जापान की एक अदालत ने समलैंगिक विवाह पर देश में लगे प्रतिबंध को सही ठहराया है. जापान विकसित देशों के समूह जी7 का इकलौता सदस्य देश है जहां समलैंगिक विवाह आज भी गैर कानूनी है.
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ओसाका की जिला अदालत में तीन समलैंगिक जोड़ों ने यह मामला दायर किया था. अदालत ने ना सिर्फ उनकी शादी करने के अधिकार की अपील को ठुकरा दिया, बल्कि तीनों जोड़ों पर 10 लाख येन (करीब 5.7 लाख रुपये) प्रति जोड़ा जुर्माना भी लगाया है.
मार्च 2021 में सपोरो शहर की एक अदालत ने ऐसे ही एक मामले पर सुनवाई करते हुए फैसला किया था कि समलैंगिक विवाह की अनुमति ना देना असंवैधानिक है. इसके बाद ऐक्टिविस्टों में सरकार पर दबाव बनाने की उम्मीद जगी थी, लेकिन ताजा फैसले से उनकी उम्मीद धराशायी हो गई.
टोक्यो में रहने वाले एलजीबीटीक्यू ऐक्टिविस्ट गोन मात्सुनाका ने कहा, "यह बेहद निराश करने वाला है. सपोरो फैसले के बाद हम वैसे ही या उससे बेहतर फैसले की उम्मीद कर रहे थे."
जापान के संविधान में विवाह को "दोनों लिंगों की आपसी सहमति" पर आधारित बताया गया है. लेकिन टोक्यो में पिछले सप्ताह समलैंगिक जोड़ों के लिए पार्टनरशिप अधिकार लाए जाने के बाद ओसाका वाले मामले को लेकर ऐक्टिविस्टों और वकीलों में उम्मीद बन गई थी.
एशियाई मानकों के हिसाब से जापान के कानून को कुछ इलाकों में तुलनात्मक रूप से आजाद ख्याल माना जाता है. लेकिन पूरे एशिया में सिर्फ ताइवान में ही समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता प्राप्त है.
जापान के मौजूदा कानून के तहत समलैंगिक जोड़े कानूनी रूप से शादी नहीं कर सकते, एक दूसरे की संपत्ति के उत्तराधिकारी भी नहीं बन सकते और उन्हें एक दूसरे के बच्चों पर कोई भी अभिभावकीय अधिकार भी नहीं मिल सकता.
कुछ शहरों में नगरपालिकाएं समलैंगिक जोड़ों को पार्टनरशिप सर्टिफिकेट देती हैं जिसकी मदद से उन्हें मिल कर मकान किराए पर लेने जैसी सुविधाएं मिल जाती हैं. लेकिन इससे उन्हें विपरीत लिंग वाले जोड़ों जैसे कानूनी अधिकार पूर्ण रूप से नहीं मिलते हैं.
पिछले सप्ताह टोक्यो की स्थानीय सरकार ने समलैंगिक पार्टनरशिप समझौतों को मान्यता देने वाले एक विधेयक को पारित कर दिया. अब जापान की आबादी के लगभग आधे हिस्से पर शासन करने वाली स्थानीय सरकारों ने इस तरह की मान्यता दे दी है.
प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा ने कहा है कि इस मुद्दे पर सावधानी से विचार करने की जरूरत है, लेकिन उनकी पार्टी एलडीपी मामले पर पुनर्विचार करने के लिए ना कोई नया विधेयक लेकर आई है और ना कोई नई योजना. हालांकि पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता सुधार के पक्ष में जरूर हैं.
टोक्यो में एक और मामले आने वाला है, जिसका मतलब है इस मुद्दे पर सार्वजनिक बहस चलती रहेगी. टोक्यो में स्थानीय सरकार द्वारा पिछले साल कराए गए एक ओपिनियन पोल के अनुसार लगभग 70 प्रतिशत लोग समलैंगिक विवाह के पक्ष में थे.
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बढ़िया अवसर
ऐक्टिविस्टों का कहना है कि समलैंगिक विवाह को मान्यता दे देने से देश पर सामाजिक और आर्थिक रूप से दूरगामी असर होंगे. कंपनियों के लिए भी प्रतिभावान कर्मचारियों को आकर्षित करने और कंपनी से जोड़े रखने में आसानी होगी. विदेशी कंपनियों को जापान आने के लिए आमंत्रित करने में भी आसानी होगी.
गोल्डमैन साक्स में प्राइम सेवाओं की प्रमुख मासा यानागिसावा ने कहा, "अगर जापान को एशिया में फिर से अग्रणी स्थान हासिल करना है तो उसके लिए यह एक अच्छा अवसर है." यानागिसावा ऐक्टिविस्ट समूह मैरेज फॉर ऑल के बोर्ड की सदस्य हैं.
ओसाका फैसले से पहले बात करते हुए उन्होंने कहा, "अंतरराष्ट्रीय कंपनियां अपनी एशिया नीति की समीक्षा कर रही हैं और एलजीबीटीक्यू समावेश एक विषय बन रहा है. अंतरराष्ट्रीय कंपनियां ऐसे स्थानों पर निवेश नहीं करना चाहती हैं जो एलजीबीटीक्यू फ्रेंडली नहीं हैं."
