क्रिकेट टूर्नामेंट इंडियन प्रीमियर लीग को तुरंत प्रभाव से रोक दिया गया है. कुछ खिलाड़ियों के कोरोनावायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद यह फैसला लिया गया है.
विज्ञापन
आईपीएल को 30 मई तक चलना था लेकिन कोलकाता नाइटराइडर्स टीम के दो खिलाड़ियों वरुण चक्रवर्ती और संदीप वॉरियर के कोविड-19 से पॉजीटिव पाए जाने के बाद क्रिकेट बोर्ड ने फौरन प्रतियोगिता को रोक देने का फैसला किया है. एक बयान में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने कहा, "बीसीसीआई खिलाड़ियों, कर्मचारियों और प्रतियोगिता में शामिल अन्य प्रतिभागियों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करना चाहता. टूर्नामेंट से जुड़े सभी लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है.”
भारत में जारी कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बीच आईपीएल के जारी रहने को लेकर काफी लोग सवाल उठा चुके थे. पिछले हफ्ते ऑस्ट्रेलिया के दो खिलाड़ी पैट कमिन्स और ऐडम जाम्पा टूर्नामेंट बीच में छोड़कर ही स्वदेश लौट गए थे. उसी वक्त पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर ऐडम गिलक्रिस्ट ने आईपीएल के जारी रहने पर सवाल उठाए थे. उन्होंने ट्विटर पर लिखा था कि भारत में कोहराम मचा हुआ है, ऐसे में आईपीएल का जारी रहना क्या उचित है.
टूटा मजबूत सुरक्षा घेरा
पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब अख्तर ने भी इस महामारी के बीच टूर्नामेंट कराने के औचित्य पर सवाल पूछा था. जाने-माने पत्रकार रवीश कुमार ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि उम्मीद है कोई आईपीएल नहीं देख रहा होगा. लेकिन बीसीसीआई ने तर्क दिया था कि आईपीएल एक बेहद मजबूत सुरक्षा घेरे के बीच कराया जा रहा है और खिलाड़ियों को मैच के अलावा बाहर कहीं आने-जाने की इजाजत नहीं है, लिहाजा सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है.
लेकिन सोमवार रविवार को यह घेरा टूट गया जब कोलकाता नाइटराइडर्स के दो खिलाड़ी पॉजीटिव पाए गए. चेन्नै सुपर किंग्स टीम के खिलाड़ियों की बस के क्लीनर और दो स्टाफ के पॉजीटिव होने की भी बात सामने आई लेकिन दूसरे टेस्ट में ये तीनों नेगेटिव पाए गए.
भारत में कोरोना का तांडव
लेकिन मंगलवार को दिल्ली क्रिकेट की प्रमुख संस्था डीडीसीए के पांच ग्राउंड स्टाफ को भी कोरोनावायरस संक्रमित पाया गया. भारत में कोरोनावायरस के मामले दो करोड़ को पार कर चुके हैं. इस वक्त देश भारी संकट से गुजर रहा है. करीब सवा दो लाख लोगों की मौत हो चुकी है. 50 हजार से ज्यादा मौतें अप्रैल महीने में ही हुई हैं.
टूर्नामेंट को स्थगित करते हुए बोर्ड ने कहा है कि भारत के लिए विशेषकर यह मुश्किल समय है जिसमें हमने कुछ सकारात्मकता और खुशी लाने की कोशिश की थी लेकिन अब जरूरी हो गया है कि टूर्नामेंट को स्थगित कर दिया जाए और सब लोग अपने परिवारों के पास चले जाएं.
कहीं मदद, कहीं मुनाफाखोरी: त्रासदी के दो चेहरे
भारत में कोरोना की ताजा लहर ने भयावह स्थिति उत्पन्न कर दी है. सरकारी तंत्र नाकाम हो चुका है और आम लोग सरकार की जगह मददगार नागरिकों के भरोसे हैं. ऐसे में त्रासदी में मुनाफाखोरी के अवसर ढूंढने वालों की भी कमी नहीं है.
