बढ़ते तनाव के बीच लाल सागर में पहुंचा ईरानी युद्धपोत
२ जनवरी २०२४
ईरानी युद्धपोत अल्बोर्ज लाल सागर में पहुंच चुका है, जहां ईरान समर्थित हूथी विद्रोहियों के हमलों को रोकने के लिए अमेरिकी नेतृत्व वाले गठबंधन ने नौसैनिक बलों को तैनात किया है.
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ईरान की न्यूज एजेंसी तस्नीम ने बताया कि ईरान का युद्धपोत अल्बोर्ज लाल सागर के पानी में प्रवेश कर गया है. यह रिपोर्ट अमेरिका द्वारा हूथी विद्रोहियों की तीन नावों को डुबाने के बाद आई है, जिसमें 10 हूथी विद्रोही के मारे जाने की खबर है. ब्रिटेन ने चेतावनी दी है कि वह जलमार्ग में जहाजों पर आगे के हमलों को रोकने के लिए "सीधी कार्रवाई" करने में संकोच नहीं करेगा.
तस्नीम ने अपनी रिपोर्ट में अल्बोर्ज के मिशन के बारे में विस्तार से नहीं बताया है, लेकिन कहा है कि ईरानी युद्धपोत शिपिंग लेन को सुरक्षित करने, समुद्री डकैतों को पीछे हटाने समेत अन्य उद्देश्यों के लिए इस क्षेत्र में 2009 से है.
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क्या और बढ़ेगा तनाव
लाल सागर में ईरानी युद्धपोत की मौजूदगी से मध्य पूर्व में इस्राएल और हमास के बीच पहले से चल रहा तनाव और बढ़ जाने की आशंका है. यमन के ईरान समर्थित हूथी विद्रोही हमास के प्रति अपना समर्थन दिखाने के लिए नवंबर से जहाजों को निशाना बना रहे हैं, यह समूह अमेरिका, यूरोपीय संघ और अन्य देशों द्वारा आतंकवादी संगठन घोषित है.
लाल सागर और अदन की खाड़ी में ईरान समर्थित हूथी विद्रोहियों ने हाल के दिनों में विभिन्न मालवाहक जहाजों को निशाना बनाया है. पिछले दिनों हूथी विद्रोहियों ने प्रमुख जलमार्गों से गुजरने वाले जहाजों को ड्रोन और मिसाइलों से निशाना बनाया.
लाल सागर में हमलों ने अंतरराष्ट्रीय शिपिंग कंपनियों को जहाजों का मार्ग बदलने के लिए मजबूर कर दिया, जो आम तौर पर बाब अल-मंडब से होकर स्वेज नहर तक यात्रा करते हैं. ऐसे में उन्हें अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है, जिससे उनकी लागत बढ़ रही है.
स्वेज नहर, लाल सागर को भूमध्य सागर से जोड़ती है और इसकी वजह से यह यूरोप और एशिया के बीच सबसे छोटा मार्ग है. वैश्विक शिपिंग यातायात का लगभग 12 फीसद आमतौर पर जलमार्ग से गुजरता है. हमलों की वजह से सुदूर पूर्व से यूरोप की ओर जाने वाले जहाजों को दक्षिण अफ्रीका के केप ऑफ गुड होप के माध्यम से पूरे अफ्रीकी महाद्वीप का चक्कर लगाना पड़ रहा है.
टकराने से बचे अमेरिकी और चीनी युद्धपोत
02:37
अमेरिकी हेलीकॉप्टरों ने हूथी हमलों को नाकाम किया
रविवार को अमेरिकी हेलीकॉप्टरों ने लाल सागर में मेर्स्क कंटेनर जहाज पर हूथी विद्रोहियों के हमले को नाकाम कर दिया था. अमेरिकी नौसेना के मुताबिक इस कार्रवाई में हूथी विद्रोहियों की तीन नाव डूब गई और 10 आतंकवादी मारे गए.
यूएस सेंट्रल कमांड के मुताबिक हमलावरों ने सिंगापुर के झंडे वाले जहाज पर चढ़ने की कोशिश की थी. इस बीच डेनिश शिपिंग कंपनी ने कहा है कि वह लाल सागर के जरिए सभी यात्रा को 48 घंटों के लिए निलंबित कर रही है.
इस बीच ब्रिटेन के रक्षा मंत्री श्री ग्रांट शाप्स ने कहा कि ब्रिटेन शिपिंग पर आगे के हमलों और लाल सागर में नेविगेशन की स्वतंत्रता के खतरों को रोकने के लिए "सीधी कार्रवाई" करने में संकोच नहीं करेगा. उन्होंने कहा, "हूथी विद्रोहियों को किसी भ्रम में नहीं रहना चाहिए. हम अवैध कब्जे और हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने के लिए प्रतिबद्ध हैं."
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड कैमरन ने कहा उन्होंने अपने ईरानी समकक्ष होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन से टेलीफोन पर बात की है और कहा है कि तेहरान को लाल सागर में हूथी हमलों को रोकने में मदद करनी चाहिए.
