इस्राएल-ईरान विवाद: कहां खड़े हैं ट्रंप और अमेरिका
कार्ला ब्लाइकर
१५ जून २०२५
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का दावा है कि ईरान पर इस्राएल के हालिया हमलों में उनका देश शामिल नहीं था. लेकिन इसके साथ ही उन्होंने ईरान को परमाणु समझौता ना करने की सूरत में हालात "बदतर होने" की धमकी दी है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और विदेश मंत्री मार्को रूबियो, दोनों ने इस्राएल-ईरान विवाद पर बयान जारी किए हैंतस्वीर: Evan Vucci/AP Photo/picture alliance
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ईरान पर इस्राएल के हमले के बाद अमेरिकी सरकार की राजनीतिक दिशा स्पष्ट है: वाशिंगटन इसका हिस्सा नहीं था.
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने वाइट हाउस की ओर से जारी एक बयान में कहा, "इस्राएल ने ईरान के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की है."
उन्होंने कहा, "हम ईरान के खिलाफ हमलों में शामिल नहीं हैं और हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता इस क्षेत्र में अमेरिकी सेनाओं की सुरक्षा है. इस्राएल ने हमें बताया कि वे मानते हैं कि यह कार्रवाई उनकी आत्मरक्षा के लिए जरूरी थी... मैं स्पष्ट कहना चाहता हूं: ईरान को अमेरिकी हितों या कर्मचारियों को निशाना नहीं बनाना चाहिए."
वाइट हाउस की सोशल मीडिया टीम ने यह बयान शुक्रवार, 13 जून की सुबह, ईरान पर इस्राएल के हमलों की शुरुआत के लगभग एक घंटे बाद एक्स पर पोस्ट किया. बाद में, शुक्रवार शाम को, ईरान ने इस्राएल पर जवाबी हमले किए.
इससे पहले, 12 जून को अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने मध्य-पूर्व की जटिल सुरक्षा स्थिति के बारे में एक्स पर एक चेतावनी जारी की थी. इसमें लिखा था, "हम इस्राएल और व्यापक क्षेत्र में मौजूद अमेरिकी नागरिकों का ध्यान लगातार सावधानी बरतने की ओर दिलाते हैं और उन्हें ताजा घटनाक्रमों के लिए खबरों पर नजर रखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं."
अमेरिका को हमले के बारे में पहले से ही जानकारी दी गई थी. लेकिन क्या वे वाकई में किसी भी तरह से सक्रिय रूप से शामिल नहीं थे? जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल एंड सिक्योरिटी अफेयर्स के अमेरिकी क्षेत्रीय शोध समूह में वरिष्ठ कार्यकारी जाशा लोहमान ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "अब तक हमें लॉजिस्टिक्स के बारे में जो कुछ भी पता है, मसलन ईरान में छुपे हुए ड्रोनों के बारे में, उससे संकेत मिलता है कि इस्राएल ने यह हमला अकेले किया है. हालांकि हम इस संभावना को पूरी तरह से खारिज नहीं कर सकते कि अमेरिका ने मदद की हो."
लोहमान के मुताबिक, ईरान के लिए उड़े और वापस आए इस्राएल के 200 सैन्य विमानों की तैनाती यह सवाल उठाती है कि क्या अमेरिकी सेना ने हवा में रीफ्यूलिंग करने में मदद की है?
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निशाने पर ईरान का परमाणु कार्यक्रम
शुक्रवार सुबह किए गए इस्राएली हमले मुख्य रूप से ईरान के सैन्य ठिकानों और परमाणु कार्यक्रमों में शामिल जगहों पर केंद्रित थे. जैसे कि नातांज परमाणु केंद्र पर, जहां अन्य चीजों सहित यूरेनियम संवर्धित किया जाता है. ईरानी सेना के कई प्रमुखों अधिकारियों के अलावा, ईरानी परमाणु कार्यक्रम पर काम करने वाले कम से कम छह वैज्ञानिक और शोधकर्ता मारे गए हैं.
