यूरोपीय केंद्रीय बैंक की एक गुप्त प्रयोगशाला है, जिसका काम नकली यूरो मुद्रा नोटों को जब्त करना है. यहां काम करने वाले विशेषज्ञ जालसाजों से एक कदम हमेशा आगे रहते हैं.
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यूरोपीय केंद्रीय बैंक में बेहतरीन यूरो मुद्राओं में बने नकली नोटों का पता लगाने के लिए एक गुप्त प्रयोगशाला बनाई गई है. इस केंद्र में विशेषज्ञों की टीम है. यूरोपीय केंद्रीय बैंक के विशाल फ्रैंकफर्ट मुख्यालय की 23वीं मंजिल पर सुरक्षा द्वार के दूसरी तरफ, जालसाजी-विरोधी विशेषज्ञ यूरोजोन के कुछ बेहतरीन नकली नोटों की जांच कर रहे हैं.
इस लैब में 3डी माइक्रोस्कोप, अति-संवेदनशील माप और विशेष उपकरण हैं जो वास्तविक यूरो बैंकनोटों में एम्बेडेड लगभग एक दर्जन सुरक्षा विशेषताओं के परीक्षण में प्रभावी हैं, और ये नकली नोटों की पहचान करते हैं. हालांकि लैब में गिनती के विशेषज्ञ हैं, लेकिन उनका काम जालसाजों से एक कदम आगे रहना और यूरोपीय केंद्रीय बैंक को नई जालसाजी तकनीकों से अवगत कराना है.
यूरोपीय संघ के मुद्रा विकास प्रभाग के प्रमुख जीन-मिशेल ग्रीमेल का कहना है कि 20 साल पहले शुरू की गई यूरो मुद्रा की सुरक्षा का स्तर इतना ऊंचा है कि पूरे यूरोजोन में नागरिक के पास नकली नोट होने की संभावना बेहद कम है. उनके मुताबिक सालाना आधार पर यह संभावना और कम होती जा रही है.
क्या क्या बेचता है जर्मनी
जर्मनी निर्यात पर आधारित अर्थव्यवस्था है. जर्मनी, विदेशों को 1,000 अरब यूरो का सामान बेचता है. देखिये क्या हैं जर्मनी के टॉप 10 एक्सपोर्ट.
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कारें
फोल्क्सवागन, बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज, ऑउडी, पोर्शे. जर्मनी की ये कारें दुनिया भर में मशहूर हैं. जर्मनी की सांख्यिकी एजेंसी के मुताबिक देश ने 2015 में 226 अरब डॉलर की कारें और उनके पुर्जे निर्यात किये.
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मशीन
मशीनें बनाने में जर्मनों का कोई जवाब नहीं. हर काम के लिए मशीन और औजार बना देंगे. मैकेनिकल इंजीनियरिंग के बलबूते जर्मनी ने 2015 में 169 अरब यूरो कमाये.
बायर और बीएएसएफ जैसी जर्मन कंपनियों की हिस्सेदारी जर्मन निर्यात में 10 फीसदी है.
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इलेक्ट्रिक उपकरण
स्मार्टफोन, टीवी या कंप्यूटर में भले ही जापान, कोरिया और अमेरिका का दबदबा हो, लेकिन रेलवे ट्रैकों के लिए स्पेशल तार बनाना, उनके कंडक्टर तैयार करना, ये जर्मनी का इलाका है. 2015 में छह फीसदी निर्यात आय इसी क्षेत्र से हुई.
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इलेक्ट्रिक उपकरण
स्मार्टफोन, टीवी या कंप्यूटर में भले ही जापान, कोरिया और अमेरिका का दबदबा हो, लेकिन रेलवे ट्रैकों के लिए स्पेशल तार बनाना, उनके कंडक्टर तैयार करना, ये जर्मनी का इलाका है. 2015 में छह फीसदी निर्यात आय इसी क्षेत्र से हुई.
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फॉर्मास्यूटिकल्स प्रोडक्ट
जर्मनी के दवा उद्योग की दुनिया भर में अच्छी छवि है. बीते 100 साल में कई बड़ी बीमारियों की दवाएं जर्मनी से निकली है. पेंटेट खत्म होने के बावजूद जर्मनी 70 अरब यूरो की दवाएं और मेडिकल मशीनें निर्यात करता है.
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खास वाहन
शहर को साफ करने वाली गाड़ी, कूड़ा उठाने वाला खास ट्रक या फिर स्पेशल बसें. जर्मनी ने 57 अरब डॉलर यूरो की लागत वाले ऐसे वाहन दुनिया भर में बेचे.
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धातुएं
दुनिया का बेहतरीन स्टील जर्मनी में बनता है. एल्युमिनियम फॉयल और सुपर कंडक्टर मेटल जैसी धातुओं में जर्मनी की धाक है. 2015 में जर्मनी ने 50 अरब यूरो की धातुएं एक्सपोर्ट की.
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हथियार और खाने पीने की चीजें
मेड इन जर्मनी की मुहर वाली लड़ाकू पनडुब्बियां और टैंकों की बड़ी मांग है. कई जर्मन हथियारों के निर्यात को लेकर शर्मिंदगी महसूस करते हैं. वहीं ज्यादातर निर्यात होने वाले सामान की लिस्ट में चुइंग गम और प्लास्टिक प्रोडक्ट्स भी शामिल हैं.
