किसी के लिए घर जेल बन गया है, तो किसी के लिए जेल ही घर है. कोविड-19 महामारी और तालाबंदी के असर से प्रभावित इस नई दुनिया में जेल की अवधारणा को देखने का नजरिया बदल रहा है.
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महाराष्ट्र से खबर आई है कि वहां कुछ कैदी ऐसे भी हैं जिन्हें महामारी की वजह से कुछ दिनों के लिए जेल से बाहर रहने की इजाजत दे दी गई है, लेकिन वे कह रहे हैं कि वो जेल में ही ठीक हैं. पूरे राज्य में कम से कम 26 ऐसे कैदियों का मामला सामने आया है. वे आपात पैरोल के लिए योग्य पाए गए हैं लेकिन इन्होंने जेल से बाहर जाने से मना कर दिया है. कुछ का कहना है कि उन्हें इन हालात में बाहर जाकर कोई नौकरी नहीं मिलेगी और वे अपने परिवार पर बोझ बन जाएंगे.
जेल के अंदर कम से कम सरकार उनका ख्याल तो रख रही है और जेल में काम करके वे कुछ पैसे भी कमा ले रहे हैं. इन कैदियों में कुछ ऐसे भी हैं जिनका ना तो कोई परिवार है और ना कोई और सामाजिक सहारा. ऐसे कैदियों को डर है कि बाहर जा कर अगर उन्हें संक्रमण हो गया और वे बीमार हो गए, तो कौन उनकी देखभाल करेगा और जरूरत पड़ने पर कौन अस्पताल ले जाएगा.
जेलों के कुछ अधिकारियों का यह भी दावा है कि उनकी जेलों में इतने अच्छे इंतजाम हैं कि कुछ कैदी बाहर के मुकाबले जेल के अंदर संक्रमण से ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं. यह खबर अक्सर भारत में जेलों के हालात के बारे में कही जाने वाली बातों से ठीक उल्टी तो है ही, संभव है यह उन लोगों को भी अचरज में डाल दे जिन्होंने पिछले सवा साल से घर में बंद होने की वजह से अपने घर को जेल और खुद को कैदी बताना शुरू कर दिया है.
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दुनिया की सबसे खतरनाक जेल
जेल का नाम सुनते ही ऐसी तस्वीर मन में उभरती है जहां से निकल पाना मुश्किल है लेकन शातिर अपराधी जेल तोड़ने की तरकीबें निकालते रहते हैं. यहां देखिए दुनिया की उन जेलों को जहां से निकल पाना अपराधियों के लिए नामुमकिन सा है.
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एडीएक्स फ्लोरेंस सुपरमैक्स, अमेरिका
490 बिस्तरों वाला जेल परिसर 37 एकड़ में फैला है. मुख्य रूप से जमीन के ऊपर है. 7 गुना 12 फीट की हर कोठरी में टीवी के अलावा, टॉयलेट, शॉवर, बिस्तर और एक टेबल है. सबकुछ कंक्रीट का बना है. बाहर देखने वाली खिड़की महज कुछ इंच की है. पूरे परिसर में रिमोट कंट्रोल वाले 14,000 दरवाजे हैं, कैदी हर वक्त हरकत पकड़ने वाले कैमरे की निगाह में रहते हैं.
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क्विनचेंग प्रिजन, चीन
चीन की राजधानी बीजिंग के चांगपिंग इलाके की यह जेल रूस के सहयोग से 1958 में बनाई गई थी. 20 वर्गमीटर की कोठरियों में फर्नीचर के नाम पर सिर्फ बिस्तर है. दरवाजे लकड़ी के बने हैं जिनमें दोनों तरफ लोहे की पट्टियां हैं. खाना कमरे में ही दिया जाता है और कैदी कसरत करने के लिए हर इमारत के सामने बने खास यार्ड में जाते हैं.
