इस्राएल और ईरान के बीच हमलों का सिलसिला शुक्रवार और शनिवार के बीच की रात भी जारी रहा. ईरान ने इस्राएल पर कई मिसाइल हमले किए जिनमें दो लोगों की मौत हुई.
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शुक्रवार देर रात से शनिवार सुबह तक इस्राएल और ईरान के बीच पश्चिम एशिया में तनाव और बढ़ गया. इस्राएली वायुसेना ने पहली बार तेहरान के आसपास के इलाकों में सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिनका लक्ष्य ईरान की वायु रक्षा प्रणाली था.
इस्राएली सेना ने बयान में कहा, "आईएएफ (इस्राएली वायु सेना) ने रात भर में तेहरान क्षेत्र में दर्जनों ठिकानों को निशाना बनाया, जिनमें सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियां शामिल थीं. इसका मकसद ईरानी हवाई सुरक्षा क्षमताओं को कमजोर करना है."
ये हमले ऐसे समय पर हुए जब कुछ घंटे पहले ईरान ने इस्राएल के तटीय इलाकों पर मिसाइल दागीं. इस्राएल की आपातकालीन चिकित्सा सेवा मगन देविद अदोम (एमडीए) के अनुसार, दो लोगों की जान गई और 21 घायल हुए. मृतकों में एक 45 वर्षीय पुरुष और एक 60 वर्षीय महिला शामिल हैं, जिन्हें बचाव दल ने मलबे से बाहर निकाला.
रातभर इस्राएल में कई बार सायरन बजे और लोगों को बंकरों में जाने के निर्देश दिए गए. शनिवार सुबह, इस्राएली डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) ने जानकारी दी कि यूदिया और डेड सी क्षेत्रों में ड्रोन को इंटरसेप्ट किया गया. इस्राएली सेना ने कहा, "हम हर दिशा से आने वाले खतरों पर निगरानी रख रहे हैं और हर जरूरी कार्रवाई कर रहे हैं."
ईरान पर इस्राएल का हमला
13 जून शुक्रवार, सुबह ईरान पर इस्राएल ने हमला किया. हमले में ईरान के शीर्ष सैन्य अधिकारियों की मौत हुई है साथ ही परमाणु केंद्रों और हथियार बनाने वाली जगहों को निशाना बनाया गया है.
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शुक्रवार की सुबह हुआ हमला
इस्राएल ने लड़ाकू विमानों और मिसाइलों से ईरान पर हमला बोला. 1980 में इराक के साथ युद्ध के बाद ईरान पर यह सबसे बड़ा हमला है. अब तक मिली खबरों के मुताबिक, इस्राएल के 200 लड़ाकू जहाजों ने इस हमले में हिस्सा लिया और ईरान के 100 ठिकानों को निशाना बनाया गया है. इस्राएल का कहना है कि यह हमले जारी रहेंगे.
ईरान के विदेश मंत्री ने इसे देश के खिलाफ 'युद्ध का आगाज' कहा है. ईरान सुप्रीम लीडर अयातोल्लाह खामेनेई ने इस्राएल को "कड़ी सजा" देने की बात कही है. ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेचेश्कियान ने टीवी पर प्रसारित संदेश में कहा है कि उनका देश इस्राएल के खिलाफ "कठोर कार्रवाई" करेगा. ईरान और इराक ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस मामले पर तुरंत चर्चा की मांग भी की है.
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ईरान का ड्रोन हमला
इस्राएल का कहना है कि ईरान ने जवाबी कार्रवाई में करीब 100 ड्रोनों से हमला किया है लेकिन इस्राएली सुरक्षा तंत्र ने लगभग सभी ड्रोनों को बीच रास्ते में ही खत्म कर दिया. इस्राएल ने और हमलों की आशंका जताई है और लोगों से अपने घरों में ही रहने को कहा है.
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परमाणु केंद्र को नुकसान
ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन ने एक बयान में कहा है कि नतांज के नाभिकीय संवर्धन केंद्र को कुछ इस्राएली हमले में कुछ नुकसान पहुंचा है. हालांकि इसके नतीजे में किसी रासायनिक या फिर रेडियोधर्मी रिसाव की खबर नहीं है. इस्राएल का कहना है कि उसने ईरान के मिसाइल तंत्र को निशाना बनाया है.
