जापान में उतर रहा है शराब का नशा, पीना छोड रहे हैं युवा
विवेक कुमार
१२ सितम्बर २०२२
जापान में शराब की बिक्री और पीने वालों की संख्या में भारी कमी देखी जा रही है. लिहाजा, बाजार अब उन लोगों को लुभाने के तरीके खोज रहा है जो पीते नहीं हैं.
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जापान के मनाका ओकामोटो अब बीयर की अगली बोतल खोलने से पहले अगले दिन के बारे में सोचते हैं. जमकर पीने के लिए जाने जाने वाले जापानी छात्रों की अगली पीढ़ी के ओकामोटो कहते हैं, "अगर मुझे अगली सुबह जल्दी उठना है तो मैं सोचता हूं कि मुझे कम पीना चाहिए. फिर अगर मैं अकेला पी रहा हूं तो ऐसा कुछ पीता हूं जिसमें अल्कोहल नहीं है.”
22 साल के ओकामोटो कहते हैं कि जब दोस्तों के साथ टोक्यो के किसी रेस्तरां में ऐसे लोगों के साथ मस्ती हो रही हो जो शराब नहीं पीते, तब भी बिना अल्कोहल की ड्रिंक काम आती है.
कम अल्कोहल या बिना अल्कोहल वाले पेय पदार्थों की लोकप्रियता दुनियाभर में बढ़ रही है. खासतौर पर कोविड महामारी के दौरान लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता में वृद्धि देखी गई है तो भी लोग शराब छोड़कर बिना अल्कोहल वाली ड्रिंक की ओर बढ़ रहे हैं. यही वजह है कि 2021 में ऐसी ड्रिंक्स का बाजार 10 अरब डॉलर पर पहुंच गया है जबकि 2018 में यह 7.8 अरब डॉलर का था.
क्या अंतरिक्ष में शराब पी जा सकती है?
अंतरिक्ष में जीवन कैसा होता है? वहां लोग सूसू-पॉटी कैसे जाते हैं, सेक्स कैसे करते हैं, खाना कैसे खाते हैं जैसे सवाल सबके मन में उठते हैं. लीजिए सात ऐसे ही जरूरी सवालों के जवाब जानिए...
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क्या अंतरिक्ष में शराब पी जा सकती है?
1975 में अंतरिक्षयात्रियों थॉमस स्टैफर्ड और डीक स्लेटन को वोडका ट्यूब दी गई थीं. लेकिन ट्यूब में वोडका शराब नहीं बल्कि इस ब्रैंड का चुकंदर का सूप था. अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर शराब पीने की मनाही है क्योंकि अल्कोहल में एथेनॉल होता है जो बहुत ज्वलनशील होता है और साज ओ सामान को खराब कर सकता है. अंतरिक्षयात्रि तो ऐसे माउथवॉश या आफ्टरशेव भी प्रयोग नहीं कर सकते, जिनमें अल्कोहल हो.
तस्वीर: NASA
क्या अंतरिक्ष में कभी कोई मरा है?
1967 में एक पायलट की मौत हुई थी, जिसे अंतरिक्ष में हुई पहली मौत माना गया क्योंकि उसका विमान 50 मील से अधिक की ऊंचाई पर उड़ रहा था. 1967 और 1971 में अंतरिक्षयान में सोवियत संघ के चार यात्री मारे गए थे. 1986 में चैलेंजर स्पेस शटल उड़ान भरने के मात्र 73 सेकंड बाद धमाके से फट गया और सभी सात यात्री मारे गए. 2003 में कोलंबिया स्पेस शटल में धरती पर लौटते हुए विस्फोट हुआ और सात यात्री मारे गए.
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बिना गुरुत्वाकर्षण नंबर दो कैसे संभव होता है?
अंतरिक्ष यात्रियों की टॉयलेट सीट वैक्यूम जैसी होती है. जैसे ही उस पर बैठो, सोखना शुरू कर देती है. वैसे, अंतरिक्ष में पेशाब को रीसाइकल कर पीने का पानी बनाया जाता है.
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क्या अंतरिक्ष यात्री जल्दी मर जाते हैं?
गुरुत्वहीनता में रहने का शरीर पर असर तो पड़ता है. सिर में द्रव्य बनते हैं और करीब एक लीटर रक्त कम हो जाता है. इसलिए धरती पर लौटने के बाद यात्री अक्सर पीले नजर आते हैं. लेकिन वैज्ञानिकों को अभी भी यह नहीं पता कि लंबी अवधि में अंतरिक्ष यात्रा का शरीर पर कितना असर होता है.
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कैसे सोते हैं अंतरिक्ष यात्री?
