एक ब्रिटिश गैर सरकारी संस्था का कहना है कि आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट बड़ी मात्रा में उच्च गुणवत्ता वाले गोला-बारूद खुद ही तैयार कर रहा है और इसके लिए ज्यादातर बारूद तुर्की से पहुंचाया जाता है.
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कॉन्फ्लिक्ट आर्मामेंट रिसर्च (सीएआर) मोसुल में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ शुरू की जाने वाली कार्रवाई में इराकी सेना के साथ था. इस दौरान सीएआर के विशेषज्ञों को हथियारों की ऐसी छह फैक्ट्रियों का मुआयना करने का मौका मिला, जिन्हें इस्लामिक स्टेट चलाया करता था. इसके अलावा इन विशेषज्ञों ने मैदान ए जंग से भागने वाले आईएस लड़ाकों के छोड़े गए हथियारों की भी पड़ताल की है. इस दौरान सामने आने वाले तथ्यों पर सीएआर ने एक रिपोर्ट जारी की है.
तस्वीरों में जानिए, इस्लामिक स्टेट क्या बला है
इस्लामिक स्टेट है क्या बला?
इस्लामिक स्टेट दुनिया का सबसे ताकतवर आतंकवादी गुट है. यह कभी अल कायदा से टूटा हुआ एक गुट था लेकिन अब यह उससे बहुत आगे निकल गया है.
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इस्लामिक स्टेट आया कहां से?
इस्लामिक स्टेट को आईएसआईएल, आईएसआईएस और दाएश के नामों से भी जाना जाता है. चरमपंथी विचारधारा को मानने वाला यह गुट कभी अल कायदा से अलग हुआ था. इराक पर 2003 के अमेरिकी हमले के बाद उपजे हालात में इसकी नींव पड़ी और इसका नेतृत्व अबु बकर अल बगदादी करता है. आईएस का मकसद इराक, सीरिया और उससे बाहर भी एक इस्लामिक राज्य यानी खिलाफत का निर्माण करना है.
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कहां कहां से चलता है आईएस?
माना जाता है कि आईएस दुनिया के 18 देशों में सक्रिय है. इसने सीरिया और इराक के एक बड़े हिस्से पर नियंत्रण कर रखा है और सीरिया का शहर रक्का इसकी अघोषित राजधानी है. हालांकि जनवरी 2015 से आईएस ने अपने नियंत्रण वाली एक चौथाई जमीन गंवा दी है.
आईएस से कौन लड़ रहा है?
कई समूह आईएस के खिलाफ लड़ रहे हैं. अमेरिकी नेतृत्व में 50 से ज्यादा देशों का गठबंधन आईएस के ठिकानों पर हवाई हमले कर रहा है. इस गठबंधन में कई अरब देश भी हैं. रूस ने सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के समर्थन में हवाई हमले किए हैं. क्षेत्रीय स्तर पर कुर्द पेशमर्गा बल (तस्वीर में) जमीन पर आईएस के खिलाफ लड़ रहे हैं.
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आईएस को पैसा कहां से मिलता है?
आईएस की आमदनी का मुख्य जरिया तेल और गैस की बिक्री है. माना जाता है कि सीरिया के एक तिहाई तेल उत्पादन पर अब भी आईएस का ही नियंत्रण है. हालांकि अमेरिकी नेतृत्व में हो रही हवाई कार्रवाई में आईएस के मूल्यवान ठिकानों को निशाना बनाया जा रहा है. इसकी आमदनी के अन्य स्रोतों में टैक्स से मिलने वाली रकम, फिरौती और लूटी हुई बहुमूल्य वस्तुएं शामिल हैं.
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कहां कहां हमले किए?
आईएस ने दुनिया भर में होने वाले कई आंतकवादी हमलों की जिम्मेदारी ली है. इस साल सबसे घातक हमला इराक की राजधानी बगदाद में हुआ जिसमें 200 से ज्यादा लोग मारे गए और बहुत से घायल हो गए. आईएस नेता अकेले स्तर पर धमाके करने वाले लोगों को बढ़ावा देते हैं, जिसमें आईएस के समर्थक गुट की मदद के बिना ही हमलों को अंजाम देते हैं.
आईएस और हथकंडे क्या हैं?
आईएस अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए कई हथकंडे इस्तेमाल करता है. उसके लड़ाकों ने सीरिया और इराक में बहुत सी ऐतिहासिक कलाकृतियों को लूटा और बर्बाद किया है. इसके अलावा धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों की हजारों महिलाओं को गुलाम बनाया गया है. आईएस सोशल मीडिया को अपना प्रोपेगेंडा फैलाने और लड़ाकों की भर्ती के लिए इस्तेमाल करता है.
