मंगलवार को दुनिया की कई बड़ी वेबसाइट अचानक बंद हो गईं. छोटी सी गड़बड़ी के कारण हुई इस घटना के असर बहुत ज्यादा गंभीर हैं क्योंकि ऐसा फिर हो सकता है.
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8 जून को अचानक दुनिया थम गई. दुनिया थम गई क्योंकि इंटरनेट थम गया था. हजारों छोटी-बड़ी और लोकप्रिय वेबसाइट काम करना बंद कर गईं. उन्हें वापस ऑनलाइन आने में लगभग एक घंटा लगा. इंटरनेट तो वापस आ गया लेकिन एक डर छोड़ गया कि ऐसा फिर हो सकता है. और ज्यादा हो सकता है. ज्यादा बड़े पैमाने पर हो सकता है. तब क्या होगा!
8 जून की घटना एक क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर फास्टली से जोड़ी जा रही है. लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि यह आखिरी बार नहीं था क्योंकि इंटरनेट से जुड़ा पूरा ढांचा बहुत नाजुक है. बंद होने वाली वेबसाइटों में व्हाइट, न्यू यॉर्क टाइम्स और अमेजॉन जैसे विशालकाय संस्थान शामिल थे. इसके अलावा ब्रिटिश सरकार की वेबसाइट, सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म रेडिट और कई मीडिया संस्थान जैसे बीबीसी, सीएनएन और फाइनैंशल टाइम्स की वेबसाइटों पर भी त्रुटि (एरर) मेसेज दिखे.
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कैसे हुई रुकावट
विश्लेषकों का अनुमान है कि करीब एक घंटे तक रही इस आउटेज ने लाखों डॉलर का नुकसान किया होगा. इस घटना की वजह रही क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर कंपनी फास्टली के यहां हुई गड़बड़ी. अमेरिका की यह कंपनी इन वेबसाइटों का कुछ डेटा अपने सर्वर पर सेव करती है ताकि कंपनियों की वेबसाइट की स्पीड कम ना हो.
एक ईमेल में फास्टली के प्रवक्ता ने इस बात की पुष्टि की है कि जिस कारण वेबसाइट प्रभावित हुईं, उस गड़बड़ी का पता लगा लिया गया है. हालांकि कंपनी ने विस्तार से नहीं बताया है कि किस तरह की गड़बड़ी ने इतने बड़े पैमाने पर वेबसाइटों को प्रभावित किया लेकिन यह जरूर कहा कि समस्या सुलझा ली गई है. लेकिन वेबसाइटों में अचानक आई यह रुकावट दिखाती है कि इंटरनेट का पूरा ढांचा बहुत नाजुक आधार पर टिका है. छोटी-छोटी हजारों कंपनियां इस ढांचे का आधार हैं और उनमें से किसी एक में भी आई छोटी सी गड़बड़ी से पूरी व्यवस्था चरमरा सकती है.
क्या आप जानते हैं इटरनेट शटडाउन की कीमत?
2020 में दुनिया के सभी देशों में भारत को इंटरनेट शटडाउन की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा. आखिर क्या कीमत होती है इक्कीसवीं सदी में इंटरनेट बंद कर देने की?
तस्वीर: SZ Photo/picture-alliance
8,927 घंटे
टॉप10वीपीएन नामक ब्रिटिश संस्था के मुताबिक, 2020 में इंटरनेट शटडाउन की सबसे बड़ी कीमत भारत को चुकानी पड़ी. देश में कुल 8,927 घंटों तक इंटरनेट बंद रहा और इसकी वजह से 2.8 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. ये 2019 में इंटरनेट शटडाउन की वजह से हुए नुकसान का दुगुना है. देश में कुल मिला के 75 बार ऐसे मौके आए जब इंटरनेट बंद कर दिया गया.
तस्वीर: Avishek Das/ZUMA Wire/picture-alliance
20 देशों के सम्मिलित नुकसान से भी ज्यादा
संस्था ने इंटरनेट बंद करने वाले 21 देशों की जानकारी की समीक्षा की और पाया कि भारत में इसका जितना असर हुआ वो सूची में बाकी 20 देशों के सम्मिलित नुकसान के दुगुने से भी ज्यादा था. संस्था ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत में असली आर्थिक असर 2.8 अरब डॉलर से ज्यादा भी हो सकता है.