गुरुत्वहीनता के कारण बिस्तर में लेटना संभव नहीं है इसलिए यात्री स्लीपिंग बैग इस्तेमाल करते हैं, जो छोटे से केबिन में दीवार से चिपकाया गया होता है. चिपकाया इसलिए जाता है ताकि यह इधर उधर ना तैरे और कहीं टकरा ना जाए.
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कितना पैसा कमाते हैं अंतरिक्ष यात्री?
1969 में अपोलो 11 फ्लाइट में गए तीन यात्रियों में से नील आर्मस्ट्रॉन्ग को सबसे ज्यादा धन मिला था. 27,401 डॉलर यानी आज के हिसाब से लगभग 2,09,122 डॉलर. आज अंतरिक्ष यात्रियों को अपने कौशल और अनुभव के आधार पर 66,000 से एक लाख 60 हजार डॉलर (भारतीय रुपयों में 50 लाख से डेढ़ करोड़ के बीच) मिलते हैं.
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स्पेस में सेक्स का मन करे तो?
अंतरिक्ष में सेक्स करना पृथ्वी से काफी अलग तरह का अनुभव होता है. यौन इच्छा तो हो सकती है लेकिन हर 90 मिनट में आपकी आंतरिक घड़ी की लय बदल जाती है और उससे सब कुछ बदल जाता है, जिसमें आपके सेक्स हॉरमोन भी शामिल हैं और संभवतः आपकी कामेच्छा भी.
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नॉन-अल्कोहलिक ड्रिंक का यह असर जापान में तो कुछ ज्यादा ही जोर से दिख रहा है, जहां जनसंख्या घट रही है और युवा लोग पहले के मुकाबले बहुत कम शराब पी रहे हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 1999 में 20-29 वर्ष आयुवर्ग में नियमित रूप से शराब पीने वालों की संख्या 20.3 फीसदी थी जो 2019 में सिर्फ 7.8 प्रतिशत रह गई.
घट रही है बिक्री
सनट्री के प्रतिद्वन्द्वी किरीन होल्डिंग्स भी अल्कोहल फ्री वाइन, कॉकटेल और बीयर बेच रही है. कंपनी कहती है कि इस साल के तीन महीने में उसकी अल्कोहल फ्री ड्रिंक्स की बिक्री पिछले साल की तिमाही के मुकाबले ढाई गुना बढ़ गई है.
शराब बनाने वाली अन्य कंपनी सापोरो होल्डिंग्स ने कहा है कि इस साल की पहली छमाही में उसकी कम और बिना अल्कोहल वाली ड्रिंक्स की बिक्री में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि बीयर की बिक्री चार फीसदी घट गई है.
अल्कोहल और दवा को मिक्स करने की गलती ना करें
शराब के साथ दवा क्यों नहीं खाई जाती? दो अलग तरह की चीजों को एक साथ खाने से हमारे शरीर को फायदे की बजाय नुकसान हो सकता है. किन चीजों को एक साथ नहीं खाना चाहिए, जानिए.
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दवा और अल्कोहल
अल्कोहल नशा करने के साथ साथ शरीर में खून के प्रवाह को भी तेज करता है. दवा लेते समय अल्कोहल से बचना ही चाहिए. रिऐक्शन होने पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं.
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दही में फल
आयुर्वेद के मुताबिक दही में खट्टे फल नहीं मिलाने चाहिए. इससे जठराग्नि कमजोर पड़ती है और पाचन गड़बड़ा जाता है. इससे जुकाम, एलर्जी या साइनस जैसी समस्या हो सकती है.
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कफ की दवा और नींबू
दोनों सर्दी जुकाम में आराम पहुंचाते हैं, लेकिन इन्हें एक साथ लेने पर गड़बड़ हो जाती है. नींबू के असर के चलते पेट में कफ सिरप का रासायनिक विघटन नहीं होता है और खुराक असरहीन सी हो जाती है.
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एंटीबायोटिक और डेयरी प्रॉडक्ट
एंटीबायोटिक लेने के तीन घंटे पहले और खुराक के तीन घंटे बाद तक दूध, दही, पनीर, चीज या फिर चाय का सेवन न करें. विशेषज्ञों के मुताबिक डेयरी प्रॉडक्ट्स में मौजूद बैक्टीरिया, ज्यादातर एंटीबायोटिक दवाओं के असर को बहुत ही कम कर देता है. बेहतर होगा कि आप डॉक्टर या केमिस्ट से पूछ लें.
