दो दिन में राष्ट्रपति को पिलाई 50 हजार की चाय
३ अप्रैल २०२३![2022 में असम के मुख्यमंत्री के साथ तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद](https://static.dw.com/image/65215966_800.webp)
दो साल पहले तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के काजीरंगा दौरे के लिए बाघ संरक्षण कोष और एक अन्य वन्यजीव कोष से कुल 1.64 करोड़ की रकम खर्च की गई. इसमें से एक दिन में करीब 50 हजार रुपये तो महज चाय पर ही खर्च हुए थे. सरकार ने इस मामले में चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन एमके यादव को पद से हटा दिया है.
ऐसा कोई देश नहीं जहां भ्रष्टाचार है ही नहीं
क्या है मामला
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने जुलाई, 2021 में राष्ट्रपति भवन में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर उनको असम के दौरे पर आने का न्योता दिया था. उसके बाद कोविंद सपरिवार वर्ष 2022 में 25 से 27 फरवरी तक असम के दौरे पर गए थे. इस दौरान उनकी टीम एक सींग वाले गैंडों के लिए मशहूर काजीरंगा नेशनल पार्क के दौरे पर भी गई और वहां दो रातें गुजारी. राष्ट्रपति ने पार्क में हाथी की सवारी करने के साथ ही वहां एक वन्यजीव प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया था.
एक सींग वाले गैंडों के संरक्षण में कामयाबी
बीते साल नवंबर में पशु अधिकार कार्यकर्ता रोहित चौधरी की ओर से सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत दायर एक याचिका के जवाब में पार्क के निदेशक ने बताया था कि राष्ट्रपति और उनकी टीम के दो-दिवसीय काजीरंगा दौरे पर डेढ़ करोड़ से ज्यादा की रकम खर्च हुई थी. यह रकम बाघ संरक्षण कोष और दूसरे वन्य पशुओं के संरक्षण के लिए स्थापित कोष से निकाले गए थे.
जवाब में बताया गया है कि काजीरंगा पार्क के बाघ संरक्षण कोष से 1.13 करोड़ रुपये निकाले गए. इसके अलावा प्रिंसिपल कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट और चीफ वाइल्डलाइफ वॉर्डन एमके यादव ने एक अन्य कोष से 51 लाख की रकम आवंटित की थी. आरटीआई के तहत मिले जवाब में कहा गया है कि राष्ट्रपति और उनकी टीम के दो दिनों के काजीरंगा दौरे के दौरान कुल 1 करोड़ 64 लाख 16 हजार रुपये खर्च किए गए थे.
अब इस मामले के सामने आने के बाद असम सरकार ने रविवार को बाघ संरक्षण और दूसरे मद के पैसों को राष्ट्रपति के दौरे पर खर्च करने के आरोपों की जांच के आदेश दे दिए हैं. इसके साथ ही यादव को चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन के पद से हटा कर दूसरे अधिकारी को इसका कार्यभार सौंप दिया गया है.
कैसे सामने आया मामला
पर्यावरण और वन मंत्री चंद्र मोहन पटवारी ने बताया कि उनको इस मामले की कोई जानकारी नहीं है. सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदन के तहत इस मामले में उपलब्ध कराए गए जवाब के बाद वन और पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रवि शंकर प्रसाद को आरोपों की जांच करने को कहा गया है.
उन्होंने कहा, "हमने प्रसाद से पूरे मामले की पड़ताल करने को कहा है. वह फिलहाल इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या बाघ परियोजनाओं और अन्य संरक्षण प्रयासों के लिए आवंटित धन का इस्तेमाल पूर्व राष्ट्रपति की काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की यात्रा के दौरान किया गया और उसका दुरुपयोग भी किया गया था?”
इस मामले में सूचना के अधिकार के तहत याचिका दायर करने वाले रोहित चौधरी बताते हैं कि अनौपचारिक सूचना मिलने के बाद उन्होंने इस मामले में याचिका दायर की थी. लेकिन उसका कोई जवाब मिला. फिर बीते साल अगस्त में राज्य सूचना आयोग से दो-दो बार अपील करने के बाद नवंबर में इसका ब्योरा उपलब्ध कराया गया. नेशनल पार्क के अधिकारियों ने 30 नवंबर 2022 को अपने जवाब में कहा कि असम बाघ संरक्षण नियम, 2010 के नियम 25 (बी) (2) के प्रावधान के तहत काजीरंगा बाघ संरक्षण फाउंडेशन कोष से 1,12,60,397 रुपये की रकम राष्ट्रपति के दौरे से संबंधित व्यवस्था करने के लिए मंजूर की गई थी.
नेशनल पार्क की ओर से मिले जवाब में बताया गया है कि राष्ट्रपति के दौरे के दौरान उनके भोजन पर कुल 2,43,768 रुपये खर्च किए गए. 26 फरवरी को महज एक दिन के चाय-पान पर 50 हजार रुपये खर्च हुए थे. इसके अलावा करीब 98 हजार रुपये की लागत से एक एअर प्यूरिफायर खरीदा गया. राष्ट्रपति को 6.20 लाख की वस्तुएं भेंट में दी गई.
वन्यजीव संरक्षण कार्यकर्ता हिमेश सान्याल कहते हैं, "इस मामले ने राज्य की बीजेपी सरकार के लिए समस्या पैदा कर दी है. वन्यजीव संरक्षण कोष की रकम का इस तरह किसी वीआईपी के दौरे पर इस्तेमाल कहीं से उचित नहीं है. अब शायद कुछ अधिकारियों को बलि का बकरा बना कर इस मामले की लीपापोती का प्रयास करेगी."