इस्राएल के राष्ट्रपति ने बुधवार को अंकारा में तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयब एर्दोआन से मुलाकात की. 14 साल में पहली बार कोई इस्राएली नेता तुर्की के दौरे पर है. चौकसी के बीच कई जानकार इसे बड़ा मौका मान रहे हैं.
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कई साल से विवादों में उलझे इस्राएल और तुर्की के रिश्तों में पहली बार गर्माहट नजर आई है. इस्राएल के राष्ट्रपति आइजैक हेर्त्सोग का तुर्की का दौरा एक बड़े बदलाव का संकेत है. हालांकि इस दौरे का महत्व प्रतीकात्मक ही है क्योंकि दोनों देशों के बीच विवाद के कई मुद्दे हैं जिन पर सहमति बना पाना किसी भी नेता के लिए टेढ़ी खीर होगा. लेकिन जानकार मानते हैं कि इस तरह की पहल एक सकारात्मक संकेत है.
तुर्की उस फलस्तीन का सशक्त समर्थक है जिसे इस्राएल अपना दुश्मन मानता है. यहूदी देश इस्राएल और मुस्लिम बहुल तुर्की के बीच और भी कई विवाद हैं जिनका हल होना अभी बाकी है और दोनों पक्ष इन बातों को समझते भी हैं. इस्राएल के राष्ट्रपति हेर्त्सोग ने तुर्की के लिए रवाना होने से पहले कहा, "हम हर चीज पर तो सहमत नहीं होंगे. इस्राएल और तुर्की के रिश्तों ने हाल के सालों में बहुत उतार-चढ़ाव देखें हैं, ऐसे क्षण देखे हैं जिन्हें साधारण नहीं कहा जा सकता. लेकिन हम अपने रिश्तों को एक नई शुरुआत देने की कोशिश करेंगे. उन्हें नपे-तुले और सावधानी भरे तरीके से फिर से बनाने की कोशिश करेंगे.”
तुर्की में हेर्त्सोग का स्वागत गार्ड ऑफ ऑनर के साथ हुआ. खुद राष्ट्रपति एर्दोआन ने मुस्तफा कमाल अतातुर्क मसोलियम में उनका स्वागत किया, जहां हेर्त्सोग ने तुर्की के पहले राष्ट्रपति के लिए तारीफ भी लिखी और उन्हें सहयोग का रास्ता चुनने वाला एक स्वप्नदर्शी नेता बताया.
सर्द संबंधों का इतिहास
इस्राएल और तुर्की के संबंध उस वक्त गर्त में चले गए थे जब तुर्की के एक जहाज मावी मरमारा पर मौजूद 10 नागरिकों की इस्राएली हमले में मौत हो गई थी. 2010 में यह जहाज गजा पट्टी में राहत सामग्री ले जाने की कोशिश कर रहा था, जब इस्राएली सेना ने उस पर हमला किया.
अरब-इस्राएल युद्ध के वो छह दिन
1967 में केवल छह दिन के लिए चली अरब-इस्राएल के बीच की जंग में इस्राएल ने जीत हासिल की. इस जीत ने दुनिया में इस्राएल को एक ताकतवर देश के तौर पर स्थापित कर दिया. आइए जानते हैं इस जंग से जुड़ी कुछ अहम बातें.
अरब-इस्राएल युद्ध 5 जून 1967 को शुरू हुआ. सवेरे सवेरे इस्राएली विमानों ने काहिरा के नजदीक और स्वेज के रेगिस्तान में स्थित मिस्र के हवाई सैन्य अड्डों पर बम बरसाये. चंद घंटों के भीतर मिस्र के लगभग सभी विमान धराशायी हो चुके थे. वायुक्षेत्र पर नियंत्रण कर इस्राएल ने लगभग पहले दिन ही इस लड़ाई को जीत लिया था.
तस्वीर: Imago/Keystone
कैसे छिड़ा युद्ध
स्थानीय समय के अनुसार तेल अवीव से सवेरे 7.24 बजे खबर आयी कि मिस्र के विमानों और टैंकों ने इस्राएल पर हमला कर दिया है. इस्राएल के दक्षिणी हिस्से में भारी लड़ाई की रिपोर्टें मिलने लगीं. लेकिन आज बहुत से इतिहासकार मानते हैं कि लड़ाई की शुरुआत इस्राएली वायुसेना की वजह से हुई, जिसके विमान मिस्र के वायुक्षेत्र में घुस गये.
तस्वीर: Government Press Office/REUTERS
युद्ध की घोषणा
मिस्र में 8.12 बजे सरकारी रेडियो से घोषणा हुई, “इस्राएली सेना ने आज सवेरे हम पर हमला कर दिया है. उन्होंने काहिरा पर हमला किया और फिर हमारे विमान दुश्मन के विमानों के पीछे गये.” काहिरा में कई धमाके हुए और शहर सायरनों की आवाजों से गूंज उठा. काहिरा का एयरपोर्ट बंद कर दिया गया और देश में इमरजेंसी लग गयी.
