रूस ने एक व्यक्ति को भारत में आतंकवादी हमलों की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया है. अधिकारियों का आरोप है कि यह व्यक्ति पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी के बदले के तौर पर बड़े नेताओं पर हमले की योजना बना रहा था.
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भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी रूस की संघीय सुरक्षा सेवा (एफएसबी) द्वारा दी गई जानकारी पर अलर्ट हो गई है. भारतीय मीडिया में बताया जा रहा है कि एफएसबी ने हिरासत में लिए गए इस्लामिक स्टेट के आतंकवादी द्वारा दी गई जानकारी को भारतीय एजेंसियों के साथ साझा किया है. बताया जा रहा है कि कजाकिस्तान के नागरिक ने पूछताछ में कथित तौर पर स्वीकार किया कि उसने "भारत की सत्तारूढ़ जमात" के एक सदस्य पर हमले की योजना बनाई थी.
अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि उसे मालूम चला है कि रूस के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव, निकोलाई पेत्रुशेव ने अपने भारतीय समकक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को आईएस आतंकवादी को हिरासत में लेने के बारे में जानकारी दी है. पिछले हफ्ते डोभाल मॉस्को की यात्रा पर थे और तब ही उन्हें यह जानकारी दी गई.
मीडिया खबरों के मुताबिक भारतीय एजेंसियों के पास उस आतंकवादी की पूरी जानकारी है, जिसे एक आईएस नेता ने तुर्की में आत्मघाती हमलावर के रूप में भर्ती किया था. एजेंसी उन लोगों के बारे में भी पता लगाने की कोशिश कर रही जिन्होंने संभावित हमलावर को सामान और अन्य रूप में सहायता की हो होती, अगर वह ऐसा करने में कामयाब रहा होता.
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अल कायदा भी दे चुका है धमकी
पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी का बदला लेने के लिए भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा (एक्यूआईएस) ने पिछले दिनों दिल्ली, मुंबई, उत्तर प्रदेश और गुजरात में 'आत्मघाती बम विस्फोट' करने की धमकी दी थी. बीजेपी से निलंबित नेता नूपुर शर्मा और पार्टी से निकाले गए नवीन कुमार जिंदल के पैगंबर मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद ये धमकी दी गई थी.
एक्यूआईएस ने अपने बयान में कहा था कि वह वह "पैगंबर की गरिमा के लिए लड़ने" के लिए गुजरात, यूपी, मुंबई और दिल्ली में आत्मघाती हमला करेगा. धमकी भरे बयान में कहा गया था, "भगवा आतंकवादियों को अब दिल्ली, मुंबई, यूपी और गुजरात में अपने अंत का इंतजार करना चाहिए."
भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता रहीं नूपुर शर्मा ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद पर आयोजित एक टीवी डिबेट में हिस्सा लेते हुए पैगंबर मोहम्मद पर कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. भारत में कई मुस्लिम संगठनों ने नूपुर शर्मा के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा और कोर्ट ने नूपुर के खिलाफ दर्ज अलग-अलग मामलों को दिल्ली ट्रांसफर कर दिया. उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली हुई है.
भारत के मुसलमानों के अलावा दूसरे मुल्कों ने भी नूपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी का विरोध किया था. सबसे पहले कतर और कुवैत ने अपना विरोध दर्ज कराया था. इसके बाद सऊदी अरब, ईरान, बहरीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान की तालिबान सरकार, जॉर्डन, ओमान, मालदीव ने भी विवादित टिप्पणी की निंदा की थी. विदेशों में हो रही किरकिरी के बाद भारत सरकार ने मामले को संभालने की कोशिश में कहा था कि यह किसी भी तरह से भारत सरकार के विचार को नहीं दर्शाती है और संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा चुकी है.
नूपुर शर्मा के विवादित बयान के बाद भारत के कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे और शर्मा के समर्थक दो लोगों की अलग-अलग राज्यों में हत्या कर दी गई थी.
भारत में इन मुद्दों से खड़ा हुआ विवाद
भारत में बीते कुछ अर्से से हर रोज एक नया विवाद जन्म ले रहा है. ज्यादातर विवाद दो धर्मों के बीच होते हैं. खान-पान, पहनावा और प्रार्थना स्थल को लेकर देश के कई हिस्सों में विवाद पैदा हो चुके हैं.
तस्वीर: Anushree Fadnavis/REUTERS
कर्नाटक का हिजाब विवाद
जनवरी 2022 में कर्नाटक के उडुपी में एक कॉलेज में छह छात्राओं के हिजाब पहनकर आने से रोकने पर विवाद खड़ा हो गया था. कॉलेज प्रशासन ने लड़कियों को हिजाब पहनकर कॉलेज में आने से मना कर दिया. जिसके खिलाफ लड़कियों ने विरोध प्रदर्शन किया. मामला कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा नहीं है.
