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हमले के लिए खुद रुश्दी जिम्मेदार: ईरान

१५ अगस्त २०२२

ईरान की सरकार ने लेखक सलमान रुश्दी पर हुए हमले में किसी भूमिका से इनकार किया है. वहीं दूसरी तरफ रुश्दी की किताब के तमाम अनुवादकों पर हुए हमलों की जांच की मांग भी अब फिर से उठने लगी है.

सलमान रुश्दी
तस्वीर: Herbert Neubauer/AFP via Getty Images

ईरान सरकार ने भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी पर हुए हमले के बाद पहली बार बयान दिया है. ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासे कनानी ने 75 साल के रुश्दी पर न्यूयॉर्क में हुए हमले में तेहरान का हाथ होने से इनकार किया है. कनानी ने हमले का सारा दोष रुश्दी पर मढ़ते हुए कहा, "हम मानते है कि अमेरिका में सलमान रुश्दी पर हुए हमले का आरोप किसी पर भी नहीं लगना चाहिए. इसके जिम्मेदार वह खुद और उनके समर्थक हैं."

ईरान पर विदेशों में रहते हुए ईरान सरकार या ईरानी धार्मिक नेताओं की आलोचना करने वालों को निशाना बनाने के आरोप लगते रहे हैं. 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद से ही पश्चिमी सरकारें ईरान पर विरोधियों पर हमले कराने के आरोप लगाती रही हैं. सलमान रुश्दी के खिलाफ भी 1989 में ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातोल्लाह रुहोल्लाह खोमैनी ने फतवा जारी किया था. इस फतवे में रुश्दी के सिर पर 30 लाख डॉलर का इनाम घोषित किया गया. हाल के बरसों में ईरान ने भले ही रुश्दी का बहुत ज्यादा जिक्र ना किया हो, लेकिन उनके खिलाफ जारी फतवा अब भी वैध है.

ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासे कनानी (दांए)

लेबनान मूल का हमलावर

इस फतवे के जारी किए जाने के 33 साल बाद 13 अगस्त 2022 को न्यूयॉर्क में एक आयोजन के दौरान रुश्दी पर एक युवक ने चाकू से हमला कर दिया. लेखक को कई गहरी चोटें आईं और उन्हें हेलिकॉप्टर की मदद से अस्पताल ले जाया गया. दो दिन तक वेंटिलेंटर में रहने के बाद अब रुश्दी खतरे से बाहर हैं.  रुश्दी के एजेंट के मुताबिक, हमले के बाद उनकी एक आंख जा सकती है. 

पुलिस ने 24 साल के हमलावर को गिरफ्तार किया है. हादी एम. नाम का यह युवक अमेरिका में ही पैदा हुआ. उसके माता पिता इस्राएली सीमा से सटे दक्षिणी लेबनान के यारोन इलाके से अमेरिका आए थे. यारोन को ईरान समर्थक शिया उग्रवादी संगठन हिज्बुल्लाह का इलाका माना जाता है. इलाके में जगह जगह हिज्बुल्लाह और ईरान के नेताओं के पोस्टर लगे हैं.

हमलावर से जुड़ी जानकारी सामने आने के बाद ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता कनानी ने कहा, "इस बारे में ईरान पर आरोप लगाने का अधिकार किसी को नहीं है." कनानी ने यह भी कहा कि उन्हें हमले का पता अमेरिकी मीडिया के जरिए चला. कनानी ने हमले की निंदा करने वालों पर तंज करते हुए कहा, "पश्चिम हमलावर के कृत्य की निंदा करने कर रहा है और साथ में इस्लामिक विश्वास का अपमान करने वाले के काम को महिमामडंन कर रहा है, ये विरोधाभासी रवैया है."

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने ईरान सरकार के बयान को 'मूर्खतापूर्ण' करार दिया है. जॉनसन के प्रवक्ता के मुताबिक हमले के लिए खुद रुश्दी जिम्मेदार हैं, ऐसे सुझाव 'मूर्खतापूर्ण' है. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिकेन ने भी रुश्दी पर मंडराते खतरे के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया है.

अमेरिकी अदालत में रुश्दी पर हमला करने वाला आरोपी हादी एम.तस्वीर: Gene J. Puska/AP Photo/picture alliance

ईरान पर शक क्यों

कई पुरस्कार जीत चुके लेखक रुश्दी बीते तीन दशकों से लगातार जान का खतरा झेल रहे हैं. पढ़ाई के लिए मुंबई से इंग्लैंड गए रुश्दी अपनी किताब "द सैटेनिक वर्सेज" के कारण उग्र विवादों का सामना करते आ रहे हैं. 1988 में आई इस किताब ने इस्लामिक जगत में कोहराम मचा दिया. किताब की कहानी छठी सदी के मक्का और दो भारतीय पृष्ठभूमि के मुसलमानों पर आधारित है. किताब में कुछ पात्रों के नाम पैंगम्बर मुहम्मद की बीवियों के नाम पर हैं, इस कारण भारत, पाकिस्तान, ईरान, अरब जगह और ब्रिटेन में किताब और रुश्दी का तीखा विरोध हुआ. भारत समेत कई देशों में तो इस किताब पर प्रतिबंध लगा दिया गया.

1991 में रुश्दी के विवादित उपन्यास द सैटेनिक वर्सेज के जापानी अनुवादक हितोशी इगाराशि की चाकू मारकर हत्या की दी. रुश्दी पर हमले के बाद हितोशी के एक पूर्व छात्र ने हत्याकांड की फिर से जांच कराने की मांग की है. इसी किताब का इतालवी में अनुवाद करने वाले ट्रांसलेंटर भी 1991 में एक हमले में बाल बाल बचे. इसके दो साल बाद नॉर्वेजियन भाषा में किताब के प्रकाशक को गोली मार दी गई. प्रकाशक गंभीर रूप से घायल हुए.

1998 में ईरान में मोहम्मद खतामी की सुधारवादी सरकार आई. खतामी ने खुद को फतवे से दूर रखा और कहा कि नौ साल से छुपकर रह रहे रुश्दी पर अब कोई खतरा नहीं है. लेकिन 2019 में ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातोल्लाह अल खमेनई ने एक ट्वीट कर कहा कि रुश्दी के खिलाफ जारी फतवा कभी वापस नहीं लिया जा सकता है.

ईरान के अखबार की हेडलाइन, सलमान रुश्दी की गर्दन पर चाकूतस्वीर: Vahid Salemi/AP Photo/picture alliance

हमलावर का कनेक्शन

न्यूयॉर्क पुलिस के मुताबिक अभी तक हमले के पीछे मंशा का पता नहीं चला है. जिला अभियोजक जैसन श्मिट ने हमले के लिए इनाम को वजह बताते हुए आरोपी की जमानत का विरोध किया है. श्मिट के मुताबिक, "अगर ये अदालत जमानत के लिए 10 लाख डॉलर की राशि भी तय करे तो भी जोखिम है कि जमानत हो जाएगी." 

अमेरिकी अभियोजकों का कहना है कि ईरान ने 2021 में न्यूयॉर्क में रह रहे एक विपक्षी एक्टिविस्ट को अगवा करने की कोशिश की. हाल के दिनों में उसी एक्टिविस्ट के घर के पास एक बदूंकधारी शख्स को गिरफ्तार भी किया गया.

ओएसजे/एनआर (रॉयटर्स, एपी)

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