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अरब देश कूदे
सीरियाई रेडियो से भी यह खबर चली और 10 बजे सीरिया ने कहा कि उसके विमानों ने इस्राएली ठिकानों पर बम गिराये हैं. जॉर्डन ने भी मार्शल लॉ लगा दिया और इस्राएल के खिलाफ युद्ध की घोषणा करने से पहले अपनी सेना को मिस्र की कमांड में देने का फैसला किया. इराक, कुवैत, सूडान, अल्जीरिया, यमन और फिर सऊदी अरब भी मिस्र के साथ खड़े दिखे.
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सड़क पर लड़ाई
येरुशलेम में इस्राएली और जॉर्डेनियन इलाकों में सड़कों पर लड़ाइयां छिड़ गयीं और ये युद्ध जल्दी ही जॉर्डन और सीरिया से लगने वाली इस्राएली सीमाओं तक पहुंच गया. इस्राएल-जॉर्डन के मोर्चे से भारी लड़ाई की खबर मिली. सीरियाई विमानों ने तटीय शहर हैफा को निशाना बनाया जबकि इस्राएलियों ने कई हमलों के जरिये दमिश्क के एयरपोर्ट को निशाना बनाया.
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दुनिया फिक्रमंद
मिस्र और इस्राएल, दोनों को इस लड़ाई में अपनी अपनी जीत का भरोसा था. अरब देशों में गजब का उत्साह था. लेकिन विश्व नेता परेशान थे. पोप पॉल छठे ने कहा कि येरुशलेम को मुक्त शहर घोषित किया जाए. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक हुई. अमेरिकी राष्ट्रपति लिडंन बी जॉनसन ने सभी पक्षों से लड़ाई तुरंत रोकने को कहा.
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घमासान
इस्राएली सैनिकों ने गजा के सरहदी शहर खान यूनिस और वहां मौजूद सभी मिस्री और फलस्तीनी बलों पर कब्जा कर लिया. एक एएफपी रिपोर्ट में खबर दी कि इस तरह इस्राएल ने अपनी पश्चिमी सरहद को सुरक्षित कर लिया. उसकी सेनाएं दक्षिणी हिस्से में मिस्र की सेना के साथ लोहा ले रही थी.
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मारे गिराए विमान
आधी रात को इस्राएल ने कहा कि उसने मिस्र की वायुसेना को तबाह कर दिया है. लड़ाई के पहले ही दिन 400 लड़ाकू विमान मारे गिराये गये. इनमें मिस्र के 300 विमान जबकि सीरिया के 50 विमान शामिल थे. इस तरह लड़ाई के पहले ही दिन इस्राएल ने अपनी पकड़ मजबूत बना ली.
रात को इस्राएली संसद नेसेट की बैठक हुई और इस्राएली प्रधानमंत्री लेविस एशकोल ने बताया कि सारी लड़ाई मिस्र में और सिनाई प्रायद्वीप में चल रही है. उन्होंने बताया कि मिस्र, जॉर्डन और सीरिया की सेनाओं को गंभीर नुकसान पहुंचाया गया है.
खत्म हुई लड़ाई
11 जून को युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर हुए और लड़ाई खत्म हुई. लेकिन इस जीत से इस्राएल ने दुनिया को हैरान कर दिया. इससे जहां इस्राएली लोगों का मनोबल बढ़ा, वहीं अंतरराष्ट्रीय जगत में उनकी प्रतिष्ठान में भी इजाफा हुआ. छह दिन में इस्राएल की ओर से गए सैनिकों की संख्या जहां एक हजार से कम थी वहीं अरब देशों के लगभग 20 हजार सैनिक मारे गए.
तस्वीर: Picture-alliance/AP/Keystone/Israel Army
इस्राएल का दबदबा
लड़ाई के दौरान इस्राएल ने मिस्र से गाजा पट्टी और सिनाई प्रायद्वीप, जॉर्डन से वेस्ट बैंक और पूर्वी येरुशलेम और सीरिया से गोलन हाइट की पहाड़ियों को छीन लिया था. अब सिनाई प्रायद्वीप मिस्र का हिस्सा है जबकि वेस्ट बैंक और गजा पट्टी फलस्तीनी इलाके हैं, जहां फलस्तीनी राष्ट्र बनाने की मांग बराबर उठ रही है. (रिपोर्ट: एएफपी/एके)
तस्वीर: Reuters/Moshe Pridan/Courtesy of Government Press Office
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उसके बाद छह साल तक दोनों देशों ने एक दूसरे से कूटनीतिक संबंध पूरी तरह काटे रखे. 2016 में एक समझौता हुआ जिसके बाद दोनों देशों के राजदूतों की दूतावासों में वापसी हुई लेकिन 2018 में यह समझौता टूट गया जब गजा पट्टी में हुए संघर्ष में दर्जनों फलस्तीनियों की मौत हो गई. तब तुर्की ने अपना राजदूत वापस बुला लिया और इस्राएल को भी अपना राजदूत वापस बुलाने का आदेश दे दिया.
