्य देशों में हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र में रोबोट्स का इस्तेमाल होता आया है. अब महामारी के दौरान भी कई देशों में रोबोट तैयार किए गए हैं जो अस्पतालों में कोरोना मरीजों की देखरेख के लिए तैनात किए जा रहे हैं.
एए/वीके (रॉयटर्स)
कोविड काल में रूप बदलती बार्बी
1959 में दुनिया में आने के बाद से उसने दर्जनों रूप बदले हैं. आजकल वह कोविड से जूझती दुनिया के रूप अपना रही है. मिलिए, कोविड में बार्बी से...
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कोविड में बार्बी, एक वैज्ञानिक
दुनियाभर में मशहूर गुड़िया बार्बी के बनानेवालों ने इसे एक नए रूप में पेश किया है. कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे वैज्ञानिकों के सम्मान में बार्बी को एक ब्रिटिश वैज्ञानिक का रूप दिया गया है. यह वैज्ञानिक हैं सारा गिल्बर्ट जिन्होंने वैक्सीन बनाने में अहम भूमिका निभाई.
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पहली बार्बी
9 मार्च 1959 को पहली बार्बी गुड़िया बाजार में आई थी. मैटल कंपनी की यह गुड़िया सुनहरे बालों और पतली कमर वाली थी, जिसे यूरोपीय लड़कियों जैसा बनाया गया था.
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प्यारी यादें
बार्बी ने दशकों से अनगिनत बच्चों के बचपन को यादों से भरा है. जाने कितने ही बच्चों के कमरों का यह अहम हिस्सा रही है. बार्बी के साथ उसका बॉयफ्रेंड केन भी एक अहम किरदार रहा है.
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कोई मुकाबला नहीं
बार्बी और केन 1980 के दशक में बड़ी हुईं तमाम लड़कियों की जिंदगी का अहम हिस्सा रहे. कई कंपनियों ने बार्बी का मुकाबला करने की कोशिश की, जैसे जर्मनी में बनी पेट्रा जो काफी कोशिशों के बाद भी बार्बी की जगह नहीं ले पाई.
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बदलते रूप
1980 के दशक में ही बार्बी का मेकओवर भी हुआ. उसे बनाने वाली कंपनी मैटल ने करियर लाइन के रूप में बार्बी के कई अलग-अलग अवतार उतारे जैसे कि एस्ट्रोनॉट, डॉक्टर, टीचर, आर्किटेक्ट आदि.
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विविधता
साल 2000 के बाद बार्बी में बड़ा बदलाव आया. अब उसका रूप एक मॉडल जैसा ना होकर एक मध्यवर्गीय कामकाजी महिला जैसा हो गया. उसके कपड़े भी चकमदार नहीं बल्कि व्यवहारिक हो गए. 2016 में मैटल ने बार्बी को चार अलग-अलग आकारों में भी पेश किया जिनमें दुबले पतले से लेकर सामान्य तक शामिल थे.
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बदलता वक्त
2017 में बार्बी ने पहली बार हिजाब पहना. वह रियो ओलंपिक में शामिल हुईं अमेरिका की तलवारबाज इब्तिहाज मुहम्मद के रूप पर बनाई गई थी.
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दुनियाभर में चाहने वाले
केन्या में बार्बी कोई शहरी आधुनिक लिबास वाली लड़की नहीं बल्कि अफ्रीका के पारंपरिक लिबास पहने एक लड़की थी.
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विफल भी रही बार्बी
बार्बी के कई रूप विफल भी रहे. जैसे फ्रीडा काल्हो वाला रूप जिस कारण मैटल को अदालत भी जाना पड़ा, जब उस पर कॉपीराइट के उल्लंघन का आरोप लगा. मैटल को उसे वापस लेना पड़ा.
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2019 के बाद
बार्बी के विशेषांक भी लोकप्रिय रहे हैं. जैसे 2019 में बार्बी को व्हील चेयर पर या एक नकली टांग लगाए बनाया गया.