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समाजईरान

ईरान में सोशल मीडिया बना प्रदर्शनकारियों का हथियार

शबनम फॉन हाइन
१८ नवम्बर २०२२

सरकार के खिलाफ चल रहे विरोध-प्रदर्शनों को खत्म करने के लिए ईरानी अधिकारी तमाम हथकंडे अपना रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर प्रदर्शनकारी सोशल मीडिया को अपना हथियार बनाकर प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं.

तस्वीर: UGC

ईरान में इस तरह की चेतावनियां बढ़ रही हैं जिसमें कहा जा रहा है कि अधिकारी बड़े प्रदर्शनों को रोकने के लिए इंटरनेट के सामान्य इस्तेमाल पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा सकते हैं. दरअसल, तीन साल पहले नवंबर 2019 में ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर ईरान में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन हुए थे.

ईरान में पुलिस और प्रदर्शनकारी दोनों का हथियार बनी है तकनीक

देश के करीब 100 से ज्यादा शहरों में हुए प्रदर्शन के दौरान सैकड़ों लोग मारे गए थे. ईरानी प्रदर्शनकारियों ने इसे ‘खूनी नवंबर' बताया था. इस घटना के खिलाफ विरोध जताने के लिए कई ऑनलाइन प्लैटफॉर्म पर 15 नवंबर से लेकर 17 नवंबर तक रैलियों के आयोजन का आह्वान किया गया.

रैलियों का आह्वान करने वाले लोगों ने 2019 की तरह ही बड़े स्तर पर विरोध-प्रदर्शन करने की बात कही. मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक, उस साल दो सप्ताह से भी कम समय तक चले राष्ट्रव्यापी विरोध-प्रदर्शनों में लगभग 1500 लोग मारे गए थे. यह इस्लामी गणराज्य के इतिहास में सुरक्षा बलों द्वारा की गई सबसे खूनी कार्रवाई में से एक थी.

एक ओर ईरानी सरकार 22 वर्षीय कुर्द महिला महसा अमीनी की हिरासत में हुई मौत के बाद से जारी राष्ट्रव्यापी प्रदर्शनों को समाप्त कराने की पूरी कोशिश कर रही है. वहीं, दूसरी ओर 2019 की घटना की याद में रैलियों का आह्वान किया जा रहा है. इससे इस्लामी सरकार की मुश्किलें और बढ़ रही हैं.

ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट न्यूज एजेंसी ‘एचआरएएनए' ने कहा कि देश में सितंबर से जारी विरोध-प्रदर्शनों में अब तक 52 नाबालिगों सहित 344 लोग मारे जा चुके हैं. अनुमान के मुताबिक, 15,820 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. एजेंसी ने यह भी बताया कि इस दौरान ईरानी सुरक्षा बलों के 40 सदस्य भी मारे गए हैं.

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बना हथियार

सिर्फ प्रदर्शनकारियों को नहीं, बल्कि उनके परिवार के सभी सदस्यों को किसी भी समय सुरक्षा बलों द्वारा गिरफ्तार किए जाने का खतरा है. जेल में बंद ब्लॉगर हुसैन रोनाघी के भाई हसन रोनाघी ने बीते रविवार की शाम ट्वीट किया कि उनके भाई अस्पताल में भर्ती हैं.

उन्होंने लिखा, "हम नहीं जानते कि वह किस स्थिति में है. हमें डर है कि सुरक्षा बल उसका अपहरण कर लेंगे और उसे किसी अज्ञात स्थान पर ले जाएंगे. कृपया साथ आएं और अस्पताल के बाहर इकट्ठे हो जाएं, ताकि वे हुसैन को न ले जा सकें.”

हसन के ट्वीट के बाद ऑनलाइन प्लैटफॉर्म पर कई वीडियो जारी हुए. इन वीडियो में दिख रहा है कि अस्पताल के सामने बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे हैं और आसपास की सड़कों पर लंबा ट्रैफिक जाम लगा हुआ है. इसके बाद, सुरक्षा बलों ने कथित तौर पर हसन रोनाघी को गिरफ्तार करने की कोशिश की. हालांकि, उन्होंने बाद में ट्वीट किया कि वह सुरक्षित स्थान पर छिप गए हैं.

लंदन स्थित मानवाधिकार संगठन ‘आर्टिकल 19' के महसा अलीमरदानी ने कहा, "यह मामला दिखाता है कि सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर एक अपील करने से लोग कितनी जल्दी इकट्ठा हो सकते हैं.” फिलहाल, अलीमरदानी ईरान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और ऑनलाइन सूचना तक पहुंच पर शोध कर रहे हैं.