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सैन्य अधिकारियों की मौत
ईरान की सशस्त्र सेना के शीर्ष कमांडर और रेवॉल्यूशनरी गार्ड के कमांडर की मौत के अलावा सुप्रीम लीडर अयातोल्लाह खमेनेई के वरिष्ठ सलाहकार इसमें घायल हुए हैं. ईरान में मारे गए अधिकारियों की जगह नए अधिकारियों की नियुक्ति कर दी है. जनरल अब्दुलरहीम मुसावी सशस्त्र सेना के नए प्रमुख होंगे जबकि मोहम्मद पाकपुर को रेवॉल्यूशनरी गार्ड का कमांडर बनाया गया है.
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तस्करी से ले जाए गए हथियार
इस्राएली अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने हमले से पहले ही ईरान में तस्करी के जरिए हथियार पहुंचा दिए थे. इस्राएल के मुताबिक इन हथियारों का इस्तेमाल सुरक्षा ठिकानों और मिसाइलों की तैनाती वाली जगहों को निशाना बनाने में किया गया है.
हमले के बाद ईरान की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन भी दिखाई पड़ा. लोग सैन्य प्रमुख जनरल मोहम्मद बाघेरी की मौत पर विरोध जता रहे थे. इस्राएली हमले में जिन अधिकारियों की मौत हुई है उनमें रेवॉल्यूशनरी गार्ड के मिसाइल कार्यक्रम के प्रमुख अमीर अली हाजीजादेह भी शामिल हैं. इस्राएल का कहना है कि हाजीजादेह ने कई मौकों पर इस्राएल को नुकसान पहुंचाने की बात कही थी.
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ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ प्रस्ताव
गुरुवार को 20वर्षों में पहली बार अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने ईरान के खिलाप प्रस्ताव पारित किया. एजेंसी के निदेशकों की बोर्ड का कहना है कि ईरान निरीक्षकों के साथ सहयोग नहीं कर रहा है. 35 सदस्यों वाले बोर्ड में 19 सदस्यों ने प्रस्ताव का समर्थन किया. इसके तुरंत बाद ईरान ने तीसरा नाभिकीय संवर्धन केंद्र बनाने की घोषणा की.
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अल अक्सा मस्जिद बंद
यरुशलम की अल अक्सा मस्जिद को आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया है. इस्राएली पुलिस ने फिलहाल वहां सिर्फ गार्ड और मस्जिद के कर्मचारियों को जाने की अनुमति दी है. अल अक्सा मस्जिद मुसलमानों के लिए तीसरी सबसे पवित्र जगह है. यहां अजान होगी लेकिन फिलहाल आमलोग नमाज नहीं पढ़ सकेंगे.
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इस्राएल में सन्नाटा
यरुशलम की ओल्ड सिटी में सन्नाटा पसरा है. लोगों से कहा गया है कि वह सिर्फ बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलें. ज्यादा लोगों की भीड़ जुटाने पर रोक लगा दी गई है. उधर ईरान में लोग गाड़ियों में तेल भरवा रहे हैं और अपने घरों में ही सिमटे हुए हैं.
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ट्रंप ने कहा "शानदार हमला"
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ईरान पर इस्राएली हमले को शानदार कहा और यह भी कि अभी और हमले होंगे. शुक्रवार सुबह अमेरिकी चैनल एबीसी से बातचीत में ट्रंप ने कहा, "मेरा ख्याल है कि वह शानदार था. हमने उन्हें मौका दिया लेकिन उन्होंने उसे नहीं लिया." ट्रंप ने यह भी कहा है कि ईरान के सामने दूसरा मौका है वह समझौता कर ले.
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रिहायशी इमारतों को नुकसान
इस्राएल के हमले में तेहरान की कई रिहायशी इमारतों को भी नुकसान पहुंचा है. मीडिया में आई तस्वीरों में कई जगहों पर हमले में ध्वस्त हुई इमारतें दिख रही हैं. घायलों के बारे में पक्के तौर पर जानकारी नहीं मिली है लेकिन अपुष्ट खबरों में 90 से ज्यादा लोगों के घायल होने की बात कही गई है.
