ईरान: होरमुज जलडमरूमध्य को बंद करने का दुनिया पर असर
इंसा व्रेडे
२७ जून २०२५
ईरान और इस्राएल के संघर्ष के दौरान तेहरान ने धमकी दी थी कि वह होरमुज जलडमरूमध्य को बंद कर देगा. इससे पूरी दुनिया में खलबली मच गई थी. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि यह जलमार्ग दुनिया के बाकी देशों के लिए कितना अहम है?
होरमुज जलडमरुमध्य का रास्ता दुनिया में तेल की सप्लाई के लिए अहम हैतस्वीर: Ahmad Halabisaz/XinHua/dpa/picture alliance
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ईरान और इस्राएल की लड़ाई के दौरान जब अमेरिका इसमें शामिल हुआ, तो पूरी दुनिया में हलचल मच गई थी. हालांकि, फिलहाल स्थिति सामान्य होती नजर आ रही है. ईरान ने अपनी छवि बनाए रखने के लिए कतर में एक अमेरिकी सैन्य अड्डे पर हमला किया, लेकिन इस हमले को शेयर बाजार ने तनाव कम करने की कोशिश के तौर पर देखा.
एसपीआई ऐसेट मैनेजमेंट के स्टीफन इनेस ने रॉयटर्स से कहा कि ईरान का यह जवाबी हमला ‘इतना जोरदार था कि सुर्खियां बन जाए, लेकिन इतना हल्का भी था कि तेल बाजार की नींव ना हिले.' सोमवार की शाम हमले के तुरंत बाद, तेल की कीमतों में एक बार फिर तेज गिरावट दर्ज की गई.
हालांकि, ईरान के पास एक बहुत ताकतवर हथियार है. वह अगर चाहे, तो होरमुज जलडमरूमध्य को बंद करके पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा सकता है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या यह कदम वाकई ईरान के लिए फायदेमंद होगा? या फिर यह उसके खुद के ही खिलाफ एक झटका साबित होगा?
तेल की लड़ाई में होरमुज जलडमरूमध्य की क्या जगह है
हाल ही में ओमान की खाड़ी में नॉर्वे और सिंगापुर के दो तेल टैंकरों पर संदिग्ध हमले की खबर आई. हमला होरमुज जलडमरूमध्य के नजदीक हुआ है. रणनीतिक रूप से होरमुज जलडमरूमध्य तेल व्यापार का सबसे अहम रास्ता माना जाता है.
होरमुज जलडमरूमध्य, फारस की खाड़ी में पड़ता है. यह ईरान और ओमान के जल क्षेत्र में आता है. सबसे संकरे बिंदु पर होरमुज की चौड़ाई महज 33 किलोमीटर है. दोनों दिशाओं में शिपिंग लेन सिर्फ तीन किलोमीटर चौड़ी है. यह ओमान की खाड़ी की ओर जाता है जहां से जहाज पूरी दुनिया में जाते हैं. यह पूरी दुनिया के तेल व्यापार के लिए बड़ा ट्रांजिट प्वाइंट है.
खबर आई कि 13 जून को तेल के दो तेल टैंकरों पर होरमुज जलडमरूमध्य के करीब संदिग्ध हमले हुए. सभी 44 नाविकों को अमेरिकी नौसेना की मदद से सुरक्षित निकाला गया. इस मामले ने एक बार फिर अमेरिका और ईरान के बीच तनाव को बढ़ा दिया.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/ISNA
अमेरिका का आरोप
इस संदिग्ध हमले से पहले भी अमेरिका ने 12 मई को संयुक्त अरब अमीरात के फुजाइरा में समुद्री जहाजों के बीच चार टैंकरों पर हुए हमले के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया था. हालांकि ईरान ने किसी भी हमले से साफ इनकार किया है.
तस्वीर: Imago/UPI//Imago/Russian Look
होरमुज क्यों अहम
समुद्री रास्तों के जरिए होने वाला तकरीबन एक तिहाई तेल कारोबार मतलब पूरी दुनिया का कुल 20 फीसदी कारोबार इस समुद्री मार्ग से होता है. सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत समेत चीन, भारत, जापान, और दक्षिण कोरिया में भी इसी मार्ग से तेल पहुंचाया जाता है. इसके साथ ही कतर से दुनिया भर में किए जाने वाला तरल प्राकृतिक गैस एक्सपोर्ट भी इसी मार्ग से होता है.