तस्वीर: Money SHARMA/AFP
मस्जिदों के लाउडस्पीकर पर मचा शोर
महाराष्ट्र में अप्रैल के महीने में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थलों में प्रार्थनाओं की आवाज को सीमा के भीतर रखने को लेकर अभियान चलाया था. उन्होंने कहा था कि अगर मस्जिदों ने ऐसा नहीं किया तो उनके समर्थक विरोध जताने के लिए मस्जिदों के बाहर हिंदू मंत्रोच्चार करेंगे. महाराष्ट्र की करीब 900 मस्जिदों ने अजान की आवाज कम करने की सहमति दी थी.
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उत्तर प्रदेश में लाउडस्पीकरों पर कार्रवाई
उत्तर प्रदेश में सभी धार्मिक स्थलों से करीब 1.29 लाख लाउडस्पीकर उतारे गए या फिर उनकी आवाज को तय मानकों के मुताबिक कम किया गया. यूपी सरकार ने 23 अप्रैल को धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने के आदेश जारी किए थे. इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश पर राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश में यह अभियान चलाया. सरकारी कार्रवाई मंदिर, मस्जिद और अन्य संस्थानों के लाउडस्पीकरों पर हुई.
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हिंसक घटनाएं
रामनवमी और हनुमान जयंती के दौरान दो समुदायों के बीच कई जगहों पर हिंसक झड़प हो गई थी. दिल्ली के जहांगीरपुरी में दो समुदायों के बीच झड़प हुई और माहौल तनावपू्र्ण हो गया. इसके अलावा मध्य प्रदेश के खरगोन, मुंबई की आरे कॉलोनी में एक धार्मिक यात्रा के दौरान दो समुदायों के लोगों के बीच हिंसा हुई. कर्नाटक के हुबली में भी एक व्हाट्सऐप संदेश को लेकर बवाल मच गया था.
तस्वीर: Charu Kartikeya/DW
बुलडोजर पर सवाल
उत्तर प्रदेश में हाल के महीने में कई मामले सामने आए जिनमें ऐसे आरोपियों के घर पर प्रशासन ने बुलडोजर चलवा दिया जिनका नाम किसी तरह के मामले में दर्ज हुआ. बुलडोजर चलाने को लेकर सवाल भी खड़े हुए और मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा. कोर्ट में यूपी सरकार ने हलफनामा देकर कहा कि नियमों के मुताबिक कार्रवाई की गई है.
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यूपी की तर्ज पर एमपी में भी बुलडोजर चला
मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी पर दंगों के बाद प्रशासन ने कई मकान और दुकानों पर बुलडोजर चलवाकर तोड़ दिया. खरगोन प्रशान ने दंगों के एक दिन बाद 12 अप्रैल को कम से 45 मकानों और दुकानों पर बुलडोजर चलाकर कार्रवाई की थी. यहां भी सवाल उठे कि बिना नोटिस के प्रशासन ने कार्रवाई क्यों की.
तस्वीर: Charu Kartikeya/DW
पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी
एक टीवी बहस के दौरान बीजेपी की प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी की जिसके बाद अरब जगत से इस पर विरोध दर्ज कराया गया. इसके बाद बीजेपी ने नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल को पार्टी से निकाल दिया और बयान से किनारा कर लिया. टिप्पणी के विरोध में कई जगहों पर हिंसक घटनाएं हुईं.
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मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी
दिसंबर 2021 में हरिद्वार में एक धर्म संसद हुई थी और इस धर्म संसद में देश के मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ बयान दिए गए. इस धर्म संसद में हिंदू राष्ट्र की स्थापना की बात कही गई और मीडिया और कोर्ट के खिलाफ भी आपत्तिजनक बयान दिए गए थे.
तस्वीर: Hindustan Times/imago images
कन्हैयालाल का कत्ल
राजस्थान के उदयपुर में 28 जून को एक दर्जी कन्हैयालाल को इस सिर्फ दो मुसलमान व्यक्तियों ने धारदार हथियार से मार डाला क्योंकि उन्होंने नूपुर शर्मा के समर्थन में व्हॉट्सऐप स्टेटस लगाया था. कन्हैयालाल इस मामले में गिरफ्तार हो चुके थे और शिकायतकर्ता और उनके बीच पुलिस ने समझौता करा लिया था, उन्होंने पुलिस से जान मारने की धमकी मिलने की शिकायत की थी. हत्या के विरोध में राजस्थान में तनाव का माहौल बन गया.