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समाजएशिया

एप्पल के सप्लायर ने कई श्रम कानूनों को ठेंगा दिखाया

१८ दिसम्बर २०२०

बेंगलुरु में आईफोन सप्लायर की फैक्ट्री में श्रम कानूनों का उल्लंघन किया गया. ताइवान की कंपनी के प्लांट में हिंसा के बाद श्रम विभाग की शुरुआती जांच में कई बातें सामने आई हैं.

आईफोन 12तस्वीर: Apple/AP Photo/picture-alliance

भारतीय श्रम विभाग की शुरुआती जांच में पता चला है कि एप्पल सप्लायर कंपनी विस्ट्रॉन और उसके वेंडरों ने कई नियमों का उल्लंघन किया. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने श्रम विभाग की इस प्राथमिक रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद यह खबर दी है.

पिछले हफ्ते भारत की आईटी कैपिटल बेंगलुरु के पास विस्ट्रॉन के प्लांट में नाराज कर्मचारियों ने भारी तोड़ फोड़ की. बेंगलुरु से 50 किलोमीटर दूर स्थित इस प्लांट में काम करने वाले कर्मचारियों ने आरोप लगाया था कि उन्हें कई महीने से तनख्वाह नहीं मिली है. हिंसा और तोड़ फोड़ के बाद प्लांट को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा.

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कई श्रम कानूनों का उल्लंघन

उपद्रव के कुछ घंटों बाद ही श्रम विभाग के अधिकारियों ने फैक्ट्री का दौरा किया. कर्नाटक राज्य के श्रम विभाग की शुरुआती ऑडिट में ही यह पता चल रहा है कि कंपनी ने "कई श्रम कानूनों का उल्लंघन" किया.

कर्नाटक के श्रम अधिकारियों के मुताबिक विस्ट्रॉन ने कोलार प्लांट में 12 घंटे की शिफ्ट में काम करने वाले कर्मचारियों का विवरण और उनकी नियुक्ति का कोई व्यवस्थित ब्यौरा नहीं रखा है. इन कर्मचारियों का आरोप है कि उन्हें ओवरटाइम का पैसा नहीं दिया गया.

सरकारी विभाग के ऑडिट में यह भी पता चला है कि विस्ट्रॉन ने कानूनी अनिवार्यता के बावजूद तनख्वाह और हाजिरी का रिकॉर्ड नहीं रखा है. ठेके पर रखे गए कर्मचारी काम के अतिरिक्त घंटों का पैसा नहीं मिलने से नाराज थे. विस्ट्रॉन ने इन मांगों को कभी रिकॉर्ड में दर्ज भी नहीं किया.

रिपोर्ट में विस्ट्रॉन को कर्मचारी मुहैया कराने वाले तीन वेंडरों का भी जिक्र है. ये वेंडर हैं, क्रिएटिव इंजीनियर्स, क्वेस कॉर्प और एडेको इंडिया. तीनों ने सरकारी नियमों का उल्लंघन करते हुए नियुक्ति के कोटे से ज्यादा भर्तियां की. क्वेस कॉर्प और एडेको इंडिया ने कोई त्वरित प्रतिक्रिया नहीं दी जबकि क्रिएटिव इंजीनियर्स से संपर्क नहीं हो सका.

अनसुनी कर दी गई शिकायतें

जांच में प्लांट की अटेंडेंस मशीन या सॉफ्टवेयर में खराबी भी पता चली. इस खराबी की वजह से कर्मचारियों को उनके काम का पूरा मेहताना नहीं मिल पा रहा था. एक अधिकारी ने कहा, "इस बात को मैनेजमेंट के सामने रखा भी गया लेकिन इसे हल नहीं किया गया."

समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने भी प्लांट में काम करने वाले करीब आधा दर्जन कर्मचारियों से बातचीत की. उस बातचीत में भी कर्मचारियों की नाराजगी सामने आई.

सरकारी ऑडिटर्स ने विस्ट्रॉन से तीन दिन के भीतर श्रम विभाग के सामने कुछ दस्तावेज पेश करने को कहा था. अभी यह साफ नहीं है क्या विस्ट्रॉन ने यह दरख्वास्त पूरी की.

विस्ट्रॉन और एप्पल की प्रतिक्रिया

ताइवान की कंपनी विस्ट्रॉन आईफोन बनाने वाली कंपनी एप्पल के सबसे बड़े ग्लोबल सप्लायरों में से एक है. श्रम विभाग की शुरुआती रिपोर्ट सामने आने के बाद रॉयटर्स ने विस्ट्रॉन से भी संपर्क किया. समाचार एजेंसी के दरख्वास्त का कंपनी ने कोई प्रतक्रिया नहीं दी.

एप्पल ने भी खुद ऑडिट करने की बात कही है. एप्पल के मुताबिक कंपनी यह जानना चाहती है कि विस्ट्रॉन ने सप्लायरों के लिए बनाई गई नियमावली का उल्लंघन किया है या नहीं.

राज्य सरकार की भूमिका

कर्नाटक की सरकार का कहना है कि वह प्लांट को फिर से शुरू करने में विस्ट्रॉन की मदद करेगी और कर्मचारियों की चिंताओं का समाधान किया जाएगा. हालांकि शुरुआती जांच रिपोर्ट पर सरकार की तरफ से कोई टिप्पणी नहीं की गई है.

ट्रेड यूनियनों ने सरकार पर कंपनी की प्रति नर्म रुख अपनाने का आरोप लगया है. यूनियनों का कहना है कि सरकार कड़ी परिस्थितियों में काम करने वाले कर्मचारियों के प्रति संवेदनशील नहीं है.

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यह मामला विस्ट्रॉन से ज्यादा एप्पल के लिए एक धब्बा साबित हो सकता है. विस्ट्रॉन के प्लांट में हुआ वाकया बताता है कि फेयर ट्रेड और फेयर प्रैक्टिस के मामले में एप्पल की सप्लाई चेन कितनी पाक साफ है.

ओएसजे/एनआर (रॉयटर्स)

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