रियो ओलंपिक की शुरुआती परंपराओं के तहत खेलों के मैस्कट जैगुआर को समारोह में लाया गया. लेकिन अंततः उसे गोली मार दी गई. यह जैगुआर एक चिड़ियाघर से लाया गया था और समारोह के दौरान उसने अपना फंदा तुड़ाकर भागने की कोशिश की थी. ब्राजील की सेना का कहना है कि उसने एक सैनिक पर हमला किया जिसके बाद उसे मार डाला गया.
ब्राजील की सेना के प्रेस ऑफिस ने कहा कि जुमा नाम के इस जैगुआर को जंगल वॉरफेयर इंस्ट्रक्शन सेंटर में प्रदर्शन के लिए लाया गया था. यहां ओलंपिक की मशाल का स्वागत होना था. यह मशाल आजकल पूरे ब्राजील में यात्रा कर रही है. 5 अगस्त को ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में यह रियो पहुंचेगी.
सेना के बयान में कहा गया, “जुमा बहुत सीधा-सादा था. उसे लोगों के बीच रहने की आदत थी. लेकिन समारोह खत्म होने के बाद वह अपना फंदा छुड़ाकर भाग निकला और चिड़ियाघर में घुस गया. उसे पकड़ने के लिए कुछ सैनिकों को भेजा गया. जुमा ने एक सैनिक पर हमला कर दिया. जुमा पर पहले बेहोश करने वाली दवा के इंजेक्शन से वार किया गया. लेकिन ये बेअसर रहे तो जुमा को गोली मार दी गई.”
इक्वाडोर की राजधानी किटो में उन जानवरों को बचाने के लिए बातचीत हुई जो विलुप्त होने के गंभीर खतरे में हैं, जैसे हिम तेंदुआ, शार्क, प्रवासी पक्षी और अफ्रीकी शेर. इन्हें लॉबी चाहिए.
तस्वीर: picture-alliance/dpaअफ्रीकी बब्बर शेर पहले बाल्कन देशों और मध्य पूर्व में भी मिलता था. वहां वह इंसान के साथ लड़ाई हार गया. आज यङ सिर्फ भारत और सहारा के दक्षिणी हिस्सों में मिलता है. गर्व के साथ रहने वाले इस राजा को इन दिनों जान के लाले हैं.
तस्वीर: picture alliance/dpa-Zentralbildसाइगा हिरण ऐसे लगते हैं जैसे ये धरती के जीव नहीं हों. छोटी सी सूंड वाले ये जानवर हिमयुग जितने ही पुराने हैं. आज ये रूस, कजाकिस्तान, मंगोलिया में मिलते हैं. लेकिन शिकार के कारण इनकी संख्या लगातार कम हो रही है. ये बहुत अच्छे तैराक हैं और हर दिन करीब 120 किलोमीटर दौड़ सकते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/dpawebचीन और जापान में शार्क मछली के फिन इतने पसंद किए जाते हैं कि मछुआरे अक्सर इन्हें काट लेते हैं और मछली को पानी में ही छोड़ देते हैं. वहां वे तड़पती हुई मर जाती हैं. इस मांस को सुरिमी या फिश एंड चिप्स नाम से बेचा जाता है. शार्क की त्वचा से पर्स भी बनाए जाते हैं.
तस्वीर: Klaus Jostआरी जैसे मुंह वाली ये आठ मीटर लंबी मछली खुद भी खतरे में है. अक्सर दूसरी मछलियों के साथ ये भी अपने दांतों के कारण जाल में फंस जाती हैं और मारी जाती हैं.
तस्वीर: TORSTEN BLACKWOOD/AFP/Getty Imagesडिक्लोफिनेक इन पक्षियों की जान पर बन आया है. गायों, सुअरों, घोड़ों को दी जाने वाली ये दवाई गिद्धों को मार देती है. इन दवाओं वाले मांस को खाने पर ये गिद्ध किडनी फेल होने से मर जाते हैं.
