इराक ने दो ऐसे टीवी कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगा दिया है जिनमें जानी-मानी हस्तियां आतंकवादियों का भेष धरकर लोगों के साथ मजाक करती थीं.
तस्वीर: Colourbox
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इराक में अधिकारियों ने दो टीवी शो 'टोनीज बुलेट' और 'रसलान्स शूटिंग' को बंद कर दिया है. बीबीसी के मुताबिक अधिकारियों ने कहा है कि ये टीवी शो प्रसारण के नियमों का उल्लंघन कर रहे थे. रसलान्स शूटिंग के एक एपिसोड में एक एक्टर तब डर से बेहोश हो गई जब उसके शरीर पर नकली विस्फोटकों से भरी बेल्ट बांधी गई. एक अन्य एपिसोड में इराक के एक अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी अल महावी को आंखों पर पट्टी बांधे अपनी जान की भीख मांगते दिखाया गया था.
बहुत से दर्शकों ने इन कार्यक्रमों को क्रूर बताया था. देश में अब भी आतंकी हिंसा का खतरा बना रहता है. एएफपी के मुताबिक इन आलोचनाओं का जवाब देते हुए शो के लेखक दरगम अबु रगीफ ने कहा था, "ये दृश्य कठोर हैं लेकिन आईएस (इस्लामिक स्टेट) जीत गया होता तो कलाकारों की जिंदगी इससे कहीं ज्यादा कठिन होती."
अरब जगत में इस तरह के प्रैंक शो काफी लोकप्रिय हैं लेकिन उनकी आलोचना भी होती रहती है. मिस्र में ऐसे ही एक शो को खासी आलोचना झेलनी पड़ी थी. रमेज गलाल के इस शो में हस्तियों को यकीन दिलाया गया कि वे एक डूबते जहाज पर हैं और शार्क उनकी ओर बढ़ रही हैं. इससे पहले 2013 में 'रमेज, द फॉक्स ऑफ द डेजर्ट' में मेहमान हस्तियों को एक बस में ले जाया गया और उस बस को आतंकवादियों द्वारा अगवा करने का नाटक रचा गया था.
इस तरह के शो उत्तरी अफ्रीका के कई देशों में पिछले कई साल से दिखाए जा रहे हैं. 2017 में एक अल्जीरियाई शो में एक मशहूर वामपंथी उपन्यासकार को ‘नास्तिक और जासूस' होने के आरोप में गिरफ्तारी का नाटक रचा गया. 75 साल के रशीद बुजेरा को नकली पुलिसवालों ने गिरफ्तार करने का नाटक किया और उनसे अल्लाह हू अकबर के नारे लगवाए. 'वी गॉट यू' नाम के इस कार्यक्रम की खासी आलोचना हुई थी और बाद में उसे बंद कर दिया गया था.
क्या कर रही हैं पेरिस की सड़कों पर इतनी सारी बिल्लियां
कलाकृतियां संग्रहालयों में बंद कर दिए जाने से उकता गई हैं. यह कहना है बेल्जियम के कलाकार फिलिप्पे गेलुश का. इसीलिए उन्होंने बिल्लियों की 20 मूर्तियों को पेरिस की नामी सड़क शौन्जे लीजे पर लगा दिया. देखिए क्या नजारा है.
तस्वीर: Lisa Louis/DW
बिल्ली से सीखिए अदा
फिलिप्पे गेलुश कहते हैं कि यह बिल्ली वो खुद हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "बस ये थोड़ी गोलमटोल है...यह खुद को एक पंख जैसा हलका महसूस करती होगी, लेकिन इसका वजन एक टन है." गेलुश कहते हैं कि इस मूर्ति को बनाने में उन्हें काफी मुश्किल हुई. उन्होंने बताया, "मैं अमूमन बिल्लियों की मूर्तियों के निचले हिस्से को कोट के नीचे छिपा देता हूं, लेकिन इसके पैरों को काफी तराशना पड़ा.
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हमेशा बारिश में, हर बेल्जियन की तरह
गेलुश कहते हैं कि यह मूर्ति साक्षात बेल्जियम ही है. वो समझाते हैं, "बेल्जियम में हमारे पास सब कुछ है: अच्छा मौसम, पर्याप्त संसाधन और एक समृद्ध धरोहर. फिर भी हम आपस में लड़ने पर बहुत ज्यादा ऊर्जा खर्च करते हैं." यह ऐसा ही है जैसे किसी के पास कई छतरियां होने के बावजूद वो बारिश से बच ना पाए, क्योंकि वो बारिश उसकी खुद की बनाई हुई है.