तस्वीर: Poopak Khajehamiri
आम आदमी पर असर
होरमुज जलडमरूमध्य के संकरे रास्ते में अगर कुछ भी घटता है तो वह दुनिया भर के ऊर्जा बाजार को प्रभावित करता है. किसी भी प्रकार का विवाद दुनिया भर की तेल कीमतों में तेजी ला सकता है. विश्लेषक मान रहे हैं खाड़ी क्षेत्रों में तनाव पैदा होता है तो कीमतों में लंबे वक्त तक बढ़ोतरी बनी रह सकती है साथ ही साथ आपूर्ति भी प्रभावित होगी.
तस्वीर: Reuters/Kyodo
अब क्या होगा
भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि अमेरिका और ईरान की सरकारें इस मामले पर कैसी प्रतिक्रिया देगी. अमेरिका ने हाल में इस क्षेत्र में अपने नौसेना बल की तैनाती में इजाफा किया है. हालांकि अमेरिकी नौसेना का पांचवां बेड़ा पहले से ही मध्यपूर्व में तैनात है. अमेरिकी नौसेना का मुख्यालय बहरीन का मनामा है.
तस्वीर: ISNA
ईरान का विकल्प
ईरान ने परमाणु समझौते पर नई रूपरेखा बनाने के लिए यूरोप को सात जुलाई तक का समय दिया है. अमेरिकी प्रतिबंधों से आर्थिक रूप से परेशान ईरान ने मई 2019 में एलान किया था कि वह संवर्धित यूरेनियम को देश के बाहर नहीं भेजेगा, बल्कि देश में ही यूरेनियम का और उच्च संवर्धन करेगा. परमाणु बम बनाने के लिए उच्च संवर्धित यूरेनियम की जरूरत होती है. वहीं ईरान होरमुज से होने वाले तेल कारोबार को बाधित कर सकता है.
ईरान के लिए तेल का निर्यात इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन (ईआईए) का कहना है कि ईरान की अर्थव्यवस्था कई अन्य मध्य-पूर्वी देशों की तुलना में अपेक्षाकृत विविधतापूर्ण है. वहां अलग-अलग तरह के उद्योग भी हैं. हालांकि, ईरान में मौजूद उद्योग जो भी सामान बनाते हैं उसका ज्यादातर हिस्सा घरेलू बाजार में ही बिकता है यानी देश के बाहर उसका बहुत कम निर्यात होता है.
इसलिए तेल और पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात सरकार की आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है. देश के कुल निर्यात में 17 फीसदी हिस्सेदारी इन्हीं उत्पादों की है, जिनमें 12 फीसदी प्राकृतिक गैस है. ईआईए के अनुसार, 2023 में ईरान ओपेक देशों में कच्चे तेल का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक था और 2022 में यह ड्राई गैस का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक था. ड्राई गैस ऐसा प्राकृतिक गैस होता है जिसमें कम से कम 85 फीसदी मीथेन होता है और हाइड्रोजन जैसे संघनित गैसों की मात्रा नहीं के बराबर होती है.
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प्रतिबंधों के बावजूद तेल का निर्यात करता है ईरान
ईरान पर कई वर्षों से प्रतिबंध लगे हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद ईरानी सरकार ने तेल का निर्यात करना बंद नहीं किया है. खासतौर पर चीन को इसका बड़ा फायदा मिला है. 2023 में ईरान से निर्यात किए गए कुल तेल का लगभग 90 फीसदी हिस्सा चीन ने खरीदा.
मार्च 2024 में फाइनेंशियल टाइम्स ने ईरान के तत्कालीन पेट्रोलियम मंत्री जवाद ओवजी के हवाले से बताया कि 2023 में ईरान की तेल निर्यात से ‘35 अरब डॉलर से ज्यादा की कमाई' हुई. वर्ल्ड बैंक के अनुसार, अप्रैल से दिसंबर 2023 के बीच ईरान की जीडीपी का 8 फीसदी से अधिक हिस्सा तेल क्षेत्र से आया. डेटा एनालिसिस कंपनी ‘वोर्टेक्सा' के अनुमान के मुताबिक, ईरान ने अगले साल 2024 में इससे भी ज्यादा तेल निर्यात किया.
तेल का खेल ऐसे बिगाड़ सकता है ईरान
अमेरिका के ईरानी परमाणु डील से हटने के बाद ईरान पर फिर दबाव बढ़ रहा है. लेकिन ईरान ने धमकी दी है कि उस पर ज्यादा दबाव डाला गया तो दुनिया का बड़ा हिस्सा तेल को तरस जाएगा.
