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रूसी तेल खरीदने पर जयशंकर ने कहा "मेरा नैतिक कर्तव्य"

१७ अगस्त २०२२

यूक्रेन युद्ध के बीच रूस से तेल खरीदने पर भारत की आलोचना का विदेश मंत्री एस जयशंकर पहले भी दो टूक जवाब दे चुके हैं. एक बार फिर उन्होंने कहा है कि इस समय हर देश अपने नागरिकों को सबसे अच्छा सौदा दिलाने की कोशिश कर रहा है.

एस जयशंकर
एस जयशंकरतस्वीर: Michael A. McCoy/Pool/REUTERS

जयशंकर 16 अगस्त को थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में भारतीय मूल के लोगों के साथ बातचीत के दौरान बोल रहे थे. उन्होंने यूक्रेन युद्ध के बीच रूस से सस्ते दामों पर कच्चा तेल खरीदने के भारत के कदम के बारे में स्पष्टीकरण दिया. विदेश मंत्री ने कहा कि इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल और गैस के दाम आसमान पर हैं.

उन्होंने बताया कि यूरोप अब रूस की जगह मध्य पूर्व और दूसरे स्रोतों से ज्यादा तेल और गैस खरीद रहा है. ऐसे में भारत के कई पारंपरिक सप्लायरों ने अपनी बिक्री यूरोप की तरफ मोड़ दी है. उन्होंने कहा, "यह आज की स्थिति है जिसमें हर देश स्वाभाविक रूप से कोशिश करेगा कि वो अपने नागरिकों को सबसे अच्छा सौदा दिलवा पाए और ऊर्जा के बढ़े हुए दामों के असर को थोड़ा कम कर पाए. भारत भी यही कर रहा है."

यूरोप के संकट से इनको फायदे की उम्मीद है

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जयशंकर ने आगे जोड़ा कि भारत ऐसा चोरी छिपे नहीं कर रहा है और देश अपने हितों को लेकर हमेशा ईमानदारी से बात करता रहा है. भारत की मजबूरी बताते हुए उन्होंने आगे कहा, "मेरे पास एक ऐसा देश है जहां प्रति व्यक्ति आय 2,000 डॉलर है. ये ऐसे लोग नहीं हैं जो ऊर्जा के बढ़े हुए खर्च को बर्दाश्त कर सकें. यह मेरा दायित्व और नैतिक कर्तव्य है की मैं सुनिश्चित करूं कि उन्हें सबसे अच्छा सौदा मिले."

उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका समेत सभी देश भारत का रुख जानते हैं और उसे मान कर आगे बढ़ेंगे. अमेरिका और यूरोप ने कई बार भारत से कहा है कि वो रूस से व्यापार बंद कर दे. यूरोप ने तो भारत की तीखी आलोचना भी की है, लेकिन वो खुद भी रूसी गैस पर अपनी निर्भरता कम नहीं कर पा रहा है.

इसी बात को लेकर जयशंकर ने अप्रैल में अमेरिका में कहा था कि भारत रूस से जितना तेल एक महीने में खरीदता है उतना यूरोप एक ही दोपहर में खरीद लेता है. युद्ध के शुरुआती दिनों में रूसी तेल भारत की कुल खरीद का सिर्फ एक से दो प्रतिशत था, लेकिन बाद में इसकी मात्रा काफी बढ़ गई.

फिनलैंड स्थित सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एअर यानी सीआरईए के मुताबिक रूस के आक्रमण की शुरुआत से ही ये आयात बहुत तेजी से बढ़े हैं. रिपोर्ट के मुताबिक रूस अभी तक भारत को अपने कुल कच्चे तेल का एक फीसद निर्यात करता था, जो मई तक बढ़कर 18 फीसदी हो गया है.

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