अप्रैल 2025 से, ईरान और अमेरिका पुराने परमाणु करार को बदलने के इरादे से बातचीत कर रहे हैं. राष्टपति डॉनल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान 2018 में अमेरिका पुराने समझौते से बाहर आ गया था.
ईरान के परमाणु ढांचे पर इस्राएली हमले के बाद, दक्षिणपंथी रुझान वाले समाचार चैनल फॉक्स न्यूज के संवाददाता ब्रेट बेयर ने ट्रंप के हवाले से कहा कि "ईरान के पास परमाणु बम नहीं हो सकता." और उन्होंने बताया कि ट्रंप ने कहा है, "हमें बातचीत की मेज पर वापस लौटने की उम्मीद है."
इस्राएली हमले में ईरान की राजधानी तेहरान के पास मौजूद एक बड़े तेल डिपो को नुकसान पहुंचा हैतस्वीर: Majid Asgaripour/WANA/REUTERS
ट्रंप: ईरान पर हमले 'सिर्फ ज्यादा बदतर होंगे!'
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर बहुत कड़ी भाषा का इस्तेमाल किया. उन्होंने एक पोस्ट में लिखा कि उन्होंने ईरान को परमाणु समझौते तक पहुंचने के लिए कई मौके दिए थे. अगर यह नहीं होता है, तो ट्रंप कहते हैं कि उन्होंने ईरानी नेतृत्व को चेतावनी दी थी कि वे एक ऐसे हमले का सामना कर रहे हैं जो उनकी कल्पना से कहीं ज्यादा बुरा है.
ट्रंप ने लिखा, "दुनिया के सर्वश्रेष्ठ और सबसे घातक उपकरण अमेरिका बनाता है." उन्होंने लिखा, "इस्राएल के पास इसका बहुत कुछ है और बहुत कुछ आने वाला है- और वे जानते हैं कि इसका इस्तेमाल कैसे करना है."
ट्रंप ने अपनी पोस्ट में आगे लिखा कि परमाणु समझौते के खिलाफ जो ईरानी कट्टरपंथी बोले थे, "अब सब मर गए हैं." और "यह सिर्फ बदतर होगा!"
इस बीच, मध्य पूर्व के लिए अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने चेतावनी दी कि ईरान भी इस्राएल में काफी नुकसान पहुंचाने में सक्षम है.
ईरान ने इस्राएल पर जवाबी मिसाइलें दागी हैं. ईरानी हमले का निशाना बनी तेल अवीव शहर की यह इमारत तस्वीर: Tomer Appelbaum/REUTERS
परमाणु समझौते की संभावना कम
एक संभावित नए परमाणु समझौते पर अमेरिकी और ईरानी प्रतिनिधिमंडलों के बीच अगली बैठक 15 जून को ओमान में होनी थी, लेकिन ईरान ने इसे रद्द कर दिया है.
यह भी स्पष्ट नहीं है कि आने वाले वक्त में बातचीत कैसे आगे बढ़ेगी. कहा जा रहा है कि अली शमखानी, जो ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई के करीबी विश्वासपात्र और सलाहकार हैं, वह भी ईरान में मारे गए लोगों में से हैं. जर्मन मैगजीन श्पीगल के अनुसार, शमखानी ने अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौते में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. कहा जाता है कि वे एक समझौते पर बातचीत के लिए खुले थे लेकिन उन्होंने यह चेतावनी भी दी थी कि ईरानी सरकार अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईईएई) के साथ आपसी सहयोग खत्म कर सकती है और संयुक्त राष्ट्र के परमाणु निरीक्षकों को निकाल सकती है, अगर ईरान को इनसे खतरा महसूस हुआ.
लोहमान के मुताबिक, "जब तक संघर्ष अपनी मौजूदा तीव्रता के साथ जारी रहता है, यह कल्पना करना मुश्किल है कि बातचीत जारी रहेगी."
