आखिरी इच्छा पूरी कर नागेंद्रन धर्मलिंगम को दे दी गई फांसी
२७ अप्रैल २०२२
भारतीय मूल के मलेशियाई व्यक्ति नागेंद्रन धर्मलिंगम को बुधवार सुबह सिंगापुर में फांसी दे दी गई. धर्मलिंगम की फांसी रुकवाने के लिए दुनियाभर में अभियान चला था लेकिन नाकाम रहा.
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34 वर्षीय नागेंद्रन धर्मलिंगम की 13 साल लंबी कैद फांसी के साथ खत्म हो गई. आखिरी पलों में उनकी मां ने एक बार फिर अदालत का दरवाजा खटखटाया लेकिन सिंगापुर के सर्वोच्च न्यायालय के तीन जजों की बेंच ने इस अपील को भी खारिज कर दिया. नागेंद्रन ने अदालत के फैसले को स्वीकार किया और एक अनुवादक के जरिए जजों से एक आखिरी इच्छा के रूप में अपने परिवार के साथ कुछ वक्त मांगा.
नागेंद्रन ने कहा, "मैं आखिरी मिनटों में एक अनुरोध करना चाहता हूं. मैं अपने परिवार के साथ कुछ वक्त बिताना चाहता हूं. मैं ये अनुरोध इसलिए कर रहा हूं ताकि अपने परिजनों का हाथ पकड़ सकूं. यहीं अदालत में. यॉर ऑनर मैं अपने परिजनों का हाथ पकड़ना चाहता हूं. जेल में नहीं. क्या मुझे यहां उनके हाथ थामने की इजाजत है?”
अदालत ने नागेंद्रन का अनुरोध स्वीकार कर लिया. बाद में उसे अपने परिवार के साथ दो घंटे बिताने का मौका भी दिया गया लेकिन उस दौरान शारीरिक संपर्क की इजाजत नहीं थी. बाद में नागेंद्रन के भाई नवीन कुमार ने कहा कि बुधवार सुबह उसे फांसी दे दी गई.
इससे पहले अदालत ने नागेंद्रन की मां की आखिरी अपील यह कहते हुए खारिज कर दी कि कभी ना कभी तो अदालत का कोई आदेश आखिरी आदेश होना ही होगा. परिवार के मुताबिक नागेंद्रन का शव मलेशिया भेजा जाएगा जहां इपोह में अंतिम संस्कार किया जाएगा.
क्या है मामला?
धर्मलिंगम का मामला एक दशक से भी पुराना है जब उन्हें नारकोटिक्स अधिकारियों ने एक जांच नाके पर नशीली दवा हेरोइन के साथ पकड़ा था. उनकी जांघ पर पुड़िया में 44 ग्राम से कम हेरोइन की पुड़िया बांधकर छिपाई गई थी. इस मामले में उन पर आरोप साबित हुए और देश के ड्रग्स विरोधी कड़े कानूनों के तहत नवंबर 2010 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई.
तब से वह अलग-अलग अदालतों में अपील कर इस सजा के खिलाफ लड़ रहे थे. उन्होंने मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने की भी अपील की लेकिन नाकाम रहे. आखिर में पिछले साल उन्होंने राष्ट्राध्यक्ष से माफी की याचिका की, जो खारिज कर दी गई.
सजा-ए-मौत के 10 सबसे भयानक तरीके
आज मौत की सजा को पूरी तरह से खत्म करने की मांगें उठती हैं. लेकिन एक समय था जब ये सजाएं न केवल बहुत आम हुआ करती थीं, बल्कि बेहद वीभत्स होती थीं. देखिए, सजा-ए-मौत देने के 10 सबसे भयानक तरीके.
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सूली चढ़ाना
रोमन साम्राज्य में यह तरीका सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता था. ईसा मसीह को भी ऐसे ही मौत की सजा दी गई थी. हाथों और पांवों में कील ठोककर लकड़ी पर टांग कर मरने के लिए छोड़ दिया जाता था.