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एचएमपी बेलमार्श, यूके
दक्षिण पूर्व लंदन में मौजूद यह जेल 1991 में शुरू हुई. आमतौर पर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल लोगों को यहां हिरासत में रखा जाता है. इसे ग्वांतानामो बे का ब्रिटिश संस्करण कहा जाता है. यहां 60 फीसदी कैदी दूसरे कैदियों के साथ जबकि 40 फीसदी अकेले रहते हैं. जेल में पढ़ाई के साथ ही खेलकूद, कसरत और कई तरह के प्रशिक्षण भी दिए जाते हैं.
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कैम्प डेल्टा, अमेरिका
कैम्प डेल्टा ग्वांतानामो बे में अमेरिका की एक स्थायी जेल है जहां. यहां 2002 में पहला कैंप बनाया गया था. यहां कैदियों को हिरासत में रखने के लिए छह अलग अलग कैम्प हैं जिनके अलग अलग नाम हैं. जेल के कैदियों के अधिकार बहुत अनिश्चित और सीमित हैं क्योंकि यह जेल अमेरिकी जमीन पर नहीं. कैदियों के साथ अक्सर ज्यादती और दुर्व्यवहार की शिकायतें आती हैं.
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फेडरल करेक्शनल कंप्लेक्स, अमेरिका
अमेरिका की यह संघीय जेल इंडियाना राज्य में है. यहां पुरुष कैदियों को रखा जाता है. जेल में अलग तरह की सुरक्षा व्यवस्था के साथ हर तरह के कैदियों के लिए अलग व्यवस्था है. ज्यादा खतरनाक कैदियों को अकेले रखा जाता है जहां वो 23 घंटे निगरानी में रहते हैं. बाकी बचे समय में वो बस खाना खाने और कसरत के लिए साथ आते हैं.
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आर्थर रोड जेल, भारत
मुंबई की इस जेल को 1994 में सेंट्रल जेल का दर्जा मिला लेकिन 1926 में बनी इस जेल को लोग अब भी इसी नाम से जानते हैं. 2 एकड़ में फैली 800 कैदियों की क्षमता वाली जेल में अमूमन 2000 कैदी रहते हैं. फरार कारोबारी विजय माल्या को लंदन से प्रत्यर्पण के बाद इसी जेल की एक कोठरी में रखने की तैयारी है.
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फुशु प्रिजन, जापान
फुशु शहर में मौजूद जापान की सबसे बड़ी इस जेल में दूसरे विश्व युद्ध के खत्म होने से पहले कम्युनिस्ट नेताओं, प्रतिबंधित धार्मिक नेताओं और कोरियाई स्वतंत्रता सेनानियों को रखा जाता था. करीब 56 एकड़ में फैली जेल में 2000 से ज्यादा कैदी रहते हैं. यहां विदेशी, मानसिक रोगी, विकलांग और आम कैदियों को अलग अलग रखा जाता है.
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ला सांते प्रिजन, फ्रांस
पेरिस के इलाके में मौजूद इस कुख्यात जेल में आम अपराधियों के साथ ही कुछ मशहूर हस्तियों ने भी दिन काटे हैं. कोठरियां 4 मीटर लंबी, 2.5 मीटर चौड़ी और तीन मीटर ऊंची हैं. जेल में कुल 2,000 कैदियों को रखने की व्यवस्था है. यह वो जगह है जहां फ्रांस में कभी सार्वजनिक मौत की सजा भी दी गई थी.
100 साल से ज्यादा पुरानी यह जेल पहले सेना के लिए बनाई गई थी. अत्याधुनिक सुरक्षा उपायों और तकनीक से लैस जेल सैन फ्रांसिस्को की खाड़ी में है. चारों ओर फैला ठंडा समुद्री पानी कैदियों के लिए यहां से भाग पाना नामुमिकन बनाता है. 1963 में इसे बंद कर म्यूजियम में तब्दील कर दिया गया.