ईरान पर इस्राएल का हमला
13 जून शुक्रवार, सुबह ईरान पर इस्राएल ने हमला किया. हमले में ईरान के शीर्ष सैन्य अधिकारियों की मौत हुई है साथ ही परमाणु केंद्रों और हथियार बनाने वाली जगहों को निशाना बनाया गया है.
तस्वीर: Houssam Shbaro/Anadolu Agency/IMAGO
शुक्रवार की सुबह हुआ हमला
इस्राएल ने लड़ाकू विमानों और मिसाइलों से ईरान पर हमला बोला. 1980 में इराक के साथ युद्ध के बाद ईरान पर यह सबसे बड़ा हमला है. अब तक मिली खबरों के मुताबिक, इस्राएल के 200 लड़ाकू जहाजों ने इस हमले में हिस्सा लिया और ईरान के 100 ठिकानों को निशाना बनाया गया है. इस्राएल का कहना है कि यह हमले जारी रहेंगे.
ईरान के विदेश मंत्री ने इसे देश के खिलाफ 'युद्ध का आगाज' कहा है. ईरान सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खामेनेई ने इस्राएल को "कड़ी सजा" देने की बात कही है. ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेचेश्कियान ने टीवी पर प्रसारित संदेश में कहा है कि उनका देश इस्राएल के खिलाफ "कठोर कार्रवाई" करेगा. ईरान और इराक ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस मामले पर तुरंत चर्चा की मांग भी की है.
तस्वीर: Majid Saeedi/Getty Images
ईरान का ड्रोन हमला
इस्राएल का कहना है कि ईरान ने जवाबी कार्रवाई में करीब 100 ड्रोनों से हमला किया है लेकिन इस्राएली सुरक्षा तंत्र ने लगभग सभी ड्रोनों को बीच रास्ते में ही खत्म कर दिया. इस्राएल ने और हमलों की आशंका जताई है और लोगों से अपने घरों में ही रहने को कहा है.
तस्वीर: Daraa Province Telegram Account/AFP
परमाणु केंद्र को नुकसान
ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन ने एक बयान में कहा है कि नतांज के नाभिकीय संवर्धन केंद्र को कुछ इस्राएली हमले में कुछ नुकसान पहुंचा है. हालांकि इसके नतीजे में किसी रासायनिक या फिर रेडियोधर्मी रिसाव की खबर नहीं है. इस्राएल का कहना है कि उसने ईरान के मिसाइल तंत्र को निशाना बनाया है.
तस्वीर: Maxar Technologies/Handout/REUTERS
सैन्य अधिकारियों की मौत
ईरान की सशस्त्र सेना के शीर्ष कमांडर और रेवॉल्यूशनरी गार्ड के कमांडर की मौत के अलावा सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खमेनेई के वरिष्ठ सलाहकार इसमें घायल हुए हैं. ईरान में मारे गए अधिकारियों की जगह नए अधिकारियों की नियुक्ति कर दी है. जनरल अब्दुलरहीम मुसावी सशस्त्र सेना के नए प्रमुख होंगे जबकि मोहम्मद पाकपुर को रेवॉल्यूशनरी गार्ड का कमांडर बनाया गया है.
तस्वीर: Iranian Army Office/picture alliance
तस्करी से ले जाए गए हथियार
इस्राएली अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने हमले से पहले ही ईरान में तस्करी के जरिए हथियार पहुंचा दिए थे. इस्राएल के मुताबिक इन हथियारों का इस्तेमाल सुरक्षा ठिकानों और मिसाइलों की तैनाती वाली जगहों को निशाना बनाने में किया गया है.
हमले के बाद ईरान की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन भी दिखाई पड़ा. लोग सैन्य प्रमुख जनरल मोहम्मद बाघेरी की मौत पर विरोध जता रहे थे. इस्राएली हमले में जिन अधिकारियों की मौत हुई है उनमें रेवॉल्यूशनरी गार्ड के मिसाइल कार्यक्रम के प्रमुख अमीर अली हाजीजादेह भी शामिल हैं. इस्राएल का कहना है कि हाजीजादेह ने कई मौकों पर इस्राएल को नुकसान पहुंचाने की बात कही थी.
