जापान ने 2050 तक ग्रीनहाउस गैसों को शून्य करने और कार्बन-तटस्थ समाज बनने का लक्ष्य रखा है. सोमवार को प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने जलवायु परिवर्तन पर अपने देश की स्थिति में एक बड़े बदलाव की रणनीति पेश की.
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इससे पहले जापान ने कहा था तय तारीख के बजाय वह जल्द ही कार्बन न्यूट्रल देश होगा लेकिन अब उसने 2050 तक अपना लक्ष्य तय कर लिया है. यह लक्ष्य यूरोप से भी मेल खाता है. गौरतलब है कि पिछले साल यूरोपीय संघ ने समझौता किया था कि साल 2050 तक यूरोपीय संघ के सदस्य देश कार्बन न्यूट्रल हो जाएंगे. इस डील के मुताबिक अर्थव्यवस्था की कायापलट कर 2050 तक कार्बन उत्सर्जन को शून्य करने का लक्ष्य था. ईयू का 2050 के लिए तय किया गया लक्ष्य 2015 में हुए पेरिस जलवायु समझौते के तहत है.
प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार संसद को अपनी नीतियों के बारे में बताते हुए सुगा ने कहा, "जलवायु परिवर्तन पर प्रतिक्रिया देना अब आर्थिक विकास में अड़चन नहीं है. हमें अपनी सोच को उस नजरिये से बदलने की जरूरत है कि जलवायु के खिलाफ मुखर उपायों से परिवर्तन को बढ़ावा मिलेगा और औद्योगिक संरचना और अर्थव्यवस्था में विकास होगा."
जापान दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन करने वाला देश है और अब वहां नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं साथ ही कोयले से बिजली बनाने के नए प्लांट भी खोलने की योजना बन रही है. सुगा का कहना है कि इन लक्ष्यों को हासिल करने करने नए सौर सेल्स और कार्बन रिसाइक्लिंग अहम भूमिका निभाएंगे और जापान इस क्षेत्र में रिसर्च और डेवलेपमेंट में जोर देगा. शिंजो आबे की जगह लेने के बाद वे समाज को डीजिटल करने के भी लक्ष्य पर भी काम कर रहे हैं.
पड़ोसी देश चीन के साथ जापान के गहरे आर्थिक संबंधों पर बोलते हुए सुगा ने कहा कि एक स्थिर द्विक्षीय संबंध जरूरी है. लेकिन उन्होंने साथ ही कहा, "जापान समान विचारधारा वाले देशों के साथ स्वतंत्र और खुले प्रशांत महासागर के लिए संपर्क बनाए रखेगा."
पिछले हफ्ते ही सुगा पद संभालने के बाद पहली बार वियतनाम और इंडोनेशिया के दौरे पर गए थे, ऐसा उन्होंने दक्षिणपू्र्व एशियाई देशों के साथ संबंध बेहतर बनाने के इरादे से किया था. दक्षिण चीन सागर में चल रहे विवाद को लेकर भी सुगा पहले से ही सतर्क हैं. अपनी चार-दिवसीय यात्रा के दौरान सुगा ने वियतनाम के प्रधानमंत्री न्यूएन श्वान फुक और इंडोनेशिया में राष्ट्रपति जोको विडोडो उर्फ जोकोवी से मुलाकात की थी. संसद को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "हम उच्च स्तरीय अवसरों का इस्तेमाल निर्णायक रूप से अपनी बात कहने के लिए करेंगे और आम सहमति वाले मुद्दों पर संपर्क बनाए रखेंगे."
एए/सीके (रॉयटर्स)
हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिरने की कहानी
हिरोशिमा और नागासाकी पर 75 साल पहले गिरा परमाणु बम यूरोप और अमेरिका के वैज्ञानिकों के छह साल लंबे खुफिया मिशन का नतीजा था. इन छह सालों की कहानी तस्वीरों में देखिए...
तस्वीर: Hiroshima Peace Memorial Museum
परमाणु बम का विचार
अल्बर्ट आइंस्टाइन ने 1939 में पत्र लिख कर अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलीन डी रूजवेल्ट को नाभिकीय संलयन की विनाशकारी ताकत के बारे में बताया. जर्मन रसायनविज्ञानी ऑटो हान ने इसकी खोज की थी. पत्र में कहा गया था कि इस प्रक्रिया का नतीजा "एक नए तरह का अत्यंत शक्तिशाली बम" होगा. रूजवेल्ट ने इसके बाद यूरेनियम पर सलाहकार बोर्ड का गठन किया.
तस्वीर: picture alliance/CPA Media Co. Ltd
पर्ल हार्बर पर हमला
7 दिसंबर 1941 को जापान के सैकड़ों युद्धक विमानों ने पर्ल हार्बर में मौजूद अमेरिकी बेस का ज्यादातर हिस्सा तबाह कर दिया. इस हमले में हजारों सैनिकों की मौत हुई. इसके अगले ही दिन अमेरिका ने दूसरे विश्वयुद्ध में उतरने का एलान कर दिया.
तस्वीर: AP
2 अरब डॉलर का बजट
साल 1942 में अगस्त के महीने में अमेरिका ने आधिकारिक रूप से परमाणु बम बनाने के लिए एक बेहद खुफिया कार्यक्रम का फैसला किया. इस प्रोजेक्ट का नाम बाद में मैनहटन प्रोजेक्ट रखा गया. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने 2 अरब डॉलर का बजट दिया.
