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राजनीतिस्विट्जरलैंड

स्विट्जरलैंड में शुरू हुआ यूक्रेन के लिए शांति सम्मेलन

स्वाति मिश्रा
१५ जून २०२४

यूक्रेन में युद्ध खत्म करने के लिए रूस पर दबाव बढ़ाने के इरादे से कई देशों के नेता स्विट्जरलैंड में जमा हुए हैं. लेकिन इस जुटान में चीन शामिल नहीं है. रूस के दोस्तों का समर्थन हासिल किए बिना यह वार्ता कितनी कारगर होगी?

स्विट्जरलैंड की राष्ट्रपति वियोला एमहर्ड के साथ यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की स्विस सेना से गार्ड ऑफ ऑनर लेते हुए. तस्वीर जनवरी 2024 की है.
स्विट्जरलैंड के लूसेर्ना शहर में 15 और 16 जून को यूक्रेन के लिए शांति सम्मेलन हो रहा है. इसमें करीब 90 देश और अंतरराष्ट्रीय संगठन शामिल हो रहे हैं. सम्मेलन में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के शांति प्रस्तावों पर समर्थन जुटाने की कोशिश की जाएगी. तस्वीर: Alessandro della Valle/KEYSTONE/picture alliance

यूरोप के स्विट्जरलैंड में 15 जून से शुरू हुए इस दो-दिवसीय सम्मेलन में करीब 90 देशों और संगठनों के राष्ट्राध्यक्ष और वरिष्ठ प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं. इनमें अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों समेत इटली, ब्रिटेन, कनाडा और जापान के लीडर भी हिस्सा ले रहे हैं. 

रूस को सम्मेलन में आने का न्योता नहीं दिया गया. रूस ने भी इसे वक्त की बर्बादी बताकर कहा कि उसे यहां आने में कोई दिलचस्पी नहीं. चीन भी इस वार्ता में शिरकत नहीं कर रहा है. हालांकि, चीन ने पहले कहा था कि वह हिस्सा लेने पर विचार करेगा, लेकिन आखिर में उसने यह कहकर इनकार कर दिया कि रूस नहीं होगा. यूक्रेनी राष्ट्रपति ने चीन पर आरोप लगाया कि वह सम्मेलन को कमजोर करने में रूस की मदद कर रहा है. जवाब में चीन के विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों से इनकार किया.

जी7 देशों की बैठक में यूक्रेन को आर्थिक मदद देने के प्लान पर सहमति

जर्मनी, यूक्रेन के सबसे बड़े समर्थकों में है. जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स भी शांति सम्मेलन में हिस्सा लेने स्विट्जरलैंड पहुंचे हैं. स्विट्जरलैंड रवाना होने से पहले शॉल्त्स ने युद्ध खत्म करने से जुड़ी पुतिन की शर्तों पर कहा, "सब जानते हैं कि यह प्रस्ताव गंभीरता से नहीं दिया गया, बल्कि इसका लेना-देना स्विट्जरलैंड के शांति सम्मेलन से है." तस्वीर: Annegret Hilse/Reuters/AP/picture alliance

रूस के मित्र देशों का समर्थन जुटाने की भी कोशिश

इस अंतरराष्ट्रीय जुटान से बीजिंग के दूरी बनाने पर टिप्पणी करते हुए चीन में स्विट्जरलैंड के पूर्व राजदूत रहे बेरनारडिनो रेगात्सोनी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "इस वक्त स्पष्ट है कि भूराजनीतिक तौर पर चीन के लिए रूस के साथ उसका खास रिश्ता किसी और चीज से ज्यादा प्राथमिक है."

रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच चीन पहुंचे पुतिन

बहरहाल, चीन के बिना रूस को अलग-थलग करने की उम्मीदें भी कमजोर हुई हैं. वह अभी ना केवल रूस का सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम है, बल्कि उसका रूस पर काफी प्रभाव भी है. मेजबान स्विट्जरलैंड को उम्मीद है कि इस बैठक से इसी साल एक और सम्मेलन बुलाने की राह बनेगी, जिसमें शायद रूस भी हिस्सा ले.

