इंटरपोल: वित्तीय और साइबर अपराध से दुनिया की पुलिस चिंतित
२० अक्टूबर २०२२
इंटरपोल का कहना है कि दुनिया भर के ज्यादातर देशों में पुलिस वित्तीय और साइबर अपराधों को लेकर चिंतित हैं.
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अंतरराष्ट्रीय पुलिस एजेंसी इंटरपोल ने कहा है कि उसके लगभग 195 सदस्य देशों में से अधिकांश में पुलिस अधिकारी वित्तीय और साइबर अपराधों के बारे में चिंतित हैं और ऐसे अपराधों को दुनिया के सामने सबसे बड़ा खतरा मानते हैं. अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन या इंटरपोल का मुख्यालय फ्रांस के लियों में है.
इंटरपोल ने बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि आने वाले वर्षों में वैश्विक वित्तीय और साइबर अपराधों की दर और बढ़ने की संभावना है. संगठन के इतिहास में यह पहली बार है कि अंतरराष्ट्रीय पुलिस ने एक रिपोर्ट जारी की है जो अंतरराष्ट्रीय अपराध प्रवृत्तियों की पहचान करती है.
आप अपना पासवर्ड कहां रखते हैं?
एटीएम पिन, बैंक खाता नंबर, डेबिट कार्ड या फिर क्रेडिट कार्ड डिटेल्स हो या आधार और पैन कार्ड जैसी संवेदनशील निजी जानकारी, भारतीय बेहद लापरवाह तरीके से इन्हें रखते हैं. एक सर्वे में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.
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33 प्रतिशत भारतीय रखते हैं असुरक्षित तरीके से डेटा
लोकल सर्किल के सर्वे में यह पता चला है कि करीब 33 प्रतिशत भारतीय संवेदनशील डेटा असुरक्षित तरीके से ईमेल या कंप्यूटर में रखते हैं.
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ईमेल और फोन में रखते हैं पासवर्ड
सर्वे में शामिल लोगों ने बताया कि वे संवेदनशील डेटा जैसे कि कंप्यूटर पासवर्ड, बैंक अकाउंट से जुड़ी जानकारी, क्रेडिट और डेबिट कार्ड के साथ ही साथ आधार और पैन कार्ड जैसी निजी जानकारी भी ईमेल और फोन के कॉन्टैक्ट लिस्ट में रखते हैं. 11 फीसदी लोग फोन कॉन्टैक्ट लिस्ट में ऐसी जानकारी रखते हैं.
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याद भी करते हैं और लिखते भी हैं
लोकल सर्किल ने देश के 393 जिलों के 24,000 लोगों से प्रतिक्रिया ली, सर्वे में शामिल 39 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे अपनी जानकारियां कागज पर लिखते हैं, वहीं 21 फीसदी लोगों ने कहा कि वे अहम जानकारियों को याद कर लेते हैं.
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डेबिट कार्ड पिन साझा करते हैं
लोकल सर्किल के सर्वे में शामिल 29 फीसदी लोगों ने कहा कि वे अपने डेबिट कार्ड पिन को अपने परिवार के सदस्यों के साथ साझा करते हैं. वहीं सर्वे में शामिल चार फीसदी लोगों ने कहा कि वे पिन को घरेलू कर्मचारी या दफ्तर के कर्मचारी के साथ साझा करते हैं.
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बड़ा वर्ग साझा नहीं करता एटीएम पिन
सर्वे में शामिल एक बड़ा वर्ग यानी 65 प्रतिशत लोगों का कहना है कि उन्होंने एटीएम और डेबिट कार्ड पिन को किसी के साथ साझा नहीं किया. दो फीसदी लोगों ने ही अपने दोस्तों के साथ डेबिट कार्ड पिन साझा किया.
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फोन में अहम जानकारी
कुछ ऐसे भी लोग हैं जो बैंक खातों से जुड़ी जानकारी, आधार या पैन कार्ड जैसी जानकारी फोन में रखते हैं. सर्वे में शामिल सात फीसदी लोगों ने इसको माना है. 15 प्रतिशत ने कहा कि उनकी संवेदनशील जानकारियां ईमेल या कंप्यूटर में है.
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डेटा के बारे में पता नहीं
इस सर्वे में शामिल सात फीसदी लोगों ने कहा है कि उन्हें नहीं मालूम है कि उनका डेटा कहां हो सकता है. मतलब उन्हें अपने डेटा के बारे में पूर्ण जानकारी नहीं है.
