ईरान: फिल्मकार जफर पनाही को 6 साल की सजा पूरी करनी होगी
२० जुलाई २०२२
ईरान की न्यायपालिका ने आदेश दिया है कि देश के जानेमाने फिल्म निर्माता जफर पनाही को छह साल जेल की सजा पूरी करनी होगी. यह सजा उन्हें एक दशक पहले सुनाई गई थी.
फिल्म निर्माता जफर पनाहीतस्वीर: Antti Aimo-Koivisto/Lehtikuva/picture alliance
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जफर पनाही को दस साल पहले छह साल जेल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन उन्हें सलाखों के पीछे नहीं भेजा गया था. ईरानी न्यायपालिका के प्रवक्ता मसूद सेतायेशी ने घोषणा की है कि जफर पनाही को अपनी सजा काटनी होगी.
ईरान के सर्वश्रेष्ठ फिल्म निर्माताओं में से एक माने जाने वाले जफर पनाही को 2010 में छह साल जेल की सजा सुनाई गई थी. अदालत में उन पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने सरकार विरोधी प्रचार फिल्में बनाई थीं.
पिछले कई सालों से 62 वर्षीय जफर पनाही के विदेश जाने पर रोक लगी हुई है. इस सजा के बावजूद पनाही ने अंडरग्राउंड फिल्में बनाना जारी रखा है. उन्होंने अपने उत्कृष्ट निर्देशन के लिए कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी जीते हैं. साल 2015 में उन्होंने "टैक्सी" के लिए बर्लिन गोल्डन बियर अवॉर्ड जीता. उन्हें 2000 में ईरान के पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं की जिंदगी पर आधारित उनकी फिल्म "द सर्कल" के लिए वेनिस गोल्डन लायन पुरस्कार भी दिया गया था. उनकी हिरासत पर बर्लिन अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव ने कहा है कि वो "निराशा और क्रोध" महसूस कर रहा है.
जर्मनी में है दुनिया का सबसे पुराना विशाल फिल्म स्टूडियो
रोमान पोलांस्की की "द पियानिस्ट", क्वेंटिन टैरेन्टीनो की "इनग्लोरियस बास्टर्ड्स" और कई मशहूर फिल्मों को एक कड़ी जोड़ती है - दुनिया का सबसे पुराना बड़े स्तर का स्टूडियो, जो है जर्मनी के बेबल्सबर्ग में.
तस्वीर: Francois Duhamel
एक फिल्म स्टूडियो का जन्म
हॉलीवुड में जब स्वतंत्र फिल्म निर्माता अपने अपने स्टूडियो बना रहे थे, उस समय जर्मन फिल्म निर्माता बर्लिन के ठीक बीच में शूटिंग कर रहे थे. लेकिन गर्म स्पॉटलाइटों की वजह से बार बार आग के अलार्म बजने लगते थे. जब निर्माताओं को शहर से बाहर कोई जगह खोजने के लिए कहा गया तो गुइदो सीबर ने बर्लिन के ठीक बाहर पोट्सडैम-बेबल्सबर्ग में एक जगह चुनी, जहां पहला स्टूडियो 1911 में बना.
पहली फिल्म: 'द डांस ऑफ द डेड'
तीन ही महीनों में बायोस्कोप नाम की कंपनी ने एक 3,250 वर्ग फुट का फिल्म स्टूडियो बना दिया. नाम दिया गया "स्मॉल ग्लासहाउस". फरवरी 1912 में वहां फिल्मांकन की जाने वाली पहली फिल्म बनी एस्टा नील्सन अभिनीत डेनिश मूक फिल्म 'द डांस ऑफ द डेड'. एक साल बाद उसी परिसर में एक और स्टूडियो और एक फिल्म लैब बनाए गए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
टेक्नोलॉजी के पथ प्रदर्शक
1922 में जर्मन फिल्म निर्माण कंपनी यूएफए भी स्टूडियो से जुड़ गई. नई तकनीकों का विकास हुआ. "द लास्ट लाफ" फिल्म में पहली बार मूविंग कैमरा का इस्तेमाल हुआ. नई तकनीकों को सीखने हॉलीवुड के निर्देशक यहां आने लगे. हिचकॉक ने यहां तक कहा था, "मुझे फिल्में बनाने के बारे में जो भी मालूम है मैंने वो बेबल्सबर्ग में सीखा."
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क्लासिक फिल्म 'मेट्रोपोलिस'
फ्रित्ज लैंग ने बेबल्सबर्ग में दो सालों तक अपनी विज्ञान कथा फिल्म 'मेट्रोपोलिस' पर काम किया, जो मूक सिनेमा का एक मास्टरपीस है. आज के स्तर के हिसाब से उस समय इस फिल्म को बनाने में 14 लाख यूरो की लागत आई थी और यह उस समय दुनिया की सबसे महंगी फिल्म थी.