यूक्रेन की पहल पर हो रही इस अंतरराष्ट्रीय बैठक में राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की भी मौजूद हैं. इसका मुख्य उद्देश्य यूक्रेन के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाना है. इनमें उन देशों को भी शामिल करने की कोशिश है, जिनके रूस से अच्छे संबंध हैं. रूस से दोस्ताना ताल्लुकात रखने वाले भारत, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की के प्रतिनिधि हिस्सा तो ले रहे हैं, लेकिन उनके प्रतिनिधि मंत्री स्तर के नहीं हैं.

ब्राजील भी केवल पर्यवेक्षक के तौर पर उपस्थित होगा. जेलेंस्की बीते दिनों सऊदी अरब गए थे, जिससे कयास लगाया जा रहा था कि शायद क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान भी सम्मेलन में आ सकते हैं. हालांकि, स्विट्जरलैंड ने मेहमानों की जो सूची जारी की है, उसमें सऊदी अरब की ओर से विदेशमंत्री फैसल बिन फरहान अल सऊद का नाम है.

नाटो देशों के रक्षा मंत्रियों की हालिया बैठक के बाद महासचिव येंस स्टोल्टेनबर्ग ने दोहराया कि रूस का युद्ध उन्हें यूक्रेन का समर्थन करने से नहीं रोक सकता. उन्होंने कहा कि आने वाले सालों में भी यूक्रेन को और मजबूती से समर्थन देना जारी रखेंगे. तस्वीर: Ukraine Presidency/Ukrainian Pre/ZUMAPRESS.com/picture alliance

सम्मेलन में किन मुख्य पक्षों पर होगी बातचीत

सम्मेलन में यूक्रेन और वहां जारी रूसी युद्ध से जुड़े कई मसलों पर बातचीत होनी है. खबरों के मुताबिक, सम्मेलन में इलाकाई अधिकार और दावों पर बात ना करके खाद्य और परमाणु सुरक्षा, आवाजाही की स्वतंत्रता जैसे मुद्दों को वरीयता दी जाएगी. यूक्रेन से अनाज का निर्यात और जापोरिझिया परमाणु बिजलीघर की सुरक्षा का मुद्दा अहम है.

दक्षिणी यूक्रेन के एनाहार्डिया शहर का छह रिएक्टरों वाला जापोरिझिया परमाणु बिजलीघर, यूरोप का सबसे बड़ा न्यूक्लियर पावर प्लांट है. फरवरी 2022 में रूसी हमले शुरू होने के बाद से ही यह प्लांट मॉस्को के कब्जे में है. यूक्रेन को इसपर वापस नियंत्रण पाने में सफलता नहीं मिली है. युद्ध के कारण जापोरिझिया प्लांट में परमाणु हादसे की आशंकाएं जताई जाती रही हैं. न्यूक्लियर एनर्जी एजेंसी (एनईए) लगातार यूक्रेन के परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा पर नजर रख रही है.

सम्मेलन से ठीक पहले पुतिन ने दोहराईं युद्ध खत्म करने की शर्तें

स्विट्जरलैंड में सम्मेलन शुरू होने से एक दिन पहले 14 जून को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन युद्ध खत्म करने की शर्तें दोहराईं. उन्होंने कहा कि अगर कीव नाटो में शामिल ना होने पर सहमति दे और वे चार प्रांत सौंप दे, जिनपर मॉस्को दावा करता है, तो वह यूक्रेन में जारी अपना युद्ध खत्म कर देंगे. ये चार प्रांत हैं- डोनेत्स्क, लुहांस्क, खेरसॉन और जापोरिझिया.

