परमाणु हथियारों पर नजर रखने वाली संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी आईएईए ने कहा है कि ईरान ने संवर्द्धित यूरेनियम बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिससे परमाणु समझौते की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है.
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इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (आईएईए) ने मंगलवार को कहा कि ईरान ने संवर्द्धित यूरेनियम बनाने की प्रक्रिया शुरू की है, जिसकी अमेरिका समेत कई देशों ने आलोचना की है. हालांकि ईरान का कहना है कि उसके इस कदम का मकसद शोध क्षेत्र के लिए ईंधन तैयार करने का है लेकिन अमेरिका ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण और पीछे ले जाने वाला कदम बताया है.
अमेरिका और यूरोपीय अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि ईरान की गतिविधियां अमेरिका के साथ उसकी बातचीत में जटिलता बढ़ाएंगी और दोनों देशों को 2015 में बनी सहमति के स्तर पर वापस लाने में बाधा साबित हो सकती हैं. 2015 में ओबामा सरकार के वक्त अमेरिका ने ईरान से परमाणु संधि कर ली थी, जिसे ट्रंप सरकार ने खारिज कर दिया था.
बार-बार उल्लंघन
संधि के तहत ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर कई तरह की पाबंदियां हैं, जिनके चलते ईरान परमाणु हथियारों के लिए ईंधन तैयार नहीं कर सकता. बदले में उसे आर्थिक प्रतिबंधों से राहत मिली है. हालांकि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा संधि को खारिज कर देने के बाद ईरान ने भी शर्तों का उल्लंघन शुरू कर दिया था.
इस साल की पहली छमाही में ही ईरान कुछ यूरेनियम धातु बना चुका है, जिसे संवर्द्धित नहीं किया गया था. यह संधि की शर्तों का उल्लंघन था, जिनके तहत यूरेनियम धातु को लेकर किसी भी तरह का कार्य प्रतिबंधित है क्योंकि इसका इस्तेमाल परमाणु बम बनाने में हो सकता है. आईएईए ने एक बयान जारी कर कहा, "आज ईरान ने सूचित किया है कि 20 प्रतिशत U-235 तक सवंर्द्धित यूओ2 (यूरेनियम ऑक्साइड) को असफहान स्थित फ्यूल फेब्रिकेशन प्लांट की प्रयोगशाला भएजा जाएगा, जहां इससे UF4 (यूरेनियम टेट्राफ्लोराइड) बनाया जाएगा, जिससे ईंधन तैयार किया जाएगा.”
तस्वीरों मेंः पर्दे वाले ईरान में डांस सिखाती बुशारा
पर्दे वाले ईरान में डांस सिखाती बुशरा
ईरान की एक पेशेवर डांसर बुशरा पिछले 13 साल से डांस सीखने के शौकीनों को अपने साथ जोड़ रही हैं. राजधानी तेहरान में डांस इंस्ट्रक्टर बुशरा अपनी टोली के साथ परफॉर्मेंस आर्ट को आगे बढ़ा रही हैं.
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ईरान की राजधानी तेहरान में बैले डांस इंस्ट्रक्टर बुशरा केवल महिलाओं को डांस सिखाती हैं.
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पिछले 13 साल से बुशरा पेशवर तरीके से इस डांस को परफॉर्म कर रही हैं. बुशरा बैले करती हैं, ईरानी मिनिएचर डांस और सामा नामके पारंपरिक नाच में भी पारंगत हैं.
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33 साल की बुशरा को बचपन में अपनी एक सहेली को देख कर डांस में रुचि जगी. तेहरान में अपने डांस ग्रुप के साथ अभ्यास करती बुशरा.
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पिछले 10 सालों से बुशरा तेहरान में महिलाओं को डांस सिखा रही हैं. वे अपनी प्रस्तुति भी केवल महिलाओं के सामने ही दे सकती हैं.
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कोरोना महामारी शुरु होने के बाद बुशरा ने अपनी क्लासें ऑनलाइन चलानी शुरु कर दीं.
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जो ऑनलाइन क्लास नहीं ले सकते, उन्हें सुरक्षा उपायों का पालन करते हुए बुशरा मिल कर सिखाती हैं.
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बुशरा और उनके ट्रूप के सभी परफॉर्मेंस महामारी के कारण रद्द हो गए. यहां पारंपरिक डांस सामा की प्रस्तुति दे रहा है.
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ईरान के कल्चर एंड गाइडेंस मंत्रालय की अनुमति लेकर बुशरा ने अपना डांस समूह बनाया.
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ईरान में डांस सीखने के लिए आधिकारिक संस्थान नहीं हैं. अपने डांस ट्रूप के साथ सेल्फी लेती बुशरा.
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रॉयटर्स समाचार एजेंसी ने कुछ हफ्ते पहले ही आईएईए की एक रिपोर्ट के आधार पर खबर छापी थी कि ईरान ने यूरेनियम के संवर्द्धन की प्रक्रिया शुरू कर दी है. ताजा घटनाक्रम के बाद ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने कहा कि उन्हें ईरान के फैसले पर गंभीर संदेह हैं, जो जॉइंट कॉम्प्रहेंसिव प्लान ऑफ ऐक्शन का उल्लंघन करता है.
