ईरान में चल रहे पत्रकारों को बदनाम करने वाले अभियानः वकील
२८ नवम्बर २०२२लंबे समय तक नीलोफर हमीदी ने बतौर पत्रकार खेल जगत पर समाचार लिखे हैं. खेल के दौरान ली गई उनकी तस्वीरें पोस्ट करते हुए उनके सहयोगी सोशल मीडिया पर लिखते हैं, वह फुटबॉल से प्यार करती है. लेकिन अब दो महीने से ज्यादा समय से, ईरान के सबसे बड़े दैनिक समाचार पत्रों में से एक 'शार्घ' के लिए काम कर रहीं 30 साल की रिपोर्टर हमीदी बिना किसी आरोप के जेल में बंद हैं. हमीदी के वकील ने कहा है कि उन्हें किसी से संपर्क करने की इजाजत नहीं है और हमीदी और उनके सहयोगी इलाहे मोहम्मदी के बारे में झूठ फैलाया जा रहा है.
सितंबर में जिना महसा अमीनी की मौत पर सबसे पहले रिपोर्ट करने वालों में ये दो पत्रकार थे. हमीदी ने अस्पताल से रिपोर्ट किया था, जहां 16 सितंबर को आधिकारिक रूप से मृत घोषित किए जाने से पहले अमीनी कोमा में थीं. चार दिन बाद हमीदी को गिरफ्तार कर लिया गया.
मोहम्मदी हाम-मिहान अखबार के लिए काम करते थे. उन्होंने अमीनी के अंतिम संस्कार पर रिपोर्ट करने के लिए उत्तर-पश्चिमी ईरान के कुर्द इलाके में अमीनी के गृहनगर साकेज की यात्रा की, जिसने ईरान के मौजूदा बढ़ते विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया. ठीक दो हफ्ते बाद, उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया.
'हाइब्रिड युद्ध रणनीति में प्रशिक्षित'
हमीदी और मोहम्मदी पर विदेशी खुफिया एजेंसियों से संबंध रखने का आरोप है. ईरान की खुफिया सेवा और रिवॉल्यूशनरी गार्ड की सुरक्षा सेवा ने अक्टूबर के अंत में एक संयुक्त बयान में दावा किया था कि उन्हें इसके लिए प्रशिक्षित किया गया था.
ईरानी राज्य टेलीविजन के लिए काम करने वाले अमेनेह सादात जबीहपुर ने कहा कि हमीदी को संयुक्त अरब अमीरात, फिनलैंड, तुर्की और दक्षिण अफ्रीका में हाइब्रिड युद्ध में प्रशिक्षित किया गया था. जबीहपुर नियमित तौर से राजनीतिक कैदियों के साथ "अपराध स्वीकार करने वाले साक्षात्कार" आयोजित करते हैं. जबीहपुर को मध्य नवंबर में अमेरिका की प्रतिबंध सूची में जोड़ा गया था.
16 नवंबर को अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने ईरानी ब्रॉडकास्टर आईआरआईबी में छह प्रमुख पदाधिकारियों को नए आधिकारिक प्रतिबंध सूची में डाल दिया. उन्होंने कहा, "ईरानी शासन के अपने लोगों के खिलाफ दमन और सेंसरशिप के अभियान में प्रभावशाली साधन" के तौर पर उनकी भूमिका के लिए उन्हें सूची में डाला गया.
जबीहपुर जैसे लोगों की दी जाने वाली गलत सूचनाओं को इस्लामिक रिपब्लिक के समर्थक उत्सुकता से स्वीकार करते हैं और फैलाते हैं. जैसा कि हाइब्रिड युद्ध में प्रशिक्षण के दावे को लेकर हुआ. हाइब्रिड युद्ध का तात्पर्य सैन्य साधनों, आर्थिक दबाव, गलत सूचना और छल-कपट के जरिये एक तरह के युद्ध से कम नहीं है.
