पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा की घटनाओं को देख कर सवाल उठाया है कि क्या राज्य में एक समुदाय का सफाया किया जा रहा है. अदालत ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 11 अगस्त तक जवाब मांगा है.
विज्ञापन
नूंह में 31 जुलाई को हुई हिंसाके बाद की गई कार्रवाई में कई इमारतों को तोड़ने के प्रशासन द्वारा चलाए गए अभियान का पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने सोमवार को खुद संज्ञान ले लिया था. कार्रवाई पर रोक लगते हुए अदालत ने राज्य सरकार से कई कड़े सवाल पूछे और जवाब तालाब किया.
इसी क्रम में अदालत ने कहा कि उसके संज्ञान में लाया गया है कि बिना किसी आदेश और नोटिस के 'लॉ एंड आर्डर' का बहाना बना कर बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किये इमारतों को तोड़ा जा रहा है.
अदालत ने उठाया गंभीर सवाल
अदालत ने आगे कहा कि सवाल यह भी उठता है कि क्या एक विशेष समुदाय की इमारतों को ही गिराया जा रहा है और क्या ऐसा कर सरकार ही 'एथनिक क्लेंसिंग'यानी एक समुदाय का सफाया करने का काम कर रही है.
अदालत ने कुछ मीडिया रिपोर्टों के हवाले से यह भी कहा कि राज्य के गृह मंत्री ने कहा है कि बुलडोजर "इलाज" का हिस्सा हैं क्योंकि सरकार सांप्रदायिक हिंसा की जांच कर रही है. इसके बाद अदालत ने इमारतों को गिराने पर रोक लगा दी और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दिया.
अदालत ने सरकार से यह जानकारी मांगी कि नूंह और गुरुग्राम में पिछले दो हफ्तों में कितने इमारतें गिराई गई हैं और क्या इमारतें गिराने से पहले कोई नोटिस दिया गया था. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक नूंह में अभी तक 750 से भी ज्यादा इमारतोंको गिरा दिया गया है.
गुजरात के मुस्लिम मछुआरे मांग रहे हैं इच्छा मृत्यु
02:52
अकेले रविवार छह अगस्त को ही 94 घरों और 212 अन्य ढांचों को गिरा दिया गया. प्रशासन ने इस कार्रवाई का आधिकारिक कारण अवैध निर्माण बताया था लेकिन साथ ही इसे नूंह हिंसा से जुड़ा हुआभी बताया था.
एसडीएम अश्वनी कुमार ने पत्रकारों को बताया कि यह अवैध निर्माण थे और इनके मालिकों को पहले से नोटिस दिए जा चुके थे. लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इनमें से कुछ अवैध इमारतों के मालिक 31 जुलाई की हिंसा में भी शामिल थे इसलिए इन इमारतों को तोड़ा गया.
रविवार को नूंह पुलिस ने शहर में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों के खिलाफ भी कार्रवाई की. पुलिस का कहना था कि कई रोहिंग्या शरणार्थी भी 31 जुलाई की हिंसामें शामिल पाए गए थे. उनमें से कई शरणार्थियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और उनकी झुग्गियों को तोड़ दिया.
विज्ञापन
राज्य में हिंसा जारी
इस बीच राज्य में अभी भी हिंसक घटनाएं जारी हैं. सोमवार सात अगस्त को गुरुग्राम के खांडसा गांव में कुछ अज्ञात लोगों ने एक मजार को आग लगा दी. मजार की देखरेख करने वाले व्यक्ति ने बताया कि आग रात को लगाई गई, जब वहां कोई नहीं था.
बाद में स्थानीय लोगों की मदद से आग पर काबू पा लिया गया लेकिन चढ़ावा और प्रार्थना का सारा सामान जल गया. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक रविवार को भी एक हिंसक वारदातहुई थी, जिसकी खबर सोमवार को मिली.
गुरुग्राम के सेक्टर नौ में रहने वाले इश्तिकार अहमद के घर पर मोटरसाइकिल सवार कुछ अज्ञात लोगों ने पत्थर फेंके और तोड़ फोड़ की. घटना में किसी को चोट लगने की कोई खबर नहीं है.
भारत में लगातार हो रही है सांप्रदायिक हिंसा
2020 के दिल्ली दंगों के बाद भी भारत के कई राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा देखने को मिली है. गुजरात से लेकर त्रिपुरा तक और दिल्ली से लेकर कर्नाटक तक, जानिये कहां कहां भड़की हिंसा.
