ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने रविवार को कहा कि इस साल अमेरिका और इस्राएल के हमलों में जिन ईरानी परमाणु स्थलों को नुकसान हुआ था, उन्हें फिर से बनाया जाएगा और पहले से कहीं ज्यादा मजबूत.
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ईरान के सरकारी मीडिया के अनुसार राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने रविवार को देश के परमाणु ठिकानों का दौरा किया और कहा, "हम इन (तबाह हुई इमारतों को) पहले से भी ज्यादा मजबूत बनाएंगे.” उन्होंने आगे कहा, "केवल इमारतें गिरा देने से हम पीछे नहीं हट जाएंगे.” यह बात उनकी आधिकारिक वेबसाइट पर पोस्ट एक वीडियो में कही गई. ईरानी राष्ट्रपति ने फिर कहा कि उनके देश का परमाणु हथियार बनाने का कोई इरादा नहीं है.
ईरान कहता आया है कि वह शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु कार्यक्रम चल रहा है, जबकि पश्चिमी देशों को संदेह है कि इस कार्यक्रम के पीछे उसकी मंशा परमाणु हथियार विकसित करना है. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा था कि जून में किए गए हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह "ध्वस्त कर दिया” है, लेकिन असल में कितना नुकसान हुआ है, यह अब तक साफ नहीं हो पाया है. ट्रंप चेतावनी दे चुके हैं कि जिन परमाणु स्थलों पर अमेरिका ने हमले किए थे, अगर उन्हें दोबारा शुरू किया गया, तो वे नए हमले करने का आदेश देंगे.
"मैं नोबेल पुरस्कार का हकदार": ट्रंप ने किन उपलब्धियों के दम पर किया दावा
डॉनल्ड ट्रंप दुनिया भर में जारी संघर्षों को रुकवाने का दावा करके खुद को नोबेल शांति पुरस्कार की कतार में सबसे आगे देखना चाहते हैं. लेकिन वो कौन से संघर्ष विराम हैं, जिनके दम पर ट्रंप नोबेल हासिल करना चाहते हैं.
तस्वीर: Samuel Corum/MediaPunch/IMAGO
अर्मेनिया-अजरबैजान संघर्ष
पूर्वी यूरोप और पश्चिमी एशिया के बीच पहाड़ी इलाके में स्थित अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच पिछले 35 सालों से नागोर्नो-काराबाख के इलाके को लेकर संघर्ष चल रहा था. इस साल अगस्त में ट्रंप ने दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ बैठक कर शांति समझौते पर हस्ताक्षर करवाए. शांति समझौते के बाद दोनों देशों ने ट्रंप के लिए नोबेल पुरस्कार की वकालत की.
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कांगो और रवांडा संघर्ष
मध्य और पूर्वी अफ्रीका में मौजूद डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो और रवांडा के बीच 1990 से जारी संघर्ष जून 2025 में, अमेरिकी मध्यस्थता के बाद समाप्त होने का दावा किया गया. संयुक्त राष्ट्र ने भी इस समझौते को शांति और स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया. नोबेल का दावा करते समय ट्रंप इस संघर्ष विराम को भी गिनती में शामिल करते हैं भले ही संघर्ष दोबारा शुरु हो गया है.
तस्वीर: Andrew Caballero-Reynolds/AFP/Getty Images
इस्राएल-ईरान संघर्ष
24 जून, 2025 को ट्रंप ने इस्राएल और ईरान के बीच पूर्ण युद्धविराम की घोषणा की. दोनों देशों के बीच 12 दिनों तक चले संघर्ष के दौरान इस्राएल ने 'ऑपरेशन लॉयन' के तहत ईरान के सैन्य और परमाणु केंद्रों पर हमले किए थे. संघर्ष विराम से दो दिन पहले अमेरिका ने ईरान के परमाणु केंद्रों पर बमबारी की थी. फिलहाल इस संघर्ष का व्यापक हल नहीं मिल पाया है.
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भारत-पाकिस्तान संघर्ष
पहलगाम में हुए हमले के बाद भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच मई में करीब चार दिन तक संघर्ष चला था. राष्ट्रपति ट्रंप ने कई बार सार्वजनिक मंचों से यह दावा किया कि उन्होंने एक लंबी बातचीत के बाद इस संघर्ष को खत्म कराया. पाकिस्तान ने भी ट्रंप के इस दावे का समर्थन किया और आधिकारिक तौर पर ट्रंप के लिए नोबेल पुरस्कार की वकालत की. हालांकि, भारत इस संघर्ष विराम में अमेरिकी भूमिका को नकार चुका है.
