आईएस के लिए लड़ चुका एक भारतीय पैरिस के दो हमलावरों को जानता था. वह उनके साथ ट्रेनिंग ले चुका था.
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भारत की नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने तमिलनाडु में जिस व्यक्ति को इराक में इस्लामिक स्टेट के समर्थन में लड़ने के आरोप में पकड़ा था, एजेंसी के मुताबिक वह उन दो हमलावरों से मिला था जो पिछले साल नवंबर में पैरिस में हुए आतंकी हमले में शामिल थे. एनआईए के मुताबिक तिरुनेलवेली के रहने वाले सुबाहनी हाजा मोइदीन ने पूछताछ के दौरान बताया है कि वह पैरिस के हमलावरों अब्देलहमीद अबौद और सालाह अब्देलसलाम को जानता था.
आरोप है कि मोइदीन अप्रैल 2015 में देश से बाहर गया था और कुछ महीने इराक के मोसुल में रहा था. मोसुल इराक में इस्लामिक स्टेट का गढ़ है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक एक एनआईए अफसर ने बताया, "मोसुल में वह जिस ग्रुप के साथ था उसी में पैरिस के दोनों हमलावर भी थे. वह दोनों को उनके छद्म नामों से ही जानता था लेकिन जब उसे तस्वीरें दिखाई गईं तो उसने दोनों को पहचान लिया." पैरिस में पिछले साल नवंबर में आतंकवादियों ने एक थिएटर पर हमला करके 100 से ज्यादा लोगों को मार डाला था. एनआईए का कहना है कि मोइदीन को पैरिस हमले की कोई जानकारी नहीं थी और हमला होने से पहले ही वह भारत लौट गया था. उसे हमले के बारे में समाचारों से पता चला. पैरिस में हुए हमले के दौरान जवाबी कार्रवाई में अबौद मारा गया था. अब्देलसलाम अब भी पैरिस पुलिस की हिरासत में है. मोइदीन की दी जानकारी को भारत ने फ्रांसीसी सुरक्षा एजेंसियों से साझा कर लिया है. अब फ्रांसीसी एजेंसियां मोइदीन से पूछताछ कर सकती हैं.
तस्वीरों में देखिए: सबसे घातक आतंकवादी संगठन
सबसे घातक आतंकवादी संगठन
आतंकवाद दुनिया भर में हजारों जानें ले रहा है. आतंकी संगठनों में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ सी लगी हुई है. एक नजर सबसे खूनी आतंकवादी संगठनों पर.
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Lieman
1. बोको हराम
जी हां, इस्लामिक स्टेन नहीं, बोको हराम. यह दुनिया का सबसे घातक आतंकी संगठन है. अबु बकर शेकाऊ के इस संगठन ने अकेले 2014 में ही 6,644 लोगों की जान ली. 1,742 लोग घायल हुए. सैकड़ों लड़कियों को अगवा किया.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S.Alamba
2. इस्लामिक स्टेट
इस्लामिक स्टेट द्वारा मारे गए लोगों की संख्या भले ही बोको हराम से कम हो, लेकिन इस संगठन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा माना जा रहा है. 2015 में इस्लामिक स्टेट ने 6,073 लोगों को मारा. कुल 5,799 आतंकी हमले किये. अबु बकर बगदादी का यह संगठन यूरोप, सीरिया, इराक, तुर्की और बांग्लादेश में सक्रिय है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
3. तालिबान
अफगानिस्तान के गृह युद्ध के दौरान 1994 में तालिबान बना. इसे दुनिया का सबसे अनुभवी आतंकी संगठन कहा जाता है. 2015 में तालिबान ने 891 हमले किये, जिनमें 3,477 लोगों की जान गई. हिबातुल्लाह अखुंदजादा की अगुवाई वाला तालिबान अफगानिस्तान पर दोबारा कब्जा करना चाहता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Noorullah Shirzada
4. फुलानी उग्रवादी
इस संगठन के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी अभी भी नहीं है. खानाबदोश की तरह जगह बदलता यह संगठन नाइजीरिया में सक्रिय है. यह फुला कबीले का हथियारबंद संगठन है. ये फुलानी लोगों के जमींदारों को निशाना बनाता है. 2015 में इस उग्रवादी संगठन ने 150 से ज्यादा हमले किये और 1,129 लोगों की जान ली.
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Lieman
5. अल शबाब
बोको हराम का संबंध जहां इस्लामिक स्टेट से है, वहीं अल शबाब के तार अल कायदा से जुड़े हैं. पूर्वी अफ्रीका में सक्रिय यह आतंकी संगठन सोमालिया को इस्लामिक स्टेट बनाना चाहता है. बीते साल अल शबाब ने 496 आतंकी हमले किये और 1,021 लोगों की जान ली.
