इस्राएली बच्चों की गणित सुधारने के लिए जारी हुए बॉन्ड
१५ जुलाई २०१९
इस्राएल में सोशल इंपैक्ट इन्वेस्टमेंट बढ़ता जा रहा है. कंप्यूटर शिक्षा से गणित तक में बच्चों की रुचि बढ़ाने के लिए सोशल इंपैक्ट बॉन्ड जारी किए जा रहे हैं. निवेशकों को भी इसमें बहुत फायदा हो रहा है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Kahana
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सोशल फाइनेंस इस्राएल (एसएफआई) नाम की एक संस्था ने बच्चों को गणित में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए सोशल इंपैक्ट बॉन्ड जारी किए हैं. इस प्रोग्राम का उद्देश्य राहत शहर में उच्च कक्षाओं में पढ़ रहे बच्चों की गणित में रुचि जगाना है. फिलहाल इस शहर में गणित पढ़ने वाले बच्चों की संख्या महज 15 प्रतिशत है. इस संख्या में होने वाली वृद्धि पर ही इस बॉन्ड का रिटर्न निर्भर करेगा.
एसएफआई रोनाल्ड कोहेन और यारोन न्यूडोर्फर द्वारा स्थापित किया गया एक एनजीओ है जो सरकार और व्यावसायिक संस्थाओं के साथ सकारात्मक सामाजिक माहौल बनाने का काम करता है. एसएफआई ने अब तक लगभग 85 करोड़ रुपये सोशल इंपैक्ट बॉन्ड के लिए जमा कर लिए हैं. इन्हें 'पे फॉर सक्सेज' प्रोजेक्ट के नाम से भी जाना जाता है. इसके अलावा एसएफआई ने मिजरही तेफाहोत बैंक सहित सात निवेशकों से सोशल इंपैक्ट बॉन्ड के जरिए 100 करोड़ से भी ज्यादा रुपये जमा किए हैं. इन पैसों को इस्राएल का शिक्षा मंत्रालय इस कार्यक्रम की सफलता के हिसाब से निवेशकों को वापस करेगा.
क्या है सोशल इंपैक्ट बॉन्ड
साधारण बॉन्ड में जब निवेशकर्ता बॉन्ड खरीदता है तो वो उसके लिए एक निश्चित राशि का भुगतान करता है. इसके बदले उसे निश्चित समय के बाद एक निश्चित दर का रिटर्न मिलता है. बॉन्ड जारी करने वाली संस्था निवेशक से मिले इस पैसे का निवेश अलग-अलग जगहों जैसे शेयर बाजार, जमीन खरीदने या किसी स्टार्ट अप में निवेश करने में इस्तेमाल करती है. इस निवेश से आने वाले पैसे में से अपना मुनाफा कमाने के बाद संस्था निवेशक को तय राशि वापस कर देती है.
सोशल इंपैक्ट बॉन्ड में रिटर्न की कोई गारंटी नहीं है. सोशल रिटर्न बॉन्ड में संस्था सामाजिक सरोकार के लिए बॉन्ड जारी करती है. इस बॉन्ड में निवेश करने वाले लोगों के पैसे के मूलधन की वापसी की भी कोई गारंटी नहीं होती. जिस सामाजिक सरोकार के लिए पैसा निवेश किया जाता है उसके परिणाम पर निर्भर करता है कि निवेशक को मूलधन भी वापस होगा या नहीं. अगर सामाजिक सरोकार का अच्छा नतीजा आता है तो मूलधन के साथ निवेशक को कुछ मुनाफा भी मिल जाता है.
बीमारी से लड़ने के लिए बॉन्ड
इस्राएल में इंपैक्ट इनवेस्टिंग का बाजार पिछले दो साल में दोगुना बढ़कर 2018 में पौने दो अरब रुपये की लगभग कीमत का हो गया है. 2016 में एसएफआई ने वित्तीय सेवाएं देने वाली यूबीएस के साथ मिलकर टाइप 2 की डायबिटीज को रोकने के लिए लगभग 40 करोड़ रुपये के बॉन्ड बेचे थे. प्री-डाइबिटीज को ध्यान में रखकर बनाया गया शुरुआती अभियान अब अपने दूसरे साल में है. इसके नतीजे 2019 के आखिर में पता चलेंगे.