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तेल की कीमतों में तेजी
ईरान पर इस्राएली हमले के बाद कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आ गई है. हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि कीमतों में यह तेजी तात्कालिक रहने की उम्मीद है. अगर यह युद्ध तेलों की ढुलाई पर असर नहीं डालता तो कीमतें नीचे आ जाएंगी. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत शुक्रवार को करीब 7.8 फीसदी बढ़ कर 74.89 डॉलर प्रति बैरल हो गई.
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मध्यपूर्व में एयर स्पेस बंद
इन हमलों के बाद जॉर्डन, इराक, इस्राएल और ईरान ने अपना एयरस्पेस बंद कर दिया है. एयर इंडिया की यूरोप और अमेरिका जाने वाले कम से कम 16 उड़ानों पर इसका असर हुआ है. कुछ उड़ानें वापस भारत ले जाई गईं तो कुछ का रास्ता बदला गया है. इलाके में ऑपरेट करने वाली ज्यादातर एयरलाइनों के उड़ान पर असर पड़ा है.
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उधर, इस्राएल का प्रमुख हवाई अड्डा बेन गुरियन इंटरनेशनल एयरपोर्ट बंद कर दिया गया है. इस्राएली परिवहन मंत्रालय ने कहा है कि हवाई क्षेत्र "अगली सूचना तक" बंद रहेगा और उड़ान से संबंधित जानकारी यात्रियों को कम से कम छह घंटे पहले दी जाएगी. हवाई अड्डे की वेबसाइट भी फिलहाल बंद है.
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युद्ध की शुरुआत कैसे हुई?
यह पूरा घटनाक्रम शुक्रवार को इस्राएल के उस बड़े हमले के बाद शुरू हुआ, जब उसकी वायुसेना ने ईरान के प्रमुख परमाणु केंद्र नतांज़ और कई मिसाइल ठिकानों को निशाना बनाया. इन हमलों में ईरान के तीन शीर्ष सैन्य कमांडर और छह वैज्ञानिक मारे गए. ईरान ने इसे "अघोषित युद्ध" करार देते हुए जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी थी.
इसके बाद शनिवार तड़के ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिनमें इस्राएल के तटीय इलाकों को निशाना बनाया गया. दोनों देशों की ओर से यह अब तक की सबसे बड़ी सैन्य कार्रवाई मानी जा रही है.
इस्राएल के हमलों में कई बड़े ईरानी सैन्य अफसर और अधिकारी मारे गएतस्वीर: Fatemeh Bahrami/Anadolu/IMAGO
पड़ोसी देश जॉर्डन ने शुक्रवार को एहतियातन अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया था, जिसे शनिवार सुबह दोबारा खोल दिया गया. इस बढ़ते टकराव ने पूरे क्षेत्र में चिंताएं बढ़ा दी हैं. विश्लेषकों का मानना है कि अगर जल्द कूटनीतिक समाधान नहीं निकला, तो यह टकराव एक पूर्ण युद्ध का रूप ले सकता है.
इस्राएल-ईरान रिश्तों का इतिहास
मध्य पूर्व के इन दोनों देशों, ईरान और इस्राएल के रिश्ते कभी दोस्ताना हुआ करते थे. 1979 की ईरानी इस्लामिक क्रांति से पहले तक दोनों देशों के बीच रणनीतिक, सैन्य और व्यापारिक सहयोग था. लेकिन क्रांति के बाद, जब ईरान एक इस्लामिक गणराज्य बना, तो उसने इस्राएल को "जायोनिस्ट शासन" कहकर ना सिर्फ उसकी मान्यता खत्म की बल्कि उसके विरोध को अपनी विदेश नीति का आधार बना लिया.
तब से ईरान, हमास और हिजबुल्ला जैसे इस्राएल-विरोधी गुटों को समर्थन देता रहा है, जबकि इस्राएल ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने अस्तित्व के लिए खतरा बताता है. पिछले दो दशकों में दोनों देशों के बीच तनाव लगातार बढ़ा है. छद्म युद्धों, साइबर हमलों और क्षेत्रीय संघर्षों के रूप में दोनों देश एक दूसरे को निशाना बनाते रहे हैं.