ईरान: क्या सोशल मीडिया साइटें सरकार का साथ दे रही हैं?
७ अक्टूबर २०२२![बर्लिन में महसा आंदोलन का समर्थन](https://static.dw.com/image/63354710_800.webp)
ईरान में कुर्द युवती महसा अमीनी की मौत के बाद से सरकार विरोधी प्रदर्शन जारी है. सड़कों पर जली हुई कारें दिख रही हैं, महिलाएं अपने हिजाब जला रही हैं और देश में झड़पें तेज हो गई हैं. ईरान मानवाधिकार समूह (आईएचआर) के मुताबिक, अक्टूबर के शुरुआती हफ्ते तक विरोध-प्रदर्शनों में कम से कम 150 लोग मारे गए हैं.
दरअसल, ईरान के सख्त हिजाब कानून का कथित रूप से उल्लंघन करने के आरोप में नैतिकता पुलिस ने युवा कुर्द महिला महसा अमीनी को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के बाद 22 वर्षीय महसा अमीनी की तेहरान में पिछले महीने पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. पुलिस ने दावा किया कि उसकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी, लेकिन अमीनी के परिवार का कहना है कि मौत पुलिस की पिटाई के कारण हुई.
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इसके बाद से, देश में सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन का सिलसिला नहीं थम रहा है. दुनिया भर में ईरानी महिलाओं को समर्थन मिल रहा है. देश में और देश के बाहर महिलाओं ने विरोध जताते हुए अपने हिजाब जला दिए या अपने बाल काट डाले.
वहीं, हिंसा रोकने के लिए भारी संख्या में पुलिस की तैनाती की गई है. पुलिस की बर्बरता के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया, खासकर इंस्टाग्राम पर वायरल हो गए हैं. दरअसल, इंस्टाग्राम ईरान में काफी ज्यादा लोकप्रिय है, क्योंकि सिर्फ यही एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो सार्वजनिक तौर पर आसानी से उपलब्ध था. हालांकि, अब इस पर नए प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं.
घंटों तक बाधित रहती है मोबाइल इंटरनेट सेवा
विरोध-प्रदर्शन को देखते हुए ईरानी सरकार ने दो सप्ताह पहले इंस्टाग्राम के इस्तेमाल पर पाबंदी लागू कर दी और पूरे देश में इंटरनेट का इस्तेमाल बैन कर दिया. लंदन स्थित वैश्विक इंटरनेट निगरानी संगठन, नेटब्लॉक्स के अनुसार, मोबाइल नेटवर्क काफी हद तक बाधित हुआ है.
यूएस स्थित नेटवर्क ऑब्जर्वेबिलिटी प्लेटफॉर्म केंटिक के डग मैडोरी ने डीडब्ल्यू से कहा, "ईरान में इंटरनेट सेवा देने वाली तीन बड़ी कंपनियां ईरानसेल, राइटेल और एमसीआई शाम चार बजे से आधी रात तक इंटरनेट के इस्तेमाल को सीमित कर देती हैं, ताकि देश के बाहर के हिस्सों से संपर्क न किया जा सके.”
चूंकि इसी समय सबसे ज्यादा विरोध प्रदर्शन होते हैं. ऐसे में इंटरनेट सेवा बाधित होने से उन्हें लाइव स्ट्रीम करना मुश्किल हो जाता है. मैडोरी ने कहा कि "पिछले दो हफ्तों में सिर्फ मंगलवार ही पहला दिन था जब इंटरनेट सेवा ठप नहीं की गई.”
पाबंदियों की वजह से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करना मुश्किल हो गया है. ईरान के लाखों लोग सेंसरशिप से बचने के लिए टोर और साइफन जैसे टूल का इस्तेमाल कर रहे हैं. इनकी मदद से, सोशल मीडिया साइटों को अपने कंप्यूटर पर ऐक्सेस किया जा सकता है.
बेल्जियम की राजधानी ब्रल्सेल व्रिये यूनिवर्सिटी के मीडिया और संचार शोधकर्ता मार्कस माइकल्सन कहते हैं, "ईरान के लोग करीब 20 वर्षों से सेंसरशिप का सामना कर रहे हैं. इसलिए, वे जुगाड़ खोजने में माहिर हैं. वीपीएन का इस्तेमाल करना इन्हीं जुगाड़ों में से एक है.”
वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) की मदद से उपयोगकर्ता अपनी पहचान छिपाकर इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकते हैं. गूगल ने अपनी फारसी सेवा पर इसके इस्तेमाल से जुड़ी सलाह भी दी है.
इंस्टाग्राम पर सेंसरशिप
एक ओर ईरान की सरकार ने इंटरनेट के इस्तेमाल को प्रतिबंधित कर दिया है. वहीं, दूसरी ओर कुछ का यह भी कहना है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी सेंसरशिप लागू करने में शामिल हैं. विपक्षी कार्यकर्ताओं, समूहों और मीडिया घरानों का दावा है कि इंस्टाग्राम ने कुछ हैशटैग, वीडियो और पोस्ट को अपने प्लेटफॉर्म से हटा दिया है.