एसएफआई के पहले बॉन्ड का उद्देश्य उच्च शिक्षा में कंप्यूटर विज्ञान के छात्रों के पढ़ाई अधूरी छोड़ने की दर को कम करना था. इन बॉन्ड्स की कीमत 17 करोड़ रुपये के लगभग थी. एसएफआई के सीईओ न्यूडोर्फर का कहना है कि इस प्रदर्शन के आधार पर लगता है कि निवेशकों को अपना पैसा लगभग चार प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर के मुनाफे के साथ मिल जाएगा. एसएफआई के आने वाले प्रोजेक्टों में बुजुर्गों का अकेलापन दूर करने का अभियान और बड़े परिवारों को गरीबी से बाहर निकालने का अभियान शामिल है. एसएफआई क्राउडफंडिग निवेशक आरक्राउड के साथ 240 करोड़ रुपये की कीमत का एक निवेश करने की योजना में है. ये निवेश सोशल इंपैक्ट से जुड़े काम करने वाले स्टार्टअप्स में होगा. पिछले साल ऐसे स्टार्ट अप्स ने 1.6 अरब डॉलर का निवेश प्राप्त किया.
12 फोटोग्राफरों को इस्राएल भेजा गया. मकसद था अपने कैमरे से इस्राएल की अलग-अलग तस्वीरें उतारना. अब उनकी अलग-अलग तस्वीरें और वीडियो बर्लिन के यहूदी म्यूजियम में रखी हुई हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
एट हॉम (2013)
वेंडी ईवाल्ड बच्चों, किशोरों और वयस्कों के साथ पिछले चार दशकों से काम कर रही हैं. वो जिन लोगों की तस्वीरें लेती हैं, उनसे बात करती हैं. उनके सपनों और कहानियों को सुनती हैं. वो उन्हें अपना कैमरा दे देती हैं जिससे वे खुद तस्वीरें खींच सकें. बाद में वेंडी इन तस्वीरों को अपने हिसाब से जमा लेती हैं. ये फोटो अमल ने वेंडी के कैमरे से ली है.
तस्वीर: Wendy Ewald
पैलेस होटल (2009)
येरुशलम के बीच में ये निर्माणाधीन इमारत है पुराना पैलेस होटल. अरब लेबनानी दुनिया का एक लग्जरी होटल. एक निवेशक ने इसमें से अपना पैसा निकाल लिया. फोटोग्राफर फ्रेडरिक बैनेर संयोग से वहां पहुंचे और इसकी तस्वीरें लीं. यहां बस दिखने लायक कंगूरा बचा है. आज हर कोई प्रसिद्ध यहूदी होटल वाल्डोर्फ-एस्टोरिया की तारीफ करता है.
तस्वीर: Frédéric Brenner, Courtesy Howard Greenberg Gallery
एक अनाम तस्वीर
ब्रिटिश फोटोग्राफर निक वैपलिंगटन ने 2011 के वेनिस बिएनले में अपने देश का प्रतिनिधित्व किया. अपने प्रोजेक्ट 'दिस पैलेस' के लिए उन्होंने कई सारे इस्राएली नागरिकों से बात की जो अपने घर और अपार्टमेंट बना रहे हैं. वे अधिकृत क्षेत्र में अत्यधिक धार्मिक समाज में रहते हैं. निक कहते हैं कि वो जानना चाहते थे कि ये लोग यहां क्यों हैं और सारी अवधारणाओं को कैसे तोड़ रहे हैं.
तस्वीर: Nick Waplington
फील्ड ट्रिप (2009-2011)
कोलार 2010 में इस्राएल में रहे और वहां बहुत घूमे. अपने कैमरे से उन्होंने दिखाने की कोशिश की कि इस्राएलियों और फलीस्तीनियों के युद्ध का वहां के लोगों के सामान्य जीवन पर क्या असर पड़ रहा है. उन्होंने असमान्य बाधाओं और घेराबंदी के बीच बिताया जा रहा जीवन पाया. ये दर्शकों की कल्पनाशीलता पर निर्भर करता है कि वह इसे किस तरह देखते हैं.
