इस्राएल के साथ राजनयिक संबंध पर समझौता करने वाला मोरक्को चौथा अरब देश बन गया है. पिछले चार महीनों में इस्राएल के संबंध यूएई, बहरीन और सूडान के साथ स्थापित हुए हैं. ट्रंप के मुताबिक शांति के लिए यह बड़ा कदम है.
विज्ञापन
मोरक्को के राजा मोहम्मद छठे ने गुरुवार को कहा कि उनका देश इस्राएल के साथ बिना देरी किए "आधिकारिक संपर्क फिर से शुरू करेगा और राजनयिक संबंध स्थापित करेगा." इस्राएल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने इस करार को ऐतिहासिक बताया है और कहा है कि यह क्षेत्र में "शांति की एक और रोशनी" है. इस्राएल ने हाल ही में सुन्नी अरब देश संयुक्त अरब अमीरात, सूडान और बहरीन के साथ इसी तरह का समझौता किया है. नेतन्याहू ने कहा, "मुझे हमेशा से विश्वास था कि यह ऐतिहासिक दिन आएगा." नेतन्याहू और मोहम्मद छठे ने दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने और राजनयिक मिशनों को खोलने की संभावना को आगे बढ़ाने पर जोर दिया है.
फिलिस्तीन नाराज
इस्राएल-फिलिस्तीन के बीच राजनीतिक गतिरोध के कारण अरब देशों और इस्राएल के बीच संबंधों का सामान्यीकरण एक लंबे समय से असंभव माना जाता रहा है. गुरुवार की घोषणा का फिलिस्तीन ने स्वागत नहीं किया है और उसने इस समझौते की निंदा की है. फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन की कार्यकारी समिति के सदस्य बासम-साल्ही ने समझौते की निंदा की है. साल्ही ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "कोई भी अरब देश 2002 के अरब शांति पहल से पीछे हटता है तो यह हमें मंजूर नहीं है." फिलिस्तीनी नेताओं का कहना है कि 2002 के अरब शांति पहल के मुताबिक इस्राएल फिलिस्तीनी और अरब भूमि पर अपना कब्जा खत्म करता है तब ही सामान्यीकरण हो पाएगा.
ट्रंप ने की समझौते की घोषणा
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने गुरुवार को पहली बार घोषणा की कि मोरक्को और इस्राएल ने संबंधों को सामान्य बनाने के लिए सहमति व्यक्त की है, जो कि मोरक्को के राजा मोहम्मद छठे के साथ ट्रंप की फोन पर बातचीत के दौरान हुआ. मोरक्को और इस्राएल के बीच संबंध स्थापित होने का ऐलान करते हुए ट्रंप ने ट्वीट किया, "हमारे दो महान दोस्त इस्राएल और मोरक्को पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित करने के लिए तैयार हो गए हैं. मध्य-पूर्व में शांति स्थापित करने के लिए यह एक बहुत बड़ा कदम है."
नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन जो 20 जनवरी 2021 को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने जा रहे हैं वे नए समझौते से दुविधा में पड़ते दिख रहे हैं. उन्हें ताजा समझौते को संभालने के कुछ कोशिशें करनी पड़ सकती हैं.
मुस्लिम देश इस्राएल को मध्यपूर्व में विवादों का केंद्र कहते हैं. एक तरफ उसके आलोचक हैं तो दूसरी तरफ उसके मित्र. लेकिन इस रस्साकसी से इतर बहुत कम लोग जानते हैं कि इस्राएल आखिर कैसा है.
तस्वीर: picture-alliance/ dpa/dpaweb
राष्ट्र भाषा
आधुनिक हिब्रू के अलावा अरबी इस्राएल की मुख्य भाषा है. ये दोनों 1948 में बने इस्राएल की आधिकारिक भाषाएं हैं. आधुनिक हिब्रू 19वीं सदी के अंत में बनी. पुरातन हिब्रू से निकली आधुनिक हिब्रू भाषा अंग्रेजी, स्लाविक, अरबी और जर्मन से भी प्रभावित है.
