सुपरमैन बाइसेक्सुअल हो गया है. यानी अब वह महिलाओं और पुरुषों दोनों की ओर आकर्षित है और दोनों से प्यार कर सकता है. वह समकालीन समस्याओं के प्रति ज्यादा जागरूक है.
तस्वीर: 2021 DC Comics
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सुपरमैन किरदार पर कॉमिक्स प्रकाशित करने वाली कंपनी डीसी कॉमिक्स ने बताया है कि सुपरमैन अब महिलाओं ही नहीं पुरुषों की ओर भी आकर्षित होता है.
डीसी कॉमिक्स के नए संस्करण में मूल सुपरमैन क्लार्क केंट और पत्रकार लुईस लेन का बेटा जोन केंट एक बाईसेक्सुअल सुपरहीरो है. 9 नवंबर को बाजार में आने वाली नई कॉमिक्स ‘सुपरमैनः सन ऑफ काल-एल' में युवा जोन केंट एक पत्रकार जे नाकामूरा को चूमता दिखाई देगा.
लेखक टॉम टेलर का कहना है कि यह कोई तिकड़म नहीं है. मेलबर्न में 11 अक्टूबर को टेलर ने यह इंटरव्यू दिया. 11 अक्टूबर ‘नैशनल कमिंग आउट डे' के तौर पर मनाया जाता है, यानी वह दिन जब लोग अपनी यौनिकता का इजहार कर सकें.
नये दौर का नायक
टेलर ने कहा, "जब मुझे यह काम मिला था, तब मैंने सोचा कि डीसी यूनिवर्स के लिए अगर हमें नया सुपरैमन खोजना है तो एक और स्ट्रेट रक्षक बनाकर हम मौका खो देंगे.”
उन्होंने कहा कि हम नहीं चाहते थे कि डीसी कॉमिक्स एक क्वीअर सुपरमैन का अवतरण करा दे. टेलर ने बताया, "हम चाहते हैं कि सुपरमैन खुद को खोजे, सुपरमैन बने और फिर इजहार करे. और मेरे ख्याल यह एक बहुत बड़ा फर्क है.”
उन्होंने कहा कि उनकी इस नई रचना को लेकर आमतौर पर अच्छी प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं. टेलर ने बताया, "मैंने ऐसे ट्वीट देखे हैं जिनमें लोगों ने बताया कि जब उन्होंने यह खबर पढ़ी तो वे रोने लगे. उन्होंने कहा कि काश तब सुपरमैन ऐसा होता जब वे बड़े हो रहे थे, तब वे उसमें खुद को देख पाते.”
रॉबिनहुड नाम का मसीहा क्या सचमुच में था?
कानून की परवाह नहीं करने वाला यह नायक अमीरों की संपत्ति लूट कर गरीबों में बांटने के लिए विख्यात था. फिल्मों, किताबों और किस्से कहानियों में जिसका बार बार जिक्र हुआ, क्या वह सचमुच कोई इंसान था या कोरी कल्पना?
बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक हिट
भारत में डकैतों, बाहुबलियों पर बनी फिल्में खूब चलती हैं और इनके नायकों का किरदार अकसर इस छवि के आस पास ही रहता है. हॉलीवुड में "प्रिंस ऑफ थीव्स" को अनगिनत फिल्मों में दिखाया गया. 1991 में केविन रेनॉल्ड्स के निर्देशन में बनी फिल्म में केविन कोस्टर ने नायक की भूमिका निभाई और उसके विश्वस्त सहयोगी बने मॉर्गन फ्रीमैन.
मध्ययुगीन नायक
रॉबिन हुड के कारनामों का वर्णन मध्ययुग से ही लेखकों की कलम से मिलता रहा है. पहली बार इन कहानियों का सारांश "अ जेस्ट ऑफ रॉबिन हुड" में छपा. कानून तोड़ने वाले रॉबिन हुड की गाथा को 15वीं सदी की इस रचना ने 456 छंदों में व्यक्त किया. आज की तारीख में भी रॉबिन हुड के बारे में जानकारी पाने के लिए रिसर्चरों को इसकी शरण में जाना पड़ता है
तस्वीर: public domain
चालाक लोमड़ी
डिज्नी ने मध्ययुग के इस किरदार को 1973 की क्लासिक एनिमेशन में जानवर बना दिया. चालाक लोमड़ी रॉबिन को उसके वफादार भालू दोस्त लिटल जॉन से मदद मिलती है. दोनों साथ मिल कर प्रिंस जॉन नाम के शेर और उसके बेशर्म अनुचर भेड़िये शेरिफ ऑफ नॉटिंघम से लोहा लेते हैं.
तस्वीर: Walt Disney
शेरवुड में शैतानी
3डी एनिमेशन सीरिज "रॉबिनहुड: मिसचीफ इन शेरवुड" में रॉबिन हुड लोमड़ी की बजाय लाल बालों वाला नायक बन गया. छह साल से ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए बनी इस फिल्म में युवा रॉबिन के कारनामे दिखाए गए, जो हमेशा अपनी बातों से चिरशत्रु प्रिंस जॉन को निरुत्तर कर देता है.