तस्वीर: DW/P. Samanta
कश्मीर में स्थिति विशेष रूप से खराब
रिपोर्ट में कश्मीर में लंबे समय तक इंटरनेट पर लगी पाबंदियों का अलग से जिक्र है. रिपोर्ट में इसे किसी भी "लोकतंत्र में सबसे लंबा इंटरनेट शटडाउन" बताया गया है. रिपोर्ट के अनुसार इन प्रतिबंधों से दवाओं की उपलब्धि, कारोबार और स्कूलों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है.
तस्वीर: Reuters/A.
भारत के दूसरे हिस्सों में भी शटडाउन
भारत में सबसे ज्यादा इंटरनेट शटडाउन जम्मू और कश्मीर में ही देखा गया. इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश के कई इलाकों में नवंबर (2020) में और मेघालय के कई इलाकों में फरवरी (2020) में इंटरनेट बंद किया गया.
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Mukherjee
दुनिया में कम हुआ असर
रिपोर्ट ने यह भी कहा कि जहां भारत में इंटरनेट बंद करने के नुकसान में इतनी बढ़ोतरी हुई, दुनिया के बाकी देशों में यह नुकसान 2019 के मुकाबले आधा हो गया. वैश्विक स्तर पर इस नुकसान का मूल्य रहा 4.01 अरब डॉलर.
तस्वीर: Jelena Djukic Pejic/DW
93 प्रमुख शटडाउन
रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में प्रमुख तौर से 93 मौकों पर इंटरनेट बंद किया गया. भारत के अलावा ये बेलारूस, म्यांमार, यमन, इथियोपिया, अजरबैजान, तुर्की, सीरिया, ईरान, तनजानिया, वेनेजुएला और सोमालिया में देखा गया. चीन और उत्तर कोरिया जैसे देश इस सूची में नहीं हैं.
तस्वीर: Oliver Berg/dpa/dpaweb/picture alliance
इंटरनेट शटडाउन का मतलब
रिपोर्ट में इंटरनेट शटडाउन की परिभाषा दी गई है. इसे "किसी विशेष आबादी के लिए या किसी एक स्थान पर इंटरनेट या इलेक्ट्रॉनिक संचार को इरादतन भंग करना" बताया गया है. संस्था के मुताबिक ऐसा "सूचना के प्रवाह पर नियंत्रण" कायम करने के लिए किया जाता है.
तस्वीर: SZ Photo/picture-alliance
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इस घटना का विश्लेषण करने वाली कंपनी केंटिक के निदेशक डग मैडोरी कहते हैं, "कुछ ही कंपनियां बहुत सारी सामग्री की देखभाल करती हैं. और बीते कुछ सालों में तो यह सूची और छोटी हो गई है. संभावना तो बहुत ही कम है, लेकिन अगर इन विशाल कंपनियों में से किसी एक में भी कभी रुकावट आ गई, तो बहुत सारी चीजें रुक जाएंगी."
फिर हो सकता है इंटरनेट बंद
फास्टली जैसी कई कंपनियां हैं जिन पर इंटरनेट का पूरा ढांचा टिका हुआ है. सैन फ्रैंसिस्को स्थित इस कंपनी के दुनिया के कई हिस्सों में सर्वर और डेटा सेंटर हैं. इन सेंटरों में इसकी ग्राहक वेबसाइटों का डेटा जमा होता है. तो जब किसी खास हिस्से में कोई ग्राहक वेबसाइट पर जाता है, तब उसे उस इलाके के फास्टली डेटा सेंटर में रखी गई असली डेटा की नकल नजर आती है. यानी वेबसाइट के असली सर्वर पर बोझ नहीं पड़ता और स्पीड तेज रहती है.