सीके/एए (रॉयटर्स)
क्वियर लोगों के लिए सबसे दोस्ताना ठिकाने
पूरी दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहां क्वियर लोगों के अनुकूल नीतियां लागू हैं. पेश है यात्रा करने के लिए 2021 के स्पार्टेकस गे ट्रेवल सूचकांक पर आधारित ऐसे 10 सबसे अच्छे ठिकाने.
तस्वीर: Sofia Toscano/colprensa/dpa/picture alliance
कनाडा
कनाडा को दुनिया में सबसे ज्यादा क्वीर-फ्रेंडली गंतव्य माना जाता है. यहां 2005 में ही समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दे दी गई थी. देश में कई जाने माने एलजीबीटीक्यूआई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, जैसे जून में होने वाला टोरंटो प्राइड उत्सव और अगस्त में होने वाला फीएरते मोंट्रियल उत्सव.
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माल्टा
भूमध्य सागर स्थित यह छोटा सा द्वीप एलजीबीटीक्यूआई समुदाय के संरक्षण के लिहाज से यूरोप का सबसे प्रगतिशील देश है. यहां 2004 में ही सेक्सुअल ओरिएंटेशन और लैंगिक पहचान के आधार पर भेदभाव को बैन कर दिया गया था. 2016 में माल्टा तथाकथित गे कन्वर्जन थेरेपी को अवैध घोषित करने वाला पहला यूरोपीय देश बन गया था.
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पुर्तगाल
लिस्बन और पोर्तो पुर्तगाल के सबसे विविध और खुले विचारों वाले शहरों में से हैं. देश में समलैंगिक विवाह को 2010 से कानूनी मान्यता प्राप्त है. समलैंगिक जोड़ों को बच्चा गोद लेने के भी पूरे अधिकार प्राप्त हैं. हालांकि अभी भी ट्रांसजेंडर लोगों के संरक्षण और कन्वर्जन थेरेपी को अवैध घोषित करने के लिए कुछ कदम उठाए जाने बाकी हैं.
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स्वीडन
स्वीडन को दुनिया के सबसे प्रगतिशील देशों में शुमार किया जाता है. देश में समलैंगिक वयस्कों के बीच यौन संबंधों को 75 साल पहले ही वैध घोषित कर दिया था. आज, देश में लिंग आधारित सर्वनामों की जगह जेंडर न्यूट्रल सर्वनाम "हेन" का व्यापक रूप से इस्तेमाल होता है.
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उरुग्वे
लैटिन अमेरिका के सबसे उदार देशों में से एक, उरुग्वे समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाले सबसे पहले देशों में से था. यहां समलैंगिक लोगों के बीच सहमति से होने वाले यौन संबंधों को 1934 में ही वैध घोषित कर दिया गया था. एलजीबीटीक्यूआई समुदाय के लोगों के संरक्षण के लिए 2004 में एक भेदभाव विरोधी कानून भी लाया गया.
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ऑस्ट्रेलिया
सुंदर समुद्र तट और बहुसांस्कृतिक शहरों के लिए जाने जाने के अलावा, ऑस्ट्रेलिया एक बेहद उदार देश भी है. देश में 1984 में ही लिंग, सेक्सुअल ओरिएंटेशन, लैंगिक पहचान या इंटरसेक्स दर्जे के आधार पर लोगों को भेदभाव से बचाने के लिए एक कानून पास कर दिया गया था. 2017 में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता भी दे दी गई थी.
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जर्मनी
जर्मनी में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता 2017 में मिल गई थी और अब इंटरसेक्स लोग भी कानूनी रूप से खुद को इंटरसेक्स बता सकते हैं. कोलोन और बर्लिन को विशेष रूप से विविध और खुले विचारों वाले शहरों के रूप में जाना जाता है. हालांकि अभी भी देश में सच्चे रूप से एक क्वीर-फ्रेंडली समाज बनाने के लिए कई कदम उठाए जाने बाकी हैं.
तस्वीर: Christoph Hardt/Geisler-Fotopress/picture alliance
आइसलैंड
आर्कटिक सर्किल के पास स्थित इस कम आबादी वाले देश को एलजीबीटीक्यूआई समुदाय के लोगों के लिए काफी अनुकूल माना जाता है. यहां समलैंगिक विवाह को 2010 में कानूनी मान्यता दे दी गई थी. राजधानी रेक्याविक में 1999 से ही हल साल प्राइड उत्सव भी मनाया जाता है. यह सबसे सुरक्षित और सबसे उदार यात्रा गंतव्यों में से है.
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ताइवान
ताइवान को एलजीबीटीक्यूआई अधिकारों के लिहाज से एशिया का सबसे प्रगतिशील देश माना जाता है. देश में एक कड़ा भेदभाव विरोधी कानून लागू है और यहां ट्रांसजेंडरों के अधिकारों का भी संरक्षण किया जाता है. 2019 में यह समलैंगिक विवाह को वैधता देने वाला पहला एशियाई देश बन गया था.
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कोलंबिया
कोलंबिया की संस्कृति में कैथोलिक मान्यताएं और मर्दाना तौर तरीके गहरे समाए हुए हैं, फिर भी एलजीबीटीक्यूआई अधिकारों के हिसाब से इसे लैटिन अमेरिका के सबसे प्रगतिशील देशों में से एक माना जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में समलैंगिक विवाहों को वैध घोषित कर दिया था. 2020 में, सालाना वर्ल्ड ट्रेवल अवॉर्ड्स में कोलंबिया को दक्षिण अमेरिका का अग्रणी एलजीबीटीक्यूआई गंतव्य चुना गया (सोफी डेस्मंड).
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