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बढ़ रहे साइबर अपराध
ओटीपी, सीवीवी, एटीएम, क्रेडिट या डेबिट कार्ड क्लोनिंग कर अपराधी वित्तीय अपराध को अंजाम दे रहे हैं. ईमेल के जरिए भी लोगों को निशाना बनाया जाता है और संवेदनशील जानकारियों चुराई जाती हैं.
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डेटा सुरक्षा में जागरूकता की कमी
लोकल सर्किल का कहना है कि देश के लोगों में अहम डेटा के संरक्षण को लेकर जागरूकता की कमी है. कई ऐप ऐसे हैं जो कॉन्टैक्ट लिस्ट की पहुंच की इजाजत मांगते हैं ऐसे में डेटा के लीक होने का खतरा अधिक है. लोकल सर्किल के मुताबिक वह इन नतीजों को सरकार और आरबीआई के साथ साझा करेगा ताकि वित्तीय साक्षरता की दिशा में ठोस कदम उठाया जा सके.
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रिपोर्ट में इंटरपोल के महासचिव युरगेन स्टोक के हवाले से कहा गया है कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुलिस का प्रभावी प्रदर्शन अपराध की प्रकृति की समझ और प्रवृत्तियों पर आधारित है. इंटरपोल की ग्लोबल क्राइम ट्रेंड रिपोर्ट जनता के लिए जारी नहीं की गई है. यह केवल संगठन के सदस्य देशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों को उपलब्ध कराई जाएगी.
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फैलता साइबर अपराध का जाल
रिपोर्ट के मुताबिक इंटरपोल सदस्य देशों में साक्षात्कार में शामिल 60 प्रतिशत से अधिक पुलिस अधिकारियों ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग, इंटरनेट के माध्यम से धोखाधड़ी, ई-मेल के माध्यम से धोखाधड़ी, फिशिंग के जरिए डेटा की चोरी और हैकर्स द्वारा दुर्भावनापूर्ण तरीके से किए गए साइबर हमले (या रैंसमवेयर) दिन ब दिन बड़े और बड़े खतरे बनते जा रहे हैं.
ऐसे अपराधों के अपराधियों में विभिन्न वेबसाइटों पर हमला करने और उन्हें पंगु बनाने के लिए रैंसमवेयर या मैलवेयर का इस्तेमाल करने वाले हैकर हैं. अक्सर हमले का शिकार वेबसाइटों को फिरौती देनी पड़ती है जिसके बाद ही वह इस्तेमाल करने में सक्षम होती हैं.
हो जाइए सावधान, ये हैं साइबर फ्रॉड के नए तरीके
तकनीक तेजी से बदल रही है और साथ ही बदल रही है धोखाधड़ी करने की तकनीक भी. आजकल साइबर ठगों के निशाने पर बैंक खाते भी आ गए हैं और अनजान लिंक पर क्लिक करने भर से आपके पैसे गायब हो सकते हैं. यहां जानिए कैसे रह सकते हैं सतर्क.
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व्हाट्सऐप कॉल से फर्जीवाड़ा
अगर आपको व्हाट्सऐप पर किसी अनजान नंबर से वॉयस कॉल आती है तो आप सावधान हो जाइए क्योंकि फोन करने वाला आपको ठग सकता है. इस वारदात को अंजाम देने के बाद आपके नंबर को ब्लॉक कर सकता है. वॉयस कॉल करने वाला अपनी ट्रिक में फंसाकर आपके पैसे हड़प सकता है.
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यूपीआई
यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस के जरिए किसी को भी आसानी से पैसे भेजे या मंगाए जा सकते हैं. यूपीआई के जरिए ठग किसी व्यक्ति को डेबिट लिंक भेज देता है और जैसे ही वह उस लिंक पर क्लिक कर अपना पिन डालता है तो उसके खाते से पैसे कट जाते हैं. इससे बचने के लिए अनजान डेबिट रिक्वेस्ट को तुरंत डिलीट कर देना चाहिए. अजनबियों के लिंक भेजने पर क्लिक ना करें.
