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ईरान: “और भी ज्यादा मजबूत परमाणु स्थल बनाएंगे”

२ नवम्बर २०२५

ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने रविवार को कहा कि इस साल अमेरिका और इस्राएल के हमलों में जिन ईरानी परमाणु स्थलों को नुकसान हुआ था, उन्हें फिर से बनाया जाएगा और पहले से कहीं ज्यादा मजबूत.

राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान
तस्वीर: Iranian Presidency/ZUMA/picture alliance

ईरान के सरकारी मीडिया के अनुसार राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने रविवार को देश के परमाणु ठिकानों का दौरा किया और कहा, "हम इन (तबाह हुई इमारतों को) पहले से भी ज्यादा मजबूत बनाएंगे.” उन्होंने आगे कहा, "केवल इमारतें गिरा देने से हम पीछे नहीं हट जाएंगे.” यह बात उनकी आधिकारिक वेबसाइट पर पोस्ट एक वीडियो में कही गई. ईरानी राष्ट्रपति ने फिर कहा कि उनके देश का परमाणु हथियार बनाने का कोई इरादा नहीं है.

ईरान कहता आया है कि वह शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु कार्यक्रम चल रहा है, जबकि पश्चिमी देशों को संदेह है कि इस कार्यक्रम के पीछे उसकी मंशा परमाणु हथियार विकसित करना है. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा था कि जून में किए गए हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह "ध्वस्त कर दिया” है, लेकिन असल में कितना नुकसान हुआ है, यह अब तक साफ नहीं हो पाया है. ट्रंप चेतावनी दे चुके हैं कि जिन परमाणु स्थलों पर अमेरिका ने हमले किए थे, अगर उन्हें दोबारा शुरू किया गया, तो वे नए हमले करने का आदेश देंगे.

कूटनीति की कोशिश

परमाणु स्थलों को फिर से बनाने के बारे में ईरानी राष्ट्रपति का बयान ऐसे समय में आया है, जब लंबे समय से ईरान और अमेरिका के बीच पुल का काम करने वाले ओमान ने दोनों देशों से वार्ता दोबारा शुरू करने की अपील की है. ओमान के विदेश मंत्री बद्र अलबुसैदी ने बहरीन में आयोजित "आईआईएसएस मनामा संवाद” सम्मेलन में कहा, "हम ईरान और अमरीका के बीच बातचीत की वापसी चाहते हैं.” रविवार को ईरान सरकार की प्रवक्ता फातिमा मोहजेरानी ने कहा कि तेहरान को "कूटनीति बहाल करने के लिए संदेश” मिले हैं, लेकिन उन्होंने ज्यादा जानकारी नहीं दी है.

इस साल ओमान ने ईरान और अमेरीका के बीच पांच चरणों की बातचीत कराई थी. छठे दौर की वार्ता से सिर्फ तीन दिन पहले ही इस्राइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला कर दिया. 12 दिन तक चले इस सैन्य टकराव में इस्राएल ने ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों के साथ-साथ कुछ रिहायशी इलाकों को भी निशाना बनाया था. इन हमलों में ईरान के कई वरिष्ठ परमाणु ऊर्जा वैज्ञानिकों की मौत हुई थी. इसके जवाब में ईरान ने भी इस्राएली शहरों की ओर बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं थीं. संघर्ष विराम के बाद जुलाई में ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने कहा था कि देश में हुआ नुकसान "गंभीर और बेहद भयानक” है.

प्रतिबंधों की मार

हाल में ईरान पर फिर से संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध लागू हो गए, क्योंकि ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस ने 2015 के परमाणु समझौते के तहत "स्नैपबैक” तंत्र को सक्रिय कर दिया. इन देशों का कहना है कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम की निगरानी में उस तरह सहयोग नहीं कर रहा है, जैसा उसने वादा किया था. पर्यवेक्षक कहते हैं कि "पहले से भी मजबूत” परमाणु स्थलों के निर्माण की बात कर ईरान दुनिया को यह संदेश देना चाहता है कि वह झुकने वाला नहीं है. लेकिन ओमान की मध्यस्थता और बातचीत की अपील इस बात की उम्मीद भी जगाती है कि शायद फिर से संवाद के रास्ते खुल सकें. युद्ध और पाबंदियों से निपटते ईरान के लिए यह समय शक्ति प्रदर्शन के अलावा ऐसे हालातों से थकी हुई ईरानी जनता को अपनी तरफ करने का है.

साहिबा खान साहिबा 2023 से DW हिन्दी के लिए आप्रवासन, मानव-पशु संघर्ष, मानवाधिकार और भू-राजनीति पर लिखती हैं.https://x.com/jhansiserani
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