एक प्राचीन हिंदू मंदिर को लेकर शुरू हुआ विवाद जुलाई में तब भीषण संघर्ष में बदल गया जब थाईलैंड ने कंबोडियाई सैन्य ठिकानों पर हमला करने के लिए लड़ाकू विमान तैनात कर दिए. कई दिनों तक चले संघर्ष के बाद मलेशिया की मध्यस्थता से युद्धविराम हुआ. ट्रंप ने इस युद्ध को भी रोकने का श्रेय लिया क्योंकि उन्होंने दोनों देशों के साथ व्यापार खत्म करने की धमकी दी थी.
तस्वीर: Mohd Rasfan/REUTERS
इथियोपिया-मिस्र जल विवाद
इथियोपिया और मिस्र के बीच नील नदी पर इथियोपिया द्वारा बनाए जा रहे बांध और उसके पानी को लेकर विवाद है. मिस्र अपनी 97 फीसदी पानी से जुड़ी जरूरतों के लिए नील नदी पर निर्भर है. ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में इथियोपिया और मिस्र के बीच संघर्ष को सुलझाने का दावा किया था, लेकिन यह दावा सटीक नहीं है क्योंकि इसमें कोई सक्रिय संघर्ष शामिल नहीं था.
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सर्बिया-कोसोवो आर्थिक सामान्यीकरण
दक्षिण-पूर्वी यूरोप में स्थित सर्बिया और कोसोवो के बीच विवाद कोसोव के स्वतंत्र देश के दर्जे को लेकर है. दोनों देशों के बीच संघर्ष की असल वजह उत्तरी कोसोवो में सर्ब समुदाय और अल्बानियाई लोगों के बीच जारी विवाद है. दोनों देशों के बीच यह विवाद आज भी जारी है लेकिन ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में दोनों देशों के बीच एक आर्थिक सामान्यीकरण समझौते में मध्यस्थता की थी.
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कूटनीति की कोशिश
परमाणु स्थलों को फिर से बनाने के बारे में ईरानी राष्ट्रपति का बयान ऐसे समय में आया है, जब लंबे समय से ईरान और अमेरिका के बीच पुल का काम करने वाले ओमान ने दोनों देशों से वार्ता दोबारा शुरू करने की अपील की है. ओमान के विदेश मंत्री बद्र अलबुसैदी ने बहरीन में आयोजित "आईआईएसएस मनामा संवाद” सम्मेलन में कहा, "हम ईरान और अमरीका के बीच बातचीत की वापसी चाहते हैं.” रविवार को ईरान सरकार की प्रवक्ता फातिमा मोहजेरानी ने कहा कि तेहरान को "कूटनीति बहाल करने के लिए संदेश” मिले हैं, लेकिन उन्होंने ज्यादा जानकारी नहीं दी है.
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इस साल ओमान ने ईरान और अमेरीका के बीच पांच चरणों की बातचीत कराई थी. छठे दौर की वार्ता से सिर्फ तीन दिन पहले ही इस्राइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला कर दिया. 12 दिन तक चले इस सैन्य टकराव में इस्राएल ने ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों के साथ-साथ कुछ रिहायशी इलाकों को भी निशाना बनाया था. इन हमलों में ईरान के कई वरिष्ठ परमाणु ऊर्जा वैज्ञानिकों की मौत हुई थी. इसके जवाब में ईरान ने भी इस्राएली शहरों की ओर बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं थीं. संघर्ष विराम के बाद जुलाई में ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने कहा था कि देश में हुआ नुकसान "गंभीर और बेहद भयानक” है.
अमेरिकी हमले पर क्या और कितना संभलकर बोली दुनिया
ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के बी-2 बॉम्बर विमानों के हमले के बाद दुनिया भर के देशों ने क्या कहा.
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तुर्की
नाटो के सदस्य तुर्की ने अपने बयान में अमेरिका या वॉशिंगटन शब्द का जिक्र तक नहीं किया. अंकारा में तुर्की विदेश मंत्रालय ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हुए हमले पर चिंता जताते हुए कहा कि, "यह क्षेत्रीय विवाद, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भड़क सकता है."
तस्वीर: Yasin Akgul/AFP
कतर
"कतर का विदेश मंत्रालय चेतावनी देता है कि क्षेत्र में अभी जो खतरनाक तनाव हम देख रहे हैं, वो इस इलाके और दुनिया को त्रासदी भरे नतीजों की तरफ ले जाएगा."
