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सेहत के लिए काफी हैं सिर्फ 5000 कदम

हंसा वर्मा
१४ अगस्त २०२३

अपनी सेहत को दुरुस्त रखने के लिए हमें रोज 10,000 कदम चलना चाहिए. यह तो हम सब ने शायद कई बार सुना होगा. लेकिन एक नए विश्लेषण में यह पता लगा है कि इससे आधे कदमों में ही शयद काम हो जाए. यानी रोजाना केवल 5,000 कदम.

रोजाना अगर 500 से 1000 कदम भी ज्यादा चल लिया जाए इस से ह्रदय रोगों से मरने का खतरा काफी कम हो जाता है.
रोजाना अगर 500 से 1000 कदम भी ज्यादा चल लिया जाए इस से ह्रदय रोगों से मरने का खतरा काफी कम हो जाता है.तस्वीर: picture alliance / CHROMORANGE

यह अध्ययन यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी ने प्रकाशित किया है. इसके अनुसार दिन में बस 3967 कदम चलने से लोगों में किसी भी कारण से मरने का जोखिम कम हुआ. वहीं जो लोग रोजाना 2337 कदम चलें, उनमें ह्रदय रोग से मरने का खतरा कम पाया गया. हालांकि इसमें यह भी सामने आया है कि ज्यादा चलने के स्वास्थ्य पर ज्यादा फायदे हैं. यानी आप रोज जितना ज्यादा चलेंगे, आपको उतना ज्यादा लाभ होगा. यह बात सभी पर लागू होती है, चाहे वे महिलाएं हो या पुरुष. साथ ही इसमें उम्र और लोग दुनिया के किस क्षेत्र में रहते हैं, इसका फर्क भी नहीं पड़ता.

चलिए सेहत की तरफ

यहां तक कि रोजाना अगर 500 से 1000 कदम भी ज्यादा चल लिया जाए इससे ह्रदय रोगों से मरने का खतरा काफी कम हो जाता है. हर रोज 1000 कदमों की वृद्धि किसी भी कारण से मरने के जोखिम को 15 प्रतिशत तक कम कर सकती है. वहीं प्रति दिन 500 कदमों की वृद्धि हृदय रोग से मरने में 7 प्रतिशत की कमी ला सकती है. इस शोध का नेतृत्व पोलैंड के मेडिकल यूनिवर्सिटी ऑफ लॉड्ज़ में कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर मैकिएज बानाच ने किया. वह जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में हृदय रोग की रोकथाम के लिए सिस्कारोन सेंटर में सहायक प्रोफेसर भी हैं.

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यह शोध इस मामले में की गई सबसे बड़े शोधों में से एक है. इसमें दुनियाभर के 17 अलग अध्यनों से 226,889 लोगों ने भाग लिया. दिलचस्प बात यह है कि जो लोग रोज 20,000 कदम चलें, उनमें भी स्वास्थ्य से जुड़े फायदे बढ़ते हुए दिखाई दिए. एक दिन में कितने कदम चलना ठीक है, इसकी ऊपरी सीमा का पता नहीं चल पाया है.

थमना है खतरनाक

जिस जीवनशैली में चलने फिरने की संभावना कम हो वह हृदय रोग को बढ़ाने और जीवन अवधि को कम करने में योगदान कर सकती है. अध्ययनों के हिसाब से अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि दुनिया की एक चौथाई से अधिक आबादी को प्रभावित करती है. इसमें महिलाओं की मात्रा ज्यादा है, लगभग 32 प्रतिशत, पुरुषों के मुकाबले (23 प्रतिशत).

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वहीं कम आय वाले देशों में 37 प्रतिशत लोग शारीरिक गतिविधि नहीं करते हैं. जबकि उच्च आय वाले देशों में इनकी संख्या 16 प्रतिशत है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि दुनिया में मृत्यु का चौथा सबसे बड़ा कारण है. प्रति वर्ष 3.2 मिलियन मौतें शारीरिक निष्क्रियता से जुड़ी हुई हैं. कोविड-19 महामारी के कारण भी शारीरिक गतिविधि में कमी आई. दो साल बाद भी गतिविधि का स्तर ठीक नहीं हुआ है.

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