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पाकिस्तान में सबसे पुराने बौद्ध मंदिर की खोज

२१ दिसम्बर २०२१

उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान में सबसे पुराने बौद्ध पूजा स्थलों में से एक के अवशेष खोजे गए हैं. इन अवशेषों की खोज इतालवी पुरातत्वविदों की कोशिशों का नतीजा है.

तस्वीर: Xinhua/imago images

उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान में पाए गए बौद्ध मंदिर के अवशेष करीब 300 ईसा पूर्व के हैं. इन खंडहरों की खोज इटली के पुरातत्वविदों ने स्वात के एक कस्बे में की है. खैबर पख्तून ख्वाह प्रांत के स्वात जिले में बौद्ध धर्म से जुड़ी ढाई हजार के करीब कलाकृतियां भी मिलीं हैं. विशेषज्ञ इस खोज को गांधार सभ्यता की सबसे महत्वपूर्ण खोजों में से एक मानते हैं.

यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से गांधार साम्राज्य का हिस्सा था. इस महत्वपूर्ण ऐतिहासिक साम्राज्य का काल ईसा से लगभग एक हजार साल पूर्व प्रारंभ हुआ. उस समय लगातार सत्ता संघर्ष चल रहा था और गांधार साम्राज्य के उदय के परिणामस्वरूप, स्वात और आसपास के क्षेत्र हिंदू, बौद्ध और इंडो-यूनानी शासकों के हाथों में खिलौनों की तरह चले गए.

एक महत्वपूर्ण खोज

क्षेत्रीय प्रमुख पुरातत्वविद अब्दुल समद खान ने सबसे पुराने बौद्ध मंदिरों में से एक के अवशेष की खोज को "बेहद महत्वपूर्ण" बताया. उन्होंने कहा कि पिछले साल इसी क्षेत्र में एक प्राचीन हिंदू मंदिर के खंडहर भी खोजे गए थे. खान के मुताबिक, "एक हिंदू मंदिर और एक बौद्ध मंदिर के अवशेष संकेत करते हैं कि इस क्षेत्र में उच्च स्तर की धार्मिक सद्भाव और सहिष्णुता थी और यह एक बहुसांस्कृतिक क्षेत्र भी था."  सिकंदर महान के नेतृत्व में यूनानी सेनाएं इस क्षेत्र में आने वाले पहले पश्चिमी देशों में से थीं.

खान ने बताया कि हिंदू और बौद्ध मंदिरों की खोज एक संकेत है कि या तो इन धर्मों के अनुयायी इस क्षेत्र में एक साथ रहते थे या एक के बाद एक परतदार संरचनाएं बनाते थे. एक इंडो-यूनानी राजा की अवधि के कुछ सिक्के और मुहरें भी नवीनतम खोजों में शामिल हैं, जो हजारों साल पहले भी स्वात के एक हुसांस्कृतिक शहर होने का संकेत हैं.

सिक्के और मुहरें भी मिलीं

क्षेत्रीय प्रमुख पुरातत्वविद ने यह भी कहा कि एक ही क्षेत्र में हिंदू और बौद्ध पूजा स्थलों की खोज से पता चलता है कि इन धर्मों के अनुयायी अपनी मान्यताओं के साथ खुशी से रहते थे. हिंदू और बौद्ध पूजा स्थलों के अवशेषों में भी इस काल के प्राचीन सिक्के और मुहरें मिली हैं. विशेषज्ञों का मानना ​​है कि एक हजार साल पहले स्वात सांस्कृतिक, व्यापार और कुलीन गतिविधियों का एक प्रमुख केंद्र था.

इतालवी और पाकिस्तानी पुरातत्वविद इस क्षेत्र में खुदाई जारी रखना चाहते हैं और उम्मीद करते हैं कि इलाके में अधिक पुरातत्व खंडहर पाए जाएंगे. उनका यह भी मानना ​​है कि नए खंडहर उस समय के इतिहास और समाज पर अधिक प्रकाश डालेंगे. उसी प्राचीन काल में स्वात का नाम बाजीरा था. इस प्राचीन स्थल के अवशेष स्वात नदी के तट पर स्थित हैं, जो अब स्वात के सबसे बड़े शहर मिंगोरा से लगभग 20 किलोमीटर दूर है.

गौरतलब है कि नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला मलाला यूसुफजईका गृहनगर भी स्वात है. लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के प्रयासों के विरोध में आतंकवादियों ने उन्हें गोली मारकर गंभीर रूप से घायल कर दिया था.

एए/सीके (डीपीए)

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