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कितने लोग बेघर हुए?
सीरिया में जारी संघर्ष के कारण वहां से लगभग साठ लाख लोग अन्य देशों में भागने के मजबूर हुए हैं. इनमें से बहुत से लोग पड़ोसी लेबनान, जॉर्डन और तुर्की गए हैं वहीं लाखों लोग यूरोप तक पहुंचे हैं. वहीं इराक में तीस लाख से ज्यादा लोग देश के अंदह ही विस्थापित हुए हैं.
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इस सिलसिले में सीएआर के निदेशक जेम्स बेवन ने डीडब्लूय को बताया कि आईएस अपने बनाए हथियारों को पारंपरिक तरीके से इस्तेमाल करता है. आईएस के ज्यादातर कमांडर इराकी सेना के पूर्व कमांडर हैं या वे खुफिया एजेंसियों में काम कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि आईएस के तैयार हुए मोर्टार गोले संगठन के तोपखाने की जरूरतों को पूरा कर देते हैं और इन्हें बड़ी संख्या में इस्तेमाल भी किया जाता है.
सीएआर के निदेशक का कहना है कि आईएस अपनी जरूरत के मुताबिक इन फैक्ट्रियों में हथियार तैयार करता था और इनकी गुणवत्ता अच्छी खासी होती है. रमादी, फलूजा और तिकरित के मुकाबले मोसुल में हथियारों की फैक्ट्री उत्पादन के लिहाज से बहुत बड़ी है. इसकी एक वजह यह भी है कि मोसुल इस्लामिक स्टेट का आर्थिक केंद्र रहा है.
सीएआर की रिपोर्ट के मुताबिक आईएस के पास पर्याप्त संसाधन हैं जिनके जरिए वह रासायनिक हथियारों में इस्तेमाल होने वाली सामग्री भारी मात्रा में हासिल कर सकता है. जेम्स बेवन का कहना है कि बुनियादी तौर पर हथियारों में इस्तेमाल होने वाली सामग्री उसे तुर्की से मिलती है.
देखिए, ऐसा भी है इराक
साइकिल पर इराकी लड़कियां
इराक में साइकिल क्रांति हो रही है. लड़कियां साइकिल चलाकर उन सामाजिक पाबंदियों को तोड़ रही हैं जो महिलाओं को झेलनी पड़ती हैं. अब कुछ लड़कियां इसे बदलने की कोशिश कर रही हैं.
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कानून नहीं है जो महिलाओं को साइकिल चलाने से रोकता हो, पर अच्छा नहीं मानते.
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दिसंबर में बगदाद में महिलाओं ने साइकिल रैली निकाली, तो नजरें ठहर गईं.
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इन तस्वीरों को देखकर एकबारगी यकीन ही नहीं होता कि बगदाद ऐसा भी है.
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थॉमसन रॉयटर्स के मुताबिक मिस्र के बाद सबसे खराब हालत इराकी महिलाओं की है.
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देश के कई इलाके ऐसे हैं जहां इस्लामिक स्टेट का कब्जा है, यानी औरतों पर सख्त पाबंदी.
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देश के कामगारों में महिलाओं का हिस्सा सिर्फ 14.7% है.
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इसलिए जब बगदाद में लड़कियां साइकिल रैली में के लिए आईं तो युग बदलने जैसा था.
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जाहिर है, इराक की ऐसी तस्वीरें दुनिया को कम ही दिखाई देती हैं.
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2015 में बगदाद ने टीकरा आलूश के रूप में पहली बार एक महिला को मेयर चुना था.
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अलूश की जीत ने महिलाओं के हालात सुधरने की उम्मीद जगाई थी.
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इसलिए साइकिल चलातीं लड़कियों ने मुल्क को उम्मीद भरी मुस्कुराहट दी है.
रिपोर्ट: ए गनबरी
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लेकिन यह कैसे मुमकिन है कि एक लंबे समय तक यह नेटवर्क खुफिया एजेंसियों की आंखों में धूल झोंकता रहा? इस सवाल के जवाब में जेम्स बेवन कहते हैं, "तुर्की की सरकार को इसके बारे में जानकारी है और वह पोटेशियम नाइट्रेट जैसे पदार्थों की बिक्री की व्यवस्था पर शिकंजा कसने में लगी है, जो खेती-बाड़ी में भी काम आता है. लेकिन यह हकीकत है कि आईएस के पास दक्षिणी तुर्की में इस सामग्री को हासिल करने के स्रोत हैं. इसकी एक वजह यह भी है कि आईएस के नियंत्रण वाले इलाके की दक्षिणी तुर्की से मिलने वाली सीमाओं पर निगरानी न के बराबर है.”