तस्वीर: A. Ohanesian
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मोइदीन को एनआईए ने एक छापे के दौरान पकड़ा था. एजेंसी के मुताबिक आईएस के आतंकवादी भारत में विदेशी टूरिस्टों और कुछ जजों पर हमला करने की योजना बना रहे थे. इस योजना का पता चलने पर जब सुरक्षा एजेंसियों ने छापेमारी की तो मोइदीन पकड़ा गया. आरोप है कि मोइदीन को आईएस के सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर हुए प्रचार ने आतंकवाद की ओर खींचा. इस प्रचार से प्रभावित होकर वह पिछले साल अप्रैल में चेन्नै से इस्तांबुल गया. वहां उसे पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए अपने जैसे लोग मिले. वे सब मिलकर इराक के उस इलाके में पहुंचे जहां आईएस का कब्जा है. मोइदीन 8 अप्रैल 2015 से इराक में था. वहां उसे मोसुल ले जाया गया और धार्मिक और सैन्य ट्रेनिंग दी गई. उसके बाद दो हफ्ते तक वह युद्ध में भी शामिल हुआ.
यहां जानिए, क्या है आईएस
क्या है आईएस?
आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट लंबे समय से सुर्खियों में है. लेकिन आखिर आईएस है क्या? कितना शक्तिशाली है? आईएस से जुड़े कुछ अहम सवालों के जवाब.
तस्वीर: picture-alliance/abaca
क्या है "इस्लामिक स्टेट"?
यह एक सुन्नी आतंकवादी संगठन है जो अल कायदा से अलग हो कर बना है. सीरिया और इराक में निष्फल सरकारों से निपटने के लिए यह संगठन सक्रिय हुआ. इसके झंडे पर लिखा है, "मुहम्मद अल्लाह के रसूल है, अल्लाह के अलावा कोई दूसरा खुदा नहीं है." खुद को इस्लाम का प्रचारक कहने वाला आईएस विरोधियों लोगों की जान लेने में लगा है.
तस्वीर: AP
कहां सक्रिय है "इस्लामिक स्टेट"?
आईएस अपनी खिलाफत स्थापित करने का उद्देश्य रखता है, एक ऐसी जगह बनाना चाहता है जहां इस्लाम की उसकी बनाई परिभाषा चलेगी और शरिया कानून लागू होगा. सीरिया और इराक में अस्थिरता के कारण आईएस इन दोनों देशों के कुछ इलाकों पर कब्जा करने में कामयाब हो पाया है.
अन्य आतंकी संगठनों से यह कैसे अलग है?
आईएस की बर्बरता इसकी सबसे बड़ी पहचान बन गयी है. मासूम लोगों और अपने दुश्मनों को डराने की खातिर इस्लामिक स्टेट ने कई लोगों के सर कलम किए हैं. जिन इलाकों में आईएस का कब्जा है वहां इसी की हुकूमत चलती है.
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अन्य आतंकी संगठनों से संबंध?
हाल ही में नाइजीरिया में सक्रिय आतंकवादी संगठन बोको हराम ने आईएस के लिए अपना समर्थन जाहिर किया. वहीं अल कायदा खुद को इससे अलग मानता है. अल कायदा की शाखा जभात अल नुसरा आईएस के खिलाफ है. इन संगठनों के बीच प्रतिस्पर्धा है कि कौन किससे ज्यादा खूंखार है. बोको हराम के नाम 13,000 जानें हैं, तो आईएस 24,000 लोगों को मारने या घायल करने के लिए जिम्मेदार है.
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कौन हैं आईएस के समर्थक?
अलग अलग देशों से 20,000 से ज्यादा लोग आईएस के साथ जुड़ चुके हैं. आईसीएसआर की रिपोर्ट के अनुसार इनमें से 4,000 से ज्यादा पश्चिमी यूरोप और उत्तरी अमेरिका से हैं. स्वीडन और बेल्जियम जैसे छोटे देशों से भी लोग इस्लामिक स्टेट का साथ देने पहुंच रहे हैं.
कैसे निपट रहा है पश्चिम?
अगस्त 2014 से अमेरिका सीरिया और इराक में इस्लामिक स्टेट के ठिकानों पर हवाई हमले कर रहा है. सीरिया में अब तक 1,422 और इराक में 2,242 हमले किए जा चुके हैं. वहीं जर्मनी सीरिया से लौटे 30 कथित आतंकवादियों पर मुकदमा चलाने जा रहा है.
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जांच एजेंसियों के मुताबिक उसने बताया है कि उसे आईएस ने खाने और रहने की जगह के अलावा 100 डॉलर का मासिक भत्ता भी दिया था. लेकिन जल्दी ही वह हिंसा से आजिज हो गया और अपने दोस्तों को मरते देखने के बाद उसका मन उचट गया. उसने लड़ने से इनकार किया तो आईएस ने उसे जेल में डाल दिया. एक इस्लामिक जज ने उसे सीरिया भेज दिया. उसका दावा है कि आईएस ने उसे सीरिया से तुर्की आने दिया. वहां से उसने अपने परिवार से संपर्क किया और छह महीने विदेश में बिताने के बाद भारत लौट गया. जब उसे एनआईए ने पकड़ा तो वह एक जूलरी शॉप में नौकरी कर रहा था.