पेप्सी, कोला, सोडा या फिर कोई भी फिज वाली ड्रिंक हो, उसमें पुदीना नहीं मिलाना चाहिए. कभी कभार ड्रिंक को खूबसूरत बनाने के लिए कुछ लोग उसमें ऊपर से दो पत्तियां तैरा देते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि पुदीना या मिंट न डालें. इनकी मिक्सिंग पेट के लिए जहरीली होती है. साइनाइड बनने की आशंका भी हो सकती है.
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भोजन और पानी
आयुर्वेद और मेडिकल साइंस दोनों कहते हैं कि खाने से 45 मिनट पहले और खाने के बाद 45 मिनट तक, चाय, कॉफी या जूस आदि न पिएं. ऐसा करने से पाचन शक्ति कमजोर होती है और खाना शरीर में विकार पैदा करता है. अगर भोजन रूखा हो या प्यास बहुत तेज हो तो खाने के दौरान थोड़ा बहुत पानी पिया जा सकता है.
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दूध और खट्टे फल
दूध में मौजूद लेक्टोज प्रोटीन को पचाने के लिए शरीर को काफी मेहनत करनी पड़ती है. अगर दूध पीने से तुरंत पहले या उसके बाद नींबू, सेब या संतरे जैसे खट्टे फल जाएं तो पेट में दूध फटता है. इसका नतीजा होता है गैस, खट्टी डकार या फिर पेट में जलन.
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लोगों ने शराब पीनी कम की है तो जापान की सरकार भी नए विकल्प खोज रही है क्योंकि शराब से होने वाले रेवन्यू से उसकी कमाई घट रही है. जुलाई में जापान के कर विभाग ने एक प्रतियोगिता आयोजित की थी जिसमें युवाओं से मांग बढ़ाने के लिए आइडिया मांगे गए.
इस बदलते चलन ने शराब बनाने वाली कंपनियों को भी विकल्प खोजने पर मजबूर किया है. जापान की मशहूर बीयर असाही बनाने वाली कंपनी असाही ग्रुप होल्डिंग्स के प्रमुख कहते हैं कि वह अमेरिका को नए बाजार के रूप में देख रहे हैं. इसी तरह सनट्री होल्डिंग्स ग्रुप भी अपना बोतलबंद कॉकटेल व्यापार दूसरे देशों में बढ़ाने की कोशिश में जुटा है.
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ना पीने वालों को लुभाने की कोशिश
विदेशों में नए बाजारों की तलाश के साथ-साथ ये कंपनियां घरेलू बाजार में शराब ना पीने वाले ग्राहकों को बोतल में उतारने की कोशिश कर रही हैं. हाल ही में टोक्यो की एक गगनचुंबी इमारत के बगल में रोपोंगी बाजार में शराब ना पीने वाली युवतियों के लिए एक खास आयोजन हुआ. जिस जापान में गर्मियों की शाम ‘बीयर गार्डन' के आयोजन खूब लोकप्रिय होते हैं, वहां इस आयोजन को ‘नो अल्कोहल बीयर गार्डन' के रूप में प्रचारित किया गया.
इस आयोजन में सनट्री और टीवी असाही ने बीयर की जगह मॉकटेल और अल्कोहल-फ्री वाइन परोसीं. सनट्री के जनरल मैनेजर मसाको कूरा कहते हैं, "लोग सिर्फ शराब का मजा नहीं ले रहे हैं. वे उस माहौल का मजा ले रहे हैं, जहां वे पीते हैं.”
लिवर कैसे खराब होता है?
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शिबूया कस्बे में एक नई बार खुली है जिसका नाम है सुमादोरी. जापानी भाषा में इसका अर्थ है- समझदारी से पीना. यहां ऐसी मीठी ड्रिंक मिलती हैं जिन्हें बहुत कम या बिना अल्कोहल के बनाया जाता है. असाही के मालिकाना हक वाली इस बार कंपनी के प्रमुख मिजुओ काजीउरा कहते हैं कि बार में माहौल ऐसा बनाया जाता है कि हर कोई पीने का मजा ले सके.
यहां काम शुरू करने से पहले काजीउरा ने इंडोनेशिया में दो साल तक काम किया है. वह कहते हैं कि मुस्लिम बहुल देश में काम करने का अनुभव उन्हें बिना पीने वालों के लिए बढ़िया माहौल तैयार करने में काम आ रहा है. वह बताते हैं, "इस बार का मकसद उन ग्राहकों को भाव देना है जो पी नहीं सकते, ताकि वे भी यहां आ कर पीने वालों के साथ आनंद कर सकें. अगर दूसरे बार और रेस्तरां भी हमारा मकसद समझ सकें तो वे भी ज्यादा ग्राहकों को आकर्षित कर सकेंगे.”