फुकुशिमा पानी विवाद: चीन में जापानी दूतावास पर ईंट फेंकी गई
२९ अगस्त २०२३
जापान का कहना है कि फुकुशिमा प्लांट का पानी समंदर में छोड़ने के मुद्दे पर चीन में रह रहे जापानियों को परेशानियां उठानी पड़ रही हैं. जापान ने यह भी कहा है कि बीजिंग स्थित जापानी दूतावास पर ईंट फेंकी गई.
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चीन ने फुकुशिमा प्लांट का पानी छोड़े जाने का विरोध किया है. इस मामले में पिछले हफ्ते चीन ने जापान से सीफूड के आयात पर भी पाबंदी लगा दी. इसके बाद से ही जापान, चीन में रह रहे अपने नागरिकों से अपील कर रहा है कि वो ज्यादा नजर में ना आएं. लो प्रोफाइल रहें.
27 अगस्त को जापानी विदेश मंत्रालय ने चीन में रह रहे अपने नागरिकों को सलाह दी कि वे अपनी बातचीत और बर्ताव में सावधानी बरतें और "जरूरी ना होने पर या जोर से जापानी भाषा ना बोलें."
जापान के विदेश मंत्री योशिमासाल हयाशी ने बीजिंग में जापानी दूतावास पर ईंट फेंके जाने की घटना को दुखद और चिंताजनक बताया. मीडिया से बात करते हुए हयाशी ने कहा, "हम चीन की सरकार से अपील करते हैं कि वह तत्काल उचित कदम उठाए. जैसे कि, अपने नागरिकों से शांति बरतने की अपील करे ताकि हालात ना बिगड़ें. साथ ही, चीन की सरकार वहां रह रहे सभी जापानी नागरिकों और हमारे कूटनीतिक ठिकानों की भी सुरक्षा सुनिश्चित करे."
विदेश मंत्री हयाशी ने यह भी कहा कि चीन को फुकुशिमा से छोड़े जा रहे पानी के बारे में सही जानकारी उपलब्ध करवानी चाहिए, ना कि बिना वैज्ञानिक आधार के सूचना देकर लोगों की चिंता बढ़ानी चाहिए.
चीन ने क्या कहा?
बीजिंग में जापानी दूतावास के प्रवक्ता ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया कि दूतावासकर्मी बहुत चिंतित हैं. उधर चीन में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने मीडिया के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि चीन अपने यहां रह रहे विदेशी नागरिकों की सुरक्षा, वाजिब अधिकारों और हितों का ध्यान रखता है.
वांग ने यह भी कहा, "हम जापान से अपील करते हैं कि वो सभी पक्षों की जायज चिंताओं पर ध्यान दे, रेडियोधर्मी पानी को समुद्र में छोड़ा जाना तुरंत रोके, अपने पड़ोसियों और सभी पक्षों से बातचीत करे और रेडियोधर्मी पानी को जिम्मेदार तरीके से डिस्पोज करे."
जापान में कई व्यवसायों और दुकानों ने बड़ी संख्या में अज्ञात लोगों के ऐसे फोन कॉल आने की शिकायत की है, जिनमें अपमानजनक और नस्ली भाषा का भी इस्तेमाल किया गया. चीन में कई लोगों ने सोशल मीडिया पर ऐसे कुछ कॉल्स की रिकॉर्डिंग्स और वीडियो भी डाले हैं, जिन्हें लाखों लोगों ने लाइक किया है.
जापान ने 24 अगस्त से रेडियोधर्मी पानीसमंदर में छोड़ना शुरू किया. फुकुशिमा दाइची परमाणु संयंत्र का ये पानी करीब 10 साल तक समंदर में छोड़ा जाता रहेगा. सरकार और विशेषज्ञ इसे सुरक्षित बताते हैं, लेकिन कई लोग आशंकित भी हैं.
फुकुशिमा के मछुआरे
जापान की ऊर्जा कंपनी तेप्को बंद हो चुके फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से 10 लाख टन उपचारित पानी समुद्र में छोड़ना चाहती है. क्या इससे इलाके में मछली पकड़ने का काम बंद हो जाएगा?
तस्वीर: Kim Kyung-Hoon/REUTERS
मछुआरों का पीढ़ियों पुराना काम
71 साल के मछुआरे हरुओ ओनो शिनचिमाची नाम के छोट से बंदरगाह पर खुद पकड़ी हुई मछलियां उतार रहे हैं. शिनचिमाची फुकुशिमा दाईची परमाणु संयंत्र से सिर्फ 55 किलोमीटर दूर स्थित है, जहां 2011 में दुनिया को दहला देने वाला परमाणु हादसा हुआ था. ओनो का परिवार तीन पीढ़ियों से मछली पकड़ने का काम करता है. वो खुद करीब 50 सालों से यह काम कर रहे हैं.
