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जापान में विरोध प्रदर्शनों की छाया में आबे को अंतिम विदाई

२७ सितम्बर २०२२

एक तरफ फूल माला, राजकीय तामझाम और प्रार्थनाओं के साथ दुख जताते दुनिया भर के राजनेता हैं तो दूसरी तरफ विरोध करते देशवासी. जापान ने सबसे लंबे दौर के प्रधानमंत्री को अंतिम विदाई दी है.

विरोध के बीच शिंजो आबे को अंतिम विदाई
राजकीय सम्मान के साथ शिंजो आबे को अंतिम विदाईतस्वीर: Takashi Aoyama/REUTERS

जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की चिता की राख ले कर उनकी पत्नी टोक्यो के बुडोकान पहुंची. वहां शिंजो आबे के सम्मान में 19 तोपों की सलामी दी गई. प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा समेत जापान और दुनिया के कई देशों के राजनेताओं ने  पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को श्रद्धांजली दी है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस मौके पर टोक्यो पहुंचे हैं. बड़ी संख्या में जापान के आम लोग भी कतार में लग कर अपने नेता को श्रद्धांजलि दे रहे हैं.

श्रद्धांजलि वाली जगह फूलों से ढके विशाल ढांचे पर आबे की राख का कलश रखा गया था. वहीं उनकी एक बड़ी तस्वीर भी लटक रही थी जिसके आस पास आबे के मेडल और जापान का झंडा भी था.

प्रधानमंत्री किशिदा ने दूसरे देशों के साथ कूटनीतिक रिश्ते जोड़ने समेत आबे की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए उन्हें "हिम्मती इंसान" बताया. किशिदा ने इस घटना को "दिल तोड़ने वाला दुख" कहा. अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीजी बुडोकान पहुंचने वाले प्रमुख अंतरराष्ट्रीय नेताओं में शामिल हैं. भारतीय प्रधानमंत्री शिंजो आबे को अपना अच्छा दोस्त बताते रहे हैं.

शिंजो आबे की पत्नी अकी आबे अंतिम संस्कार मेंतस्वीर: Philip Fong/REUTERS

शिंजो आबे की हत्या

शिंजो आबे ना सिर्फ जापान के लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे बल्कि कई अंतरराष्ट्रीय गठबंधनों की इबारत लिख कर दुनिया भर में जापान के सबसे जाने पहचाने चेहरे के रूप में उभरे. उनकी आर्थिक नीतियों ने भी उन्हें खासी शोहरत दिलाई जिसे "आबेनॉमिक्स" भी कहा जाता है. स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने 2020 में इस्तीफा दे दिया लेकिन फिर भी वो एक प्रमुख राजनेता के रूप में सक्रिय थे. सत्ताधारी पार्टी के लिये प्रचार करने के दौरान एक बंदूकधारी ने 8 जुलाई को उन्हें गोली मार दी.

उनकी हत्या से पूरा देश सन्न रह गया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस घटना की काफी निंदा हुई. हालांकि शिंजो आबे का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करने को लेकर जापान में ही काफी विरोध हो रहा है. हाल ही में हुए एक सर्वे में करीब 60 फीसदी लोगों ने इसका विरोध किया था. जापान में यह दूसरी बार है जब किसी प्रधानमंत्री को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई है.

शिंजो आबे को श्रद्धांजली देने पहुंची अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिसतस्वीर: Eugene Hoshiko/AP/picture alliance

हजारों लोग प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि देने के लिए बुडोकान आये हैं और फूल लेकर कतार में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. कोजी ताकामोरी उत्तरी होक्काइदो से अपने 9 साल के बेटे के साथ यहां आये हैं. 46 साल के ताकामोरी ने कहा, "मैं उन्हें धन्यवाद कहना चाहता हूं, उन्होंने जापान के लिये बहुत कुछ किया है. जिस तरह से उनकी मौत हुई वह हैरान करने वाली है. सच कहूं तो मैं भी इसलिये आया हूं क्योंकि इसका इतना विरोध हो रहा है. यह ऐसा है जैसे में उन लोगों का विरोध कर रहा हूं जो इसका (अंतिम संस्कार) विरोध कर रहे हैं."

राजकीय अंतिम संस्कार का विरोध

राजकीय अंतिम संस्कार का विरोध करने वालों ने संसद के बाहर धरना दिया और वे बुडोकान में भी मार्च कर रहे हैं. किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिये बड़ी संख्या में पुलिस तैनात की गई है.

आबे की हत्या का जिस शख्स पर आरोप है उसके यूनिफिकेशन चर्च से संबंध बताये जा रहे हैं. हमलावर की मां ने बहुत सारा पैसा इस समुदाय को दान में दिया था जिससे वह नाराज था.

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शिंजो आबे के अंतिम संस्कार में शामिल हुएतस्वीर: FRANCK ROBICHON/AFP

हत्या के बाद चर्च और उनके चंदा जुटाने की प्रक्रिया की जांच शुरू हुई है. जापान के राजनेताओं को मुश्किल सवालों का सामना करना पड़ रहा है. सत्ताधारी पार्टी ने भी माना है कि उसके आधे सांसदों का इस धार्मिक संगठन से सीधा संबंध है. किशिदा ने शपथ ली है कि उनकी पार्टी चर्च से सारे रिश्ते खत्म कर लेगी और इस राजकीय अंतिम संस्कार का इस वजह से भी ज्यादा विरोध हो रहा है. हजारों लोगों ने इसका विरोध किया है और एक इंसान ने तो पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री के दफ्तर के बाहर आत्मदाह करने की भी कोशिश की. कुछ सांसदों और विपक्षी दलों ने भी अंतिम संस्कार का बायकॉट किया है.

किशिदा ने अंतिम संस्कार के लिये बिना संसद की सलाह के अकेले ही फैसला कर लिया. इस पर करीब 1.2 करोड़ डॉलर की रकम खर्च हुई है बहुत से लोग इस वजह से भी विरोध में हैं. इसके अलावा आबे की राजनीतिक विरासत से भी विभाजन पैदा हुआ है. उनके राष्ट्रवाद, भाईभतीजावाद के आरोप और संविधान में सुधार की योजनाओं ने भी बहुतों को उनके विरोध में खड़ा किया.

राजकीय अंतिम संस्कार का विरोध करते जापान के लोगतस्वीर: The Yomiuri Shimbun/AP/picture alliance

किशिदा सरकार को शायद यह उम्मीद रही होगी कि 700 विदेशी मेहमानों और बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों की मौजूदगी विवादों को खत्म कर देगी. अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भी वो आबे की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. इनमें अमेरिका के साथ संबंधों को मजबूत करने के साथ ही क्वाड को मजबूत बना कर अमेरिका, भारत और ऑस्ट्रेलिया के साथ सहयोग बढ़ाया जा रहा है.

जापान के सम्राट और साम्राज्ञी ने इस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया लेकिन क्राउन प्रिंस अकीशिनो और उनकी पत्नी श्रद्धांजलि देने वालों में सबसे आगे थे.

एनआर/आरपी (एएफपी)

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