इसलिए 8 जून को जब फास्टली के डेटा सेंटर में गड़बड़ हुई, तब कुछ ग्राहकों के लिए ही वेबसाइट बंद हुईं. केंटिक का कहना है कि 75 प्रतिशत तक वेबसाइट बंद हो गई थी. इंटरनेट पर वेबसाइटों का इस तरह अचानक बंद हो जाना कोई नही बात नहीं है. हाल के सालों में कई बार ऐसा हुआ है. 2017 अमेजॉन की क्लाउड सर्विस AWS में गड़बड़ी हुई थी तो वेबसाइट घंटों तक बंद रही थी. पिछले साल दिसंबर में भी एक गड़बड़ी ने गूगल की सेवाओं को प्रभावित किया था. और इस साल जनवरी में बिजनस मेसेजिंग ऐप स्लैक की सेवाएं प्रभावित हुई थीं.
लेकिन ताजा घटना पहले हुईं घटनाओं से ज्यादा परेशान करने वाली है क्योंकि इसका पैमाना बहुत बड़ा था. एक साथ पूरी दुनिया में हजारों वेबसाइट प्रभावित हुईं. अमेरिका के न्यूयॉर्क टाइम्स से लेकर स्वीडन की एक इंश्योरेंस एजेंसी तक और ब्रिटेन की बीबीसी से लेकर फ्रांस के अखबार लॉ मोंड तक तमाम बड़ी और अहम वेबसाइट पर इसका असर हुआ.
ज्यादा डरावनी वह संभावना है, जो इस घटना ने पैदा कर दी है. विशेषज्ञ कह रहे हैं कि ऐसा फिर हो सकता है. केंटिक के डग मैडरी कहते हैं, "इंटरनेट कंपनियां कितना भी इस तरह की गड़बड़ियों को दूर करने की कोशिश कर लें जो अपने आप हो जाती हैं, इन्हें हमेशा के लिए और जड़ से कभी नहीं हटाया जा सकता. इसलिए भविष्य में भी इंटरनेट तो बंद होगा."
यानोश डेलकर
फेसबुक के 11 राज
क्या बता सकते हैं फेसबुक का रंग नीला क्यों है? या उस अकाउंट के बारे में जिसे कभी ब्लॉक नहीं कर सकते. अगर कोई मर जाए तो उस अकाउंट का क्या होगा? जानिए फेसबुक के बारे में ऐसी 11 बातें जो आमतौर पर किसी को नहीं मालूम होतीं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/O. Berg
फेसबुक का नीला रंग
दुनिया में इतने रंग है लेकिन फेसबुक का रंग नीला ही क्यों? दरअसल फेसबुक का रंग नीला है क्योंकि फेसबुक चीफ मार्क जुकरबर्ग सबसे ठीक तरह से नीला रंग ही देख सकते हैं. मार्क जुकरबर्ग को रेड-ग्रीन कलर ब्लाइंडनेस है. एक रशियन टेलिविजन टॉक शो में बात करते हुए उन्होंने कहा था कि उन्हें कलर ब्लाइंडनेस है और नीला ही वह रंग है जिसे वे सबसे बेहतर ढंग से देख सकता हूं. इसीलिए उन्होंने फेसबुक का रंग नीला रखा है.
तस्वीर: Reuters/T. White
जिसे ब्लॉक नहीं किया जा सकता
फेसबुक पर एक ऐसा शख्स भी है जिसे कभी भी ब्लॉक नहीं किया जा सकता है. जी हां, ऐसा बिल्कुल संभव है. कोई हैरत की बात नहीं है कि वह प्रोफाइल खुद मार्क जुकरबर्ग की है. फेसबुक पर कोई भी व्यक्ति उन्हें ब्लॉक नहीं कर सकता. कोशिश करके देखिए.
तस्वीर: Getty Images/ Oscar Siagian
जुकरबर्ग को खोजना इतना आसान
अगर आप फेसबुक पर लॉग इन करके अपने होम पेज पर हैं तो उस वक्त आपका यूआरएल होता है https://www.facebook.com और दिलचस्प बात यह है कि अगर आप अपने इसी url के आगे बस /4 जोड़ देंगे तो आप सीधे मार्क जुकरबर्ग की वॉल पर पहुंच जाएंगे.
