एक इस्राएली पत्रकार के गुप्त तरीके से मक्का पहुंच वहां शूटिंग करने पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. मक्का में सिर्फ मुसलमान ही जा सकते हैं और पत्रकार ने वीडियो में कहा था कि उसे इस बात की जानकारी थी.
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इस्राएल के चैनल 13 के पत्रकार गिल तमारी ने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट की थी जिसमें वो इस्लाम में सबसे पवित्र शहर माने जाने मक्का में चोरी छुपे घुसे और घूमते हुए दिखाई दिए. मक्का में गैर मुसलमानों के जाने की मनाही है.
अब सऊदी अरब की पुलिस ने एक सऊदी नागरिक को तमारी की मदद करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है. सऊदी पुलिस ने अपने बयान में पत्रकार का नाम नहीं लिया लेकिन बताया कि वो एक अमेरिकी नागरिक है. पुलिस ने यह भी कहा कि उसके खिलाफ भी "उचित कानून के तहत" कार्रवाई की जाएगी.
तमारी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की सऊदी यात्रा पर रिपोर्ट करने सऊदी गए थे. उन्होंने वहां होने का फायदा उठाया, मक्का में चुपचाप घुस गए, घूमे और अपने चैनल के लिए वीडियो रिकॉर्ड किया.
करीब 10 मिनट के वीडियो क्लिप में तमारी मक्का की मुख्य मस्जिद के इर्द गिर्द गाड़ी चलाते और "गैर मुसलामानों" के लिए लगाए गए सड़क चिन्हों को नजरअंदाज करते हुए नजर आ रहे हैं. वो अराफात पर्वत पर भी जाते हैं जहां हज के लिए आए मुस्लिम हज के सबसे महत्वपूर्ण दिन पर जाते हैं और प्रार्थना करते हैं.
वीडियो में तमारी स्पष्ट रूप से यह कहते हुए दिखाई देते हैं कि उन्हें मालूम है कि वो जो कर रहे हैं वो गैर कानूनी है, लेकिन वो कहते हैं कि वो इस जगह को दिखाना चाहते थे "जो हमारे मुस्लिम भाइयों और बहनों के लिए इतनी महत्वपूर्ण है."
सऊदी अरब में सोशल मीडिया पर इस वीडियो के खिलाफ लोगों ने काफी नाराजगी जताई, जिसके बाद तमारी ने इसके लिए माफी मांगी. तमारी के स्पष्टीकरण और माफी के संदेश के बाद भी लोगों का गुस्सा शांत नहीं हुआ.
सऊदी अरब ने इस्राएल को अभी तक मान्यता नहीं दी है. उसने 2020 में अमेरिका द्वारा कराए गए अब्राहम संधि पर ही हस्ताक्षर नहीं किए थे जिसके तहत इस्राएल और सऊदी के पड़ोसी देशों यूएई और बहरीन के बीच संबंध स्थापित हुए थे. हालांकि सऊदी अरब और इस्राएल के बीच परदे के पीछे व्यापारिक और सुरक्षा संपर्क बढ़ रहे हैं.
सीके/एए (एएफपी, डीपीए)
कोरोना काल में पहला व्यापक हज
कोविड-19 महामारी के फैलने के बाद पहली बार सऊदी अरब ने हज के लिए सऊदी से बाहर के मुसलमानों को भी अनुमति दी है. देखिए इस साल के आयोजन से चुनिंदा तस्वीरें.
तस्वीर: AFP via Getty Images
दया का पर्वत
मक्का से 20 किलोमीटर दूर अराफात पर्वत पर बैठे हज करने वाले. अराफात को दया का पर्वत कहा जाता है और हज में इसकी विशेष भूमिका है. जिस दिन हज करने आए यात्री पर्वत पर पहुंचते हैं उसे हज का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है. मान्यता है कि पैगंबर मोहम्मद ने इसी पर्वत पर अपना आखिरी संबोधन दिया था.
तस्वीर: Ashraf Amra/AA/picture alliance
पुरानी मान्यता
हज यात्री अराफात पहाड़ी पर प्रार्थना करते हुए. माना जाता है कि आदम और हव्वा जब स्वर्ग से पृथ्वी पर गिरे थे तो इसी पर्वत पर दोनों एक दूसरे से मिल गए थे. 2019 में दुनिया भर से 25 लाख मुसलमान हज करने आए थे. इस साल सिर्फ 10 लाख लोगों को हज करने की इजाजत दी गई है.
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कोरोना की छाया
इस बार सभी हज यात्रियों के लिए कोविड-19 के खिलाफ टीका लेने का प्रमाणपत्र और निगेटिव पीसीआर टेस्ट दिखाना अनिवार्य है. मीना पहुंचने पर उन्हें छोटे छोटे थैले भी दिए गए जिनमें मास्क और सैनिटाइजर थे.
तस्वीर: Amr Nabil/AP/picture alliance
भीषण गर्मी
हज करना आदर्श हालात में भी शारीरिक रूप से काफी चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन इस बार भीषण गर्मी के रूप में एक चुनौती और है. तेज धूप और 42 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान श्रद्धालुओं की पूरी परीक्षा ले रहे हैं.
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छतरी से बचाव
हज की रस्में शुरू हो जाने के बाद पुरुष सर पर टोपी नहीं पहन सकते. ऐसे में धूप से बचा जाए तो कैसे? इस बार कई पुरुषों को धूप से बचने के लिए छातों और दरियों का इस्तेमाल करते हुए देखा गया. महिलाओं के लिए सिर ढकना अनिवार्य है.
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इंतजाम
सऊदी अधिकारियों ने इन हालात को लेकर अपनी तैयारियों के बारे में बताया है. उनका कहना है कि हीट स्ट्रोक से बचने के लिए बड़ी संख्या में कूलरों का और तबियत खराब हो जाने पर इलाज के लिए अस्पतालों में सैकड़ों बिस्तरों का इंतजाम किया गया है. इसके अलावा छाते, पानी की बोतलें और छोटे छोटे पंखे बांटने के लिए एक ट्रक का भी इतंजाम किया गया है.
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समापन की तरफ
शनिवार को हज करने वाले शैतान पर पत्थर फेंकेंगे जो इस साल हज की आखिरी बड़ी रस्म होगी. उसके बाद यात्री मक्का की मस्जिद लौट कर "तवाफ" यानी काबा की परिक्रमा में हिस्सा लेंगे. ईद-उल-अजहा के साथ हज का समापन हो जाएगा.