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ईरान में सुधारवादी मसूद पेजेश्कियान होंगे अगले राष्ट्रपति

६ जुलाई २०२४

ईरान के सुधारवादी नेता मसूद पेजेश्कियान ने राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है. उन्होंने कट्टर रूढ़िवादी नेता सईद जलीली को हराया. पिछले राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलिकॉप्टर हादसे में मौत के बाद ईरान में चुनाव कराए गए थे.

Iran | Wahlen Masoud Pezeshkian
सुधारवादी नेता मसूद पेजेश्कियान ने ईरान का राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया हैतस्वीर: Atta Kenare/AFP/Getty Images

ईरान के राष्ट्रपति चुनाव में सुधारवादी नेता मसूद पेजेश्कियान जीत गए हैं. उन्होंने कट्टर रूढ़िवादी नेता सईद जलीली को हराया है. चुनाव में करीब 3 करोड़ लोगों ने मतदान किया. पेजेश्कियान को 1.6 करोड़ से ज्यादा वोट मिले जबकि जलीली ने 1.3 करोड़ से ज्यादा वोट हासिल किए. आधिकारिक आंकड़ों में मतदान प्रतिशत 49.8 फीसदी रहा. 6 लाख से ज्यादा वोट रद्द भी किए गए.

पेजेश्कियान ने इस चुनाव को ईरानी अवाम के साथ 'साझेदारी' की शुरुआत बताया. जीत के बाद उन्होंने 'एक्स' पर लिखा, "आपके साथ, सहानुभूति और विश्वास के बिना आगे की मुश्किल राह आसान नहीं होगी." इससे पहले मंगलवार को उन्होंने कहा था कि अगर वह जीतते हैं, तो वह सब की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाएंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर पेजेश्कियान को जीत की बधाई दी है. पीएम मोदी ने लिखा कि वह लोगों और क्षेत्र के फायदे के लिए द्विपक्षीय संबंध मजबूत करने और मिलकर काम करने के लिए तत्पर हैं.

ईरान के पिछले कट्टर रूढ़िवादी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी का मई में हेलिकॉप्टर हादसे में निधन हो गया था. इसके बाद चुनाव कराए गए. 28 जून को पहले चरण की वोटिंग में सिर्फ 40 फीसदी मतदान हुआ. यह अब तक का सबसे कम वोटिंग प्रतिशत था.

कम मतदान ने दिए संदेश

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातोल्लाह अली खमेनेई ने लोगों से बढ़-चढ़कर मतदान करने की अपील की थी. उन्होंने पहले चरण में कम मतदान की बात स्वीकार की थी, लेकिन यह भी कहा था कि कम वोटिंग 'सिस्टम के खिलाफ' नहीं थी.

ईरान के सर्वोच्च नेता खमेनेई ने कम मतदान की बात स्वीकारी, लेकिन इससे सत्ता के खिलाफ नहीं मानातस्वीर: Atta Kenare/AFP/Getty Images

लोगों में सत्ता और चुनावी प्रक्रिया के प्रति खासी नाराजगी दिखी. वोटिंग प्रतिशत में तो यह जाहिर हुआ ही. एक्स पर ईरानी हैशटैग 'देशद्रोही अल्पसंख्यक' वायरल हुआ, जिसके साथ लोगों से चुनाव में किसी भी उम्मीदवार के लिए वोट ना करने की अपील की गई. संदेश दिया जा रहा था कि वोट देने वाले को देशद्रोही माना जाएगा.

जून में हुए मतदान में पेजेश्कियान ने 42 फीसदी वोट हासिल किए थे और जलीली को 39 फीसदी वोट मिले थे. ईरान के 6.1 करोड़ मतदाताओं में से सिर्फ 40 फीसदी ने ही मतदान किया था. यह ईरान में 1979 की क्रांति के बाद से किसी राष्ट्रपति चुनाव में सबसे कम वोटिंग प्रतिशत था.