तस्वीर: Vulture Conservation Foundationपिछले 15 साल में इन खच्चरों की संख्या आधी रह गई है. इन्हें अक्सर बोझा ढोने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इन्हें कजाकिस्तान के जंगलों में अब भी देखा जा सकता है.
तस्वीर: picture alliance/blickwinkel/D. & M. Sheldon22.5 करोड़ साल पुराना कछुआ इंसान से भी पहले धरती पर है. और क्रमिक विकास में वह बहुत अच्छे से अब तक टिका हुआ है. लेकिन अब या तो तट पर उनके अंडे चुरा लिए जाते हैं या फिर प्लास्टिक के कारण वे अपनी जान गंवा देते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaइनके पैर के नीचे से बर्फ पिघलती जा रही है. ये सुंदर सफेद भालू आर्कटिक के बर्फीले इलाकों में रहते हैं. धरती के बढ़ते तापमान से इनका जीवन खतरे में है.
तस्वीर: picture-alliance/ZBकांटों वाली पीठ के कारण इस मछली का नाम थॉर्नबैक रे पड़ा है. अपने आकार और धीरे तैरने के कारण मछली पकड़ने के जाल में वह फंस जाती है. इसके ऊपरी पंखडे तले जाते हैं या फिर पूंछ का ऊपरी हिस्सा सुखा कर खाया जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/ZBरात का यह शहजादा घर को तरसता है. अगर सूखे पेड़ गिरा दिए जाते हैं तो इस चमगादड़ के रहने की जगह खत्म हो जाएगी. पवन चक्कियों के बढ़ने और पेड़ों के कटने से इसे भारी खतरा है.
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ओलंपिक आयोजन समिति ने अपने फेसबुक पेज पर अपनी गलती मानी है. समिति ने कहा है, “यह गलती थी कि शांति की प्रतीक ओलंपिक मशाल को जंजीरों में बंधे एक जानवर के बगल में रखकर प्रदर्शित किया गया. यह हमारे मूल्यों और आदर्शों से मेल नहीं खाता. जो हुआ, उससे हम बहुत दुखी हैं. हम वादा करते हैं कि 2016 रियो ओलंपिक्स के दौरान ऐसा कुछ दोबारा नहीं होगा.”
ब्राजील की पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी इबामा ने कहा है कि जुमा को समारोह में शामिल करने से पहले उसकी इजाजत नहीं ली गई थी. इबामा ने कहा, “जानवरों को ऐसे समारोहों में लाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है.” एजेंसी के साथ काम करने वाले प्राणी-विशेषज्ञ डिएगो लैगरोतेरिया ने कहा कि जैगुआर को सीधा-सादा मान लेना ही बेवकूफी है. यह बेवकूफाना है कि आप जैगुआर जैसे जंगली जानवर से घरेलू हालात में ढलने की उम्मीद करते हैं.
यहां क्लिक कीजिए और देखिए, कैसे एक गोरिल्ला को मारा गया था.
जानवर को गोली मार देने की इस तरह यह लगातार तीसरी घटना है. कुछ दिन पहले अमेरिका के सिनसिनाटी चिड़ियाघर में एक गोरिल्ला को इसलिए गोली मार दी गई थी कि एक बच्चा उसके पिंजरे में गिर गया था. उसके बाद ऑरलैंडो के वॉल्ट डिज्नी वर्ल्ड में इसी तरह की परिस्थितियों में कुछ घड़ियालों को मारा गया. पशुओं के अधिकारों के लिए काम करने वाले लोग इन हत्याओं से आहत और नाराज हैं. पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ ऐनिमल्स, पेटा ने एक बयान में कहा है कि इंसानों के मनोरंजन के लिए जानवरों का प्रदर्शन एक दुखद बात है और जो कोई भी इन हत्याओं से दुखी है, वह ऐसे उद्योगों से दूर रहे.
वीके/एमजे (एपी, एएफपी)