एए/सीके (रॉयटर्स, एपी, एएफपी)
अमेरिकी नौसेना का नया युद्धपोत
अमेरिकी नौसेना का नया विमानवाहक युद्धपोत मंगलवार को अपनी पहली तैनाती पर रवाना हो गया. जिन तकनीकों के साथ इसे बनाया गया है उसे लेकर कई दिक्कतें भी हुईं लेकिन अब यह पूरी तरह सेवा के लिये तैयार है.
तस्वीर: U.S. NavyABACA/picture alliance
यूएसएस जेराल्ड आर. फोर्ड
अमेरिका के 1974 से 1977 के बीच राष्ट्रपति रहे जेराल्ड आर. फोर्ड से इस युद्धपोत को यह नाम मिला है. करीब 13 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत से तैयार युद्धपोत अटलांटिक सागर में अमेरिकी ताकत की एक नई नुमाइश होगा. फोर्ड क्लास के युद्धपोत 40 साल पहले अमेरिकी सेना में पहली बार शामिल हुए और आने वाले सालों में ये निमित्ज क्लास युद्धपोतों की जगह ले लेंगे.
तस्वीर: Jackson Adkins/ABACA/picture alliance
कितना बड़ा है युद्धपोत
1100 फीट लंबे और 101,000 टन वजनी युद्धपोत को 2017 में कमीशन किया गया था. इतना अधिक वजन होने के बावजूद यह 54 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सागर की दूरी नाप सकता है. फोर्ड क्लास के युद्धपोत दिखने में निमित्ज क्लास जैसे ही हैं लेकिन तकनीकी रूप से काफी अलग हैं.
तस्वीर: Ridge Leoni/U.S. Navy/Getty Images
कितना बड़ा है युद्धपोत
1100 फीट लंबे और 101,000 टन वजनी युद्धपोत को 2017 में कमीशन किया गया था. इतना अधिक वजन होने के बावजूद यह 54 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सागर की दूरी नाप सकता है. फोर्ड क्लास के युद्धपोत दिखने में निमित्ज क्लास जैसे ही हैं लेकिन तकनीकी रूप से काफी अलग हैं.
तस्वीर: Jonathon Gruenke/Newscom/picture alliance
नई तकनीक
विशाल और भारी वजन लेकर चलने में सक्षम युद्धपोत तकनीकी रूप से ऐसा है कि इसके संचालन के लिए दूसरे युद्धपोतों की तुलना में काफी कम लोगों की जरूरत पड़ती है. इसके साथ ही इस पर वो हथियार भी तैनात किये जा सकते हैं जिन्हें अभी विकसित किया जा रहा है.
युद्धक अभियानों के लिये युद्धपोत के परीक्षण के समय इसके ड्रोन के हमलों से बचाने वाले तंत्र को भी परखा गया. इस दौरान इसने बड़ी चतुराई से ना सिर्फ ड्रोन के हमलों को बेकार किया बल्कि ड्रोन को खत्म करने में भी सफल रहा.
तस्वीर: U.S. Navy/ZUMAPRESS/picture alliance
विमानों का तेजी से उड़ना, उतरना
नये युद्धपोत में विमानों को तेजी से उड़ाने और उतारने के लिए एक नई तकनीक इस्तेमाल की गई है. इसे लेकर कुछ दिक्कतें भी हुईं. इसी साल फरवरी में 211 विमानों को उड़ा और उतार कर इसका परीक्षण किया गया. अमेरिकी संसद में पेश एक रिपोर्ट के मुताबिक इसे लेकर कुछ दिक्कतें अब भी हैं.
तस्वीर: Zachary Melvin/ABACA/picture alliance
हथियार लोड करने की दिक्कत
जहाज की मैगजीन से डेक तक हथियारों को लाने वाली लिफ्ट के सिस्टम में भी कुछ दिक्कतों की बात कही गई थी. डेक पर लाने के बाद इन्हें विमानों में लोड किया जाता है. अमेरिकी संसद की रिपोर्ट में इसकी वजह से युद्धपोत को सेवा में उतारने में देरी की बात कही गई. हालांकि बाद की एक रिपोर्ट में कहा गया कि इसने परीक्षणों को पास कर लिया है.
गवर्नमेंट अकाउंटिबिलिटी ऑफिस की रिपोर्ट में कहा गया है कि युद्धपोत के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम और एडवांस्ड अरेस्टिंग गियर में अब भी कुछ दिक्कतें हैं. ये दोनों सिस्टम विमान को उड़ाने और उतारने में मदद करते हैं. अमेरिकी नौसेना का कहना है कि इस पर भरोसा हासिल करने में अभी कुछ साल लगेंगे.
तस्वीर: Jackson Adkins/U.S. Navy/ZUMAPRESS/picture alliance
पहला अभियान
अमेरिकी नौसेना के अनुसार फिलहाल इसे 9000 सैन्यकर्मियों, 20 जहाजों और 9 देशों के 60 विमानों के साथ तैनात किया गया है. इस तैनाती के दौरान यूएसएस गेराल्ड आर. फोर्ड जर्मनी, कनाडा और फ्रांस के साथ मिल कर काम करेगा. इसमें एयर डिफेंस, एंटी सबमरीन और पानी तथा जमीन पर अभियान के लिए ट्रेनिंग शामिल है.