तस्वीर: Facebook/Mark Zuckerberg
दो देशों में फेसबुक बैन भी है
फेसबुक पर अरबों यूजर्स हैं जिनमें दुनिया के लगभग हर देश के लोग हैं. लेकिन सबसे दिलचस्प बात है कि फेसबुक चीन और उत्तर कोरिया दो देशों में बैन है.
तस्वीर: picture alliance/dpa/epa/R. Khan
कोई मर जाए तो अकाउंट का क्या होता है?
यदि हमारी जान पहचान में कोई किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो हम फेसबुक पर इस बात की रिपोर्ट कर सकते हैं. फेसबुक ऐसी प्रोफाइल्स को एक तरह का स्मारक (memorialized account) बना देता है. इस अकाउंट में कोई भी व्यक्ति लॉग इन नहीं कर सकता है. इस तरह के अकाउंट में कोई भी बदलाव नहीं किया जा सकता.
हर सेकंड 5 नए लोग फेसबुक पर
फेसबुक के जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक हर सेकंड 5 नए लोग फेसबुक पर अपना अकाउंट बनाते हैं. फेसबुक पर हर रोज लगभग 30 करोड़ तस्वीरें अपलोड की जाती हैं. हर 60 सेकंड में 50 हजार कमेंट्स और लगभग 3 लाख स्टेटस लिखे जाते हैं. वहीं दूसरी ओर फेसबुक पर लगभग 9 करोड़ फेक प्रोफाइल्स हैं.
तस्वीर: picture-alliance/empics/D. Lipinski
लाइक की जगह था ये नाम
फेसबुक पर हर जगह लाइक का ऑप्शन दिखता है. वैसे फेसबुक पर इस ऑप्शन के बारे में काफी विवाद रहा. सबसे पहले इसका नाम 'AWESOME' रखा गया था. लेकिन इसे बाद में LIKE किया गया था.
तस्वीर: Imago/Pixsell/B. Filic
ये पोक क्या बला है?
फेसबुक पर एक फीचर है पोक. किसी की प्रोफाइल पर जाकर आप उसे पोक कर सकते हैं. लेकिन इसका मतलब क्या है? दरअसल कोई मतलब नहीं है. ये बस जैसे खेल के लिए है. यहां तक कि फेसबुक हेल्प सेंटर में भी आप पूछेंगे कि 'poke' का क्या मतलब है तो आपको कभी पता नहीं चलेगा. इस बारे में मार्क जुकरबर्ग कह चुके हैं कि उन्होंने सोचा था कि वे फेसबुक पर एक ऐसा फीचर बनाएंगे जो बेमतलब होगा. ये बस मस्ती के लिए बनाया गया है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Sanogo
फेसबुक एक बीमारी
फेसबुक का एडिक्शन इन दिनों एक बीमारी का रूप लेता जा रहा है. दुनियाभर में हर उम्र के लोग फेसबुक एडिक्शन डिसऑर्डर यानी फेसबुक की लत से जूझ रहे हैं. इस बीमारी का संक्षिप्त नाम FAD है. इस वक्त दुनिया में लगभग कई करोड़ लोग FAD से ग्रसित हैं.
तस्वीर: Imago/TASS/K. Kuhkmar
खरीदा इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप को
9 फेसबुक 2004 मार्च में शुरू हुआ और एक साल के भीतर ही इसने दस लाख यूजर्स जुटा लिए थे. जून 2009 तक यह इतना बढ़ चुका था कि यह अमेरिका की नंबर वन सोशल नेटवर्किंग साइट बन गयी. अप्रैल 2012 में फेसबुक ने इंस्टाग्राम और 2014 में वॉट्सऐप को भी खरीद लिया था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/T. Hase
कब क्या लॉन्च हुआ
फेसबुक ने सितंबर 2004 में "वॉल", सितंबर 2006 में "न्यूज फीड", फरवरी 2009 में "लाइक" बटन और सितंबर 2011 में टाइमलाइन फीचर लॉन्च किया.