ईरान की कुख्यात एविन जेल का अंदरूनी नजारा

पिछले कई विरोध-प्रदर्शनों के दौरान सरकार ने इंटरनेट के इस्तेमाल पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी थी, ताकि लोग एक-दूसरे से संपर्क न कर सकें. ऐसा माना जाता है कि ईरानी अधिकारियों के पास ऐसे तकनीकी साधन हैं जिनकी मदद से इंटरनेट बंद किए बिना भी वे प्रदर्शनकारियों के संचार माध्यमों को बाधित कर सकते हैं.

अलीमरदानी ने डीडब्ल्यू से कहा, "इस बार के विरोध-प्रदर्शन पहले से अलग हैं. 50 दिनों से अधिक समय से हमें ईरान की सड़कों, स्कूलों, विश्वविद्यालयों के साथ-साथ अलग-अलग जगहों पर होने वाले विरोध की तस्वीरें और वीडियो मिल रहे हैं. इस बार लोग डरे हुए नहीं हैं. वे खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. ज्यादा से ज्यादा महिलाएं बिना हेडस्कार्फ पहने प्रदर्शन में शामिल हो रही हैं.”

सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक विरोध

प्रदर्शनकारियों की आवाज को दुनिया के अलग-अलग हिस्सों तक पहुंचाने में सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म काफी कारगर साबित होते हैं. इनकी मदद से अलग-अलग देशों में मौजूद लोग भी प्रदर्शन की तस्वीरें और वीडियो देख पाते हैं और उनसे जुड़ पाते हैं.

महसा अमीनी की मौत के बाद दुनिया भर में आक्रोशतस्वीर: Ali Eshtyagh/DW

उदाहरण के लिए, ईरान की लोकप्रिय अभिनेत्री तरानेह अलीदूस्ती ने पिछले सप्ताह अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर बिना हेडस्कार्फ की अपनी तस्वीर पोस्ट की. इस प्लैटफॉर्म पर उनके करीब 80 लाख फॉलोअर हैं.

इस तस्वीर के जरिए प्रदर्शनकारियों का समर्थन करते हुए उन्होंने लिखा, "महिला. जिंदगी. आजादी.” इसके दो दिन बाद उन्होंने फिर से बिना हेडस्कार्फ वाली अपनी एक और तस्वीर पोस्ट की. हालांकि, यह तस्वीर उनके घर की नहीं, बल्कि किताब की एक दुकान की थी जहां वह अपनी बेटी के साथ गई थीं. कई अन्य अभिनेत्रियां भी उनके नक्शे कदम पर चल रही हैं.

ईरान में सोशल मीडिया पर शुरू हुआ विरोध सड़कों पर भी दिख रहा है. महिलाएं बिना हेडस्कार्फ के खुले आम घूम रही हैं.

क्रूरता से विरोध-प्रदर्शन खत्म कराने की कोशिश

मानवाधिकार समूहों के अनुसार, सुरक्षा बलों ने क्रूरता से बल प्रयोग करके विरोध-प्रदर्शनों को खत्म करने की कोशिश की है. इसकी वजह से अब तक कई नाबालिगों सहित सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है.

आगजनी करने और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने का आरोप लगाकर एक प्रदर्शनकारी को 13 नवंबर को मौत की सजा सुनाई गई. ईरानी न्यायिक अधिकारियों ने रविवार को कहा कि पांच अन्य को 5 से 10 साल की कैद की सजा सुनाई गई है.

सरकारी प्रतिबंधों और सुरक्षा बलों की क्रूर कार्रवाई के बावजूद देश के कुछ हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन जारी है, खासकर पश्चिमी ईरान के कुर्दिस्तान प्रांत में. पत्रकार केवे घोरेशी ने डीडब्ल्यू को बताया, "लोग अपनी इच्छा से इन प्रदर्शनों और हड़ताल में शामिल हो रहे हैं. सिर्फ कारोबारी ही अपनी दुकान बंद नहीं कर रहे हैं, बल्कि कई जगहों पर छात्र और कर्मचारी भी स्कूल और कार्यालय नहीं जा रहे हैं.”

महसा अमीनी के लिए शोक मनाते लोगों पर सुरक्षा बलों ने चलाई गोलियां

उन्होंने आगे कहा, "कुर्दिस्तान में विरोध और संघर्ष की अपनी ऐतिहासिक संस्कृति है जो पिछले दशकों में बढ़ी है. कुर्द के लोगों ने अपने खिलाफ होने वाले अत्याचार और उत्पीड़न का हमेशा विरोध किया है, चाहे बात 1979 की इस्लामी क्रांति के समय की हो या मौजूदा समय की. यह एक जिंदा कौम है.”

कुर्दिस्तान में आम जनता के प्रदर्शन और सुरक्षा बलों के हमले की तस्वीरें और वीडियो ऑनलाइन प्लैटफॉर्म पर तेजी से फैल रहे हैं. कार्यकर्ताओं का कहना है कि इन तस्वीरों और वीडियो ने राष्ट्रव्यापी विरोध-प्रदर्शन के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया है.

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