तस्वीर: picture-alliance/AP Images/NASA
अहम रास्ता
समंदर के रास्ते होने वाली दुनिया की एक तिहाई तेल आपूर्ति होरमुज जलडमरूमध्य से होती है. यह फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी के बीच पड़ता है. यह संकरा समुद्री रास्ता मध्य पूर्व के तेल उत्पादकों को प्रशांत एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका और दुनिया के बाकी हिस्सों से जोड़ता है.
तस्वीर: picture alliance / abaca
होरमुज का भूगोल
सबसे संकरे बिंदु पर होरमुज की चौड़ाई 21 नॉटिकल मील है. लेकिन दोनों दिशाओं में शिपिंग लेन सिर्फ दो मील चौड़ी है. इसके पश्चिमी तट पर ईरान है तो दक्षिणी तट पर संयुक्त अरब अमीरात और ओमान का एक बाहरी इलाका है.
ईरान के रिवोल्युशनरी गार्ड्स ने धमकी दी है कि अगर अमेरिका के कहने पर दुनिया भर के देशों ने ईरान से तेल खरीदना बंद किया तो वह होरमुज के रास्ते होने वाले तेल की आपूर्ति को रोक देगा. इससे दुनिया के एक बड़े हिस्से की तेल आपूर्ति बाधित हो जाएगी.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/V. Salemi
होरमुज की अहमियत
अमेरिका के ऊर्जा सूचना प्रशासन का अनुमान है कि 2016 में प्रतिदिन होरमुज से होकर 1.85 करोड़ बैरल तेल गुजरा, जो पूरे साल में समंदर के रास्ते होने वाली आपूर्ति का कुल 30 प्रतिशत है. 2015 के मुकाबले 2016 में इस रास्ते होने वाली तेल आपूर्ति में 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
तस्वीर: picture-alliance/AP Images/NASA
इनका तेल गुजरता है
सऊदी अरब, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत और इराक से होने वाले तेल निर्यात का ज्यादातर हिस्सा होरमुज से होकर ही जाता है. इसके अलावा कतर से दुनिया को होने वाली तरल प्राकृतिक गैस की लगभग सारी आपूर्ति इसी रास्ते से होती है.
तस्वीर: picture-alliance/AP/Yonhap/H. Min-woo
टैंकर युद्ध
ईरान और इराक के बीच 1980 से लेकर 1988 तक चले युद्ध के दौरान तेल को भी हथियार बनाया गया. दोनों पक्षों ने एक दूसरे के तेल निर्यात को बाधित करने की कोशिश की थी. इसे टैंकर युद्ध के नाम से जाना जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/China's Ministry of Transport
सुरक्षा की जिम्मेदारी
बहरीन में तैनात अमेरिकी नौसेना की फिफ्थ फ्लीट को जिम्मेदार दी गई है कि वह यहां से गुजरने वाले व्यावसायिक जहाजों की सुरक्षा करे. वैसे यूएई और सऊदी अरब होरमुज जलडमरूमध्य का विकल्प खोजना चाहते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/US Navy
हादसे और हमले
इस इलाके में कई हादसे भी हुए हैं. जुलाई 1988 में एक अमेरिकी युद्धपोत ने 290 लोगों को लेकर जा रहे एक ईरानी विमान को मार गिराया था. अमेरिका ने बाद में कहा कि क्रू ने विमान को लड़ाकू विमान समझ लिया था.
तस्वीर: Reuters/Aeroprints/D. Osborn
जापानी टैंकर पर हमला
जुलाई 2010 में जापान के एक तेल टैंकर एम स्टार पर होरमुज जलडमरूमध्य में हमला किया गया था. अल कायदा से जुड़े एक चरमपंथी गुट अब्दुल्ला आजम ब्रिगेड ने इस हमले की जिम्मेदारी ली.
तस्वीर: AP
टैंकर पर गोलियां
मई 2015 में ईरानी सुरक्षा बलों ने सिंगापुर के झंडे वाले एक टैंकर पर गोलियां दागीं. ईरान का कहना है कि था कि इस टैंकर ने ईरान के एक तेल प्लेटफॉर्म को नुकसान पहुंचाया था. बाद में उसके कंटेनर को जब्त कर लिया गया.
तस्वीर: Reuters/Van Der Perre
ईरान का पलटवार
3 जुलाई 2018 को ईरानी राष्ट्रपति हसन रोहानी ने कहा कि ईरान से होने वाले तेल निर्यात को शून्य के स्तर पर लाने की अमेरिका की मांगों के जबाव में उनका देश होरमुज से होने वाली तेल की आपूर्ति को बाधित कर सकता है.
