चीन ने अरुणाचल की जगहों के रखे नए नाम, भारत ने बताया मनगढ़ंत
३१ दिसम्बर २०२१
भारत ने चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश की 15 जगहों के नए नाम रखे जाने को खारिज करते हुए कहा कि ये मनगढ़ंत नाम हैं. भारत सरकार ने गुरुवार को कहा कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा से उसका अभिन्न अंग है और रहेगा.
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चीन ने अरुणाचल प्रदेश में 15 और जगहों के चीनी भाषी नाम रखने का ऐलान किया है. भारत के पड़ोसी देश चीन का दावा है कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिणी तिब्बत का एक हिस्सा है और उसका अंग है. भारत इस दावे को गलत बताता है.
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, "हमने यह पहले भी देखा है. ऐसा पहली बार नहीं है जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश में कई जगहों के नाम रखने की कोशिश की है. अप्रैल 2017 में भी चीन ने ऐसी ही कोशिश की थी.”
तस्वीरेंः इन देशों के बीच है सीमा विवाद
इन देशों के बीच छिड़ा हुआ है सीमा विवाद
एक तरफ पाकिस्तान तो दूसरी ओर चीन - दशकों से भारत सीमा विवाद में उलझा हुआ है. भारत की ही तरह दुनिया में और भी कई देश सीमा विवाद का सामना कर रहे हैं.
अर्मेनिया और अजरबाइजान
इन दोनों देशों के बीच नागोर्नो काराबाख नाम के इलाके को ले कर विवाद है. यह इलाका यूं तो अजरबाइजान की सीमा में आता है और अंतरराष्ट्रीय तौर पर इसे अजरबाइजान का हिस्सा माना जाता है. लेकिन अर्मेनियाई बहुमत वाले इस इलाके में 1988 से स्वतंत्र शासन है लेकिन इसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली है.
तुर्की और ग्रीस
इन दोनों देशों के बीच तनाव की वजह जमीन नहीं, बल्कि पानी है. ग्रीस और तुर्की के बीच भूमध्यसागर है. माना जाता है कि इस सागर के पूर्वी हिस्से में दो अरब बैरल तेल और चार हजार अरब क्यूबिक मीटर गैस के भंडार हैं. दोनों देश इन पर अपना अधिकार चाहते हैं.
इस्राएल और सीरिया
1948 में इस्राएल के गठन के बाद से ही इन दोनों देशों में तनाव बना हुआ है. सीमा विवाद के चलते ये दोनों देश तीन बार एक दूसरे के साथ युद्ध लड़ चुके हैं. सीरिया ने आज तक इस्राएल को देश के रूप में स्वीकारा ही नहीं है.
चीन और जापान
इन दोनों देशों के बीच भी सागर है जहां कुछ ऐसे द्वीप हैं जिन पर कोई आबादी नहीं रहती है. पूर्वी चीन सागर में मौजूद सेनकाकू द्वीप समूह, दियाऊ द्वीप समूह और तियायुताई द्वीप समूह दोनों देशों के बीच विवाद की वजह हैं. दोनों देश इन पर अपना अधिकार जताते हैं.
तस्वीर: DW
रूस और यूक्रेन
वैसे तो इन दोनों देशों का विवाद सौ साल से भी पुराना है लेकिन 2014 से यह सीमा विवाद काफी बढ़ गया है. यूक्रेन सीमा पर दीवार बना रहा है ताकि रूस के साथ आवाजाही पूरी तरह नियंत्रित की जा सके. इस दीवार के 2025 में पूरा होने की उम्मीद है.
चीन और भूटान
भूटान की सीमा तिब्बत से लगती थी लेकिन 1950 के दशक के अंत में जब चीन ने इसे अपना हिस्सा घोषित कर लिया, तब से चीन भूटान का पड़ोसी देश बन गया. चीन भूटान के 764 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र पर अपना अधिकार बताता है.
चीन और भारत
भारत और चीन के बीच 3,440 किलोमीटर लंबी सीमा है जिस पर कई झीलें और पहाड़ हैं. इस वजह से नियंत्रण रेखा को ठीक से परिभाषित करना भी मुश्किल है. हाल में गलवान घाटी में दोनों देशों के बीच जो झड़प हुई वह पिछले कई दशकों में इस सीमा विवाद का सबसे बुरा रूप रहा.
पाकिस्तान और भारत
1947 में आजादी के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद की वजह बना हुआ है. इतने साल बीत जाते के बाद भी दोनों देश इस मसले को सुलझा नहीं पाए हैं. भारत इसे द्विपक्षीय मामला बताता है और वह किसी भी तरह का अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप नहीं चाहता है.
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पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए बागची ने कहा कि नए नाम रखने से यह तथ्य नहीं बदल जाता कि अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा हमेशा से था और हमेशा रहेगा.