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लॉकडाउन वाली जेल
यह बात शायद सही है कि पूरी दुनिया में लोग अब महामारी से डर कर घर के अंदर बंद रहने से उक्ता गए हैं. अमेरिका और यूरोप से आ रही तस्वीरों को देखिए. अमेरिका में पहली बार महामारी कुछ काबू में लग रही है. यूरोप के कई देश कोरोना की दूसरी लहर से बाहर निकल रहे हैं. महामारी की रोकथाम के लिए जो प्रतिबंध महीनों से लागू थे उन्हें धीरे धीरे हटाया जा रहा है. पर्यटन स्थल खुल रहे हैं और होटल, रेस्तरां बाहें पसारे ग्राहकों को एक बार फिर बुला रहे हैं.
होटलों की तो कमाई बंद थी. इसलिए साल भर हुए नुकसान की भरपाई करने का मौका वो भला क्यों गंवाएंगे. लेकिन लोग भी अपने पैसे खर्च कर और संक्रमण का जोखिम उठा कर बाहर की तरफ दौड़ पड़े हैं. इसे जेल से छूटे कैदियों जैसा व्यवहार कहा जा सकता था, लेकिन महाराष्ट्र के उन 26 कैदियों ने इस उदाहरण को निरर्थक साबित कर दिया है. घर में बंद रहने की, चेहरा छिपाए रखने की और दूसरों से दूरी बनाए रखने की यह एक नई, अजीब दुनिया है और इस दुनिया में जेल के मायने बदल गए हैं. किसी के लिए घर जेल बन गया है तो किसी के लिए जेल ही घर है.
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आजादी का अर्थ
लेकिन मुमकिन है कि इसी बहाने हम उस सरल से विचार को समझ पाएंगे जिसकी वजह से भारत के सुप्रीम कोर्ट ने कभी "जमानत ही कायदा है और जेल अपवाद" का न्यायिक सिद्धांत रखा था. महामारी के बाद की दुनिया पहले से ज्यादा खूबसूरत होगी अगर वो जाते जाते हमें "राइट टू लिबर्टी" या आजादी के अधिकार का सही मतलब सिखा जाए. सोच कर देखिए. आप अपने घर में हैं. अपने परिवार के बीच हैं. आपके इर्द गिर्द आपकी जरूरत का सारा सामान है. यहां तक कि जिस चीज की कमी हो जा रही है वो भी आपके दरवाजे पर पहुंचा दी जा रही है, और आप इसे जेल कह रहे हैं.
तो वो लोग उस जगह को क्या कहें जहां की नीरस और अपरिचित चारदीवारी में वे अकेले जबरन बंद पड़े हुए हैं? और बंद भी क्यों? सिर्फ इसलिए क्योंकि उनका विश्वास ऐसे विचारों में हैं जो उन ताकतों से मेल नहीं खाता जो सत्ता में हैं. उनमें से कई बूढ़े हैं और तरह तरह की बीमारियों से पीड़ित हैं. कई युवा हैं, विद्वान हैं और एक उज्जवल भविष्य के हकदार हैं. कुछ को जेल के अंदर ही कोविड भी हो गया. उनमें से कुछ के करीबी लोग गुजर गए लेकिन उन्हें आखिरी अलविदा कहने का मौका नहीं मिला. अगर आप जेल में हैं तो वो जहां हैं उसे क्या कहेंगे?
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जेल से भागने वालों के हैरतअंगेज कारनामे
जेल से निकल भागने में मैक्सिको के ड्रग डीलर एक्सपर्ट होते हैं. जेल की मोटी दीवारों, लोहे की सलाखों, गार्ड और सर्च लाइटों के बावजूद कुछ दुस्साहसी कैदियों ने भागने के नायाब तरीके आजमाए हैं.