तस्वीर: irna.ir
पहली बार धमकी
इसके अगले दिन ईरानी रिवोल्युशनरी गार्ड्स के कमांडर ने बयान दिया कि अगर उसके तेल कारोबार को ठप किया गया तो होरमुज से किसी का भी तेल नहीं गुजरने दिया जाएगा. होरमुज पर ऐसी धमकी ईरान ने पहली बार दी है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Kenare
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ईरान का अहम व्यापारिक साझेदार है चीन
अगर ईरान होरमुज जलडमरूमध्य को बंद करता है, तो वह खुद को नुकसान पहुंचाएगा. इससे ना सिर्फ तेल निर्यात से होने वाली उसकी आमदनी पर असर पड़ेगा, बल्कि उसका व्यापारिक साझेदार चीन भी परेशान होगा, जो कम कीमत पर तेल खरीदकर मुनाफा हासिल करता है.
लंदन के टीवी चैनल ‘ईरान इंटरनेशनल' का अनुमान है कि तेहरान को अपना तेल अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगभग 20 फीसदी की छूट पर बेचना पड़ता है, क्योंकि जो देश उससे तेल खरीदते हैं उन्हें अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते जोखिम उठाना पड़ता है.
चैनल ने बताया कि ईरान के अवैध तेल की सबसे बड़ी खरीदार चीनी रिफाइनरियां हैं. बिचौलिए इस तेल को दूसरे देशों से आए तेल के साथ मिलाकर चीन भेजते हैं, जहां इसे सिंगापुर या अन्य देशों से आयातित बताया जाता है.
नॉर्वे स्थित स्वतंत्र ऊर्जा अनुसंधान कंपनी ‘रिस्टैड एनर्जी' के अनुसार, चीन प्रतिदिन लगभग 11 मिलियन बैरल कच्चा तेल आयात करता है, जिसमें से करीब 10 फीसदी ईरान से आता है.
जलमार्ग को बंद करने से पड़ोसी देशों पर पड़ेगा असर
होरमुज को बंद करने से ईरान के पड़ोसियों को भी परेशानी होगी. कुवैत, इराक और संयुक्त अरब अमीरात भी इस मार्ग से तेल को दूसरी जगहों पर भेजते हैं. लिंक्डइन पर एक पोस्ट में, खाड़ी क्षेत्र के विश्लेषक और अर्थशास्त्री जस्टिन अलेक्जेंडर ने टिप्पणी की कि अगर तेहरान जलडमरूमध्य को बंद कर देता है, तो इससे उसके क्षेत्र के बाकी बचे सहयोगियों के साथ संबंध कमजोर हो जाएंगे.
ईरान वास्तव में होरमुज जलडमरूमध्य को कितने समय तक बंद रख सकता है, इस पर भी संदेह है. एनालिटिक्स फर्म ‘केप्लर' के हुमायूं फलकशाही ने जर्मन टीवी को बताया कि अगर ईरान ऐसा करता है, तो अमेरिका और यूरोपीय देशों की तरफ से तुरंत और जोरदार सैन्य प्रतिक्रिया होगी. उनका मानना है कि ईरान ज्यादा से ज्यादा एक या दो दिन के लिए ही जलडमरूमध्य को बंद रख पाएगा.
अमेरिका के मिडनाइट हैमर मिशन का खाका और असर
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अच्छी स्थिति में नहीं है ईरान की अर्थव्यवस्था
इसके अलावा, अगर ईरान की आर्थिक स्थिति और ज्यादा खराब हुई, तो ईरानी जनता में भारी नाराजगी हो सकती है. अमेरिका की वर्जिनिया टेक यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर जावेद सालेही-इस्फहानी ने डीडब्ल्यू वेले को बताया कि प्रतिबंधों की वजह से ईरान में जीवन स्तर 20 साल पहले वाली स्थिति में जा पहुंचा है.
ये प्रतिबंध सिर्फ तेल उद्योग पर ही नहीं, बल्कि ईरान के साथ अंतरराष्ट्रीय भुगतान वाले लेन-देन पर भी लागू होते हैं. इसका सीधा असर महंगाई पर पड़ता है. मई 2024 की तुलना में मई 2025 में ईरान में महंगाई दर 38.7 फीसदी से ऊपर पहुंच गई. प्रतिबंधों और कमजोर मुद्रा विनिमय दर के कारण ईरान में लोगों के लिए रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करना पहले की तुलना में कहीं ज्यादा महंगा होता जा रहा है.