तस्वीर: ADNAN ABIDI/REUTERS
हाहाकार
कोरोना की ताजा लहर ने पूरे देश पर कहर बरपा दिया है. रोजाना संक्रमण के 3,00,000 से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं और रोज 3,000 से ज्यादा कोविड मरीजों की मौत हो जा रही है. दवाओं, अस्पतालों में बिस्तर और यहां तक कि ऑक्सीजन की भी भारी कमी हो गई है. अस्पतालों में भर्ती मरीज कोविड-19 से तो मर ही रहे थे, अब वो ऑक्सीजन की कमी से भी मर रहे हैं.
तस्वीर: Danish Siddiqui/REUTERS
नाकाम तंत्र
चारों ओर फैले इस हाहाकार ने देश में सरकारी तंत्र के खोखलेपन और महामारी से लड़ने की तैयारों में कमी को उजागर कर दिया है. हालत ऐसे हो चले हैं कि आम लोगों के अलावा अस्पतालों को ऑक्सीजन हासिल करने के लिए सोशल मीडिया पर एसओएस संदेश डालने पड़ रहे हैं.
तस्वीर: Raj K Raj/Hindustan Times/imago images
सोशल मीडिया बना हेल्पलाइन
सरकारी तंत्र की विफलता को देखते हुए कुछ लोग आगे बढ़ कर जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं. लोग सोशल मीडिया पर अपनी जरूरत डाल रहे हैं और मदद करने वाले किसी तक दवा पहुंचा रहे हैं, किसी तक ऑक्सीजन और किसी तक प्लाज्मा. इनके व्यक्तिगत नेटवर्क से अस्पतालों में रिक्त बिस्तरों की जानकारी भी मिल रही है. इनमें कुछ राजनीतिक कार्यकर्ता हैं, कुछ सामाजिक कार्यकर्ता, कुछ फिल्मी सितारे तो कुछ धर्मार्थ संगठन.
तस्वीर: Danish Siddiqui/REUTERS
ऑक्सीजन लंगर
सबसे भयावह कमी है ऑक्सीजन की. ऐसे में कुछ लोगों और कुछ धर्मार्थ संगठनों ने ऑक्सीजन मुहैया करवाने का बीड़ा उठाया है. कुछ लोग घरों तक भी ऑक्सीजन सिलिंडर और ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर पहुंचा दे रहे हैं, तो कुछ ने सार्वजनिक स्थलों पर ऑक्सीजन देने का इंतजाम किया है. यह महामारी के लिहाज से खतरनाक भी है, लेकिन लोग इस तरह की सेवाएं लेने को लाचार हैं.
लेकिन इस विकट परिस्थिति में भी मानव स्वभाव के दो चेहरे सामने आए हैं. एक तरफ अपनी जान जोखिम में डाल कर दूसरों की मदद करने वाले लोग हैं, तो दूसरी तरफ ऐसे भी हैं जिन्हें इस त्रासदी में भी जमाखोरी और मुनाफाखोरी सूझ रही है. आवश्यक दवाओं की कालाबाजारी हो रही है और उन्हें 10 गुना दाम पर बेचा जा रहा है. कई मामले ऐसे ही सामने आए हैं जहां लोगों ने दवा का 10 गुना दाम भी वसूल लिया और दवा भी नकली दे दी.
मानवीय त्रासदी में भी लोग अमानवीय व्यवहार से बाज नहीं आ रहे हैं. एम्बुलेंस सेवाओं में भी ठगी के कई मामले सामने आए हैं, जहां मरीजों या उनके परिवार वालों से चंद किलोमीटर के कई हजार रुपए वसूले गए हैं.
तस्वीर: Altaf Qadri/AP Photo/picture alliance
ऑक्सीजन "डकैती"
ऐसे भी मामले सामने आए हैं जहां ठगों ने ऑक्सीजन के लिए दर दर भटकते लोगों को ऑक्सीजन सिलिंडर बता कर आग बुझाने वाले यंत्र बेच दिए. पुलिस इन मामलों में सख्ती से पेश आ रही है और ऐसे लोगों के अवैध धंधों का भंडाफोड़ कर उन्हें हिरासत में ले रही है.