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नोटों के लिए यूरोपीय सेंट्रल बैंक जिम्मेदार
यूरोपीय सेंट्रल बैंक मुद्रा नोट जारी करने के लिए अधिकृत है, जबकि 19 यूरोजोन सदस्य देशों के केंद्रीय बैंक अपने खुद के सिक्के जारी करते हैं. यूरोपीय बैंक के मुताबिक 2020 में यूरोजोन में नकली नोटों का स्तर अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया. पिछले साल यूरोजोन में 4,60,000 नकली यूरो नोट जब्त किए गए. गौरतलब है कि यूरोजोन में असली नोट 27 अरब हैं और नकली नोटों की संख्या बहुत कम है.
ग्रीमेल के मुताबिक यूरो नोटों की सुरक्षा विशेषताओं ने यूरोजोन नागरिकों के बीच एकल मुद्रा में "मजबूत विश्वास" बढ़ा दिया है. हाल के एक सर्वेक्षण के अनुसार यूरोजोन के 80 प्रतिशत निवासी यूरो मुद्रा में विश्वास करते हैं.
लोहे की अलमारी में नकली नोट
इस लैब में सबसे बड़ा खजाना लोहे की अलमारी में है. जिसमें दो लोगों को दरवाजा खोलने की आवश्यकता होती है, जबकि दोनों ही इस अलमारी के ताले का एक हिस्सा ही जानते हैं. तिजोरी में पांच यूरो से लेकर पांच सौ यूरो तक के 1,000 नकली नोट हैं, जिनका पिछले दो दशकों में निरीक्षण और अध्ययन किया गया है.
नकली नोटों को चलन से रोकने के लिए हर यूरोजोन देश में नकली नोट पहचान केंद्र है. फ्रैंकफर्ट में यूरोपीय सेंट्रल बैंक में स्थित केंद्र ऐसे विशेषज्ञों से बना है जो नोटों का बहुत बारीकी से अध्ययन करते हैं.
एए/सीके (एएफपी)
कहां गया 2,000 रुपए का नोट
आरबीआई ने माना है कि पिछले दो सालों से उसने 2,000 रुपए के नोट छापने बंद कर दिए हैं. जानिए आखिर कौन कौन से नोट कितनी संख्या में छाप रहा है रिजर्व बैंक.
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जादुई नोट गायब
2,000 रुपए के नोट को 2016 में नोटबंदी के बाद लाया गया था. कहा गया था कि यह बंद किए गए 500 और 1,000 के नोटों की कमी पूरी करेगा. बाद में 500 और 2,000 रुपए के नए नोट जारी कर दिए गए थे. लेकिन 2019 के बाद से अभी तक आरबीआई ने 2,000 रुपए का एक भी नया नोट नहीं छपा है. पिछली बार 2018-19 में 2,000 रुपए के 467 लाख नोट छापे गए थे.
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संख्या में अभी भी सबसे ज्यादा
लेकिन 2,000 रुपए का नोट बैन नहीं हुआ है यानी चलन में है. बल्कि जितने भी नोट चलन में हैं उनमें 2,000 और 500 के नोटों की संख्या ही सबसे ज्यादा है. 31 मार्च 2021 को सारे नोटों में से 85.7 प्रतिशत नोट इसी मूल्य वर्ग के थे.
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500 का सहारा
संख्या के हिसाब से सबसे ज्यादा 500 का नोट चलन में है. 31 मार्च, 2021 तक सभी नोटों में इसका हिस्सा 31.1 प्रतिशत था. कुल नोटों में इस नोट की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. एक साल पहले, यानी 31 मार्च, 2020 को, चलन में मौजूद कुल नोटों में 500 रुपए के नोटों का प्रतिशत 25.4 था.
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दस नंबरी
500 रुपए के नोट के बाद सबसे ज्यादा संख्या 10 रुपए के नोट की है. 31 मार्च, 2021 को कुल नोटों में इसका हिस्सा 23.6 प्रतिशत था.
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बीस का दम
इसके अलावा आरबीआई 20 रुपए के नोटों की संख्या भी बढ़ा रही है. जहां 2019-20 में 20 रुपए के 13,390 लाख नोट छापे गए थे, वहीं 2020-21 में इसके 38,250 नोट छापे गए.
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महामारी में चलन में बढ़े नोट
2018-19 के मुकाबले 2019-20 में कोविड-19 महामारी के पहले चलन में मौजूद सभी नोटों के मूल्य और संख्या में 14.7 और 6.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. 2020-21 में चलन में मौजूद सभी नोटों के मूल्य और संख्या में 16.8 प्रतिशत और 7.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Solanki
आपूर्ति हुई कम
लेकिन कुल मिलाकर 2020-21 में नोटों की सप्लाई को 2019-20 के मुकाबले कम रखा गया. 2019-20 में 2,23,875 नोटों के मुकाबले 2020-21 में 2,23,301 नोट सप्लाई किए गए, यानी 0.3 प्रतिशत कम. 2020-21 में पिछले साल के मुकाबले नोट छापने के आर्डर में 9.7 प्रतिशत की कमी की गई. पिछले साल सिक्कों के मुद्रण के आर्डर और सप्लाई में भी 11.8 प्रतिशत और 4.7 प्रतिशत की कटौती की गई थी.