क्या कहता है चीन?
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने खबर छापी है कि बुधवार को चीन के नागरिक मंत्रालय ने जंगनान में 15 जगहों के नामों को चीनी भाषा, तिब्बती और रोमन नाम तय कर दिए हैं. चीन अरुणाचल प्रदेश को ही जंगनान कहता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ये नाम चीन की कैबिनेट द्वारा भोगौलिक नाम तय करने के लिए जारी किए गए नियमों के मुताबिक हैं. इन जगहों की सटीक जगह भी बताई गई हैं. इनमें आठ रिहायशी स्थान हैं, चार पहाड़ियां हैं, दो नदियां और एक दर्रा है. अप्रैल 2017 में चीन ने 6 जगहों के ऐसे ही नाम जारी किए थे.
ग्लोबल टाइम्स ने बीजिंग स्थित चायना टिबेटोलॉजी रिसर्च सेंटर के एक विशेषज्ञ लियान शिंगमिन के हवाले से लिखा है कि चीन का यह ऐलान उस राष्ट्रीय सर्वे पर आधारित है जो छह सौ साल से चले आ रहे नामों के बारे में बताता है.
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तिब्बत के समर्थन पर आपत्ति
चीन का यह ऐलान तब आया है जबकि एक हफ्ता पहले भारत सरकार के राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर की अध्यक्षता में सांसदों के एक दल ने तिब्बत की निर्वासित संसद द्वारा आयोजित एक रात्रिभोज में हिस्सा लिया था. भारतीय नेताओं के इस कदम पर चीन के भारत स्थित दूतावास ने आपत्ति जताई और उन्हें ‘तिब्बती आजादी चाहने वाली ताकतों को समर्थन ना देने' को कहा.
ऑल-पार्टी इंडियन पार्लियामेंट्री फोरम फॉर तिब्बत के कम से कम छह सांसद 22 दिसंबर को दिल्ली के एक होटल में आयोजित रात्रिभोज के लिए गए थे. इनमें उद्यमिता और कौशल विकास राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर भी शामिल थे. इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी की मेनका गांधी और केसी रामामूर्ति, कांग्रेस के जयराम रमेश और मनीष तिवारी और बीजू जनता दल के सुजीत कुमार शामिल थे. इस भोज में तिब्बत की निर्वासित संसद के अध्यक्ष खेनपो सोनम तेनपाल भी मौजूद थे.
इंडियन एक्सप्रेस अखबार के मुताबिक गुरुवार को नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास के राजनीतिक सलाहकार जोऊ योंगशेंग ने भारत सरकार को एक पत्र भेजा. इस पत्र में योंगशेंग ने लिखा, "मेरे ध्यान में आया है कि आपने तथाकथित ‘ऑल-पार्टी इंडियन पार्लियामेंट्री फोरम फॉर तिब्बत' के तहत एक गतिविधि में हिस्सा लिया और तथाकथित ‘निर्वासित तिब्बती संसद' के कुछ सदस्यों से संवाद किया. मैं इस पर अपनी चिंता जाहिर करना चाहता हूं.”
रिपोर्टः विवेक कुमार
एक साथ कई कूटनीतिक विवादों में फंसा है चीन
भारत के साथ सीमा-विवाद हो, हॉन्ग कॉन्ग को लेकर आलोचना हो या महामारी के फैलने के पीछे उसकी भूमिका को लेकर जांच की मांग, चीन इन दिनों कई मोर्चों पर कूटनीतिक विवादों में फंसा हुआ है. आइए एक नजर डालते हैं इन विवादों पर.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/J. Peng
कोरोनावायरस
अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों ने मांग की है कि चीन जिस तरह से कोरोनावायरस को रोकने में असफल रहा उसके लिए उसकी जवाबदेही सिद्ध की जानी चाहिए. कोरोनावायरस चीन के शहर वुहान से ही निकला था. चीन पर कुछ देशों ने तानाशाह जैसी "वायरस डिप्लोमैसी" का भी आरोप लगाया है.
तस्वीर: Ng Han Guan/AP Photo/picture alliance
अमेरिका
विश्व की इन दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के आपसी रिश्ते पिछले कई दशकों में इतना नीचे नहीं गिरे जितने आज गिर गए हैं. दोनों देशों के बीच व्यापार और तकनीक को लेकर विवाद तो चल ही रहे हैं, साथ ही अमेरिका के बार बार कोरोनावायरस के फैलने के लिए चीन को ही जिम्मेदार ठहराने से भी दोनों देशों के बीच मतभेद बढ़ गए हैं. चीन भी अमेरिका पर हॉन्ग कॉन्ग के प्रदर्शनों को समर्थन देने का आरोप लगाता आया है.