अमेरिका और यूरोप नाराज
ये तीनों देश ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु संधि की मध्यस्थता कर रहे हैं. तीनों देशों ने ब्रिटिश विदश मंत्रालय की ओर से जारी एक संयुक्त बयान में कहा, "ईरान की यूरेनियम धातु शोध और अनुसंधान व उत्पादन की कोई विश्वसनीय नागरिक जरूरतें नहीं हैं. यह परमाणु हथियार बनाने की दिशा में एक अहम कदम है. ताजा कदमों के जरिए ईरान विएना वार्ता के सफल परिणाम को खतरे में डाल रहा है जबकि पिछले छह दौर की बातचीत में प्रगति हुई है.”
तीनों देशों ने ईरान से विएना में बातचीत के लिए लौटने का आग्रह किया. यह बातचीत बीती 20 जून को स्थगित कर दी गई थी और अब तक नए दौर के लिए तारीखें तय नहीं हुई हैं. अमेरिका ने कहा है कि वह बातचीत शुरू करने के लिए कोई समयसीमा तय नहीं करना चाहता लेकिन ईरान की गतिविधियों का उसके बातचीत में लौटने के फैसले पर असर पड़ सकता है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि ईरान का शर्तों को उल्लंघन करते रहना चिंताजनक है और यह एक और दुर्भाग्यपूर्ण कदम है जो ईरान को पीछे ले जाता है.
देखिएः बढ़ रहे हैं परमाणु हथियार
बढ़ रही है दुनिया में परमाणु हथियारों की संख्या
दुनिया में 1990 के बाद से परमाणु हथियारों में लगातार हो रही कमी अब रुक रही है. परमाणु अस्त्रों वाले देश अपने हथियारों के भंडार का आधुनिकीकरण कर रहे हैं जिससे हथियारों की संख्या में बढ़ोतरी के संकेत मिल रहे हैं.
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शीत युद्ध के बाद
शोधकर्ताओं ने कहा है कि शीत युद्ध के अंत के बाद से 1990 के बाद के दशकों में परमाणु हथियारों की संख्या में लगातार कमी आ रही थी, लेकिन अब यह स्थिति बदल रही है. यह कहना है स्वीडन के संस्थान सिपरी में एसोसिएट सीनियर फेलो हांस क्रिस्टेनसेन का.
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हथियारों का खतरा काम
क्रिस्टेनसेन के अनुसार यह स्थिति शीत युद्ध के समय कहीं ज्यादा गंभीर थी. 1986 में दुनिया में 70,000 से भी ज्यादा परमाणु हथियारों के होने का अनुमान था.
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आज कितने हैं हथियार
इस समय परमाणु हथियारों वाले नौ देश हैं - अमेरिका, रूस, यूके, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया. सिपरी के मुताबिक 2021 में इनके पास कुल मिलाकर 13,080 हथियार हैं. संस्थान के मुताबिक पिछले साल इन देशों के पास कुल 13,400 हथियार थे.
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असल में गिरावट नहीं
सिपरी का कहना है कि यह असल में संख्या में गिरावट नहीं है, क्योंकि इन हथियारों में पुराने वॉरहेड भी हैं जिन्हें नष्ट कर दिया जाना है. अगर इन्हें गिनती से बाहर कर दिया जाए, तो परमाणु हथियारों की कुल संख्या एक साल में 9,380 से बढ़ कर 9,620 हो गई है.
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तैनात हथियार भी बढ़े
सिपरी के मुताबिक अलग अलग सेनाओं के पास तैनात परमाणु हथियारों की संख्या भी एक साल में 3,720 से बढ़ कर 3,825 हो गई. इनमें से करीब 2,000 हथियार "इस्तेमाल किए जाने की उच्च अवस्था" में रखे गए हैं, यानी ऐसी अवस्था में कि जरूरत पड़ने पर उन्हें कुछ ही मिनटों में चलाया जा सके.
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आधुनिकीकरण
हांस क्रिस्टेनसेन का कहना है कि इस समय पूरी दुनिया में काफी महत्वपूर्ण पैमाने पर परमाणु कार्यक्रमों का आधुनिकीकरण हो रहा है और परमाणु हथियारों वाले देश अपनी सैन्य रणनीतियों में परमाणु हथियारों का महत्व बढ़ा रहे हैं.
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रूस और अमेरिका की भूमिका
रूस और अमेरिका के पास दुनिया के कुल परमाणु हथियारों का 90 प्रतिशत से भी ज्यादा भंडार है. क्रिस्टेनसेन का कहना है दोनों ही देश परमाणु हथियारों को ज्यादा महत्व दे रहे हैं. उनका मानना है कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप इसी रणनीति को आगे बढ़ा रहे थे और नए राष्ट्रपति जो बाइडेन भी काफी स्पष्ट रूप से संदेश दे रहे हैं कि वो भी इसे जारी रखेंगे.
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तैयार हथियार
अमेरिका और रूस दोनों पुराने वॉरहेड को लगातार हटा रहे हैं लेकिन दोनों के पास पिछले साल के मुकाबले करीब 50 और हथियार हैं जो 2021 की शुरुआत में "क्रियाशील तैनाती" की अवस्था में थे. - एएफपी
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उधर, आईएईए में रूस के दूत मिखाएल उल्यानोव ने कहा कि ईरान और अमेरिका दोनों ही समझौते की शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ट्रंप सरकार ने ईरान पर जो प्रतिबंध लगाए थे, उन्हें जारी रखने का बाइडेन सरकार का फैसला भी संधि का उल्लंघन है. एक ट्वीट में उल्यानोव ने कहा, "इस दुष्चक्र से निकलने का एकमात्र तरीका विएना वार्ता की बिना देर किए शुरुआत और JCPOA की पुनर्स्थापना है.”