तस्वीर: Alex Brandon/AP/picture alliance
सऊदी अरब
सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा, "इस संवेदनशील हालातों में हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करते हैं कि वे दोगुनी कोशिश कर, इस सकंट को खत्म करने वाले समाधान का नेतृत्व करे, ताकि इलाके में सुरक्षा और स्थिरता का एक नया अध्याय खुल सके."
तस्वीर: Win McNamee/Getty Images
रूस
रूस की सिक्योरिटी काउंसिल के उपाध्यक्ष दिमित्री मेद्वेदेव के मुताबिक, अमेरिका का यह हमला ईरान में अयातोल्लाह अली खामेनेई की सत्ता को और मजबूत करेगा. मेद्वदेव ने कहा, "जो लोग ईरान के धार्मिक नेतृत्व से सहानुभूति नहीं रखते थे, अब वे भी दूसरे लोगों की तरह उसके साथ जुड़ रहे हैं."
तस्वीर: Ekaterina Shtukina, Sputnik Pool Photo via AP/picture alliance
भारत
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक्स पर लिखा, "ईरान के राष्ट्रपति डॉक्टर पेजेश्कियान से बात की. हमने मौजूदा हालात पर विस्तार से बात की. तनाव बढ़ने पर गहरी चिंता जताई." मोदी ने शांति और स्थिरता के लिए तनाव घटाने, संवाद और कूटनीतिक प्रयासों पर भी जोर दिया.
जर्मन चांसलर फ्रीडरिष मैर्त्स ने अमेरिकी हमलों के बाद रविवार को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट मीटिंग बुलाई. इस बैठक के बाद जारी किए गए बयान के मुताबिक, "चांसलर मैर्त्स ने ईरान से तुरंत अमेरिका और इस्राएल के साथ वार्ता शुरू करने की अपील की है ताकि इस विवाद का कूटनीतिक हल निकाला जा सके."
तस्वीर: IMAGO/dts Nachrichtenagentur
यूरोपीय संघ
एस्टोनिया की पूर्व प्रधानमंत्री और फिलहाल यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रभारी काया कलास ने एक्स पर लिखा, "हम सभी पक्षों से पीछे हटने, बातचीत की मेज पर लौटने और तनाव घटाने की अपील करते हैं."
तस्वीर: Frederick Florin/AFP/Getty Images
संयुक्त राष्ट्र
यूएन महासचिव अंटोनियो गुटेरेष नेअमेरिकी हमलों को तनाव बढ़ाने वाला एक खतरनाक कदम बताते हुए कहा, "जोखिम भरी इस घड़ी में, ये बहुत ही जरूरी है कि अफरा तफरी को फैलने से रोका जाए. सैन्य हल कोई चीज नहीं होती. आगे का अकेला रास्ता कूटनीतिक ही है."
तस्वीर: Manon Cruz/REUTERS
ब्रिटेन
ब्रिटिश पीएम कीर स्टारमर ने अमेरिकी हमलों को जायज ठहराते हुए कहा, "ईरान को कभी परमाणु बम बनाने नहीं दिया जा सकता और अमेरिकी कार्रवाई ने इस खतरे को खत्म कर दिया है." स्टारमर ने ईरान से बातचीत की मेज पर लौटने और इस संकट को खत्म करने के लिए कूटनीतिक समाधान तक पहुंचने की अपील भी की .
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जापान
जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने पत्रकारों से कहा, "इस विवाद को जल्द से जल्द ठंडा करना बहुत जरूरी हो चुका है. हम गहरी चिंता के साथ हालात पर नजर बनाए हुए हैं."
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प्रतिबंधों की मार
हाल में ईरान पर फिर से संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध लागू हो गए, क्योंकि ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस ने 2015 के परमाणु समझौते के तहत "स्नैपबैक” तंत्र को सक्रिय कर दिया. इन देशों का कहना है कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम की निगरानी में उस तरह सहयोग नहीं कर रहा है, जैसा उसने वादा किया था. पर्यवेक्षक कहते हैं कि "पहले से भी मजबूत” परमाणु स्थलों के निर्माण की बात कर ईरान दुनिया को यह संदेश देना चाहता है कि वह झुकने वाला नहीं है. लेकिन ओमान की मध्यस्थता और बातचीत की अपील इस बात की उम्मीद भी जगाती है कि शायद फिर से संवाद के रास्ते खुल सकें. युद्ध और पाबंदियों से निपटते ईरान के लिए यह समय शक्ति प्रदर्शन के अलावा ऐसे हालातों से थकी हुई ईरानी जनता को अपनी तरफ करने का है.