तस्वीर: picture-alliance/AA/A. Hosbas
हॉन्ग कॉन्ग
हॉन्ग कॉन्ग अपने आप में चीन के लिए एक बड़ी कूटनीतिक समस्या है. चीन ने वहां राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करना चाहा लेकिन अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों ने इसका विरोध किया. हॉन्ग कॉन्ग कभी ब्रिटेन की कॉलोनी था और चीन के नए कदमों के बाद ब्रिटेन ने कहा है कि हॉन्ग कॉन्ग के ब्रिटिश नेशनल ओवरसीज पासपोर्ट धारकों को विस्तृत वीजा अधिकार देगा.
चीन ने लोकतांत्रिक-शासन वाले देश ताइवान पर हमेशा से अपने आधिपत्य का दावा किया है. अब चीन ने ताइवान पर उसका स्वामित्व स्वीकार कर लेने के लिए कूटनीतिक और सैन्य दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है. लेकिन भारी मतों से दोबारा चुनी गई ताइवान की राष्ट्रपति ने चीन के दावों को ठुकराते हुए कह दिया है कि सिर्फ ताइवान के लोग उसके भविष्य का फैसला कर सकते हैं.
तस्वीर: Office of President | Taiwan
भारत
भारत और चीन के बीच उनकी विवादित सीमा पर गंभीर गतिरोध चल रहा है. सुदूर लद्दाख में दोनों देशों के सैनिक एक दूसरे पर अतिक्रमण का आरोप लगा रहे हैं. दोनों में हाथापाई भी हुई थी.
तस्वीर: Reuters/Handout
शिंकियांग
चीन की उसके अपने पश्चिमी प्रांत में उइगुर मुसलमानों के प्रति बर्ताव पर अमेरिका और कई देशों ने आलोचना की है. मई में ही अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ने उइगुरों के उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंध लागू करने वाले एक विधेयक को बहुमत से पारित किया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/AP Photo/File
हुआवेई
अमेरिका ने चीन की बड़ी टेलीकॉम कंपनी हुआवेई को लेकर सुरक्षा संबंधी चिंताएं व्यक्त की थीं. उसने अपने मित्र देशों को चेतावनी दी थी कि अगर वो अपने मोबाइल नेटवर्क में उसका इस्तेमाल करेंगे तो उनके इंटेलिजेंस प्राप्त की जाने वाली संपर्क प्रणालियों से कट जाने का जोखिम रहेगा. हुआवेई ने इन आरोपों से इंकार किया है.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/J. Porzycki
कनाडा
चीन और कनाडा के रिश्ते तब से खराब हो गए हैं जब 2018 में कनाडा ने हुआवेई के संस्थापक की बेटी मेंग वानझाऊ को हिरासत में ले लिया था. उसके तुरंत बाद चीन ने कनाडा के दो नागरिकों को गिरफ्तार कर लिया था और केनोला बीज के आयात को ब्लॉक कर दिया था. मई 2020 में मेंग अमेरिका प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ दायर किया गया एक केस हार गईं.
तस्वीर: Reuters/J. Gauthier
यूरोपीय संघ
पिछले साल यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों ने आपस में तय किया कि वो चीन के प्रति अपनी रण-नीति और मजबूत करेंगे. संघ हॉन्ग कॉन्ग के मुद्दे पर चीन की दबाव वाली कूटनीति को ले कर चिंतित है. संघ उसकी कंपनियों के चीन के बाजार तक पहुंचने में पेश आने वाली मुश्किलों को लेकर भी परेशान रहा है. बताया जा रहा है कि संघ की एक रिपोर्ट में चीन पर आरोप थे कि वो कोरोनावायरस के बारे में गलत जानकारी फैला रहा था.
तस्वीर: Getty Images/AFP/O. Messinger
ऑस्ट्रेलिया
मई 2020 में चीन ने ऑस्ट्रेलिया से जौ (बार्ली) के आयत पर शुल्क लगा दिया था. दोनों देशों के बीच लंबे समय से झगड़ा चल रहा है. दोनों देशों के रिश्तों में खटास 2018 में आई थी जब ऑस्ट्रेलिया ने अपने 5जी ब्रॉडबैंड नेटवर्क से हुआवेई को बैन कर दिया था. चीन ऑस्ट्रेलिया की कोरोनावायरस की स्वतंत्र जांच की मांग को लेकर भी नाराज है.
तस्वीर: Imago-Images/VCGI
दक्षिण चीन सागर
दक्षिण चीन सागर ऊर्जा के स्त्रोतों से समृद्ध इलाका है और चीन के इस इलाके में कई विवादित दावे हैं जो फिलीपींस, ब्रूनेई, विएतनाम, मलेशिया और ताइवान के दावों से टकराते हैं. ये इलाका एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग भी है. अमेरिका ने आरोप लगाया है कि चीन इस इलाके में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए कोरोनावायरस के डिस्ट्रैक्शन का फाय उठा रहा है.