तस्वीर: IANS
बेंगलुरु, 2020
अगस्त 2020 में एक फेसबुक पोस्ट को लेकर दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी. हिंसा में पुलिस स्टेशन भी जला दिए गए थे और पुलिस की फायरिंग में तीन लोग मारे गए थे. 200 से भी ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
तस्वीर: AFP/M. Kiran
त्रिपुरा, 2021
अक्टूबर 2021 में बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान हुई हिंसा के विरोध में विश्व हिंदू परिषद ने त्रिपुरा में कई जगह रैलियां निकालीं, जिनके दौरान कई मुस्लिमों के घर और दुकानें जला दी गईं और चार मस्जिदों पर हमला किया गया.
तस्वीर: Panna Ghosh/AP Photo/picture alliance
कर्नाटक, 2021
कर्नाटक के कई इलाकों में 2021 में चर्चों, पादरियों और आम ईसाईयों पर हमले किये गए. एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरे साल में कर्नाटक में इस तरह के हमलों के कम से कम 30 मामले सामने आये. कई अन्य राज्यों को मिला कर इस तरह के 300 से ज्यादा मामले दर्ज किये गए.
तस्वीर: Altaf Qadri/AP/picture alliance
कर्नाटक, 2022
फरवरी, 2022 में कर्नाटक में कॉलेजों में मुस्लिम छात्राओं की हिजाब पहनने की आजादी को लेकर विवाद खड़ा हो गया था, जिसे लेकर कई महीनों तक राज्य में तनाव बना रहा. कई स्थानों पर सांप्रदायिक हिंसा भी हुई.
तस्वीर: DW
कई राज्य, 2022
अप्रैल 2022 में रामनवमी पर निकाली गई यात्राओं के बीच गुजरात, मध्य प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान और कर्नाटक में हिंसक झड़पें हुईं, जिनमें कई लोग घायल हो गए. गुजरात में हिंसा के दौरान एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई. दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रामनवमी पर मांसाहारी भोजन खिलाए जाने को लेकर छात्र परिषद्व और एबीवीपी के बीच हिंसक झड़प हो गई जिसमें 16 छात्र घायल हो गए.
तस्वीर: PRABHAKAR/DW
अयोध्या, 2022
अयोध्या पुलिस ने बताया कि 11 लोगों ने मिल कर शहर में सांप्रदायिक तनाव बनाने के लिए शहर की कई मस्जिदों में आपत्तिजनक पोस्टर, सूअर का मांस और कुरान के फटे हुए पन्ने डाल दिए थे. पुलिस ने इस मामले में सात लोगों को गिरफ्तार भी किया था.
तस्वीर: Narinder Nanu/AFP/Getty Images
दिल्ली, 2022
दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में अप्रैल 2022 में ही हनुमान जयंती पर निकाली गई एक यात्रा के दौरान हुई झड़प ने सांप्रदायिक हिंसा का रूप ले लिया. हिंसा में पुलिसकर्मियों समेत कई लोग घायल हो गए.
तस्वीर: Amarjeet Kumar Singh/AA/picture alliance
पैगम्बर पर टिप्पणी विवाद, 2022
मई 2022 में भारतीय जनता पार्टी की प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद पर आयोजित एक टीवी डिबेट में हिस्सा लेते हुए पैगंबर मोहम्मद पर कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. टिप्पणी को लेकर कई हफ्तों तक देश के कई राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा हुई. कई मुस्लिम देशों ने भी शर्मा की टिप्पणी की निंदा की.
तस्वीर: Ajay Aggarwal/Hindustan Times/imago
राजस्थान, 2022
मई, 2022 में राजस्थान के जोधपुर में ईद के ठीक पहले अलग अलग झंडे लगाने को लेकर दो समुदाय के लोगों के बीच हिंसक झड़प हो गई. पथराव के बीच कुछ पुलिसकर्मी भी घायल हुए जिसके बाद इलाके में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं.
तस्वीर: ANI/REUTERS
महाराष्ट्र, 2023
फिल्म 'द केरला स्टोरी' पर छिड़े विवाद की वजह से देश में कई स्थानों पर हिंसा हुई. महाराष्ट्र के अकोला में विवाद ने दंगे का रूप ले लिया जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई घायल हो गए.
तस्वीर: Payel Samanta/DW
मणिपुर, 2023
मार्च 2023 में मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने पर विचार करने के लिए कहा था, जिसके बाद से राज्य में तनाव पैदा हो गया. अप्रैल में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसक झड़पें शुरू हो गए. जुलाई तक हिंसा में 100 से भी ज्यादा लोग मारे गए और हजारों विस्थापित हो गए.
तस्वीर: ADNAN ABIDI/REUTERS
हरियाणा, 2023
हरियाणा के नूंह में 31 जुलाई को एक धार्मिक यात्रा के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी, जो धीरे धीर सोहना, पलवल, गुरुग्राम समेत कई इलाकों तक फैल गई. कम से कम छह लोग मारे भी गए, कई दुकानों और एक मस्जिद को जला दिया गया और कई मस्जिदों पर हमले किये गए.