ईरानी मूल की ब्रिटिश अभिनेत्री और एक्टिविस्ट नाजनीन बोनिआदी ने ट्वीट कर पूछा कि फेसबुक की मूल कंपनी मेटा जो इंस्टाग्राम भी चलाती है, ने विरोध से जुड़े कई सारे पोस्ट क्यों हटा दिए?
अमेरिकी-ईरानी पत्रकार समन अरबाबी ने भी मेटा पर हाल ही में एक वीडियो हटाने का आरोप लगाया है जिसमें प्रदर्शनकारियों को ईरानी नेता की मौत की कामना करते हुए दिखाया गया है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि कंपनी प्रदर्शनकारियों के बैनर और नारों की तुलना में तानाशाहों को ज्यादा सम्मान देती है. उन्होंने यह भी कहा कि कथित तौर पर 33 लाख बार देखे गए पोस्ट को भी हटा दिया गया.
देश से निष्कासित किए गए ईरानी लोगों द्वारा चलाए जा रहे मनोटो टीवी स्टेशन और डॉक्यूमेंट्री नेटवर्क ‘1500 तस्वीर' ने भी पोस्ट हटाए जाने की सूचना दी है.
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व्रिये यूनिवर्सिटी के माइकल्सन ने डीडब्ल्यू को बताया, "मैंने इसे देखा और अनुभव भी किया है.” वे और उनके ईरानी सहयोगी इन घटनाक्रमों पर पैनी नजर बनाए हुए हैं और हटाए जा रहे पोस्ट की जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं. उन्होंने यह देखा कि सामान्य पोस्ट अपनी टाइमलाइन पर मौजूद हैं, जबकि विरोध-प्रदर्शन से जुड़े कई पोस्ट हटा दिए गए हैं.
उन्होंने आगे कहा, "यह बताना मुश्किल है कि मेटा के दिशानिर्देश कभी-कभी इतने सख्त तरीके से क्यों लागू होते हैं. मैं इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दे सकता, लेकिन यह ऐसा ही है.”
मेटा ने किसी तरह के प्रतिबंध से किया इनकार
मेटा के ऊपर लगे आरोपों पर जवाब देते हुए कंपनी के प्रवक्ता ने डीडब्ल्यू को बताया, "हम चाहते हैं कि ईरान सहित सभी जगहों पर लोगों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का एक्सेस मिले. ईरान के लोग इंस्टाग्राम जैसे ऐप्लिकेशन का इस्तेमाल अपने करीबियों से जुड़ने, जानकारी खोजने और महत्वपूर्ण घटनाओं पर अपनी राय देने के लिए करते हैं. हमें उम्मीद है कि ईरान के अधिकारी जल्द ही एक्सेस को फिर से बहाल कर देंगे. इस बीच, हमारी टीम की नजर पूरी स्थिति पर है और वह सिर्फ नियमों का पालन न करने वाले कंटेंट को हटा रही है.”
मेटा ने जर्मन पब्लिक रेडियो स्टेशन ‘बीआर' को बताया कि मनोटो टीवी पर लगाए गए प्रतिबंध स्पैम को रोकने के लिए डिजाइन किए गए थे और उन्हें हटा लिया गया था. कंपनी ने यह भी कहा कि उसने पहले से हटाए गए कुछ पोस्ट को फिर से ऑनलाइन कर दिया गया है. विरोध से जुड़ी तस्वीरें ज्यादा होने की वजह से, ‘1500 तस्वीर' पर भी स्पैम मैसेज वायरल करने का संदेह था.
मदद के लिए आगे आया स्टारलिंक
स्पेसएक्स के सीईओ इलॉन मस्क ने कहा है कि वह ईरानियों को इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराने के लिए स्टारलिंक उपग्रहों का इस्तेमाल करना चाहते हैं. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इस हकीकत को धरातल पर उतारने के लिए ईरान के पास पर्याप्त एंटीना नहीं है. सिर्फ स्मार्टफोन या राउटर की मदद से स्टारलिंक से कनेक्ट नहीं किया जा सकता.
लंदन स्थित मानवाधिकार संगठन ‘आर्टिकल 19' के महसा अलीमरदानी ने न्यूयॉर्क टाइम्स में सह-लेखक के तौर पर लिखे लेख में कहा है कि स्थिति में सुधार के लिए ईरान को ‘बिना परीक्षण वाले उपग्रह नेटवर्क' पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. लेखकों ने सुझाव दिया कि मेटा ‘स्थिति को बारीकी से समझने वाले आधुनिक संसाधनों से लैस इंजीनियरिंग टीम को तैनात करे, आने वाले समय में किसी भी तरह के नुकसान से बचने के लिए एक्टिविस्टों को बातचीत के प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराए और बातचीत के वे टूल उपलब्ध कराए जो ऐसी परिस्थितियों में काम आएं.'
उन्होंने तर्क दिया कि इन स्थितियों में ‘हटाए गए पोस्ट और ब्लॉक की एक्सेस' ‘जीवन और मौत के सवाल' बन सकते हैं.
रिपोर्ट: श्टेफानी होएपनर