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बिल्ली का बदला
गेलुश चाहते हैं कि बिल्लियों के खिलाफ सड़क पर हिंसा का अंत होना चाहिए. इस कलाकृति को दिखा कर वो विनोद भाव से कहते हैं, "यह कभी कभार ही होता है कि एक गाड़ी एक बिल्ली के नीचे आ जाए. बीते कुछ समय में, हर तरह की कई गाड़ियां बिल्लियों के नीचे आ गई हैं."
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'कैटलस'
यूनानी पौराणिक कथाओं में, ऐटलस को पूरी दुनिया का भार अपने कंधों पर लेना पड़ा था. गेलुश की इस बिल्ली को प्लास्टिक कचरे से भरी हमारी इस दुनिया का बोझ उठाना पड़ रहा है. जून से यह मूर्तियां फ्रांस के दूसरे शहरों में ले जाए जाएंगी और उसके बाद ये इटली, स्विट्जरलैंड और लक्जेमबर्ग का दौरा भी करेंगी. 2024 में ये बेल्जियम में अपने गंतव्य पर पहुंचेगी, जहां गेलुश बिल्लियों के लिए एक संग्रहालय बना रहे हैं.
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जो जीता वही सिकंदर
हर बिल्ली सिकंदर हो सकती है. गेलुश की गोलमटोल बिल्लियां भी. लेकिन सवाल हमेशा यही रहता है - आपका मुकाबला किससे है? इस प्रदर्शनी के लिए गेलुश ने खुद पैसों का इंतजाम किया, अपनी मूर्तियों को पहले से ही सस्ते दाम पर बेच कर. वो बताते हैं, "हर मूर्ति का दाम 3,00,000 यूरो है, मतलब सिर्फ 300 यूरो प्रति किलो!" 16 मूर्तियां पहले ही बिक चुकी हैं. चार को खरीदारों का इंतजार है.
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वजन उठाना
अपना वजन कम करने के लिए कई लोग कई तरह के खेल खेलते हैं. लेकिन यह बिल्ली अपना वजन कम कर ही नहीं पा रही है. कम से कम इसे एक प्रतिष्ठित जगह पर वजन उठाने और कसरत करने का मौका तो मिल रहा है. इन मूर्तियों को बनाने में गेलुश को दो साल लग गए.
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इस डॉक्टर से बच के
यह बिल्ली कहीं आपको मूर्ख ना बना दे! यह डॉक्टर बनी हुई है और इसे देख कर लगता है कि यह छोटे पंछियों की भी परवाह करती होगी. गेलुश कहते हैं, "उसके पीछे देखिये, वहां उसने एक फोर्क पकड़ा हुआ है! वो उस छोटी चिड़िया की देखभाल इसी लिए कर रही है ताकि वो बाद में उसे खा सके. यह बिल्ली हम इंसानों की तरह ही तो है - पहले हम एक काम करते हैं और बाद में ठीक उसका उल्टा."
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सिर्फ मियाऊं तक सीमित नहीं
गेलुश कहते हैं कि यह बिल्ली उनकी सबसे पसंदीदा है. "मूर्तिकार अगस्ते रॉडिन ने आसान काम किया; उन्होंने सिर्फ 'द थिंकर' की मूर्ति बनाई. मैंने एक ऐसी मूर्ति बनाई है जो बोल भी सकती है." बातचीत के बुलबुले एक तरह से इस बिल्ली को आवाज देते हैं.
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कलाकारों को श्रद्धांजलि
इस मूर्ति की गेलुश की प्रदर्शनी में एक बड़ी भूमिका है. 2015 में एक आतंकी हमले में मारे गए शार्ली एब्दो पत्रिका के कार्टून बनाने वालों को याद करते हुए वो कहते हैं, "मैं अपने दोस्तों और सहयोगियों को श्रद्धांजलि देना चाह रहा था. हम आज भी उन्हें याद करके रो रहे हैं." बिल्ली के शरीर में भोंकि हुई पेंसिलों पर बैठे हुए पंछी विपत्तियों के बावजूद आज भी चहचहा रहे हैं.
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बिल्लियों से आगे
गेलुश के विनोदपूर्ण बिल्लियों के पुतलों ने उन्हें पूरी दुनिया में मशहूर कर दिया है. पिछले 30 सालों में उनकी कॉमिक एल्बमों की 1.4 करोड़ प्रतियां बिक चुकी हैं. यह तस्वीर पेरिस के हुबर्ट और ब्राइन संग्रहालय की है जहां उनके कार्टूनों की एक प्रदर्शनी लगी हुई है. - फिलिप्पे गेलुश