तुर्की ने गजा पर नियंत्रण रखने वाले इस्लामिक संगठन हमास के साथ हमेशा घनिष्ठ संबंध बनाकर रखे हैं. इसलिए हमास हेर्त्सोग की यात्रा से खुश नहीं है. उसने तुर्की "दुश्मन के साथ किसी तरह का संवाद” ना रखने की नीति याद दिलाई. यूरोपीन काउंसिल ऑन फॉरन रिलेशंस में फेलो असली ऐदिंतासबास कहते हैं कि हो सकता है इस यात्रा पर राजदूतों की वापसी का ऐलान हो जाए.
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दोबारा रिश्ते बनाने का सिलसिला
दोनों देशों के बीच संबंधों में दोबारा गर्माहट लाने का सिलसिला बीते साल जुलाई में तब शुरू हुआ जब आइजैक हेर्त्सोग को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई थी. इस्राएल में राष्ट्रपति का पद रस्मी होता है लेकिन लेबर पार्टी के वरिष्ठ वामपंथी नेता हेर्त्सोग ने पद संभालने के बाद तुर्की से बातचीत शुरू की. उन्होंने कई बार तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोआन से बात भी की.
इस्राएल में सभी इन कोशिशों को लेकर सकारात्मक नहीं हैं और कई लोग चौकस रहने की सलाह देते हैं. लेकिन एर्दोआन द्वारा बीते साल नवंबर में एक इस्राएली जोड़े को तुर्की की जेल से रिहा करने के फैसले ने लोगों में उम्मीद जगाई है. इस जोड़े पर जासूसी के आरोप थे. तेल अवीव यूनिवर्सटी में नेशनल सिक्यॉरिटी स्ट्डीज इंस्टिट्यूट में पढ़ाने वालीं गैलिया लिंडेनस्ट्राउस कहती हैं कि वह रिहाई एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई. तुर्की विशेषज्ञ और वरिष्ठ शोधकर्ता लिंडेनस्ट्राउस कहती हैं, "उस मामले ने रिश्तों के सुधार को एक नया मौका दिया.”
वीके/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)
ईसाई धर्म से जुड़ी "बड़ी खोज"
इस्राएली पुरातत्वविदों ने एक रोमन जहाज के मलबे से कई प्राचीन और मूल्यवान कलाकृतियों को खोजा है. इनमें ईसाई 'गुड शेफर्ड' या पवित्र चरवाहे की अंगूठी भी शामिल है.
तस्वीर: Ariel Schalit/AP Photo/picture alliance
प्राचीन अंगूठी
रोमन जहाज से पुरातत्वविदों को 'गुड शेफर्ड' की अंगूठी मिली है, जो सबसे पुराने ईसाई प्रतीकों में से एक है.
तस्वीर: Debbie Hill/UPI/newscom/picture alliance
चांदी के सिक्के
इन प्राचीन चीजों को येरुशलम के एंटीक्विटीज अथॉरिटी में प्रदर्शनी के लिए रखा गया है. रोमन और मामलुक काल के कैसरिया के तट पर दो जहाजों के मलबे में कई पुरातत्व कलाकृतियां मिलीं हैं.
तस्वीर: Debbie Hill/UPI/newscom/picture alliance
1700 साल पुरानी अंगूठी
इस सोने की अंगूठी में हरा रत्न लगा है, जिस पर एक चरवाहे की आकृति बनी हुई है. आकृति में एक युवक अपने कंधों पर भेड़ ले जा रहा है. कहा जाता है कि यह अंगूठी ईसाई धर्म के औपचारिक रूप से संगठित होने से पहले रोमन काल में फैली ईसा मसीह का प्रतीक थी.
तस्वीर: Ariel Schalit/AP Photo/picture alliance
पूरा खजाना ही मिल गया
मलबे से सैकड़ों रोमन युग के चांदी और कांस्य के सिक्के बरामद किए गए हैं. जबकि 500 चांदी के सिक्के मामलुक साम्राज्य के हैं. रोमन साम्राज्य और मामलुक सल्तनत ने कई शताब्दियों तक पूर्वी भूमध्य सागर के बड़े क्षेत्रों पर शासन किया.
तस्वीर: Israel Antiquities Authority/ZUMA Press/picture alliance
कीमती पत्थर
इस्राएली डिपार्टमेंट ऑफ एंटिक्विटीज की हेलेना सोकोलोव के मुताबिक मलबा कैसरिया शहर में पाया गया, जो रोमन काल में क्षेत्रीय राजधानी और रोमन गतिविधि का केंद्र था. सिक्कों के अलावा, विशेषज्ञों को घंटियां, मिट्टी और धातु से बनी कई वस्तुएं और एक लंगर मिला.
तस्वीर: Israel Antiquities Authority/ZUMA Press/picture alliance
"असामान्य खोज"
इस्राएली डिपार्टमेंट ऑफ एंटिक्विटीज में सिक्का विभाग के प्रमुख रॉबर्ट कोल ने खोज को "असामान्य" बताया है. कोल के मुताबिक, "पत्थर पर खुदी हुई पवित्र चरवाहे की छवि ईसाई धर्म के शुरुआती निशानों में से एक है."
तस्वीर: Israel Antiquities Authority/ZUMA Press/picture alliance