इंटरनेट इन इंडिया रिपोर्ट 2022 में कहा गया है कि भारत में इस समय 75.9 करोड़ सक्रिय इंटरनेट यूजर हैं. द इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया और कांतार ने देश में सक्रिय इंटरनेट यूजर को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है.
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इस रिपोर्ट के मुताबिक अधिकांश भारतीय आबादी (करीब 52 फीसदी) साल 2022 में कम से कम महीने में एक बार इंटरनेट का इस्तेमाल कर रही थी.
रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि 2025 तक यह संख्या बढ़कर 90 करोड़ हो जाएगी.
कितने गांव में और कितने शहर सक्रिय यूजर
इंटरनेट इन इंडिया रिपोर्ट 2022 में यह भी बताया गया है कि 2022 में देश में 75.9 करोड़ सक्रिय इंटरनेट यूजर में से 39.9 करोड़ ग्रामीण इलाकों से हैं, जबकि 36 करोड़ शहरी इलाकों से हैं, यह दर्शाता है कि ग्रामीण इलाका इंटरनेट के इस्तेमाल के मामले में तेजी से आगे बढ़ रहा है.
इंटरनेट के मामले में आगे बढ़ा गांव
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2025 तक भारत में सभी नए इंटरनेट यूजर्स में से 56 प्रतिशत ग्रामीण भारत से होंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2022 में 71 फीसदी पहुंच वाले शहरी भारत में केवल 6 फीसदी की वृद्धि देखी गई, वहीं ग्रामीण भारत में पिछले एक वर्ष में 14 फीसदी की वृद्धि देखी गई.
हालांकि, रिपोर्ट ने बिहार (32 फीसदी) के बीच डिजिटल विभाजन को रेखांकित किया है, जहां अग्रणी राज्य गोवा (70 फीसदी) की तुलना में आधे से भी कम इंटरनेट पहुंच है.
कितने पुरुष और महिला इंटरनेट यूजर
2022 में सक्रिय इंटरनेट यूजर्स में 54 फीसदी पुरुष शामिल थे, जबकि 2022 में सभी नए उपयोगकर्ताओं में 57 फीसदी महिलाएं थीं. यह अनुमान लगाया गया है कि 2025 तक सभी नए यूजर्स में 65 फीसदी महिलाएं होंगी, जो लैंगिक विभाजन को पाटने में मदद करेंगी.
मोबाइल फोन से इंटरनेट तक पहुंच
भारत में इंटरनेट तक पहुंचने के लिए मोबाइल फोन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. 75 करोड़ यूजर्स में 100 प्रतिशत मोबाइल फोन पर भरोसा करते हैं. हालांकि, अन्य उपकरणों के इस्तेमाल में वृद्धि हुई है, जो 2021 में आठ प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 13 प्रतिशत हो गया है. इंटरनेट तक पहुंचने के सबसे लोकप्रिय कारण डिजिटल मनोरंजन, डिजिटल संचार और सोशल मीडिया हैं.
यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) जिसने देश में डिजीटल भुगतान में क्रांति ला दी, व्यापक रूप से प्रचलित है, जिसमें सभी डिजीटल भुगतान उपयोगकर्ताओं में से 99 प्रतिशत यूपीआई का इस्तेमाल करते हैं. पिछले एक साल में डिजीटल पेमेंट्स के इस्तेमाल में 13 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है. देश में फिलहाल करीब 34 करोड़ डिजीटल तौर पर भुगतान कर रहे हैं जिसमें 36 फीसदी गांवों से हैं.
प्रेस फ्रीडम : भारत की रैंकिंग और लुढ़की, अब 161वें स्थान पर
अंतरराष्ट्रीय संस्था 'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' ने साल 2023 की वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स रिपोर्ट जारी कर दी है. इस रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग और गिर गई है. जानिए, प्रेस फ्रीडम के मामले में कहां खड़ा है भारत.
तस्वीर: Charu Kartikeya/DW
भारत 161वें पायदान पर लुढ़का
वैश्विक मीडिया पर नजर रखने वाली संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) की प्रेस फ्रीडम इंडेक्स के मुताबिक भारत की रैंकिंग और गिरी है. पिछले साल जहां भारत इस सूचकांक में 150वें स्थान पर था वहीं वह 2023 में 11 पायदान लुढ़कर 161वें स्थान पर जा पहुंचा है.