तस्वीर: Getty Images/New York State Governor's Office/D. McGee
बाथरुम में सुरंग
जुलाई 2015 में मैक्सिको के नशीले ड्रग्स का कारोबारी योआकिन "एल चापो" गुजमन आल्टीप्लानो जेल से बच निकला. उसने अपनी सेल के गुसल वाले हिस्से के नीचे से एक सुरंग खोदी थी. बेहद कड़ी सुरक्षा वाली इस जेल से बाहर निकलने की बीते 14 सालों में दूसरी कोशिश कामयाब हुई है.
तस्वीर: Reuters/PGR/Attorney General's Office
सूटकेस में!
2011 में मैक्सिको की एक जेल में बंद कैदी की पत्नी एक बड़ा सूटकेस साथ लेकर उससे मिलने गई. युआन रामिरेज टिजेरीना नामका यह कैदी अवैध हथियार रखने का दोषी पाया गया था. कैदी सूटकेस में छुप गया था लेकिन जेल से बाहर निकलने से पहले ही सुरक्षा गार्ड्स की नजर में आ गया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Sspqr
डर से
1983 में यूरोप की सबसे सुरक्षित माने जाने वाली जेलों में से एक 'दि मेज़' से आयरिश रिपब्लिकन आर्मी के 38 कैदी भाग निकले थे. उत्तरी आयरलैंड में स्थित यह जेल रिपब्लिकन और वफादार अर्द्धसैनिक बलों को रखने का मुख्य केंद्र थी. इन कैदियों ने छुपा कर लाई गयी बंदूकों और चाकू का डर दिखाकर गार्ड्स को डराया और जेल की एक वैन लेकर भाग निकले.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. Mcerlane
चम्मच और रेनकोट बने औजार
अलकाट्रास जेल में बंद तीन बैंक लुटेरों ने चम्मचों को रगड़कर तेज किया और कामचलाऊ ड्रिल का इस्तेमाल कर अपने सेल से निकलने का रास्ता बना लिया. 1962 में सैन फ्रांसिस्को की इस जेल में काफी कड़ी सुरक्षा हुआ करती थी. उन्होंने रेनकोटों का इस्तेमाल कर फूलने वाली नाव बनाई और पानी के रास्ते निकल गए.
तस्वीर: imago/Kai Koehler
जेल से हैलीकॉप्टर!
किसी हॉलीवुड फिल्म की कहानी सी लगने वाली इस वारदात में पास्कल पाएट नामक एक कैदी ने दो बार जेल से भागने के लिए हैलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया. 2001 में हत्या के आरोपी पाएट ने एक फ्रेंच गांव में स्थित जेल में एक हैलीकॉप्टर हाइजैक कर भागने की कोशिश की. 2007 में उसने फिर ऐसी असफल कोशिश की और इस बार अपने साथ तीन और कैदियों को भी निकालना चाहा.
तस्वीर: Getty Images/AFP/B. Horvat
छेद से बाहर
सीरियल किलर थियोडोर रॉबर्ट बंडी एक बार छोटी सी खिड़की से कूद कर भागने में सफल हुआ. दुबारा गिरफ्तार होने के बाद उसे कोलोराडो की जेल में रखा गया, जहां से भागने के लिए उसने अपना वजन 30 पाउंड घटाया और छत के बिजली वाले छेद से निकल भागा. 1974 से 1978 के बीच अमेरिका में कई महिलाओं की हत्या करने वाले बंडी को फिर पकड़ा गया और मौत की सजा दी गई.
तस्वीर: picture-alliance/AP
जेल से मैनहोल में
जून 2015 में अमेरिका के न्यूयॉर्क की एक कड़ी सुरक्षा वाली जेल से भाग निकलने में हत्या के दो आरोपी सफल रहे. डेविड स्वेट और रिचर्ड मैट ने अपने सेलों के बीच की दीवार में छेद किया, जिसका रास्ता कई पाइपों से होता हुआ मैनहोल में खुलता था. उनकी धरपकड़ की कोशिश में मैट पुलिस की गोली से मारा गया जबकि स्वेट को घायल हालत में दुबारा पकड़ लिया गया.
तस्वीर: Getty Images/New York State Governor's Office/D. McGee