यहां छिपता था रॉबिन
कहानियों में रॉबिन और उसके साथियों के बारे में कहा जाता है कि वे एक शेरिफ के प्यादों से छिपने के लिए बलूत के इस पेड़ में छिप जाते थे. करीब 700 साल पुराना यह पेड़ इग्लैंड में मेजर ओक के नाम से जाना जाता है, जो नॉटिंघम के पास शेरवुड के जंगल में खड़ा है. रानी विक्टोरिया के जमाने से ही इसकी विशाल शाखाओं को उन्नत तकनीक के जरिए सहारा दिया जाता रहा है.
कभी रॉबिन को एक महान आदमी बताया गया तो कभी आम. मेड मारियन रॉबिन हुड की प्रेमिका हैं. मध्ययुगीन साहित्यों में भी उन्हें एक स्वतंत्र महिला के रूप मे दिखाया गया, जो उस दौर में एक अनोखी बात थी. रिचर्ड लेस्टर की फिल्म "रॉबिन एंड मारियन"(1976) में शॉन कॉनरी और ऑड्री हेपबर्न ने यह किरदार निभाया.
तस्वीर: Getty Images
नकल के लिए पर्याप्त मसाला
व्यंग्य पसंद करने वालों के लिए "रॉबिन हुड: मेन इन टाइट्स" शायद रॉबिन हुड की फिल्मों में सबसे बेहतर है. 1993 की इस कॉमेडी फिल्म ने इससे पहले बनी सारी फिल्मों का मजाक उड़ाया, खासतौर से केवन कोस्टनर वाली "प्रिंस ऑफ थीव्स" का. हंसी मजाक और आसान द्वीअर्थी शब्दों वाली फिल्म में कई ऐसे चरित्र भी थे जिनकी उम्मीद नहीं की गई थी.
तस्वीर: Imago
कॉमिक्स का कामयाब सितारा
अनगिनत फिल्में और टीवी सीरियल ही नहीं, रॉबिन हुड ने मशहूर फ्रेंच कॉमिक सीरिज को भी प्रेरित किया. "रॉबिन डे बोआ" के नाम से 1965 से 1975 के बीच यह प्रकाशित हुई. इसका जर्मन भाषा में भी अनुवाद किया गया और दोनों ही देशों में ये काफी प्रचलित रही. इस सीरीज की एक साथ 100 कॉमिक्स जर्मन भाषा में छापी गईं.
बाहरी शख्स का स्मारक
इस बात का बहुत महत्व नहीं है कि रॉबिन हुड वास्तव में था या नहीं. उसकी कहानियों ने सैकड़ों सालो से लोगों का मनोरंजन किया है. 1952 में सिटी ऑफ नॉटिंघम ने अपने सबसे मशहूर बेटे को अमर कर दिया. रॉबिन की बाहरी और व्यवस्था के विरोधी की छवि को शहर के बाहर लगी इस मूर्ती के जरिए दिखाया गया.
तस्वीर: Wikipedia/L. Goff
सामाजिक न्याय का प्रतीक
आज के दौर में भी रॉबिन हुड का नाम हमेशा गरीबी के खिलाफ जंग का प्रतीक बनता है. बहुत से संगठनों और संस्थाओं ने इस मिथक के नाम पर अपना नाम रखा है. 2010 में तो बर्लिन में कुछ प्रदर्शनकारियों ने रॉबिन हुड टैक्स लगाने की मांग कर दी. उनका कहना था कि वित्तीय लेनदेन पर एक टैक्स लगा कर गरीबी और जलवायु परिवर्तन से लड़ा जाए.
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टेलर के मुताबिक लोग पहली बार सुपरमैन में खुद को देख पा रहे हैं, जो पहले कभी उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था.
जागरूक है सुपरमैन
नया सुपरमैन सिर्फ यौन को लेकर ही नहीं, और भी बहुत सी मौजूदा समस्याओं को लेकर जागरूक है. वह जलवायु परिवर्तन और शरणार्थियों के बारे में भी सोचता है. टेलर कहते हैं, "वह उतना ही ताकतवर है, जितनी उम्मीद होती है. वह भाग्य से तेज है हम सबको उठा सकने में सक्षम है. वह एक बहुत नया नायक है, जो अपना रास्ता खोज रहा है और उन चीजों से लड़ रहा है जिनसे उसके पिता नहीं लड़े.”
टेलर उम्मीद करते हैं कि कुछ साल बाद यह कोई बड़ी बात नहीं होगी. वह कहते हैं, "उम्मीद है कि कुछ साल में यह ट्विटर पर ट्रेंड नहीं हो रहा होगा. उम्मीद है कि यह सिर्फ हम सबके भीतर की अच्छाइयों का प्रतिनिधि होगा.”
जोन केंट की यह पांचवीं कॉमिक्स होगी. जुलाई में उसकी पहली कॉमिक्स आई थी जिसमें वह पर्यावरण परिवर्तन के कारण लगी जंगल की आग से लड़ा था. उसके बाद वह हाई स्कूल में होने वाली गोलीबारी से लोगों को बचा चुका है और शरणार्थियों के विस्थापन के खिलाफ भी अपनी आवाज उठा चुका है.