तस्वीर: Aamir Ansari/DW
भारत में प्रेस की स्थिति क्यों हो रही खराब
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक रिपोर्ट 180 देशों और क्षेत्रों में पत्रकारिता के लिए अनुकूल वातावरण का मूल्यांकन करती है. यह रिपोर्ट विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जारी की जाती है. इस रिपोर्ट में भारत के बारे में लिखा गया, "भारत में प्रधानमंत्री मोदी के करीबी उद्योगपति द्वारा मीडिया संस्थानों के अधिग्रहण ने बहुलवाद को खतरे में डाल दिया है."
तस्वीर: Aamir Ansari/DW
पत्रकारों के लिए "स्थिति बेहद गंभीर"
रैंकिंग पांच व्यापक श्रेणियों में देश के प्रदर्शन पर आधारित है; जिनमें राजनीतिक संदर्भ, कानूनी ढांचा, आर्थिक संदर्भ, सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ और पत्रकारों की सुरक्षा शामिल हैं. इन पांचों श्रेणियों में भारत में पत्रकारों की सुरक्षा श्रेणी (172) में सबसे कम अंक मिले है. आरएसएफ को लगता है कि भारत उन 31 देशों में शामिल हैं जहां पत्रकारों के लिए स्थिति "बहुत गंभीर" है.
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भारत से बेहतर पाकिस्तान और अफगानिस्तान
इस रैंकिंग में भारत से बेहतर स्थिति में पाकिस्तान (150वें) और अफगानिस्तान (152वें) स्थान पर है. हालांकि इन दोनों देशों में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर संकेत दिखाये गये हैं.
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लगातार गिर रही है भारत की रैंकिंग
भारत पिछले कुछ सालों में प्रेस फ्रीडम के मामले में नीचे जाता रहा है, इस साल उसकी रैंकिंग और गिरी है और वह 161वें स्थान पर जा पहुंचा है. पिछले साल फरवरी में केंद्र सरकार ने कहा था कि वह विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक के विचारों और देश की रैंकिंग से सहमत नहीं है क्योंकि यह एक "विदेशी" एनजीओ द्वारा प्रकाशित किया गया है.
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सबसे नीचे उत्तर कोरिया
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत से नीचे बांग्लादेश (163), तुर्की (165), सऊदी अरब (170), ईरान (177), चीन (179) और उत्तर कोरिया 180वें स्थान पर है.
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शीर्ष के तीन देश
प्रेस फ्रीडम के मामले में नॉर्वे, आयरलैंड और डेनमार्क इस साल शीर्ष पर हैं. लगातार सातवें साल नॉर्वे पहले स्थान पर कायम है.
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अमेरिका में प्रेस फ्रीडम का क्या हाल
अमेरिका प्रेस फ्रीडम सूचकांक में तीन पायदान नीचे खिसकर 45वें सथान पर जा पहुंचा है. अमेरिका में 2022 और 2023 में हुई दो पत्रकारों की हत्या का असर रैंकिंग पर पड़ा है. इंडेक्स के लिए प्रश्नावली का उत्तर देने वालों ने अमेरिका में पत्रकारों के लिए माहौल के बारे में नकारात्मक जवाब दिये थे.
आरएसएफ की 2023 की रिपोर्ट डिजिटल इकोसिस्टम पर फेक सामग्री उद्योग के प्रेस की स्वतंत्रता पर पड़ने वाले प्रभावों पर रोशनी डालती है. इंडेक्स के लिए जिन देशों का मूल्यांकन किया गया उनमें से दो-तिहाई यानी 118 देशों में लोगों ने फेक न्यूज के बारे में कहा कि नेता अक्सर या बड़े पैमाने पर गलत सूचना या प्रोपगैंडा अभियानों में व्यवस्थित रूप से शामिल थे.
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रूस का प्रोपगैंडा युद्ध
आरएसएफ ने रूस के बारे में लिखा है कि वह बढ़ चढ़ कर प्रोपगैंडा फैला रहा है. 2023 में रूस की रैंकिंग 9 स्थान गिरकर 164 पर पहुंच गई. आरएसएफ ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, "मॉस्को ने दक्षिणी यूक्रेन में कब्जे वाले क्षेत्रों में क्रेमलिन के संदेश को फैलाने के लिए समर्पित एक नया मीडिया शस्त्रागार खड़ा कर दिया है.