डेमोक्रैट राष्ट्रपति प्रत्याशी के पहले चुनाव में देरी
४ फ़रवरी २०२०
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए डेमोक्रैटिक पार्टी अपने उम्मीदवार के चुनाव में लगी है. हालांकि उम्मीदवार चुनने के लिए पहले राज्य आयोवा में हुए सम्मेलन में ही प्रक्रिया पूरी करने में देरी हुई है.
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. नवंबर 2020 में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं. वर्तमान राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी से हैं. उन्हें टक्कर देने के लिए डेमोक्रैटिक पार्टी में उम्मीदवार की चयन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. आयोवा राज्य में डेमोक्रैटिक पार्टी के राष्ट्रपति उम्मीदवार के चयन के लिए शुरू हुए पहले चरण के मतदान के नतीजे जारी करने में देरी हुई है. डेमोक्रैटिक पार्टी ने एक बयान जारी कर कहा कि उम्मीदवार के चयन के लिए मतदान प्रक्रिया में इस्तेमाल की जा रही ऐप में तकनीकी खामियों की वजह से प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकी है. राज्य में डेमोक्रैटिक पार्टी के प्रमुख ट्रॉय प्रिंस ने कहा कि अब मतों की गिनती हाथों से की जा रही है और इसका परिणाम 4 फरवरी को जारी किया जाएगा.
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रिपब्लिकन पार्टी भी अपनी पार्टी के सम्मेलन बुला रही है. उसके प्रत्याशी के चुनाव की प्रक्रिया भी आयोवा से शुरू हुई जहां मौजूदा राष्ट्रपति को 97 प्रतिशत मत मिले. तय है कि रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से ट्रंप ही राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे.
कैसे होता है उम्मीदवार का चुनाव?
डेमोक्रैटिक पार्टी में फिलहाल 11 प्रत्याशी राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने की दौड़ में हैं. करीब 1600 पार्टी सम्मेलनों में यह बताया जाएगा कि उनका पसंदीदा राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार कौन है. आम नागरिकों के लिए इन पार्टी सम्मेलनों का मतलब सिर्फ अपने पसंदीदा उम्मीदवार को वोटिंग करना नहीं हैं. आयोवा में समर्थकों को अपने पक्ष के उम्मीदवार के पाले में कम से कम एक घंटे तक खड़े रहना था. इसके अलावा उन्हें वोट भी देना था.
इसके बाद दो चरणों में मतदान होता है. इसमें कम से कम 15 प्रतिशत वोट उम्मीदवार को मिलने चाहिए जिससे वो डेलिगेट चुन सकें जो जुलाई में होने वाले पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में उनके लिए वोट कर सकें. राष्ट्रीय अधिवेशन में पूरे देश में हुए प्रारंभिक चरण के मतदान के बाद चुने गए डेलिगेट मतदान करते हैं और एक उम्मीदवार का चुनाव करते हैं. क्षेत्रीय सम्मेलनों में पार्टी के डेलिगेटों के अलावा पार्टी की अलग-अलग समतियों के सदस्य भी चुने जाते हैं.
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इन सम्मेलनों का अमेरिकी राजनीति में बहुत महत्व है. अंग्रेजी में इन्हें कॉकस कहा जाता है. आयोवा के कॉकस को इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है कि पिछले चुनावों में जिस उम्मीदवार ने आयोवा से बढ़त बनाई वही आगे चलकर डेमोक्रैट पार्टी का राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बन गया. जो प्रत्याशी कॉकस में सबसे आगे रहता है उनके साथ जनसमर्थन भी दिखने लगता है. इसलिए हर उम्मीदवार कॉकस में बढ़त बनाना चाहता है.
राष्ट्रपति की दौड़ में आगे क्या होगा?
आयोवा सम्मेलन आगे होने वाले 50 से अधिक सम्मेलनों में सबसे पहला है. अगला सम्मेलन न्यू हैंपशर में होगा. सबसे ज्यादा प्रांतीय चुनाव 3 मार्च को होंगे. इन सम्मेलनों के बाद आगे होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन में पार्टी का राष्ट्रपति प्रत्याशी तय होगा.
अमेरिका के इतिहास में डॉनल्ड ट्रंप से पहले किसी भी राष्ट्रपति पर दो बार महाभियोग नहीं लगा है. अगर ट्रंप दोषी साबित होते हैं, तो सांसद ट्रंप को भविष्य में दोबारा चुनाव लड़ने से रोकने पर एक और मतदान करा सकते हैं.
