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इस्राएल-हिज्बुल्लाह हिंसा: भारतीयों को लेबनान छोड़ने की सलाह

२६ सितम्बर २०२४

भारतीय नागरिकों को लेबनान छोड़ने की 'दृढ़ता से सलाह' दी गई है. अगर 2006 की तरह फिर से वहां से भारतीयों को निकालना पड़ा, तो भारत सरकार इस ऑपरेशन को कैसे अंजाम दे सकती है, पढ़िए.

28 अगस्त, 2020 की तस्वीर, लेबनान में काम करने वाले कुछ भारतीय
लेबनान में निर्माण सेक्टर में काम करने वाले कुछ भारतीय (अगस्त, 2020 की तस्वीर)तस्वीर: Vassilis Poularikas/NurPhoto/picture alliance

एक हफ्ते पहले लेबनान को निशाना बनाकर किए गए पेजर हमलों के बाद भारत सरकार ने यहां रह रहे भारतीयों के लिए पहली एडवाइजरी जारी की है. लेबनान की राजधानी बेरूत में स्थित भारत के दूतावास ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट किए अपने संदेश में भारतीय नागरिकों को लेबनान छोड़ने की सलाह दी है. साथ ही, भारतीय नागरिकों को इस समय लेबनान की यात्रा न करने की सलाह भी दी गई है. 

पिछले तीन दिनों से दक्षिणी लेबनान और राजधानी बेरूत, इस्राएली बमबारी का निशाना बनाए गए हैं. इस कार्रवाई का जवाब देते हुए सशस्त्र लेबनानी समूह हिज्बुल्लाह ने रॉकेट और मिसाइल दागे, जो उत्तरी इस्राएल के कुछ शहरों और एक और बड़े शहर हाइफा के बंदरगाह पर गिरे. 25 सितंबर को इस्राएली राजधानी तेल अवीव के ऊपर हिज्बुल्लाह के एक बैलिस्टिक मिसाइल हमले को नाकामयाब कर दिया गया था.

लेबनान से कैसे निकलेंगे भारतीय

भारत के विदेश मंत्रालय ने लेबनान में मौजूद भारतीयों के लिए आपातकालीन टेलीफोन नंबर और ईमेल पता जारी किया है. बीते हफ्तों में बेरूत से चलने वाली हवाई सेवा में कई बार बाधाएं सामने आईं हैं. कई प्रमुख एयरलाइनों ने बेरूत के लिए अपनी उड़ानें रद्द कर दी हैं. लेबनान में जिन भारतीयों के पास इंटरनेट की सुविधा अभी भी है, उनमें से कुछ लोगों ने भारतीय दूतावास की एडवाइजरी पर उन्हीं से सवाल किया है कि लोग निकलेंगे कैसे जब एयरलाइंस अपनी उड़ानें रद्द कर रहे हैं और टिकट भी नहीं मिल रहे हैं.    

इसके पहले साल 2006 में जब इस्राएल ने लेबनान पर बमबारी की थी, तब सरकार ने भारतीय नागरिकों को नौसेना की मदद से वहां से निकाला था. संभावना है कि इस बार भी बेरूत बंदरगाह के रास्ते भारतीयों को नौसेना द्वारा निकालने का विकल्प फिर से अपनाया जा सकता है. 2006 के बचाव अभियान को 'ऑपरेशन सुकून' कहा गया था. उस पूरे ऑपरेशन के तहत लेबनान से लगभग 12,000 लोगों को सुरक्षित निकाला गया था. इसके लिए नौसेना ने चार जहाज तैनात किए थे. ऑपरेशन सुकून में भारत समेत श्रीलंका जैसे दूसरे देशों के नागरिकों को भी बचाया गया था. फरवरी 2011 में लीबिया से भी नौसेना और भारतीय वायु सेना ने नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाला था.

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अमेरिका के नेतृत्व में जारी हैं सीजफायर की कोशिशें

अमेरिका और फ्रांस जैसे कई पश्चिमी देशों ने साथ मिलकर लेबनान में मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए 21 दिनों के युद्धविराम का आह्वान किया है. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने 26 सितंबर को कहा कि दुनियाभर के देश, जिनमें प्रमुख अरब देश, जी-7 और यूरोपीय संघ के देश शामिल हैं, लेबनान के साथ इस्राएल की उत्तरी सीमा पर इस्राएल और हिज्बुल्लाह के बीच हिंसा को रोकना चाहते हैं. हालांकि, अब तक अमेरिका समर्थित इस युद्धविराम प्रस्ताव को इस्राएल ने स्वीकार नहीं किया है. गुरुवार (26 सितंबर) को ही न्यूयॉर्क में इस्राएली अधिकारियों के साथ अपनी मुलाकात में ब्लिंकेन युद्धविराम पर फिर से चर्चा करने वाले हैं. मध्यपूर्व में यह हिंसक संघर्ष अक्टूबर 2023 से ही जारी है.   

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लेबनान स्थित भारतीय दूतावास की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, इस समय वहां करीब 4,000 भारतीय हैं. इनमें से ज्यादातर नागरिक कंपनियों में नौकरी करते हैं या निर्माण और कृषि क्षेत्र से जुड़े रोजगार करते हैं. इससे पहले दूतावास ने 1 अगस्त को भी ऐसी ही एक एडवाइजरी जारी की थी, क्योंकि तब गाजा पट्टी में इस्राएल और हिज्बुल्लाह के बीच संघर्ष बढ़ रहा था. वहां स्थिति लगातार गंभीर बनी हुई है. इस्राएली हवाई हमलों में अब तक लेबनान में कम-से-कम 600 लोगों के मारे जाने और हजारों लोगों के घायल होने की खबर है. बुधवार (25 सितंबर) को हिज्बुल्लाह ने इस्राएल पर कई रॉकेट हमले किए. बढ़ते संघर्ष के बीच इस्राएली सेना प्रमुख ने कहा है कि अब देश जमीन के रास्ते भी हमले कर सकता है. 

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