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सांड के पेट में
सिसली में तानाशाह अकगरागास के राज में इस भयानक तरीके को ईजाद किया गया. एक धातु का सांड बनाया जाता था. सजायाफ्ता को उसके पेट में बंद करके आग लगा दी जाती थी. सांड के मुंह से उसकी चीखें बाहर आती थीं तो ऐसा लगता था जैसे सांड की आवाज है.
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बीचोबीच काटना
यह तरीका कभी इंग्लैंड में इस्तेमाल होता था. व्यक्ति को घसीटते हुए सजा स्थल तक ले जाया जाता था. फिर उसे टांगों के बीचोबीच काट डाला जाता था.
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कोलंबियाई टाई
कोलंबिया और दक्षिण अमेरिका के कुछ और देशों में भी व्यक्ति का गला आगे से काटकर उसकी जबान खींच ली जाती थी और फिर उसे पेड़ से बांध दिया जाता था.
जिंदा जला देना
1937 में जापानी सैनिकों ने चीनियों को यही सजा दी थी. इतिहास में इस सजा के कई उदाहरण मिलते हैं जब कैदियों को जिंदा जला दिया जाता था.
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सेपुकू
जापानी योद्धा समुराई इस तरीके का इस्तेमाल करते थे. वे अपने हाथ से काटकर अपनी आंतें निकालते थे और जब वे तड़पने लगते तो उनका कोई साथी सिर पर वार कर देता.
तस्वीर: Museum Kunstpalast, Düsseldorf, Graphische Sammlung
लिंग ची
चीन में 20वीं सदी में इस सजा पर रोक लगाई गई. सजायाफ्ता के अंगों को एक एक करके काटा जाता था. और उसे ज्यादा से ज्यादा लंबे समय तक जीवित रखा जाता था.
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कैथरीन व्हील
सजायाफ्ता को एक पहिए पर लिटा दिया जाता था और उसे घुमाते हुए जल्लाद उसे पीटता था. उसकी हड्डियां टूट जाती थीं और धीरे धीरे वह मर जाता था.
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बांस से बांधकर
यह सजा एशियाई इलाकों में दी जाती थी. बांस का पेड़ रोजाना करीब एक फुट बढ़ता है. सजायाफ्ता को उस पेड़ के ऊपर बांध दिया जाता था. बांस बढ़कर उसके शरीर में घुस जाता था.
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स्पैनिश पंजे
बिल्ली के पंजों जैसे लोहे के इन तेजधार हथियारों से सजायाफ्ता व्यक्ति की खाल उतार ली जाती थी. आमतौर पर मौत उन घांवों में संक्रमण से होती थी.
तस्वीर: fotolia
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मौत की सजा के विरोधी कहते हैं कि हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सामने आया कि धर्मलिंगम का आईक्यू 69 है जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तय मानकों के हिसाब से मानसिक विकलांगता माना जाता है. लेकिन कोर्ट ने फैसला दिया कि धर्मलिंगम को पता था वह क्या कर रहे हैं. इस आधार पर मौत की सजा बरकरार रखी गई. कोर्ट ने कहा कि धर्मलिंगम ने मिलने वाले इनाम के लालच में यह काम किया, इसलिए वह समाज के लिए एक खतरा है.
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दुनियाभर में चर्चा
धर्मिलिंगम का परिवार मलेशिया के इपोह में रहता है. मौत की सजा के विरोध में काम करने वाले एंटी-डेथ पेनल्टी एशिया नेटवर्क समेत दुनियाभर के मानवाधिकार संगठनों की मदद से यह परिवार धर्मलिंगम की रिहाई के लिए लड़ रहा था.
कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने मानसिक रूप से विकलांग एक व्यक्ति को मौत की सजा दिए जाने को अमानवीय और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया. खबरों के मुताबिक मलेशिया के प्रधानमंत्री इस्माइल साबरी याकूब ने भी "सिर्फ मानवीय आधार पर” सजा पर रोक लगाने की अपील करता एक पत्र सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली साइन लूंग को लिखा था. सिंगापुर गया यूरोपीय संघ का एक प्रतिनिधिमंडल और नॉर्वे व स्विट्जरलैंड के दूतावास भी इस सजा पर रोक की अपील कर चुके थे.