तस्वीर: Vahid Salemi/AP Photo/picture alliance
ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ प्रस्ताव
गुरुवार को 20वर्षों में पहली बार अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने ईरान के खिलाप प्रस्ताव पारित किया. एजेंसी के निदेशकों की बोर्ड का कहना है कि ईरान निरीक्षकों के साथ सहयोग नहीं कर रहा है. 35 सदस्यों वाले बोर्ड में 19 सदस्यों ने प्रस्ताव का समर्थन किया. इसके तुरंत बाद ईरान ने तीसरा नाभिकीय संवर्धन केंद्र बनाने की घोषणा की.
तस्वीर: JOE KLAMAR/AFP/Getty Images
अल अक्सा मस्जिद बंद
यरुशलम की अल अक्सा मस्जिद को आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया है. इस्राएली पुलिस ने फिलहाल वहां सिर्फ गार्ड और मस्जिद के कर्मचारियों को जाने की अनुमति दी है. अल अक्सा मस्जिद मुसलमानों के लिए तीसरी सबसे पवित्र जगह है. यहां अजान होगी लेकिन फिलहाल आमलोग नमाज नहीं पढ़ सकेंगे.
तस्वीर: Mahmoud Illean/AP Photo/picture alliance
इस्राएल में सन्नाटा
यरुशलम की ओल्ड सिटी में सन्नाटा पसरा है. लोगों से कहा गया है कि वह सिर्फ बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलें. ज्यादा लोगों की भीड़ जुटाने पर रोक लगा दी गई है. उधर ईरान में लोग गाड़ियों में तेल भरवा रहे हैं और अपने घरों में ही सिमटे हुए हैं.
तस्वीर: Mahmoud Illean/AP Photo/picture alliance
ट्रंप ने कहा "शानदार हमला"
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ईरान पर इस्राएली हमले को शानदार कहा और यह भी कि अभी और हमले होंगे. शुक्रवार सुबह अमेरिकी चैनल एबीसी से बातचीत में ट्रंप ने कहा, "मेरा ख्याल है कि वह शानदार था. हमने उन्हें मौका दिया लेकिन उन्होंने उसे नहीं लिया." ट्रंप ने यह भी कहा है कि ईरान के सामने दूसरा मौका है वह समझौता कर ले.
तस्वीर: Fatemeh Bahrami/Anadolu Agency/IMAGO
रिहायशी इमारतों को नुकसान
इस्राएल के हमले में तेहरान की कई रिहायशी इमारतों को भी नुकसान पहुंचा है. मीडिया में आई तस्वीरों में कई जगहों पर हमले में ध्वस्त हुई इमारतें दिख रही हैं. घायलों के बारे में पक्के तौर पर जानकारी नहीं मिली है लेकिन अपुष्ट खबरों में 90 से ज्यादा लोगों के घायल होने की बात कही गई है.
तस्वीर: Vahid Salemi/AP/dpa/picture alliance
तेल की कीमतों में तेजी
ईरान पर इस्राएली हमले के बाद कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आ गई है. हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि कीमतों में यह तेजी तात्कालिक रहने की उम्मीद है. अगर यह युद्ध तेलों की ढुलाई पर असर नहीं डालता तो कीमतें नीचे आ जाएंगी. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत शुक्रवार को करीब 7.8 फीसदी बढ़ कर 74.89 डॉलर प्रति बैरल हो गई.
तस्वीर: Fatemeh Bahrami/Anadolu/picture alliance
मध्यपूर्व में एयर स्पेस बंद
इन हमलों के बाद जॉर्डन, इराक, इस्राएल और ईरान ने अपना एयरस्पेस बंद कर दिया है. एयर इंडिया की यूरोप और अमेरिका जाने वाले कम से कम 16 उड़ानों पर इसका असर हुआ है. कुछ उड़ानें वापस भारत ले जाई गईं तो कुछ का रास्ता बदला गया है. इलाके में ऑपरेट करने वाली ज्यादातर एयरलाइनों के उड़ान पर असर पड़ा है.