तस्वीर: picture alliance / dpa
प्रचार की मशीन
नाजियों ने सत्ता हासिल करने के बाद बेबल्सबर्ग पर भी सरकारी नियंत्रण कायम किया. 1933 से 1945 के बीच में हिटलर के प्रचार मंत्री जोसफ गोबेल्स के निर्देशन में करीब 1000 फिल्में बनाई गईं. इनमें "द जू सुस", "ट्राइंफ ऑफ द विल" आदि जैसी कई द्वेषपूर्ण प्रोपगैंडा फिल्में शामिल थीं.
तस्वीर: Mary Evans Picture Library
युद्ध के बाद
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1946 में बनने वाली पहली जर्मन फिल्म थी "मर्डरर्स अमंग अस". यह फिल्म नाजी शासन के तहत निजी अपराध बोध और जिम्मेदारी पर आधारित थी. इसकी शूटिंग बर्लिन के खंडहरों में हुई थी.
तस्वीर: picture-alliance/KPA
पूर्वी जर्मनी में
बेबल्सबर्ग स्टूडियो सोवियत अधिकृत इलाके में थे. सरकारी फिल्म कंपनी डीईएफए ने 1947 में वहां फिल्मांकन शुरू किया और पूरी जर्मनी के रहने तक 700 से ज्यादा फिल्में बनाई. इनमें कई समाजवादी प्रोपगैंडा फिल्में थीं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
दीवार के गिरने के बाद
1989 में डीईएफए को पूर्वी जर्मनी की सरकारी कंपनियों का निजीकरण करने वाले ट्रस्ट का नियंत्रण हो गया. 1992 में स्टूडियो को फ्रांसीसी कंपनी विवेन्दी यूनिवर्सल को बेच दिया गया. विवेन्दी ने इसके नवीनीकरण में करीब 50 करोड़ यूरो लगाए. ये एक आम बर्लिन की सड़क को दिखाते एक फिल्म सेट की तस्वीर है.
तस्वीर: picture-alliance/ ZB
आधुनिक युग
फिल्म निर्माताओं कार्ल वोबकेन और क्रिस्टोफ फिसर ने 2004 में कंपनी को खरीद लिया. आज 25,000 वर्ग मीटर में फैला 16 स्टूडियो का यह परिसर पूरे यूरोप का सबसे बड़ा स्टूडियो परिसर है. रोमान पोलांस्की की "द पियानिस्ट" (2002), क्वेंटिन टैरेन्टीनो की "इनग्लोरियस बास्टर्ड्स" (2009), "द हंगर गेम्स" की तीसरी और चौथी कड़ी जैसी मशहूर फिल्मों और टीवी सीरीज की शूटिंग यहीं हुई.
तस्वीर: Francois Duhamel
एक नया अध्याय
2022 की शुरुआत में अमेरिकी रियल एस्टेट कंपनी टीपीजी ने पोट्सडैम परिसर को खरीद लिया. लेकिन स्टूडियो बेबल्सबर्ग स्वतंत्र रूप से चलता रहेगा और सिनेमा के इतिहास के नए अध्याय रचता रहेगा. (सुजैन कॉर्ड्स)
ईरान में गरीबी, लैंगिक भेदभाव, हिंसा और सेंसरशिप जैसे विषयों पर पनाही की फिल्मों ने तेहरान सरकार को नाराज किया है और कहा जाता है कि इसलिए उनकी आवाज को दबाने के लिए उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए.
ईरानी न्यायपालिका द्वारा पनाही की सजा को अमल में लाने की घोषणा ऐसे समय में हुई है जब इस्लामिक गणराज्य आर्थिक और राजनीतिक दबाव के संदर्भ में आलोचकों की आवाज को दबाने की कोशिश कर रहा है.
पनाही को पिछले हफ्ते ऐसे समय में हिरासत में लिया गया था जब वह अपने साथी फिल्मकार और सरकार के आलोचक मोहम्मद रसूलेफ और मुस्तफा अल-अहमद की हिरासत के बारे में पूछताछ करने अभियोजन पक्ष के कार्यालय गए थे.
इसी महीने इन दोनों को देश के दक्षिण पश्चिम में सरकार द्वारा हिंसक कार्रवाई की सोशल मीडिया में आलोचना करने पर गिरफ्तार कर लिया गया था. इन पर देश की सुरक्षा को कमजोर करने का आरोप लगाया था.
पनाही को कुख्यात एविन जेल में रखा गया है, जिस कारण मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने गंभीर चिंता जताई है. उनका कहना है कि सरकार न केवल सिनेमा उद्योग पर अत्याचार कर रही है बल्कि ऐक्टिविस्टों और प्रदर्शनकारियों पर भी नकेल कस रही है.
एए/सीके (रॉयटर्स, एएफपी)
चीन ने बदला फिल्म का अंत
चीन ने फिल्म 'मिनियंसः द राइज ऑफ ग्रू' का अंत बदल दिया है. लेकिन फिल्मों पर प्रतिबंधों के मामले में कई देशों का रिकॉर्ड खराब है.