तस्वीर: Martin Kollar
कॉन्टैक्ट शीट (2013)
फ्रेंच फोटोग्राफर गिलेस पेरेस ने पूर्वी येरुशलम में अपना अधिक समय बिताया. दिन के अलग-अलग समय में वे सिलवान बस्ती में घूमते थे जिसमें मुख्य रूप से फलिस्तीनी रहते हैं. उन्होंने चैकपॉइंट, तारबंदी, दीवारों, सरहद, जमीन और दुकानों वाली गलियों की तस्वीरें ली हैं. इन सब को मिलाकर उन्होंने एक बड़ी कॉन्टैक्ट शीट बनाई है.
तस्वीर: Gilles Peress
रूट 60, बेतलेहेम (2009)
जोसेफ ने 1950 के दशक में चेकोस्लोवाकिया में काम करना शुरू किया. बाद में उन्होंने पेरिस की प्रसिद्ध मैग्नम एजेंसी के लिए काम किया. उन्होंने एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और अब भी वो एरियल फोटोग्राफी में दिलचस्पी रखते हैं. उनकी यह तस्वीर बेतलेहेम का ऊपर से नजारा दिखाती है.
तस्वीर: Josef Koudelka/Magnum Photos
रोजालिंड फॉक्स सोलोमॉन की तस्वीर (2011)
सोलोमॉन इस प्रॉजेक्ट में सबसे उम्रदराज हैं. वो 1930 में अमेरिका में पैदा हुई थीं. उन्होंने एक फोटोग्राफर के रूप में भारत, पेरू और दक्षिणी अमेरिका में भी काम किया है. सोलोमन 2010-11 में पांच महीने तक येरुशलम में रहीं. पूरे देश में बस से घूमीं, श्रद्धालुओं, पर्यटकों और शरणार्थियों की तस्वीरें लीं. उनके काम में खुशी और दुख दोनों के पल दिखते हैं.
तस्वीर: Rosalind Solomon
सैंट सबस मोनेस्ट्री (2009)
स्टीफन शोर की यह तस्वीर बाइबल की तरह पुरानी लगती है. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि इस्राएल और पश्चिमी घाट पर मेरे अंदर एक ऊर्जा ने प्रवेश किया. वहां पर कुछ अद्भुत तो हो रहा था. बेतलेहेम में सैंट सबस मोनेस्ट्री 483 में बनाई गई थी. यह फलस्तीनी इलाके में स्थित सबसे पुराना मठ है. और आज भी आबाद है.
तस्वीर: Stephen Shore
फ्रॉम दा डेसर्ट (2011)
फोटोग्राफर फजल शेख ने इस्राएल के नेगेव मरुस्थल के ऊपर अनगिनत उड़ानें भर दूर दराज के इलाकों में उजड़ चुकीं बेडौइन बस्तियों को खोजा. उन्होंने इस्राएल से व्यवस्थित रूप से निष्कासित होकर रेगिस्तान में आ चुकीं इन बस्तियों के अवशेषों की तस्वीरें लीं. वो अपनी इन तस्वीरों को दुनिया के विस्तार को समर्पित करते हैं.
तस्वीर: Fazal Sheikh
दर्शनीय संग्रहालय की इमारत
बर्लिन के यहूदी संग्रहालय को अमेरिकी आर्किटेक्ट डेनियल लिएबेस्काइंड ने एक नया रूप दे दिया. यहां पर लगने वाली स्थाई प्रदर्शनी, जिस पर फिर से काम हो रहा है, पूरी तरह से यहूदियों के जीवन पर आधारित है. फोटो प्रॉजेक्ट दिस प्लेस को तेल अवीव, प्राग और न्यूयॉर्क में पहले ही दिखाया जा चुका है. और अब 5 जनवरी 2020 तक यहूदी संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा.