कुछ महीने पहले जंग जैसे हालात में भिड़ रहे इस्राएल और फलस्तीन के शीर्ष नेता आपस में मिले. इसके बाद इस्राएल ने 9,500 फलस्तीनियों को पहचान पत्र जारी करने की घोषणा की. व्यापार के मकसद से 500 लोगों को कार परमिट भी जारी होगा.
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इस्राएल के रक्षा मंत्री बेनी गांत्स ने फलस्तीन के शीर्ष नेता महमूद अब्बास के साथ मुलाकात की है. इस्राएली रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि इस बैठक में नागरिक सुरक्षा से जुड़े कई मामलों पर बातचीत हुई है. हाल के सालों में यह एक विरला मौका है, जहां इस्राएल और फलस्तीनियों के बीच इतनी उच्च स्तरीय बैठक हुई हो.
फलस्तीनियों को पहचान पत्र
इस्राएली मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक, गांत्स ने तेल अवीव इलाके में स्थित अपने घर पर अब्बास की अगवानी की. इससे पहले दोनों नेताओं के बीच अगस्त 2021 में मुलाकात हुई थी. इस मुलाकात में गांत्स ने अब्बास को "आर्थिक और नागरिक मामलों में भरोसा कायम करने वाले तरीकों पर और आगे बढ़ने" के अपने इरादे के बारे में बताया. बातचीत के बाद, गांत्स ने वेस्ट बैंक में मौजूद 6,000 और गजा पट्टी के 3,500 फलस्तीनियों की पहचान को मानवीय आधार पर पहचान पत्र देने का फैसला किया. इस्राएल की ओर से रोका गया करीब 239 करोड़ रुपये का टैक्स भी फलस्तीनी प्रशासन के सुपुर्द किया जाएगा. इसके अलावा, 500 लोगों को व्यापार के मकसद से इस्राएल में कार ले जाने की अनुमति दी जाएगी.
सन 1967 से वेस्ट बैंक पर इस्राएल का कब्जा है. कुछ ही महीने पहले अक्टूबर में इस्राएल ने वेस्ट बैंक में रहने वाले 4,000 फलस्तीनियों को पहचान पत्र जारी करने की घोषणा की थी, जिसकी मदद से वे चेक नाकों से बेरोक टोक आ जा सकें. आधिकारिक पंजीकरण का यह अभियान बरसों से बंद पड़ा था.
अरब-इस्राएल युद्ध के वो छह दिन
1967 में केवल छह दिन के लिए चली अरब-इस्राएल के बीच की जंग में इस्राएल ने जीत हासिल की. इस जीत ने दुनिया में इस्राएल को एक ताकतवर देश के तौर पर स्थापित कर दिया. आइए जानते हैं इस जंग से जुड़ी कुछ अहम बातें.
अरब-इस्राएल युद्ध 5 जून 1967 को शुरू हुआ. सवेरे सवेरे इस्राएली विमानों ने काहिरा के नजदीक और स्वेज के रेगिस्तान में स्थित मिस्र के हवाई सैन्य अड्डों पर बम बरसाये. चंद घंटों के भीतर मिस्र के लगभग सभी विमान धराशायी हो चुके थे. वायुक्षेत्र पर नियंत्रण कर इस्राएल ने लगभग पहले दिन ही इस लड़ाई को जीत लिया था.
तस्वीर: Imago/Keystone
कैसे छिड़ा युद्ध
स्थानीय समय के अनुसार तेल अवीव से सवेरे 7.24 बजे खबर आयी कि मिस्र के विमानों और टैंकों ने इस्राएल पर हमला कर दिया है. इस्राएल के दक्षिणी हिस्से में भारी लड़ाई की रिपोर्टें मिलने लगीं. लेकिन आज बहुत से इतिहासकार मानते हैं कि लड़ाई की शुरुआत इस्राएली वायुसेना की वजह से हुई, जिसके विमान मिस्र के वायुक्षेत्र में घुस गये.
तस्वीर: Government Press Office/REUTERS
युद्ध की घोषणा
मिस्र में 8.12 बजे सरकारी रेडियो से घोषणा हुई, “इस्राएली सेना ने आज सवेरे हम पर हमला कर दिया है. उन्होंने काहिरा पर हमला किया और फिर हमारे विमान दुश्मन के विमानों के पीछे गये.” काहिरा में कई धमाके हुए और शहर सायरनों की आवाजों से गूंज उठा. काहिरा का एयरपोर्ट बंद कर दिया गया और देश में इमरजेंसी लग गयी.
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अरब देश कूदे
सीरियाई रेडियो से भी यह खबर चली और 10 बजे सीरिया ने कहा कि उसके विमानों ने इस्राएली ठिकानों पर बम गिराये हैं. जॉर्डन ने भी मार्शल लॉ लगा दिया और इस्राएल के खिलाफ युद्ध की घोषणा करने से पहले अपनी सेना को मिस्र की कमांड में देने का फैसला किया. इराक, कुवैत, सूडान, अल्जीरिया, यमन और फिर सऊदी अरब भी मिस्र के साथ खड़े दिखे.
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सड़क पर लड़ाई
येरुशलेम में इस्राएली और जॉर्डेनियन इलाकों में सड़कों पर लड़ाइयां छिड़ गयीं और ये युद्ध जल्दी ही जॉर्डन और सीरिया से लगने वाली इस्राएली सीमाओं तक पहुंच गया. इस्राएल-जॉर्डन के मोर्चे से भारी लड़ाई की खबर मिली. सीरियाई विमानों ने तटीय शहर हैफा को निशाना बनाया जबकि इस्राएलियों ने कई हमलों के जरिये दमिश्क के एयरपोर्ट को निशाना बनाया.
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दुनिया फिक्रमंद
मिस्र और इस्राएल, दोनों को इस लड़ाई में अपनी अपनी जीत का भरोसा था. अरब देशों में गजब का उत्साह था. लेकिन विश्व नेता परेशान थे. पोप पॉल छठे ने कहा कि येरुशलेम को मुक्त शहर घोषित किया जाए. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक हुई. अमेरिकी राष्ट्रपति लिडंन बी जॉनसन ने सभी पक्षों से लड़ाई तुरंत रोकने को कहा.
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घमासान
इस्राएली सैनिकों ने गजा के सरहदी शहर खान यूनिस और वहां मौजूद सभी मिस्री और फलस्तीनी बलों पर कब्जा कर लिया. एक एएफपी रिपोर्ट में खबर दी कि इस तरह इस्राएल ने अपनी पश्चिमी सरहद को सुरक्षित कर लिया. उसकी सेनाएं दक्षिणी हिस्से में मिस्र की सेना के साथ लोहा ले रही थी.
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मारे गिराए विमान
आधी रात को इस्राएल ने कहा कि उसने मिस्र की वायुसेना को तबाह कर दिया है. लड़ाई के पहले ही दिन 400 लड़ाकू विमान मारे गिराये गये. इनमें मिस्र के 300 विमान जबकि सीरिया के 50 विमान शामिल थे. इस तरह लड़ाई के पहले ही दिन इस्राएल ने अपनी पकड़ मजबूत बना ली.
रात को इस्राएली संसद नेसेट की बैठक हुई और इस्राएली प्रधानमंत्री लेविस एशकोल ने बताया कि सारी लड़ाई मिस्र में और सिनाई प्रायद्वीप में चल रही है. उन्होंने बताया कि मिस्र, जॉर्डन और सीरिया की सेनाओं को गंभीर नुकसान पहुंचाया गया है.
खत्म हुई लड़ाई
11 जून को युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर हुए और लड़ाई खत्म हुई. लेकिन इस जीत से इस्राएल ने दुनिया को हैरान कर दिया. इससे जहां इस्राएली लोगों का मनोबल बढ़ा, वहीं अंतरराष्ट्रीय जगत में उनकी प्रतिष्ठान में भी इजाफा हुआ. छह दिन में इस्राएल की ओर से गए सैनिकों की संख्या जहां एक हजार से कम थी वहीं अरब देशों के लगभग 20 हजार सैनिक मारे गए.
तस्वीर: Picture-alliance/AP/Keystone/Israel Army
इस्राएल का दबदबा
लड़ाई के दौरान इस्राएल ने मिस्र से गाजा पट्टी और सिनाई प्रायद्वीप, जॉर्डन से वेस्ट बैंक और पूर्वी येरुशलेम और सीरिया से गोलन हाइट की पहाड़ियों को छीन लिया था. अब सिनाई प्रायद्वीप मिस्र का हिस्सा है जबकि वेस्ट बैंक और गजा पट्टी फलस्तीनी इलाके हैं, जहां फलस्तीनी राष्ट्र बनाने की मांग बराबर उठ रही है. (रिपोर्ट: एएफपी/एके)
तस्वीर: Reuters/Moshe Pridan/Courtesy of Government Press Office
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शांति के कितने करीब
फलस्तीनियों ने पिछले कुछ हफ्तों में इस्राएल के कब्जे वाले वेस्ट बैंक और पूर्वी येरूशलम में रहने वाले इस्राएली बाशिंदों पर हमले किए हैं. इसी तरह इस्राएली बाशिंदों की तरफ से फलस्तीनियों पर हमला करने की खबरें भी सामने आई हैं. अमेरिका की मध्यस्थता से दोनों पक्षों के बीच चल रही शांति वार्ता, साल 2014 में अटक गई थी. अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडेन के चुने जाने बाद अब्बास ने मध्य-पूर्व में शांति कायम करने के लिए दोबारा वार्ता शुरू करने की इच्छा जताई है.
अब्बास के लिए वार्ता का मकसद एक आजाद फलस्तीनी राष्ट्र बनाना है. फलस्तीनी चाहते हैं कि उनका अपना राष्ट्र हो, जिसकी राजधानी पूर्वी येरूशलम बने. दूसरी ओर इस्राएली प्रधानमंत्री नफताली बेनेट फलस्तीनी राष्ट्र के खिलाफ हैं. हालांकि, वह खुद भी वेस्ट बैंक इलाके में संघर्ष कम करने और आम लोगों के लिए हालात बेहतरकरने की बात कह चुके हैं.
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हमास की प्रतिक्रिया
फलस्तीनी चरमपंथी समूह, हमास ने इस बैठक में शामिल होने के लिए राष्ट्रपति अब्बास की निंदा की है. हमास के प्रवक्ता हाजेम कासम ने कहा कि फलस्तीनी प्रशासन के इस रवैये ने फलस्तीन की राजनीति में ज्यादा बिखराव ला दिया है. कासम का कहना है कि इससे फलस्तीनी इलाके पर कब्जा करने वालों के साथ स्थिति सामान्य करने के पक्षधर लोग मजबूत होंगे और फलस्तीनियों का प्रतिरोध कमजोर पड़ेगा.
आरएस/आरपी (डीपीए, एपी)
चम्मच से खोद डाली जेल की सुरंग, फलस्तीन में आंदोलन का नया प्रतीक
6 सितंबर को इस्राएल की अधिकतम सुरक्षा वाली जेल से छह फलस्तीनी कैदी सुरंग खोदकर फरार हो गए थे. कैदियों ने सुरंग खोदने के लिए कथित तौर पर चम्मच का इस्तेमाल किया. सारे फरार पकड़े गए.
तस्वीर: Ilia Yefimovich/dpa/picture alliance
चम्मच से खोदी संकरी सुरंग
उत्तरी इस्राएल की उच्च सुरक्षा वाली गिल्बोआ जेल से छह कैदी सुरंग खोदकर फरार हो गए थे. उन्होंने इस घटना को अंजाम देने के लिए बड़ी योजना बनाई और 6 सितंबर के तड़के मौके का फायदा उठाकर सुरंग के जरिए फरार हो गए.
तस्वीर: Sebastian Scheiner/AP/picture alliance
कई महीनों से खोद रहे थे सुरंग
फरार कैदियों में से एक याकूब कादरी की वकील ने फलस्तीनी टीवी चैनल को बताया कि कैदी 6 सितंबर को फरार नहीं होने वाले थे. लेकिन उन्हें लगा कि उनकी गतिविधियां संदिग्ध हो गई हैं और हो सकता है जेल अधिकारियों को शक होने लगा था. एक और कैदी के वकील ने कहा कि सुरंग खुदाई का काम पिछले साल दिसंबर से चल रहा था.
तस्वीर: Ilia Yefimovich/dpa/picture alliance
सुरंग खोदने वाले हीरो बने
फरार हुए कैदी यहूदी देश के खिलाफ जानलेवा हमले के आरोप में गिरफ्तार किए गए थे और उन्हें गिल्बोआ की अधिकतम सुरक्षा वाली जेल में रखा गया था. जेल से फरार होने वाले कैदी फलस्तीनियों के बीच हीरो बन गए हैं. ऐसी रिपोर्टें सामने आईं कि उन्होंने सुरंग खोदने के लिए चम्मच का इस्तेमाल किया.
तस्वीर: Ismael Mohamad/UPI Photo via Newscom/picture alliance
आखिरकार पकड़े गए
खुली हवा में कैदी ज्यादा दिनों तक सांस नहीं ले पाए. इस्राएली सेना और पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. सबसे पहले चार कैदियों को गिरफ्तार किया गया और फिर 19 सितंबर को बाकी के दो फरार कैदी पकड़े गए. उनकी मदद करने वाले भी दो लोग हिरासत में लिए गए.
तस्वीर: Mostafa Alkharouf/AA/picture alliance
कौन थे फरार कैदी
सभी छह भगोड़े फलस्तीनी आतंकवादी समूहों के सदस्य थे जिन्हें इस्राएल की अदालतों ने इस्राएल के खिलाफ हमले की साजिश रचने या अंजाम देने के लिए दोषी ठहराया था. इनमें सशस्त्र फलस्तीनी इस्लामी आंदोलन समूह के दो सदस्य, पिछले सप्ताह जिन अन्य चार लोगों को पकड़ा गया उनमें भगाने का कथित मास्टरमाइंड महमूद अब्दुल्ला अरदा और फतह आंदोलन के सशस्त्र विंग का नेतृत्व करने वाले जकारिया जुबैदी शामिल थे.
तस्वीर: Ahmad Gharabli/AFP/Getty Images
घटना से उठे सवाल
कड़ी सुरक्षा वाली जेल से कैदियों का फरार होना बड़ा मुद्दा बना. सुरक्षा को लेकर सवाल उठे और इस्राएली जेल सेवा को शर्मिंदा होना पड़ा लेकिन फलस्तीनियों को प्रसन्न होने का मौका दिया.
तस्वीर: Ilia Yefimovich/dpa/picture alliance
चम्मच बना प्रतीक
एक कलाकार ने गजा शहर में दीवार पर चित्र बनाए. इस पेंटिंग के जरिए फलस्तीनी प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में पारंपरिक झंडे और बैनर के साथ एक चम्मच ने भी जगह ले ली है.
तस्वीर: Mahmud Hams/AFP/Getty Images
मीडिया में छाई रही फरारी की खबरें
इस्राएल की जेल से कैदियों का इस तरह से फरार हो जाना एक नाट्कीय घटना थी, पिछले दो सप्ताह तक यह खबर मीडिया में छाई रही और इस्राएल की जेल सेवा की भारी आलोचना हुई.
तस्वीर: Youssef Abu Watfa/APA/Zuma Press/picture alliance
पकड़ने के लिए चला अभियान
इस्राएल की सेना और पुलिस ने फरार कैदियों को पकड़ने के लिए नाकेबंदी की, ड्रोन का इस्तेमाल किया और सीमाएं सील कीं. आखिरकार 19 सितंबर को उसने फरार छह कैदियों में से बचे दो कैदियों को भी पकड़ लिया. इस्राएली प्रधानमंत्री ने सुरक्षाकर्मियों को बधाई देते हुए ट्विटर पर लिखा,ऑपरेशन प्रभावशाली, जटिल और तेज था.