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इस्राएल ने फिर किए ईरान पर हमले

विवेक कुमार रॉयटर्स, एएफपी, एपी
१४ जून २०२५

इस्राएल और ईरान के बीच हमलों का सिलसिला शुक्रवार और शनिवार के बीच की रात भी जारी रहा. ईरान ने इस्राएल पर कई मिसाइल हमले किए जिनमें दो लोगों की मौत हुई.

Israel 2025 | Nahostkonflikt | Zerstörung nach iranischen Raketenangriffs in Ramat Gan
तस्वीर: Amir Levy/Getty Images

शुक्रवार देर रात से शनिवार सुबह तक इस्राएल और ईरान के बीच पश्चिम एशिया में तनाव और बढ़ गया. इस्राएली वायुसेना ने पहली बार तेहरान के आसपास के इलाकों में सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिनका लक्ष्य ईरान की वायु रक्षा प्रणाली था.

इस्राएली सेना ने बयान में कहा, "आईएएफ (इस्राएली वायु सेना) ने रात भर में तेहरान क्षेत्र में दर्जनों ठिकानों को निशाना बनाया, जिनमें सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियां शामिल थीं. इसका मकसद ईरानी हवाई सुरक्षा क्षमताओं को कमजोर करना है."

ये हमले ऐसे समय पर हुए जब कुछ घंटे पहले ईरान ने इस्राएल के तटीय इलाकों पर मिसाइल दागीं. इस्राएल की आपातकालीन चिकित्सा सेवा मगन देविद अदोम (एमडीए) के अनुसार, दो लोगों की जान गई और 21 घायल हुए. मृतकों में एक 45 वर्षीय पुरुष और एक 60 वर्षीय महिला शामिल हैं, जिन्हें बचाव दल ने मलबे से बाहर निकाला.

रातभर इस्राएल में कई बार सायरन बजे और लोगों को बंकरों में जाने के निर्देश दिए गए. शनिवार सुबह, इस्राएली डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) ने जानकारी दी कि यूदिया और डेड सी क्षेत्रों में ड्रोन को इंटरसेप्ट किया गया. इस्राएली सेना ने कहा, "हम हर दिशा से आने वाले खतरों पर निगरानी रख रहे हैं और हर जरूरी कार्रवाई कर रहे हैं."

उधर, इस्राएल का प्रमुख हवाई अड्डा बेन गुरियन इंटरनेशनल एयरपोर्ट बंद कर दिया गया है. इस्राएली परिवहन मंत्रालय ने कहा है कि हवाई क्षेत्र "अगली सूचना तक" बंद रहेगा और उड़ान से संबंधित जानकारी यात्रियों को कम से कम छह घंटे पहले दी जाएगी. हवाई अड्डे की वेबसाइट भी फिलहाल बंद है.

युद्ध की शुरुआत कैसे हुई?

यह पूरा घटनाक्रम शुक्रवार को इस्राएल के उस बड़े हमले के बाद शुरू हुआ, जब उसकी वायुसेना ने ईरान के प्रमुख परमाणु केंद्र नतांज़ और कई मिसाइल ठिकानों को निशाना बनाया. इन हमलों में ईरान के तीन शीर्ष सैन्य कमांडर और छह वैज्ञानिक मारे गए. ईरान ने इसे "अघोषित युद्ध" करार देते हुए जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी थी.

इसके बाद शनिवार तड़के ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिनमें इस्राएल के तटीय इलाकों को निशाना बनाया गया. दोनों देशों की ओर से यह अब तक की सबसे बड़ी सैन्य कार्रवाई मानी जा रही है.

इस्राएल के हमलों में कई बड़े ईरानी सैन्य अफसर और अधिकारी मारे गएतस्वीर: Fatemeh Bahrami/Anadolu/IMAGO

पड़ोसी देश जॉर्डन ने शुक्रवार को एहतियातन अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया था, जिसे शनिवार सुबह दोबारा खोल दिया गया. इस बढ़ते टकराव ने पूरे क्षेत्र में चिंताएं बढ़ा दी हैं. विश्लेषकों का मानना है कि अगर जल्द कूटनीतिक समाधान नहीं निकला, तो यह टकराव एक पूर्ण युद्ध का रूप ले सकता है.

इस्राएल-ईरान रिश्तों का इतिहास

मध्य पूर्व के इन दोनों देशों, ईरान और इस्राएल के रिश्ते कभी दोस्ताना हुआ करते थे. 1979 की ईरानी इस्लामिक क्रांति से पहले तक दोनों देशों के बीच रणनीतिक, सैन्य और व्यापारिक सहयोग था. लेकिन क्रांति के बाद, जब ईरान एक इस्लामिक गणराज्य बना, तो उसने इस्राएल को "जायोनिस्ट शासन" कहकर ना सिर्फ उसकी मान्यता खत्म की बल्कि उसके विरोध को अपनी विदेश नीति का आधार बना लिया.

तब से ईरान, हमास और हिजबुल्ला जैसे इस्राएल-विरोधी गुटों को समर्थन देता रहा है, जबकि इस्राएल ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने अस्तित्व के लिए खतरा बताता है. पिछले दो दशकों में दोनों देशों के बीच तनाव लगातार बढ़ा है. छद्म युद्धों, साइबर हमलों और क्षेत्रीय संघर्षों के रूप में दोनों देश एक दूसरे को निशाना बनाते रहे हैं.

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