तस्वीर: Kim Kyung-Hoon/REUTERS
मछली पालन से जीवन यापन
नूडल मछली साफ करते करते ओनो हादसे को याद करते हैं. 11 मार्च, 2011 को रिक्टर स्केल पर नौ की तीव्रता वाले एक भूकंप की वजह से जापान के पूर्वी तट पर सुनामी आ गई थी. ओनो तो समुद्र में अपनी नाव पर बच गए लेकिन जमीन पर उनका घर नष्ट हो गया. उनके एक छोटे भाई की मृत्यु हो गई. वही सुनामी फुकुशिमा संयंत्र से भी टकराई थी, जिसके बाद धमाके हुए थे और संयंत्र में परमाणु दुर्घटना हो गई थी.
तस्वीर: Kim Kyung-Hoon/REUTERS
दूषित पानी से उद्योग ठप्प
उस हादसे में जो रेडिएशन निकली उसने इस इलाके में मछलीपालन उद्योग को पूरी तरह से ठप्प कर दिया. 12 सालों बाद थोड़ी से बहाली के संकेत नजर आए हैं और मछलियों के दाम धीरे धीरे फिर से बढ़ने लगे हैं. ओनो ऊर्जा कंपनी तेप्को की दूषित पानी को समुद्र में छोड़ने की योजना को "असहनीय" मानते हैं. उन्हें डर है कि वो फिर से उसी स्थिति में पहुंच जाएंगे जहां वो सालों पहले थे.
तस्वीर: Kim Kyung-Hoon/REUTERS
पानी पर विवाद
संयंत्र पर मौजूद अनगिनत पानी के टैंकों पर काफी विवाद छिड़ा हुआ है. इनमें मौजूद पानी का मुख्य रूप से हादसे के बाद रिएक्टरों को ठंडा करने के लिए इस्तेमाल किया गया था. अधिकारियों के मुताबिक संयंत्र के पुनर्निर्माण से पहले इन टैंकों को हटाना जरूरी है.
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मछुआरों का डर
ऊर्जा कंपनी का एक कर्मचारी उपचारित पानी का एक सैंपल दिखा रहा है. पानी का उपचार किया जा चुका है, उसे फिल्टर और पतला भी किया जा चुका है. कंपनी और सरकार का दावा है की यह पानी अब सुरक्षित है. हालांकि उसमें रेडियोएक्टिव पदार्थ ट्राइटियम के अवशेष मौजूद हैं. वैसे तो इसे तुलनात्मक रूप से नुकसान न देने वाला माना जाता है, लेकिन मछुआरों को डर है कि इसके पानी में घुलने के बाद उनका धंधा फिर से बर्बाद हो जाएगा.
तस्वीर: Kim Kyung-Hoon/REUTERS
सब काबू में है?
ऊर्जा कंपनी और टोक्यो की सरकार का कहना है कि दूसरे देश भी उपचारित पानी को समुद्र में छोड़ते हैं लेकिन जापान में रेडिएशन की जांच के मानक उन देशों से ज्यादा कड़े हैं. और पानी छोड़े जाने का अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी भी अनुमोदन कर चुकी है. कंपनी के प्रवक्ता तोमोहिको मायुजुम ने बताया, "हमारे पास पानी को सुरक्षित बनाने के लिए उपकरण हैं."
तस्वीर: Kim Kyung-Hoon/REUTERS
संयंत्र के अंदर मछली पालन
उपचारित पानी कितना सुरक्षित है यह दिखाने के लिए कंपनी बंद हो चुके संयंत्र के अंदर पानी के टैंकों में फ्लाउंडर मछली पाल रही है. फुकुशिमा विश्वविद्यालय के तोशिशिरो वाडा मछुआरों की चिंताओं को समझते हैं. उनका कहना है कि इलाके के बस अभी ही उबरना शुरू हुए मछलीपालन उद्योग के लिए ऊर्जा कंपनी द्वारा दूषित पानी को समुद्र में छोड़ने की घोषणा "दुर्भाग्यपूर्ण" है.
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जिंदा रहने का सवाल
मछलियों को बेचने से पहले हारुओ ओनो उन्हें पानी के एक टैंक में डालते हैं. वो ऊर्जा कंपनी तेप्को से नाराज हैं. वो कहते हैं, "समुद्र कोई कूड़ेदान नहीं है...पानी को फुकुशिमा समुद्र में ही क्यों छोड़ना है, टोक्यो या ओसाका में क्यों नहीं?" उनका कहना है कि इस इलाके के लोग पहले ही बहुत भुगत चुके हैं और अब उन्हें और भुगतने पर मजबूर किया जा रहा है.
तस्वीर: Kim Kyung-Hoon/REUTERS
रचनात्मक पुनर्निर्माण
71 साल के ओनो उस जगह पर खड़े हैं जहां कभी उनका घर हुआ करता था. सुनामी के बाद इस जगह को एक पार्क में बदल दिया गया. उनका नया घर तट से काफी दूर है, फिर भी उनका कहना है वो मरते दम तक समुद्र में ही काम करते रहेंगे. उनके हिसाब से मछली पालन का भविष्य उज्ज्वल नहीं है. "प्राथमिक और निचली कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों का क्या होगा? उनके लिए इससे आजीविका चलाना बेहद अस्थिर काम है."