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बेन्यामिन नेतन्याहू पर क्या आरोप तय किए गए हैं

ऋषभ कुमार शर्मा
२२ नवम्बर २०१९

इस्राएल एक साल में तीसरी बार आम चुनावों की तरफ बढ़ रहा है. इस्राएल के वर्तमान प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू पर भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के आरोप तय हो गए हैं. आखिर क्या हैं वो मामले जिनमें ये आरोप तय हुए हैं.

Israel | Benjamin Netanjahu
तस्वीर: AFP/G. Tibbon

इस्राएल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू पर भ्रष्टाचार के तीन मामलों में आरोप तय किए गए हैं. वो इस्राएल के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्हें पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ा है. नेतन्याहू इस्राएल के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले नेता भी हैं. 21 नवंबर को नेतन्याहू पर तीन अलग अलग आपराधिक मामलों में जालसाजी, रिश्वतखोरी और विश्वासघात करने के आरोप तय किए गए हैं.

इस मुकदमे का नाम स्टेट ऑफ इस्राएल बनाम बेन्यामिन नेतन्याहू दिया गया है. आरोप तय होने की घोषणा पहले ही हो जानी थी लेकिन पहले अप्रैल में सरकार ना बन पाने पर फिर सितंबर में हुए आम चुनावों के चलते यह काम रुक गया था. इस्राएल के अटॉर्नी जनरल अविचाई मैंडलब्लिट ने प्रधानमंत्री का पक्ष लेते हुए इन आरोपों को गलत और राजनीति से प्रेरित बताया. उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री से सत्ता छीनने की एक कोशिश है. अविचाई मैंडलब्लिट इससे पहले नेतन्याहू की सरकार में कैबिनेट सैक्रेटरी रह चुके हैं. इस्राएली अखबारों में विपक्षी पार्टियों ने विज्ञापन देकर नेतन्याहू से पद छोड़ने की मांग की है. विपक्षी पार्टियों का कहना है कि नेतन्याहू ने धोखा किया है और उन्हें पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है.

तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Sultan

नेतन्याहू के खिलाफ क्या मुकदमे हैं

इस्राएली न्यूज एजेंसी हारेत्स के मुताबिक जिन तीन मामलों में नेतन्याहू पर आरोप तय हुए हैं उनके नाम केस 1000, केस 2000 और केस 4000 हैं. इन तीनों केसों की जांच तीन साल से चल रही थी. उनके खिलाफ आरोप तय करने की कार्यवाही अप्रैल में चुनावों से पहले शुरू हुई थी. 2018 में दो पुलिस रिपोर्टों में उनके ऊपर आरोप तय करने की बात कही गई थी. केस 1000 में उनके ऊपर जालसाजी और विश्वासघात के आरोप हैं. इस केस में आरोप है कि नेतन्याहू और उनकी पत्नी सारा ने मशहूर फिल्म प्रोड्यूसर अर्नन मिल्शेन और ऑस्ट्रेलियाई व्यापारी जेम्स पैकर से 2,80,000 डॉलर रुपये के महंगे गिफ्ट लिए. इसके बदले में उन्होंने 2007 से 2016 तक उनकी राजनीतिक मदद की. नेतन्याहू ने गिफ्ट लेने की बात स्वीकार की लेकिन इसे दोस्तों की ओर से दिया सामान्य गिफ्ट बताया.

केस 2000 में नेतन्याहू पर जालसाजी और विश्वासघात आरोप है. इसके मुताबिक उन्होंने 2015 के चुनाव के दौरान इस्राएल के सबसे बड़े हिब्रू भाषा के अखबार से अपने पक्ष में मीडिया कवरेज करवाने की बात की. इसके बदले में उन्होंने इस अखबार के प्रतिद्वंदी अखबार को नुकसान पहुंचाने के लिए समझौता करने की कोशिश की थी. हालांकि यह समझौता कभी अपने अंजाम तक नहीं पहुंच सका.

तस्वीर: Getty Images/AFP/G. Tibbon

केस 4000 में नेतन्याहू पर रिश्वतखोरी, जालसाजी और विश्वासघात के सबसे गंभीर आरोप हैं. उन पर आरोप है कि उन्होंने इस्राएल के सबसे बड़े टेलीफोन सेवा देने वाली कंपनी बेसेक टेलीकॉम से 2012 से 2017 के बीच अपना प्रचार करने के लिए गुप्त समझौता किया. इसके लिए इस कंपनी को सरकार की तरफ से 50 करोड़ डॉलर की मदद दी गई. नेतन्याहू के पास कुछ समय तक टेलीकॉम मंत्रालय का भी प्रभार था. नेतन्याहू ने अपने बचाव में कहा कि अपने पक्ष में प्रचार करवाना रिश्वतखोरी नहीं है. इस मामले का खुलासा इस्राएली अखबार हारेत्स में छपी एक रिपोर्ट के बाद हुआ था.

तो क्या जाएगी नेतन्याहू की कुर्सी

इस्राएल में एक साल में दो बार चुनाव हो चुके हैं. दोनों बार किसी पार्टी या गठबंधन को बहुमत नहीं मिला. वर्तमान सत्ताधारी और विपक्षी दोनों पार्टियों ने सरकार बनाने की कोशिश की लेकिन वो सरकार नहीं बना सके. अब देश एक साल में तीसरी बार चुनाव की ओर बढ़ रहा है. ऐसे में नेतन्याहू के ऊपर जल्दी से कोई कार्रवाई होने की उम्मीद नहीं है. अभी उनके ऊपर सिर्फ आरोप तय हुए हैं. इसके बाद ट्रायल चलेगा.

ट्रायल से बचने के लिए नेतन्याहू इस्राएल की संसद के सामने अर्जी दे सकते हैं. इसके लिए उनके पास आरोप तय होने के बाद से 30 दिन का समय है. संसद की एक समिति यह तय करेगी कि उन्हें ट्रायल से छूट दी जाए या नहीं. लेकिन अभी चुनावों के बाद कोई सरकार नहीं बनी है. ऐसे में संसद में समिति भी नहीं बनी है. इसलिए नेतन्याहू 30 दिन तक अर्जी दाखिल नहीं कर सकते. समिति बनने के बाद उनके पास 30 दिन का समय होगा. ऐसे में जब तक समिति नहीं बनेगी नेतन्याहू पर ट्रायल नहीं चल सकता. सिर्फ आरोप साबित होने से उनके पद पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

इस्राएल तीसरी बार चुनावों की ओर बढ़ रहा है. ऐसे में नेतन्याहू के विपक्षी नेताओं के पास उन्हें घेरने के लिए नए आरोप जरूर मिल गए हैं. जब भी नई सरकार बनेगी और संसद चलेगी. वहां नेतन्याहू का मुद्दा पहुंचेगा. इस्राएल में पहली बार किसी कार्यरत प्रधानमंत्री के खिलाफ आरोप तय हुए हैं. ऐसे में वहां के कानून में भी इस तरह की परिस्थिति के बारे में कुछ नहीं लिखा गया है. फिलहाल नेतन्याहू की गद्दी कम से कम अगली सरकार बनने तक तो सुरक्षित लगती है.

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