कोरोना काल में क्या कम हुई मौत की सजा
एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट कहती है कि दुनियाभर में मौत की सजा साल 2020 में कम हुई. हालांकि कुछ देशों में यह सजा कम होने की जगह और बढ़ गई. जानिए कोरोना काल में कहां ज्यादा और कम हुई मौत की सजा तामील.
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साल 2020 में मौत की सजा
एमनेस्टी इंटरनेशनल की ताजा रिपोर्ट से पता चलता है कि 2020 में मौत की सजा देने में गिरावट दर्ज की गई. 2020 कोरोना महामारी का साल था लेकिन रिपोर्ट में कहा गया कि कुछ देशों ने मौत की सजा को जारी रखा. कोरोना काल में लाखों लोगों की मौत हुई लेकिन कुछ देश मौत की सजा देने से पीछे नहीं हटे.
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महामारी और मौत की सजा
एमनेस्टी महासचिव एग्नेस कैलमार्ड कहती हैं, "कुछ सरकारों की तरफ से मृत्युदंड की निरंतर कोशिश के बावजूद 2020 में तस्वीर सकारात्मक थी." वे कहती हैं, "ज्ञात मौत की सजा लगातार गिरी."
तस्वीर: Brendan Smialowski /AFP/Getty Images
2020 में 483 लोगों को दी गई मौत की सजा
एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में कुल 483 लोगों को मौत की सजा दी गई. एमनेस्टी की तरफ से दर्ज यह पिछले 10 सालों में सबसे कम आंकड़ा है.
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मध्य पूर्व के देशों में सजा
एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल 2020 में मौत की सजा दिए जाने वाले शीर्ष 5 देशों में चार मध्य पूर्व के हैं. ईरान में 246, मिस्र में 107 से अधिक, इराक में 45 और सऊदी अरब में 27 लोगों को मृत्यु दंड दिया गया. यह पूरी दुनिया में दी गई मौत की सजा का 88 फीसदी हिस्सा है.
तस्वीर: Steve Helber/AP/picture alliance
चीन में हजारों को मौत की सजा
चीन, उत्तर कोरिया, सीरिया और वियतनाम जैसे देश मौत की सजा को गोपनीय सूचना के अंतर्गत रखते हैं और आंकड़े जारी नहीं करते हैं. इसलिए इन देशों में मौत की सजा के बारे में सही संख्या जाहिर नहीं है. चीन ने इस साल हजारों लोगों को मौत की सजा दी और आंकड़े जारी नहीं किए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/D. Azubel
भारत में चार लोगों को मौत की सजा
एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट कहती है कि भारत में साल 2020 में चार लोगों को फांसी दी गई. इतने ही लोग ओमान में फांसी पर चढ़ाए गए और यमन में पांच से अधिक. भारत समेत दुनिया के 33 देशों में मौत की सजा देने के लिए एकमात्र तरीका फांसी है.
तस्वीर: AP
अमेरिका में मौत की सजा बहाल
अमेरिका में पिछले साल ट्रंप प्रशासन ने 17 साल के अंतराल के बाद मौत की सजा शुरू की. साल 2020 में देश में 17 लोगों को मौत की सजा दी गई. छह महीने में 10 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया.
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एक साझे बयान में उन्होंने कहा, "आज दुनिया के दो तिहाई से ज्यादा देश मौत की सजा को कानून या व्यावहारिक रूप में खत्म कर चुके हैं, जो मौत की सजा के खिलाफ दुनिया के बढ़ते चलन का संकेत है.” सिंगापुर में मौत की सजा पा चुके या सजा का इंतजार कर रहे 13 लोगों के परिवारों ने भी एक साझा पत्र लिखकर इस सजा पर रोक का अनुरोध किया था. सिंगापुर में 2019 में पिछली बार एक व्यक्ति को फांसी दी गई थी.