यह चुनाव गजा में जारी हिंसा के दौर में हुआ, जिसकी वजह से इलाके में तनाव बढ़ा हुआ है. परमाणु कार्यक्रम को लेकर ईरान की पश्चिम के साथ तनातनी भी बड़ा मसला है. वहीं तमाम प्रतिबंधों की वजह से ईरान की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल है, जिससे ईरानी खासे निराश और नाराज हैं.

माना जा रहा है कि पहले चरण में पेजेश्कियान को बढ़त मिलने से लोगों ने दूसरे चरण में अधिक मतदान कियातस्वीर: Rouzbeh Fouladi/ZUMA Press Wire/picture alliance

कौन हैं पेजेश्कियान

69 साल के पेजेश्कियान पेशे से हार्ट सर्जन हैं. वह पश्चिमी देशों के साथ 'रचनात्मक संबंधों' की अपील करते हैं. वह परमाणु संधि को दोबारा शुरू करने के पक्ष में हैं, ताकि ईरान को अलग-थलग वाले हालात से बाहर निकाला जा सके. पेजेश्कियान ईरान में 'मोरल पुलिसिंग' के आलोचक रहे हैं. उनका यही रुख उन्हें लोगों के करीब ले गया.

पेजेश्कियान और उनकी उम्मीदवारी को व्यापक चर्चा में आए ज्यादा समय नहीं हुआ है. उनकी उम्मीदवारी ने ईरान में रूढ़िवादी और कट्टर रूढ़िवादी खेमे के दशकों लंबे प्रभुत्व के बाद देश के सुधारवादियों की उम्मीद बढ़ा दी है. ईरान का मुख्य सुधारवादी गठबंधन पेजेश्कियान के समर्थन में है. नरम माने जाने वाले पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद खातमी और हसन रोहानी उनका समर्थन कर रहे थे.

राष्ट्रपति पद के दोनों प्रमुख उम्मीदवारों ने टीवी पर दो डिबेट भी कीं, जिनमें ईरान के तमाम मसलों पर बहस हुईतस्वीर: Morteza Nikoubazl/NurPhoto/picture alliance

ईरान के मुद्दे

58 साल के जलीली ईरान की परमाणु संधि के वार्ताकार रहे हैं, उनका पश्चिम-विरोधी रुझान जगजाहिर है. अपने चुनावी अभियान में उन्होंने रूढ़िवादी समर्थकों को लामबंद किया और रूढ़िवादी हस्तियों का समर्थन जुटाया. ईरान में माना जा रहा था कि अगर जलीली जीतते हैं, तो ईरान का पश्चिम के साथ टकराव बढ़ जाएगा.

पहले चरण की वोटिंग के बाद दोनों उम्मीदवारों के बीच टीवी पर दो डिबेट भी हुईं. इन डिबेट में दोनों ने कम मतदान, ईरानी की आर्थिक स्थिति, अंतरराष्ट्रीय संबंध और इंटरनेट पर पाबंदी जैसे मुद्दों पर बहस की.

महसा अमीनी के मुद्दे पर विदेशों में रहने वाले ईरानियों ने भी प्रदर्शन किए थेतस्वीर: Sachelle Babbar/ZUMA/picture alliance

पेजेश्कियान ने वादा किया है कि वह इंटरनेट पर लंबे समय से चले आ रहे प्रतिबंध घटाएंगे और महिलाओं के लिए अनिवार्य हिजाब लागू कराने वाली पुलिस का विरोध करेंगे. 2022 में पुलिस हिरासत में महसा अमीनी की मौत के बाद से यह ईरान में बड़ा मुद्दा है. 22 साल की कुर्द-ईरानी अमीनी को ड्रेस कोड के उल्लंघन में हिरासत में लिया गया था, जहां उसकी मौत हो गई थी. फिर पूरे ईरान में कई महीनों तक अशांति फैली रही थी.

वीएस/एनआर (एजेंसियां)

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