तस्वीर: picture-alliance/Everett Collection
न्यू मेक्सिको की खुफिया लैब
न्यू मेक्सिको के लॉस अलामोस की एक खुफिया लैब में बम बनाने का काम शुरू हुआ. इसके लिए रॉबर्ट ओपेनहाइमर को साइंटिफिक डायरेक्टर बनाया गया. इस प्रोजेक्ट के लिए अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा के शीर्ष भौतिकविज्ञानियों की टीम बनी. इसके साथ ही हजारों ऐसे लोग भी काम पर लगे जो नाजी शासन से भाग कर आए थे.
1945 में 9 और 10 मार्च को अमेरिका के लड़ाकू विमानों ने जापान में टोक्यो और दूसरे शहरों पर भारी बमबारी की. इस बमबारी ने केवल राजधानी में ही करीब एक लाख लोगों की जीवनलीला खत्म कर दी.
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ओकिनावा की लड़ाई
26 मार्च को ओकिनावा की लड़ाई शुरू हुई. अगले तीन महीने में इस लड़ाई में एक लाख से ज्यादा जापानी सैनिकों और इतनी ही संख्या में आम लोगों की बलि चढ़ गई. 12 हजार अमेरिकी सैनिक भी मारे गए. अमेरिकी अधिकारियों ने इस लड़ाई के आधार पर ही परमाणु बम के इस्तेमाल को न्यायोचित ठहराया. उनकी दलील थी कि जापान की मुख्य भूमि पर हमले में इससे भी ज्यादा लोगों की जान जाती.
तस्वीर: picture alliance/akg-images
अमेरिका में सत्ता परिवर्तन
12 अप्रैल को रूजवेल्ट की मौत हुई और हैरी ट्रूमैन अमेरिका के राष्ट्रपति बने. तब उन्हें अब तक बेहद खुफिया रहे मैनहटन प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी मिली. यह तस्वीर 1945 की है.
तस्वीर: Getty Images
नाजी जर्मनी का समर्पण
8 मई को जर्मनी ने समर्पण कर दिया और इसके साथ ही दूसरे विश्वयुद्ध में यूरोप की लड़ाई खत्म हो गई. हालांकि इसके बाद भी एशिया और प्रशांत के क्षेत्र में युद्ध अभी जोरों पर चल रहा था. मई और जुलाई के बीच परमाणु बम के हिस्से टिनियान लाए गए. यह मारियाना चेन में वो द्वीप था जहां से बी-29 बॉम्बर विमान जापान पहुंच सकता था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Tass/Jewgeni Chaldej
"ट्रिनिटी टेस्ट"
16 जुलाई को न्यू मेक्सिको के अलामोगोर्दो के पास सुबह 5.30 बजे ट्रिनिटी टेस्ट किया गया. इस टेस्ट में परमाणु बम की ताकत समझ में आई और परमाणु युग की शुरुआत हो गई.
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ट्रूमैन की मंजूरी
"ट्रिनिटी टेस्ट" के सफल होने के बाद 25 जुलाई को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रूमैन ने जापान पर परमाणु बम गिराने के मिशन को मंजूरी दे दी. इसमें उपलब्ध होते ही अतिरिक्त बमों को गिराने की मंजूरी भी शामिल थी.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo
जापान को चेतावनी
26 जुलाई को पोट्सडाम घोषणा के बाद ब्रिटेन, चीन और अमेरिका ने जापान को चेतावनी दी कि वो या तो समर्पण करे या फिर "तुरंत और पूर्ण विनाश का" सामना करे. जापान ने इस चेतावनी की अनदेखी करने का फैसला किया हालांकि इसके लिए "मोकुसात्सु" शब्द का प्रयोग किया गया जिसका मतलब है "नो कमेंट."
तस्वीर: picture-alliance/akg-images
विनाश का पल
6 अगस्त को सुबह 8.15 बजे अमेरिकी बी29 बॉम्बर "इनोला गे" ने 9000 पाउंड का परमाणु बम हिरोशिमा पर गिराया. दिसंबर के महीने तक इसकी वजह से 1लाख 40 हजार लोगों की मौत हो गई. ट्रूमैन ने जापानी नेताओं को कहा अगर वो समर्पण नहीं करेंगे तो वो हवा से बर्बादी की ऐसी बारिश देखेंगे जैसी पृथ्वी पर कभी नहीं देखी गई.
तस्वीर: Hiroshima Peace Memorial Museum
नागासाकी का विध्वंस
9 अगस्त को अमेरिका ने दूसरा परमाणु बम जापान के नागासाकी पर गिराया. समय था सुबह 11.02 बजे का. परमाणु बम के इस हमले में 74000 लोगों की जान चली गई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
जापान का समर्पण
15 अगस्त को जापान के सम्राट हिरोहितो ने घोषणा की कि उनका देश युद्ध हार गया है. हालांकि इसके बाद भी वो देश के सम्राट बने रहे और युद्ध के बाद देश के पुनर्निर्माण में अहम भूमिका निभाई.
तस्वीर: AFP/AFP/Getty Images
रूस का हमला
हिरोशिमा पर परमाणु बम गिरने के चार साल बाद 29 अगस्त 1949 को रूस ने अपने परमाणु बम का कजाखस्तान में परीक्षण किया और परमाणु बम रखने वाला दूसरा देश बन गया. विश्व युद्ध के अंतिम दिनों में उसने जापान पर हमला किया और उसके कई इलाकों पर कब्जा कर लिया. कुरील द्वीप उनमें से एक था.