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समानताजापान

जापानी सेना पर उत्पीड़न की शिकायतों को दबाने के गंभीर आरोप

स्वाति मिश्रा
२१ अगस्त २०२३

जापान की सेना पर उत्पीड़न से जुड़ी कई शिकायतों को दबाने और आरोपों को गंभीरता से ना लेने का इल्जाम है. यह जानकारी रक्षा मंत्रालय द्वारा किए गए एक सर्वे में सामने आई.

क्षेत्रीय घटनाक्रमों और सुरक्षा चुनौतियों के मद्देनजर अब जापान अपनी सैन्य क्षमताओं का विस्तार करना चाहता है.
एसडीएफ, जापान का सैन्य बल है. 1954 में यह अस्तित्व में आया था. तस्वीर: Kyodo/picture alliance

सर्वे के मुताबिक, उत्पीड़न के करीब 1,325 मामले रिपोर्ट हुए. इनमें से करीब 77 फीसदी मामले "पावर हरैसमेंट" और 12 फीसदी मामले यौन उत्पीड़न के हैं. "पावर हरैसमेंट" से तात्पर्य काम की जगह पर होने वाले उत्पीड़न और डराने-धमकाने की घटनाओं से है.

"ब्रिटिश चैंबर ऑफ कॉमर्स इन जापान" के मुताबिक, यह जापान में उत्पीड़न का सबसे आम स्वरूप है. अनुमान है कि जापान के करीब एक तिहाई कामगार इससे प्रभावित हैं. मई 2019 में लागू किए गए एक खास कानून "दी रीवाइज्ड ऐक्ट ऑन कॉम्प्रिहेंसिव प्रमोशन ऑफ लेबर पॉलिसिज" में पावर हरैसमेंट को खासतौर पर संबोधित किया गया था.

मदद के लिए बनाई गई व्यवस्था भरोसेमंद नहीं

रक्षा मंत्रालय के सर्वे में एक खास पक्ष "कंसल्टेशन सिस्टम" पर भरोसे की कमी भी है. उत्पीड़न के मामलों में शिकायतकर्ताओं की मदद के लिए यह व्यवस्था है. पाया गया कि करीब 64 फीसदी मामलों में सेल्फ डिफेंस फोर्सेज (एसडीएफ) के जिन लोगों ने अपने साथ उत्पीड़न की शिकायत की, उन्होंने इस व्यवस्था की मदद नहीं ली. इसकी वजह व्यवस्था में भरोसे की कमी है.

सर्वे में पाया गया कि ज्यादातर पीड़ितों को या तो एसडीएफ और रक्षा मंत्रालय के शिकायतों पर कार्रवाई के तरीके पर भरोसा नहीं है या फिर उन्हें डर है कि शिकायत करने पर उन्हें निशाना बनाया जा सकता है.

जापानी मीडिया के मुताबिक, सर्वे में हिस्सा लेने वाले 23 फीसदी प्रतिभागियों का कहना था कि उन्हें बेहतरी की उम्मीद नहीं है. वहीं 10.7 फीसदी प्रतिभागियों ने नुकसान और बदले की कार्रवाई की आशंका जताई. 8.7 प्रतिशत प्रतिभागियों ने व्यवस्था और कांउंसलरों पर भरोसा ना होने की बात कही.

दिसंबर 2022 में प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की सरकार ने जापान की सैन्य क्षमताओं में विस्तार से जुड़ी एक महत्वाकांक्षी योजना को मंजूरी दी. इसके तहत एसडीएफ को अब तक का सबसे बड़ा बजट दिया गया. तस्वीर: Kyodo/REUTERS

एक चर्चित मामले के बाद हुआ था समिति का गठन

इस सर्वे के नतीजों के आधार पर रक्षा मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञों की एक समिति ने एसडीएफ में सुधार और उत्पीड़न रोकने से जुड़ी सिफारिशें की हैं. इस समिति का गठन खास परिस्थितियों में हुआ था. 2021 में एसडीएफ की एक पूर्व महिला कर्मचारी रीना गोनोई ने कई अधिकारियों और सहकर्मियों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया. गोनोई के मुताबिक, उत्पीड़न के कारण उन्हें एसडीएफ छोड़ना पड़ा. रक्षा मंत्रालय ने पर्याप्त सबूत ना होने की बात कहकर मामले को बंद कर दिया.

2022 ने गोनोई ने अपनी शिकायत सार्वजनिक की. उनके साथ हुए उत्पीड़न के ब्योरे बहुत गंभीर और परेशान करने वाले थे. ब्रिटिश अखबार गार्डियन की एक खबर के मुताबिक, गोनोई का आरोप था कि 2020 में एसडीएफ से जुड़ने के बाद उनके साथ नियमित तौर पर उत्पीड़न होता रहा. कभी उनके पिछले हिस्से में थप्पड़ मारा जाता था, कभी चलते-चलते पकड़ लिया जाता था. कुछ अधिकारियों ने उनके गाल को चूमा और स्तन दबोचे. अपने अनुभव पर लिखी गोनोई की किताब "रेजिंग माय वॉयस" इसी साल छपी है.

समिति की सिफारिश

बहरहाल, गोनोई की शिकायतों के सार्वजनिक होने के बाद मामले ने तूल पकड़ा. एसडीएफ ने गलत व्यवहार की बात कबूली और माफी मांगी. कुछ अधिकारियों को निलंबित भी किया गया. 

गोनोई के सामने आने के बाद एसडीएफ के कई अन्य सदस्यों ने अलग-अलग तरह के उत्पीड़नों की शिकायत की. कुछ लोगों ने तो सरकार पर हर्जाने का दावा भी ठोका. इसी मामले की रोशनी में मंत्रालय ने बाहरी विशेषज्ञों की एक समिति गठित की. फिर रीना गोनोई की शिकायत के मद्देनजर सितंबर से नवंबर 2022 के बीच एसडीएफ में बड़े स्तर पर एक सर्वेक्षण हुआ.

जापान टाइम्स के मुताबिक, हालिया सर्वे के नतीजों पर इस समिति ने एसडीएफ में संरचनात्मक दिक्कतों को रेखांकित किया है. समिति ने इस ओर भी ध्यान दिलाया है कि जिन 400 लोगों ने कंसल्टेशन व्यवस्था से मदद लेने की कोशिश की, उनमें से ज्यादातर का कहना है कि उन्हें ठीक तरीके से सहायता नहीं मिली. कुछ का यह भी आरोप है कि उन पर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया गया. समिति ने अनुशंसा की है कि शिकायत किए जाने के तीन महीने के भीतर उसपर कार्रवाई की जाए. साथ ही, जांच के लिए एक निष्पक्ष व्यवस्था भी बनाई जाए.

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