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दो बार लगा महाभियोग
महाभियोग एक संवैधानिक प्रक्रिया है जिसमें अमेरिकी कांग्रेस उन सरकारी अधिकारियों के खिलाफ आरोप तय करती है जिन पर किसी तरह के गैर कानूनी काम करने का आरोप लगता है. डॉनल्ड ट्रंप अमेरिका के एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति हैं जिन पर दो बार महाभियोग लगा है.
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किस किस के खिलाफ
अमेरिका के संस्थापकों ने कांग्रेस को "राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और संयुक्त राज्य अमेरिका के सभी सरकारी अधिकारियों" को पद से हटाने की शक्ति दी है, जिसके तहत उन अभियुक्तों पर महाभियोग चलाया जा सकता है, जो "देशद्रोह, रिश्वतखोरी या दूसरे बड़े अपराध या दुराचार के दोषी माना जाते हैं."
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इसके मायने क्या हैं
सीधे शब्दों में कहें तो महाभियोग का मतलब है अदालत में अभियोग के समान आरोप होना. हालांकि, "उच्च अपराध और दुष्कर्म" की परिभाषा की व्याख्या के तरीके अलग हो सकते हैं. कभी कभी इसका मतलब यह भी होता है कि जरूरी नहीं कि अधिकारी ने कानून को तोड़ा ही हो.
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ट्रंप पर पहला महाभियोग
डॉनल्ड ट्रंप पर 18 दिसंबर 2019 को अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने महाभियोग लगाया गया था. ट्रंप पर दो मुख्य आरोप थे. पहला, 2020 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में प्रतिद्वंदी जो बाइडेन की छवि खराब करने के लिए यूक्रेन से मदद मांगी और दूसरा, संसद के काम में अड़चन डालने की कोशिश की. राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ पहले महाभियोग की कार्रवाई जनवरी 2020 में हुई.
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कैसे चलाया जाता है महाभियोग
अमेरिकी संसद के निचले सदन के पास ही "महाभियोग लगाने की शक्ति" है. हाउस ज्यूडिशियरी कमेटी आमतौर पर महाभियोग की कार्यवाही के लिए जिम्मेदार होती है. सदन के 435 सदस्यों के साधारण बहुमत से आरोप लाने के लिए सदन बहस और फिर वोट करता है. इस भूमिका में, सदन एक अधिकारी के खिलाफ आरोप लाने वाली एक जूरी के रूप में काम करता है.
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आखिर में गेंद सीनेट के पाले में
संसद के उच्च सदन यानि सीनेट के पास "सभी महाभियोगों की एकमात्र शक्ति है," जिसका अर्थ है कि इसमें अधिकारी को दोषी करार देने की शक्ति है. जब राष्ट्रपति पर मुकदमा चलाया जाता है, तो सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश कार्यवाही की अध्यक्षता करते हैं.
अमेरिका के आज तक के इतिहास में अब तक कुल तीन राष्ट्रपतियों पर महाभियोग चलाया गया है. एंड्रयू जॉनसन, बिल क्लिंटन और डॉनल्ड ट्रंप. एंड्रयू जॉनसन, बिल क्लिंटन दोनों को ही सीनेट ने पद से नहीं हटाया. एक और राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने महाभियोग से बचने के लिए पहले ही पद से इस्तीफा दे दिया था.
राष्ट्रपतियों के अलावा
सदन ने 60 से अधिक बार महाभियोग की कार्यवाही की है. सिर्फ एक तिहाई मामलों में पूर्ण महाभियोग लाया जा सका है. केवल आठ अधिकारियों को अब तक दोषी ठहराया गया है और पद से हटाया भी गया है. यह सभी अधिकारी संघीय न्यायाधीश थे.
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राष्ट्रपति को पद से कैसे हटाया जा सकता है
राष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए 100 सीटों वाली सीनेट में दो-तिहाई बहुमत को राष्ट्रपति को दोषी ठहराने के लिए वोट देना होता है. ऐसा होने पर राष्ट्रपति को पद छोड़ना पड़ता है. हालांकि यह जरूरी नहीं है कि राष्ट्रपति अदालत में भी उसी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो या फिर भविष्य में दोषी ठहराया जाए.