पुतिन ने यूक्रेन से क्रीमिया पर भी दावा छोड़ने को कहा, जिसपर 2014 से ही रूस ने कब्जा किया हुआ है. अपनी शर्तों को "बेहद आसान" बताते हुए पुतिन ने मांग रखी कि यूक्रेन इन चारों प्रांतों से अपनी सेना वापस ले ले. रूस ने 2022 में इन चारों प्रांतों पर दावा किया था. इनपर अभी रूस का आंशिक नियंत्रण है.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि कीव के निष्पक्ष रुख अपनाने, मॉस्को के दावे वाले वाले इलाकों से अपनी सेना हटाने और रूस की शर्तें पूरी करने के बाद उससे बातचीत शुरू करने पर "यूक्रेन का अस्तित्व" निर्भर करेगा. पुतिन का दावा है कि उन्होंने युद्ध खत्म करने के लिए यूक्रेन के आगे जो शर्तें रखी हैं, वे "ठोस और असली शांति प्रस्ताव" हैं. तस्वीर: Mikhail Metzel/REUTERS

पुतिन ने कहा, "जैसे ही वे कीव में एलान करते हैं कि वे इस फैसले के लिए तैयार हैं और इन इलाकों से अपनी सेनाओं को वापस बुलाना शुरू करते हैं और आधिकारिक तौर पर नाटो में शामिल होने की अपनी योजना खत्म करने की घोषणा करते हैं, हमारी ओर से तत्काल, बल्कि ठीक उसी मिनट संघर्षविराम करने और वार्ता शुरू करने का आदेश जारी कर दिया जाएगा."

यूक्रेन ने पुतिन की इन मांगों को खारिज कर दिया. उसने कहा कि यह आत्मसमर्पण करने जैसा होगा. यूक्रेन ने पुतिन की शर्तों को बेतुका बताया. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने मीडिया से बात करते हुए कहा पुतिन का बयान "अल्टीमेटम" जैसा है और जानबूझकर स्विट्जरलैंड में शुरू हो रहे शांति सम्मेलन से ऐन पहले दिया गया है. जेलेंस्की ने कहा, "यह स्पष्ट है कि पुतिन समझते हैं अधिकांश दुनिया यूक्रेन की तरफ है, जिंदगी की तरफ है."

एक ओर जहां चीन ने स्विट्जरलैंड की यूक्रेन शांति वार्ता में शामिल होने से इनकार कर दिया, वहीं संयुक्त राष्ट्र में बीजिंग के प्रतिनिधि गेंग शुआंग ने यूक्रेन और रूस से अपील की कि वे जल्द से जल्द शांति वार्ता शुरू करें. शुआंग ने कहा कि हथियारों से शायद जंग खत्म हो जाए, लेकिन वे स्थायी शांति नहीं ला सकते. तस्वीर: Sergei Bobylov/AFP/Getty Images

यूक्रेन के साथ अंतरराष्ट्रीय एकजुटता का संदेश

जानकारों के मुताबिक, पुतिन का इस तरह शर्त रखना रूस के बढ़ते आत्मविश्वास को रेखांकित करता है. हालिया महीनों में रूसी सेना को युद्ध में बढ़त मिलती दिख रही है. अभी यूक्रेनी भूभाग के करीब पांचवें हिस्से पर रूस का कब्जा है. इसमें क्रीमिया भी शामिल है, जिसे 2014 में रूस ने अपने कब्जे में लिया था.

इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप में संयुक्त राष्ट्र के निदेशक रिचर्ड गोआन ने रॉयटर्स से बातचीत में कहा, "सम्मेलन से यूक्रेनी कूटनीति की सीमाओं के सामने आने का जोखिम है. इसके बावजूद यह यूक्रेन के लिए दुनिया को फिर से याद दिलाने का मौका भी है कि वह यूएन चार्टर के सिद्धांतों की रक्षा कर रहा है."

इन तमाम परिदृश्यों में सम्मेलन से यूक्रेन को क्या हासिल होगा, इसपर स्विट्जरलैंड के एक पूर्व राजदूत डानिएल वोकर बताते हैं, "रूसी आक्रामकता के पीड़ित के तौर पर यूक्रेन के साथ अंतरराष्ट्रीय एकजुटता का एक और छोटा सा कदम."

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