तस्वीर: Fotolia/Ivan Montero
छोटा सा देश
1949 के आर्मिस्टिक समझौते के मुताबिक संप्रभु इस्राएल का क्षेत्रफल सिर्फ 20,770 वर्ग किलोमीटर है. इस समझौते पर मिस्र, लेबनान, जॉर्डन और सीरिया ने दस्तखत किए थे. लेकिन फिलहाल पूर्वी येरुशलम से लेकर पश्चिमी तट तक इस्राएल के नियंत्रण में 27,799 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है. इस्राएल के उत्तर से दक्षिण की दूरी 470 किमी है. देश का सबसे चौड़ा भूभाग 135 किलोमीटर का है.
अनिवार्य सैन्य सेवा
इस्राएल दुनिया का अकेला ऐसा देश है जहां नागरिकों और स्थायी रूप से रहने वाली महिला व पुरुषों के लिए सैन्य सेवा अनिवार्य है. 18 साल की उम्र के हर इस्राएली को योग्य होने पर तीन साल सैन्य सेवा करनी पड़ती है. महिलाओं को दो साल सेना में रहना पड़ता है.
तस्वीर: dapd
फलीस्तीन के समर्थक
नेतुरेई कार्टा का मतलब है कि "सिटी गार्ड्स." यह 1939 में बना एक यहूदी संगठन है. यह इस्राएल की स्थापना का विरोध करता है. इस संगठन का कहना है कि एक "यहूदी मसीहा" के धरती पर आने तक यहूदियों को अपना देश नहीं बनाना चाहिए. इस संगठन को फलीस्तीनियों का समर्थक माना जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
राष्ट्रपति पद ठुकराया
महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइनस्टाइन भले ही पूजा नहीं करते थे, लेकिन जर्मनी में यहूदियों के जनसंहार के दौरान उनका यहूदी धर्म की तरफ झुकाव हो गया. उन्होंने यहूदी आंदोलन के लिए धन जुटाने के लिए ही अमेरिका की पहली यात्रा की. बुढ़ापे में उन्हें इस्राएल का राष्ट्रपति बनने का न्योता दिया गया, आइनस्टाइन ने इसे ठुकरा दिया.
तस्वीर: Imago/United Archives International
ईश्वर को चिट्ठियां
हर साल येरुशलम के डाक घर को 1,000 से ज्यादा ऐसे खत मिलते हैं, जो भगवान को लिखे जाते हैं. ये चिट्ठियां कई भाषाओं में लिखी होती हैं और विदेशों से भी आती हैं. ज्यादातर खत रूसी और जर्मन में होते हैं.
तस्वीर: Fotolia/V. Kudryashov
येरुशलम की पीड़ा
इतिहास के मुताबिक येरुशलम शहर दो बार पूरी तरह खाक हुआ, 23 बार उस पर कब्जा हुआ, 52 बार हमले हुए और 44 बार शहर पर किसी और का शासन हुआ. गिहोन झरने के पास शहर का सबसे पुराना इलाका है, कहा जाता है कि इसे 4500-3500 ईसा पूर्व बनाया गया. इसे मुसलमानों, ईसाइयों और यहूदियों का पवित्र शहर कहा जाता है.
तस्वीर: DW/S. Legesse
पैसेंजर फ्लाइट का रिकॉर्ड
24 मई 1991 को इस्राएली एयरलाइन कंपनी एल अल का बोइंग 747 विमान 1,088 यात्रियों को लेकर इस्राएल पहुंचा. किसी जहाज में यह यात्रियों की रिकॉर्ड संख्या है. इथियोपिया के ऑपरेशन सोलोमन के तहत यहूदियों को अदिस अबाबा से सुरक्षित निकालकर इस्राएल लाया गया.
तस्वीर: JACK GUEZ/AFP/Getty Images
खास है मुद्रा
इस्राएली मुद्रा शेकेल दुनिया की उन चुनिंदा मुद्राओं में से है जिनमें दृष्टिहीनों के लिए खास अक्षर हैं. दृष्टिहीनों की मदद करने वाली मुद्राएं कनाडा, मेक्सिको, भारत और रूस में भी हैं.