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एटीएम क्लोनिंग
पहले सामान्य कॉल के जरिए ठगी होती थी लेकिन अब डाटा चोरी कर पैसे खाते से निकाले जा रहे हैं. ठग हाईटेक होते हुए कार्ड क्लोनिंग करने लगे हैं. एटीएम कार्ड लोगों की जेब में ही रहता है और ठग पैसे निकाल लेते हैं. एटीएम क्लोनिंग के जरिए आपके कार्ड की पूरी जानकारी चुरा ली जाती है और उसका डुप्लीकेट कार्ड बना लिया जाता है. इसलिए एटीएम इस्तेमाल करते वक्त पिन को दूसरे हाथ से छिपाकर डालें.
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कार्ड के डाटा की चोरी
एटीएम कार्ड के डाटा की चोरी के लिए जालसाज कार्ड स्कीमर का इस्तेमाल करते हैं, इसके जरिए जालसाज कार्ड रीडर स्लॉट में डाटा चोरी करने की डिवाइस लगा देते हैं और डाटा चुरा लेते हैं. इसके अलावा फर्जी कीबोर्ड के जरिए भी डाटा चुराया जाता है. किसी दुकान या पेट्रोल पंप पर अगर आप अपना क्रेडिट कार्ड स्वाइप कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि कर्मचारी कार्ड को आपकी नजरों से दूर ना ले जा रहा हो.
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क्यूआर कोड स्कैम
क्यूआर यानि क्विक रिस्पांस कोड के जरिए जालसाज ग्राहकों को भी लूटने का काम कर रहे हैं. इसके जरिए मोबाइल पर क्यूआर कोड भेजा जाता है और उसे पाने वाला शख्स क्यूआर कोड लिंक को क्लिक करता है तो ठग उसके मोबाइल फोन का क्यूआर कोड स्कैन कर बैंक खाते से रकम निकाल लेते हैं.
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ई-मेल स्पूफिंग
ई-मेल स्पूफिंग के जरिए ठग ऐसी ई-मेल आईडी बना लेते हैं जो नामी गिरामी कंपनियों से मिलती-जुलती होती हैं और फिर सर्वे फॉर्म के जरिए लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर डाटा चुरा लेते हैं. गूगल सर्च के जरिए भी ठगी के मामले सामने आए हैं. जालसाज सर्च इंजन में जाकर मिलती जुलती वेबसाइट बनाकर अपना नंबर डाल देते हैं और अगर कोई सर्च इंजन पर कोई खास चीज तलाशता है तो वह फर्जी साइट भी आ जाती है.
अगर आप ऑनलाइन मैट्रिमोनियल साइट पर पार्टनर की तलाश कर रहे हैं तो जरा सावधान रहिए क्योंकि इसके जरिए भी ठगी हो रही है. गृह मंत्रालय के साइबर सुरक्षा विभाग के मुताबिक ऑनलाइन वैवाहिक साइट पर चैट करते वक्त निजी जानकारी साझा ना करें और साइट के लिए अलग से ई-मेल आईडी बनाएं और बिना किसी पुख्ता जांच किए निजी जानकारी साझा करने से बचें.
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बैंक खातों की जांच
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि बैंक खातों की नियमित जांच करनी चाहिए और अस्वीकृत लेनदेन के बारे में तुरंत अपने बैंक को जानकारी देनी चाहिए.
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नौकरी का झांसा
कई जॉब पोर्टल संक्षिप्त विवरण को लिखने, विज्ञापित करने और जॉब अलर्ट के लिए फीस लेते हैं, ऐसे पोर्टलों को भुगतान करने से पहले, वेबसाइट की प्रमाणिकता और समीक्षाओं की जांच करना जरूरी है.
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सतर्कता जरूरी
ऑनलाइन लेनदेन करते समय मोबाइल फोन या कंप्यूटर पर किसी ऐसे लिंक को क्लिक ना करे जिसके बारे में आप सुनिश्चित ना हो. सॉफ्टवेयर डाउनलोड करते समय भी सुनिश्चित कर लें कि वेबसाइट वेरिफाइड हो.
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बैंकों की जिम्मेदारी
साइबर अपराध को रोकने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी दिशा-निर्देश बनाए हैं जिनके तहत बैंकों को साइबर सुरक्षा के पैमाने को और सुधारना, ग्राहकों के डाटा की सुरक्षा सुनिश्चित करना और साइबर अपराध रोकने के लिए बैंक ग्राहकों को जागरुक करना शामिल हैं.
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इंटरपोल की रिपोर्ट कहती है कि यूरोप में राष्ट्रीय पुलिस एजेंसियों द्वारा 'सबसे बड़ा वर्तमान खतरा' माने जाने वाले अपराधों में ऑनलाइन धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग और सिंथेटिक ड्रग्स शामिल हैं. अवैध ऑनलाइन व्यवसाय शीर्ष पर हैं.
इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए इंटरपोल के विशेषज्ञों ने दुनिया के विभिन्न देशों में पुलिस अधिकारियों का साक्षात्कार लिया. लगभग 75 प्रतिशत अधिकारियों को इस बात की बहुत चिंता थी कि अगले तीन से पांच वर्षों में इंटरनेट पर बच्चों के यौन शोषण की घटनाओं में वृद्धि होगी.
भारत में बढ़े साइबर अपराध
हाल के सालों में भारत में ऑनलाइन अपराध बढ़े हैं. फोन पर मेसेज भेजकर लोगों को अपराधी धन जीतने का लालच देकर या फिर बैंक खाता बंद होने की झूठी सूचना देकर बैंक खाते से पैसे निकाल लेते हैं.
स्पैम से किन देशों को है खतरा?
साइबर सिक्युरिटी कंपनी कैस्परस्की लैब ने स्पैम मेल से प्रभावित देशों की सूची जारी की है. स्पैम मेलबॉक्स में आने वाले अनचाहे विज्ञापन होते हैं. लेकिन अब अपराधी इसके जरिये वायरस और नुकसानदेह चीजें भेजने लगे हैं.
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हमले से परेशान
सेंधमारी यानि फिशिंग (Phishing) अटैक ने सबसे अधिक चीन (20.21 फीसदी), ब्राजील (18.23 फीसदी) और संयुक्त अरब अमीरात (11.07 फीसदी) के उपभोक्ताओं को प्रभावित किया है. फिशिंग के जरिये संवेदनशील जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है.
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भारत नहीं पीछे
भारत स्पैम पैदा करने वाले देशों की सूची में सबसे ऊपर है. दुनिया में तकरीबन 14 फीसदी स्पैम मेल भारत से भेजे गये. पिछली तिमाही के मुकाबले इसमें 4.4 फीसदी की वृद्धि हुई. इसके बाद वियतनाम और अमेरिका का नंबर आता है.
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रूस और इटली
अनचाहे मेल प्राप्त करने के मामले में रूस चौथे और इटली पांचवें स्थान है. पिछले साल दुनिया के तकरीबन 5.4 फीसदी अनचाहे ईमेल इटली के मेलबॉक्स में गये तो रूस में यह आंकड़ा 5.6 फीसदी का था.
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जनसंख्या पर लक्ष्य
साल 2016 में दुनिया के 7.3 फीसदी स्पैम ने चीन के मेल-बॉक्स को भी निशाना बनाया. दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला यह देश स्पैम मेल भेजने वालों की तीसरी सबसे बड़ी पसंद रहा.
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तकनीक पर चोट
दूसरे स्थान पर है जापान, जहां तकरीबन 7.6 फीसदी स्पैम मेल पहुंचे. जापान के प्रशासन ने देश में स्पैम की इस भारी तादाद पर चिंता जताई है. पिछले आंकड़ों की तुलना में इन स्पैम में 2.36 फीसदी की बढ़त देखी गई है.
पहली पसंद
स्पैम से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में पहले स्थान पर है जर्मनी. जर्मनी दुनिया में बेशक अपने अनुशासन और नियम कायदों के पालन के लिये जाना जाता है लेकिन स्पैम पर इसका कोई बस नहीं. साल 2016 में दुनिया के 14.1 फीसदी स्पैम जर्मनी भेजे गये.
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बैंकिंग नियामक रिजर्व बैंक का निर्देश कहता है कि अगर किसी बैंक खाते से अवैध निकासी की जाती है तो तीन दिन के अंदर अगर बैंक को इसकी शिकायत की जाए तो ग्राहक को कोई नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा, बशर्ते थर्ड पार्टी धोखाधड़ी बैंक या ग्राहक की चूक की वजह से नहीं, बल्कि बैंकिंग सिस्टम की किसी चूक की वजह से हुई हो.
इसके साथ ही शिकायत की समय सीमा के अनुपात में बैंक की देनदारी तय की गई है. भारत के गृह मंत्रालय ने भी साइबर फ्रॉड से जुड़ी शिकायतों के निपटारे के लिए एक केंद्रीकृत हेल्पलाइन नंबर जारी किया हुआ है. इसका संचालन संबंधित राज्य की पुलिस द्वारा किया जाता है.