तस्वीर: SHOWBIZ Film Reviews/empics/picture alliance
बदल गया अंतः पकड़े गए चोर
चीन ने फिल्म 'मिनियन्सः द राइज ऑफ ग्रू' का अंत बदल दिया है ताकि चोरों को भागते ना दिखाया जा सके. चीन में रिलीज वर्जन में एक मिनट अतिरिक्त है जहां पुलिस चोरों को पकड़कर जेल में डालती है और सजा दिलाती है. इसका मकसद है कि पुलिस और सरकार प्रभुत्व बना रहे.
तस्वीर: SHOWBIZ Film Reviews/empics/picture alliance
किस के कारण बैन
‘लाइटईयर’ नाम की नई फिल्म को संयुक्त अरब अमीरात समेत कई मुस्लिम देशों में प्रतिबंधित कर दिया गया है. वजह है एक सीन जिसमें दो महिला किरदारों को किस करते दिखाया गया है.
तस्वीर: Disney/Pixar/AP Photo/picture alliance
हटाना चाहा था सीन
फिल्म निर्माता कंपनी पिक्सर ने अलिशा और एक अन्य महिला किरदार के बीच किसिंग का यह सीन हटाने पर भी विचार किया था. लेकिन कंपनी के कर्मचारियों ने इस कदम का विरोध किया जिसके बाद सीन को ना हटाने का फैसला किया गया. हालांकि यूएई ने हाल ही में ऐलान किया था कि वह फिल्मों को सेंसर नहीं करेगा, लेकिन ‘लाइटईयर’ को फिर भी बैन कर दिया. वहां समलैंगिक संबंध अपराध हैं.
तस्वीर: Disney/Pixar/AP Photo/picture alliance
चीन में ‘फैंटैस्टिक बीस्ट्स 3’ में बदलाव
चीन में भी फिल्मों में समलैंगिकता दिखाने पर सख्ती है. इसकी मिसाल तब मिली जब ‘फैंटैस्टिक बीस्ट्स 3’ फिल्म में दो लाइन के एक डायलॉग को चीनी अधिकारियों की संतुष्टि के लिए हटाया गया.
तस्वीर: Warner Bros. Entertainment/dpa/picture alliance
पर हर कहानी नहीं बदली जा सकती
कई ऑस्कर जीतने वाली 2005 की फिल्म ‘ब्रोकबैक माउंटेन’ दो युवकों की प्रेम कहानी थी. इसे चीन में रिलीज नहीं किया जा सका था. ब्रिटिश गायक एल्टन जॉन की जिंदगी पर बनी 2019 की फिल्म ‘रॉकेटमैन’ को भी चीन में बैन किया गया था.
तस्वीर: Focus Features/Paramount Classics/imago
तिब्बत पर भी टेढ़ी निगाहें
तिब्बत को लेकर भी चीन अत्याधिक संवेदनशील रहता है. यही वजह है कि ब्रैड पिट की फिल्म ‘सेवन ईयर्स इन तिब्बत’ (1997) को चीन में बैन कर दिया गया था. यह फिल्म एक ऑस्ट्रियाई पर्वतारोही हाइनरिष हारेर और दलाई लामा की दोस्ती की कहानी है. ना सिर्फ इस फिल्म को बैन कर दिया गया बल्कि फिल्म के हीरो ब्रैड पिट की अन्य फिल्मों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया.
तस्वीर: Film Constantin/dpa/picture alliance
बोहेमियन रैप्सडी
म्यूजिक बैंड ‘क्वीन’ के गायक फ्रेडी मर्करी के बारे में फिल्म ‘बोहेमियन रैप्सडी’ जब चीन में रिलीज हुई तो उसमें ऐसी हर बात लापता थी जिससे गायक की समलैंगिकता का संकेत मिलता था. यहां तक कि कहानी के लिए बेहद अहम बातें जैसे मर्करी का खुलकर यह कहना कि वह समलैंगिक हैं या फिर उन्हें एड्स हो जाना भी हटा दिया गया.
तस्वीर: Everett Collection/picture alliance
रूस में क्या है सीन
रूस में भी समलैंगिकता से जुड़े सीन फिल्मों से हटाए जाते रहे हैं. ‘रॉकेटमैन’ के कई सीन हटाए गए थे, जिसका एल्टन जॉन ने विरोध भी किया था. हालांकि रूस में समलैंगिक संबंधों पर रोक नहीं है लेकिन समलैंगिकता के बारे में प्रॉपेगैंडा फैलाना अवैध है.
तस्वीर: Matrix/imago images
जर्मनी में भी बैन
जर्मनी में कई फिल्मों को प्रतिबंध झेलना पड़ा है. मसलन, राष्ट्रीय समाजवाद, हिंसा या नस्लवादी हिंसा भड़काने वाली फिल्मों को प्रतिबंधित किया जा सकता है. पीटर जैक्सन की फिल्म ‘ब्रेनडेड’ को जर्मनी में बैन कर दिया गया था क्योंकि इसमें अत्याधिक हिंसा दिखाई गई थी.