मानवाधिकार कार्यकर्ता शिवा नजर अहरी ने डीडब्ल्यू को बताया, "ऑनलाइन फैलाए गए झूठे आरोप खतरनाक हैं और बाद में अदालत में एक प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं." नजर अहरी ईरानी कमेटी ऑफ ह्यूमन राइट्स रिपोर्टर्स के सदस्य हैं. पिछले 17 सालों में वह कई बार गिरफ्तार हुईं और कई बार जेल गईं. वह 2017 से स्लोवेनिया में रहती हैं.
दोनों कैदियों के हालात के बारे में बात करते हुए वह कहती हैं, "नीलोफर हमीदी और इलाहे मोहम्मदी दोनों तेहरान की एविन जेल में उच्च सुरक्षा वाले सेलब्लॉक 209 में हैं. कोई नहीं जानता कि उन्हें जज के सामने कब लाया जाएगा. हम जो देख पा रहे हैं वो यह है कि शासन से करीबी संबंध रखने वाले चैनल झूठ फैला रहे हैं, जो तथ्य के रूप में बेचे जा रहे हैं.
उदाहरण के लिए इस समय जनता को भ्रमित करने के लिए दक्षिण अफ्रीका में छुट्टियों के दौरान ली गई निजी तस्वीरें प्रसारित की जा रही हैं. यह पहली बार नहीं है कि जब पत्रकारों पर स्वतंत्र नहीं होने और विदेशी संबंध रखने के आरोप लगे हैं.
नजर अहरी ने बताया कि अभियान शासन के वफादार समर्थकों के लिए है ना कि एक व्यापक दर्शक वर्ग के लिए, जिनके राज्य के प्रचार पर भरोसा करने कीसंभावना कम होती है.
'डराने का कोई फायदा नहीं'
रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स के मुताबिक, मध्य सितंबर से अब तक कम से कम 43 पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया है. आठ को रिहा कर दिया गया है और 35 अभी भी सलाखों के पीछे हैं जिनमें 15 महिलाएं हैं. ये महिलाएं खुद को डरने नहीं दे रही हैं. मिसाल के तौर पर, अमीनी के गृहनगर साकेज से आने वाली 23 साल की पत्रकारिता की छात्रा नाजिला मरौफियन. वह कुर्दिश हैं. उन्होंने अमीनी के पिता का साक्षात्कार लिया, जिन्होंने बताया कि उनकी बेटी को पहले से किसी भी तरह की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें नहीं थीं, जिससे उसकी मौत हुई हो.
साक्षात्कार 19 अक्टूबर को समाचार साइट मोस्टागेल पर "वे झूठ बोल रहे हैं" शीर्षक के साथ प्रकाशित किया गया था. इसके कुछ ही समय बाद, मरौफियन ने ट्विटर पर लिखा: "मेरे पास खुद को मारने की कोई योजना नहीं है और ना ही पहले से कोई चिकित्सीय समस्या है. मैं इस साक्षात्कार को करने और प्रकाशित होने को लेकर खुश हूं." मरौफियन को 30 अक्टूबर को गिरफ्तार कर लिया गया.
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स जर्मनी के कार्यकारी निदेशक क्रिस्टियान मीर कहते हैं, "ईरानी शासन जानबूझकर महिलाओं को चुप कराना चाहता है. मिहर ने कहा कि उन बहादुर पत्रकारों के भविष्य को लेकर काफी चिंता है. वे बड़े जोखिम उठा रहे थे, यहां तक कि सच्चाई को सामने लाने के लिए फांसी की संभावना को भी स्वीकार कर रहे थे जिसे ईरानी शासन छिपाने की कड़ी कोशिश कर रहा है. फिलहाल जेल में बंद तीन पत्रकार दमन की नई लहर से पहले ही सलाखों के पीछे जा चुके थे."
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स के मुताबिक, ईरान दशकों से पत्रकारों के लिए सबसे खराब देशों में से एक रहा है. पिछले साल, इस्लामी गणराज्य ईरान 180 देशों में 178वें स्थान पर था.
रिपोर्टः शबनम फोन हाइन